कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 12 फरवरी। शांति फाउंडेशन के यतीन्द्र सलाम ने बताया कि मानसिक बीमार वह मरीज है जिसे न दिन समझ आता है और न ही रात. इन मरीजों को समझने के लिए हमें इनके सोच से ही इन्हें ठीक करने की आवश्यकता है। हमें अपने मरीजों के बारे में यह जानकारी होना जरूरी है कि वह क्या सोचते हैं वह क्या चाहते हैं।
आगे कहा कि शांति फाउंडेशन की पहल जो 2017 में ऑल छत्तीसगढ़ लेवल में चालू किया गया जिसका फायदा आज अन्य प्रदेशों के लोगों को भी मिल रहा है। आज छत्तीसगढ़ के कोडांगांव जिले से चालू हुआ यह प्रोग्राम जिसमें मानसिक बीमार लोगो के प्रति जो लोगों की भावनाएं थी या वह लोग जो सालों से सडक़ों पर भटकने पर मजबूर थे आज समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर एक सफल जीवन बिता रहे हैं।
इस कार्य को समझते हुए कोंडागांव जिला प्रशासन ने शांति फाउंडेशन का सहयोग किया। आज सहयोग का नतीजा यह है कि हजारों मानसिक बीमार लोग ठीक होकर समाज के मुख्यधारा से जुडक़र समाज में अपनी भूमिका निभाते हुए कोण्डागांव पुनर्वास केंद्र सरगीपाल पारा में नजर आते हैं।
संस्था का मानना है कि पैसा कमाना हमारा उद्देश्य नहीं है इन्हें जीवन की हकीकत से जुडऩा हमारा मुख्य उद्देश्य है। कई जीवन ठीक होकर अन्य प्रदेशों में भी जाकर अपना जीवन अपने परिवार के साथ बिता रहे हैं।
इसी में मर्दापाल की बुजुर्ग महिला जो मानसिक बीमारी से पीडि़त थीं, वह शांति फाउंडेशन पुनर्वास केंद्र से पूर्ण रूप से ठीक होकर अपने परिवार में वापस जा रही हैं।
उन्होंने जिला प्रशासन की इस योजना का काफी तारीफ की है कि जो लोग सालों से ऐसा मानसिक बीमार लोगों को देव धामी या अंधविश्वास से जोड़ कर देखा करते थे। आज इलाज से जोडक़र उन्हें और उनके जीवन को सुरक्षित कर पा रहे हैं।
इलाज के बाद शांति फाउंडेशन के सदस्यो द्वारा मांजी को उनके घर सुरक्षित भेजते हुये विक्रम सोरी आकाश सोनी दुर्गेश्वरी साहू पूनम सिन्हा उपस्थित रहे।