राजनांदगांव

आचार्य श्री ने दिया जीवन सूत्र, देखो जानो और जाने दो
12-Dec-2022 4:00 PM
आचार्य श्री ने दिया जीवन सूत्र, देखो जानो और जाने दो

आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के मंगल प्रवचन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 दिसंबर।
आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के सत्संग आगमन पर एक दिवसीय प्रवास पर शनिवार को उदयाचल प्रांगण में  आचार्य श्री के दिव्य देशना सुनने का अवसर श्रद्धालुओं को मिला।
दिगंबर जैन समाज के सचिव रविकांत जैन में बताया कि आचार्य विशुद्ध सागर जी के मंगल प्रवास के अवसर पर सर्वप्रथम 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के गुरु 108 आचार्य विराग सागर महाराज जी के तैल चित्र पर दीप प्रज्जवलन एवं चित्र का अनावरण दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष अशोक झांझरी, श्वेतांबर जैन समाज के मुख्य ट्रस्टी मनोज वैद्य, ओम कांकरिया, नलिन कोठारी की उपस्थिति किया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम की शुरूआत की गई। आचार्य के प्रवचन के पूर्व विद्यासागर पाठशाला के बच्चों ने सुंदर नृत्य के साथ मंगलाचरण किया। आचार्य ने मंगल प्रवचन में जैन समाज एवं सभी भक्तजनों को एक सूत्र के माध्यम से जीवन का संदेश दिया। उन्होंने  कहा कि कोई देश अस्त्र देता है कोई देश शस्त्र देता है। भारत ही एक ऐसा देश है जो शास्त्र देता है। आज पूरे विश्व को परमाणु बम अणुबम की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है तो अणुव्रत की और यह अध्यात्म फिर से भारत ही देगा।

आचार्य ने प्रवचन में जनसंवाद करते पूछा कि शांति महत्वपूर्ण है या सुख, जिसे विस्तृत रूप से बताया कि व्यक्ति अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं के वशीभूत होकर मित्र और शत्रु बनाता है, जिस मनुष्य ने अपनी आकांक्षाओं पर नियंत्रण किया उसे ही शांति और मित्रता मिलेगी। आचार्य ने कहा कि साधुओं को भी मोक्ष की इच्छा करने पर कभी मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है साधुओं को भी अपनी मोक्ष की इच्छा का त्याग करने पर ही इच्छा विहीन तप जब साधु का होगा तो मोक्ष अवश्य प्राप्त होगा।

आचार्य ने सिकंदर और जैन साधु की कहानी का वर्णन करते बताया कि यूनान से निकले सिकंदर ने पूरी दुनिया पर विजय प्राप्त की, परंतु स्वयं की सुख शांति के लिए उसने अपने अंतिम समय में जैन साधु के समक्ष समाधि की इच्छा व्यक्त की और अपने अंत समय में अपने सिपहसालार  से कहा कि मेरे मरण उपरांत मेरे दोनों हाथ कफन के बाहर निकाल कर रखना अर्थात यह संदेश दिया कि जो व्यक्ति मु_ी बांध के आता है कितनी भी दौलत, राज, वैभव, एकत्रित कर ले खाली हाथ ही जाता है।

आचार्य ने कहा कि कभी जीवन के किसी क्षण भी अहंकार और आकांक्षाएं प्रबल न हो और हम किसी घटना को घटने से रोक नहीं सकते, इसलिए उन्होंने अपने सूत्र को दोहराया देखो जानो और जाने दो।
प्रवचन के पश्चात आचार्य के चरणों में सांसद संतोष पांडे, महापौर हेमा देशमुख, सूर्यकांत जैन, खूबचंद पारख, मधुसूदन यादव, मधु बैद, प्रभात गुप्ता आदि भक्तजनों ने श्रीफल चढ़ाकर आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। उक्त जानकारी दिगंबर जैन पंचायत के सचिव रविकांत जैन ने दी।
 

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