रायगढ़
कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों ने सरपंच-सचिव पर आरोप लगाते हुए न्याय की फरियाद की
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 5 जनवरी। औद्योगिक प्रदूषण की मार झेल रहे ग्राम पंचायत लाखा की वन भूमि पर 30 वर्षों से काबिज ग्रामीणों को बेदखल करने के नोटिस ने ग्रामीणों में हलचल मचा दी है। यही वजह है कि ग्रामीणों ने गांव के सरपंच और सचिव की मनमानी का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि वे उक्त भूमि पर तकरीबन 100 से अधिक परिवार बसे हुए है और वहां पूरी बस्ती बसी हुई है। ऐसे में उन्हें घर से बेघर कर दिया जाएगा तो वे कहा जाएंगे। पहले जब लोग वहां अपना घर बना रहे थे तो किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं की गई और न ही ग्राम पंचायत ने दखल दिया परंतु जब छोटे झाड़ के जंगल में पूरी बस्ती बस गई है, तो उन्हें ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव बेदखल करने के लिये नोटिस भेज दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत के नोटिस के अनुसार खसरा नम्बर 12 रकबा 6.583 हेक्टेयर भूमि में 17 एकड़ भूमि छोटे झाड़ का जंगल है। इसमें 7 एकड़ भूमि रिक्त है। इसके बाद भी ग्रामीणों की पूरी बस्ती को उजाडऩे की मंशा से सरपंच और सचिव पूरी बस्ती उजाड़ देना चाहते हैं।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि इतने सालों से वे ग्राम पंचायत का शुल्क पटाने से लेकर उनका वोटर आईडी, राशन कार्ड तथा यहां तक बिजली बिल भी पटाने के अलावा हर चुनाव में मतदान तक करते आ रहे है। इसके बाद भी उन्हें वहां से हटाने के लिये सरपंच ने नोटिस भेजा है। ग्रामीणों की माने तो 17 एकड़ छोटे झाड़ के जंगल में मुक्तिधाम एवं सामुदायिक भवन बनाने का हवाला देकर सरपंच और सचिव ने बेदखली नोटिस भेजा है। जबकि वन अधिकार पटटा के लिये ग्रामीणों ने अर्जी तक लगा रखी है। यही कारण है कि न्याय की आस में ग्रामीण कलेक्ट्रेट आए थे।