जशपुर
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के डॉक्टर पुत्र की याचिका पर सुनवाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुरनगर, 28 जुलाई। वरिष्ठ कांग्रेसी व पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष पवन अग्रवाल के बेटे डॉ. विकास गर्ग की याचिका पर हाईकोर्ट ने जशपुर पुलिस को पत्थलगांव के कांग्रेसी विधायक के नाती के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए।
पत्थलगांव के सिविल अस्पताल में ड्यूटी के दौरान सूरज सिंह द्वारा डॉ. विकास गर्ग के साथ मारपीट व गालीगलौज करने का मामला है। सूरज सिंह पत्थलगांव विधायक रामपुकार सिंह के नाती हैं।
उल्लेखनीय है कि 31 मई को पत्थलगांव सिविल अस्पताल में दोनों पक्षों के बीच हुए विवाद में पूर्व में पत्थलगांव थाने में सूरज सिंह ठाकुर की शिकायत पर पुलिस ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व जिलाध्यक्ष पवन अग्रवाल समेत उनके पुत्र डॉ. विकास गर्ग व नीरज अग्रवाल के विरुद्ध धारा 294,506,323,34 व एसटीएससी एक्ट की धारा 3(1) (द) (ध) के तहत जुर्म दर्ज किया था। वहीं पत्थलगांव थाना समेत जशपुर एसपी के पास सूरज सिंह के विरुद्ध डॉ. विकास गर्ग ने शिकायत की थी।जिस पर कोई कार्रवाई नहीं होने से डा.ॅ विकास गर्ग ने अपने वकील अभिषेक सिन्हा व समर्थ सिंह के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सूरज सिंह के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता डॉ. विकास गर्ग ने अपनी याचिका में कहा है कि वह एक डॉक्टर हैं और 31 मई 22 को पत्थलगांव में ड्यूटी करते समय राजनीतिक रसूख रखने वाले वाले व्यक्ति ने उसके साथ मारपीट, गाली-गलौज की। जिसकी शिकायत उन्होंने 6 जून 22 को की, इसके बावजूद उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई।
याचिकाकर्ता के वकील ने पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने और शिकायत की जांच करने का निर्देश दिए जाने की मांग हाईकोर्ट से की थी। उक्त मामले में घटना को अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा भी देखे जाने का उल्लेख याचिका में किया गया है।
याचिकाकर्ता द्वारा पुलिस अधीक्षक को सूरज सिंह ठाकुर के खिलाफ एक रिपोर्ट दी गई थी, जो पत्थलगांव पुलिस को 7 जून 22 को प्राप्त हुई थी।
उक्त रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि संज्ञेय अपराध की सूचना दी गई थी और प्रथम दृष्टया छत्तीसगढ़ मेडिकेयर सर्विस पर्सन्स एंड मेडिकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और क्षति या संपत्ति के नुकसान की रोकथाम) अधिनियम, 2010 के तहत भी आरोप लगाए गए थे। इसके बावजूद मामले में पत्थलगांव पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया था।
ये है हाईकोर्ट का निर्देश
जब संज्ञेय अपराध की सूचना दी जाती है, तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य होती है,इसलिए ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में निर्धारित सिद्धांतों का पालन करते हुए,पुलिस को एफआईआर करने का निर्देश दिया जाता है। ललिता कुमारी के मामले में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राथमिकी दर्ज करें और इसकी जांच करें और इस आदेश की एक प्रति प्राप्त होने के दो सप्ताह के भीतर जांच शुरू करें।