धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 4 मार्च। गट्टासिल्ली जंगल सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एकता परिषद द्वारा पूरे प्रदेश के हजारों आदिवासी प्रतिनिधियों के साथ सत्याग्रह स्तंभ पर पुष्पांजलि देकर पदयात्रा के साथ प्रारंभ हुई।
एकता परिषद द्वारा आयोजित इस सत्याग्रह में ओडिशा से आए पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्तचरण दास ने कहा कि यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए वन अधिकार कानून की मंशा आदिवासियों को उनके वन अधिकार देना रहा। जंगल को बचाने के लिए जंगल का अधिकार आदिवासियों को देना होगा।
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम ने कहा कि सरकार को अभियान चलाकर आदिवासियों को वन का अधिकार सौंप देना चाहिए।
जंगल सत्याग्रह इतिहास के लेखक आशीष ठाकुर ने कहा कि पहले जंगल काटकर सत्याग्रह सौ साल पहले शुरू हुआ था अब जंगल बचाकर सत्याग्रह करना होगा।
सरगुजा के सामाजिक कार्यकर्ता गंगाराम पैंकरा ने कहा कि बहुत सारे जगहों पर आदिवासियों को वन अधिकार मिला है, उसे और भी सक्रियता के साथ बाकी बचे हुए दावेदारों को देने की जरूरत है।
कवर्धा के बैगा आदिवासी नेता शिकारी बैगा ने कहा कि सरकार हमारी जमीन की समस्या हल करे।
जिला पंचायत धमतरी सदस्य मनोज साक्षी ने कहा कि वन अधिकार कानून की जानकारी दी एवं आदिवासियों द्वारा जल जंगल जमीन की रक्षा के बारे में बताया।
बृज पटनायक ने कहा कि आज भी देश में कई जगह है जन्हा पर सरकार अपने काम के लिए समुदाय से जमीन लेती है। जंगल क्षेत्र की जमीनों का अधिकार उसके वास्तविक अधिकारी आदिवासियों को सौंपना चाहिए।
इस सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठनों के साथी भाग ले रहे हैं सत्याग्रह के पूर्व एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल ने आज पास के कई गांवों का भ्रमण कर आदिवासियों की वन भूमि समस्याओं को जाना और पीडि़तों अपना आंदोलन जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
सत्याग्रह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्तचरण दास, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार, किसान आंदोलन के सुदेश पैंकरा, आसाम के आदिवासी सांसद नब्बासरण्या, सरगुजा के आदिवासी नेता गंगाराम पैंकरा, राष्ट्रीय संयोजक अनिष कुमार, वरिष्ठ कार्यकर्ता अनिल भाई , हरियाणा के राकेश तंवर वीरेश ठाकुर इंदल मंडावी इतवारीन बाई देव सिंह टिकेश्वर सिन्हा अशोक राम, शिवकुमारी, खेलू राम, दान सिंह मरकाम, कुंवर सिंह, अखिलेश प्रजापति, कमलेश मंडावी, मोहन मरकाम देश भर के गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता और जंगल सत्याग्रह के सत्याग्रही परिवार के वंशज भी भाग ले रहे हैं।