रायगढ़

निजी स्कूलों की किताबे बनी पालकों के लिये बोझ
13-Apr-2023 3:13 PM
निजी स्कूलों की किताबे बनी पालकों के लिये बोझ

पालको ने कलेक्टर के नाम सौंपा ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 12 अप्रैल।
जिले में संचालित निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से निजी पब्लिसर की पुस्तकें लागू की जा रही है तथा पालकों को उसे लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इससे हर पालक परेशान है। ऐसे में बुधवार को कई पालक कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर एनसीईआरटी व एसईआरटी की पुस्तकें ही लागू करने का आदेश जारी करने की मांग की है।

पालकों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेख है कि निजी स्कूल प्रबंधन और पुस्तक विक्रेताओं की मिली भगत से हर पालक परेशान है। निजी स्कूल संचालकों द्वारा जो निजी पब्लिशर की पुस्तकें लेने बोला जा रहा वो पुस्तकें शहर के उनके अपने चुनिंदा दुकान में उपलब्ध है, इसके अलावा शहर के किसी बुक डिपो में उपलब्ध नहीं है। पालकों की मांग है कि जिले के सीबीएसई और आईएससीई बोर्ड आधारित स्कूलों में एनसीईआरटी  की पुस्तकें और सीजी बोर्ड वाले स्कूलों में एससीईआरटी ( छ. ग. शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नि: शुल्क) पुस्तकें ही अनिवार्य रूप से लागू किया जाए और मनमानी करने वाले स्कूलों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करते हुए उसकी मान्यता रद्द करने की की मांग की गई है।

अधिक रेट का स्टीगर लगाकर बेच रहे विक्रेता
पालकों ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि इन पुस्तक विक्रेताओं द्वारा इस निजी पब्लिशर की पुस्तकों को एमआरपी मूल्य में बेचा जा रहा है। वहीं इस प्रकार की भी पालकों से शिकायत आ रही है कि एमआरपी के ऊपर अपना अधिक रेट का स्टीकर लगाकर पुस्तक दुकान संचालक बेच रहे हैं और एक ही दुकान में बुक उपलब्ध होने के कारण पालक और छात्रों की उसे लेने को मजबूरी बनी हुई है।

निजी पब्लिशर की पुस्तकें दस गुना महंगे
पालकों का कहना है कि सभी सीबीएसई-आईसीएसई  बोर्ड संचालित स्कूल में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू करने से पालक निजी स्कूल संचालक और पुस्तक विक्रेता की मनमानी से बच सकेंगे। क्योंकि निजी पब्लिशर की पुस्तकें एनसीईआरटी की तुलना में लगभग 10 गुनी महंगी है। वर्तमान सत्र 2023-24 मे लगभग 95 प्रतिशत पालक अपने बच्चों की कक्षा की पुस्तकें निजी स्कूलों के दबाव मे निजी पब्लिशर की पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य हुए हैं जिसकी समिति बनाकर जाँच करने पर इसकी सच्चाई सामने आ सकेगी।  
 

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