बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 3 जून। जिला मुख्यालय से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित छुईहा जलाशय के चारों ओर सघन पौधारोपण कर इसे पक्षी विहार का स्वरूप देने के अलावा नौका विहार प्रारंभ करने से पर्यटकों की संख्या बढऩे की संभावना है।
जलाशय के पहले ही ग्राम सोनपुरी में बाबा भूतेश्वरनाथ महादेव का अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थित है। वहीं जलाशय के उत्तर पूर्व में सोनबरसा जंगल स्थित है जहां वन विभाग द्वारा प्रारंभ सोनबरसा नेचर क्षेत्रवासियों के आकर्षण का केंद्र है। जो पर्यटन के लिहाज से एक महत्वपूर्ण विकल्प भी है यदि छुईहा टैंक में उक्त कार्य प्रारंभ किया जा सके तो निश्चित ही क्षेत्रवासियों के मनोरंजन के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थल साबित होगा।
गौरतलब है कि यह जलाशय ब्रिटिश काल में निर्मित एक छोटा बांध संचालन है। जिसकी कुल लंबाई 138 मीटर है। तथा तल से इसकी अधिकतम ऊंचाई 6.15 मीटर व जलभराव क्षमता 44.50 एमसीएफटी है। वर्तमान में इसके कैचमेंट क्षेत्र में बड़ी संख्या में अवैध अवैध निर्माण कार्य हो जाने के चलते जल भराव क्षमता में कमी आई है। जबकि असामाजिक तत्वों की आवाजाही जलाशय के किनारे पर अवैध उत्खनन के चलते यहां शरद ऋतु के दौरान पहुंचने वाले प्रवासी पक्षियों के अलावा क्षेत्रीय जल्दी पक्षियों की संख्या में भी कमी हुई है। इस बड़े जलाशय के खाली पड़े किनारों पर पक्षियों को आकर्षित करने छायादार वृक्षों का रोपण बड़ी संख्या में कर दिया जाए तो समीप स्थित सोनबरसा जंगल में पाए जाने वाले पक्षियों समेत आसपास के छोटे जंगलों के पक्षियों हेतु यह महत्वपूर्ण आश्रय साबित होगा। साथ नोका बिहार प्रारंभ हो जाने से सैलानियों का आवागमन भी होगा। जिससे असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा।
जलाशय को ठेके पर देने रोक लगाया जाना जरूरी
विदित हो जनपद पंचायत द्वारा प्रकृति प्रेमियों के विरोध के बावजूद इस जलाशय को मछली पालन हेतु लीज पर दिया जा रहा है। जो छुईहा जलाशय के परिस्थितिक तंत्र के लिए आत्मघाती कदम साबित हो रहा है। अक्सर जाल बिछाने एवं मछली मारने के अलावा कई अवसर पर जलाशय का गेट खोल कर पानी बहा दिए जाने के चलते जलाशय का जलस्तर भी कम हो जाता है। इस वजह से जलाशय में आने वाले प्रवासी पक्षियों एवं क्षेत्रीय पक्षियों के प्रजनन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।इसके अलावा यहां अवैध शिकार भी है एक प्रमुख समस्या है। कुछ मछली पालन करने वालों के अलावा आसपास के ग्रामों के लोगों द्वारा यहां पाए जाने वाले पक्षियों का अवैध शिकार किया जाता है। इस वजह से कभी पक्षियों से गुलजार रहने वाला जलाशय वर्षों के अधिकांश माह सूना सूना प्रतीत होता है।
सोनबरसा नेचुरल लुभाता है पर्यटकों को
जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत लटुवा से लगे सोनबरसा रिजर्व फॉरेस्ट को वन विभाग द्वारा नेचुरल सफारी के रूप में विकसित किया गया है। यहां प्रवेश शुल्क ?10 के अलावा जिप्सी से जंगल भ्रमण का अल्प शुल्क पर्यटकों से लिया जाता है।
जो निश्चित ही किसी परिवार के लिए सुहाना माहौल निर्मित करते हैं। यहां पर्यटकों को सुविधा उपलब्ध कराते हुए कैंटीन का निर्माण भी किया गया है। 890 हेक्टेयर क्षेत्र में फैलाया जंगल चारों ओर चैनलिंक व बाउंड्रीवॉल से घीरा हुआ है। इस जंगल में चीतल, जंगली सूअर, अक्सर भ्रमण के दौरान देखे जा सकते हैं। इसके अलावा छोटे वन प्राणियों व पक्षियों का सुलभ दर्शन भी पर्यटकों को मिलता है। यदि जिला प्रशासन इस संबंध में संज्ञान लेकर वन एवं जल संसाधन विभाग के समन्वित पहल से कार्य योजना बनाए तो शासन को राजस्व की प्राप्ति के साथ ही आमजनों को निकट में ही प्राकृतिक का दर्शन सुलभ हो सकेगा।