दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उतई, 10 मार्च। बाबा दरबार पावन धाम धनोरा दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 6 किलो मीटर दूर स्थित प्रदेश का एकलौता गांव है ।जहां नारियल नींबू पुराने कपड़े से होलिका दहन किया जाता है।
होलिका दहन के दिन गांव के सभी लोग नाला किनारे स्थित बघुवा की मुरती के सामने एकत्रित होकर पुजा पाठ के बाद लाल चुनरी चढ़ाई जाती है इसके बाद दरबार के भक्तों के द्वारा शोभा यात्रा निकालकर पुरे गांव में भ्रमण करते हैं। इसके बाद शोभायात्रा बाबा दरबार पहुंचते हैं। जहां लोगो के द्वारा एकत्रित किए गए नारियल नींबू भेलवा चेदरी पुराना कपड़ा व लोग अपने शरीर से उतार कर होली में डालते हैं। फिर दरबार के लक्ष्मण बाबा, नंद पंन्डा, गज्जू रायपुरिया ,मनोज विनोद साहू द्वारा चकमक पत्थर से कपुर को जला कर उसकी ज्योति से होली जलाई जाती है ।इस होलीका दहन के दौरान न केवल धनोरा बल्कि आस पास के दूर दराज के लोग जुटते हैं ।
प्रेम व सौहार्द का पर्व होली में जितना रंगो का महत्व है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है होलिका दहन की परंपरा को लेकर इस तरह की पौराणिक व ऐतिहासिक कहानी प्रचलित है लेकिन सभी के सार में एक ही संदेश छिपा हुआ है कि होलिका दहन के साथ ही सभी बुराईयों व दुश्मनी को भी जला दिया जाए और दूसरे दिन रंगो के साथ रंगीन दुनिया में खो जाए इस परंपरा को बाबा दरबार धनोरा दुर्ग में अपनी तरह से आगे बढ़ाया जा रहा है। यहां लकड़ी के बजाय नारियल नींबू भेलवा व पुराने कपड़े की होली जलाई जाती है यह परंपरा गांव में वर्षो से चली आ रही है ।
इसके पीछे मान्यता यह है कि ऐसा करने से सभी दुख दर्द व परेशानी समाप्त हो जाती है और खुशहाली आती है। एवं वही पुराने कपड़े उतार कर उसे जलाने से सभी परेशानी होली के साथ जल जाती है ।इस मान्यता के कारण ही बड़े दूर दराज के लोग होली में सामिल होने आते हैं। बाबा दरबार में होलिका दहन के साथ होली भी धूम रहती है यहां लोग उत्साह से इस पर्व को मिल जुलकर मनाते हैं। रंग गुलाल के साथ ही फाग गीत की भी जबरदस्त प्रस्तुति होती है इस वर्ष श्री राधा कृष्ण फाग मंडली के गुलाब साहू एवं गज्जू रायपुरिया हेमंत तेली के मंडली ने फाग गीत की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मनसुखा साहू ,बबलू साहू, चीन्टू साहू ,तबला वादक मारियल, गुमान साहू ,टीकम साहू ,चेतन साहू, भोलू साहू ,कुणाल साहू ,तोमन गजपाल, चन्द्र कांत कोसरे , वासुदेव सपरे ,उपसरपंच दिनेश साहू ,हरिश रैकवार, डॉ. धनेशवर साहू ,चंद्र कांत कोसरे एवं कुंजलाल साहू इन सभी का विशेष सहयोग रहा।