राजनांदगांव
बालोद गुंडरदेही के राजेन्द्र दूसरी बार दर्शन के लिए पैदल निकले
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 8 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। जम्मू के पहाड़ों में बसी वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए एक युवक का जुनून भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों को कमजोर कर दिया है। 44 डिग्री तापमान में अकेले दो हजार किमी के सफर पर निकले युवक को विपरीत मौसम की परवाह नहीं है। आस्था के सामने तमाम चुनौतियों को बौना सिद्ध कर पैदल मार्च कर रहे वैष्णोदेवी के इस भक्त को सैकड़ों मील दूर का सफर भक्ति के बदौलत आसान लग रहा है। पिछले दिनों बालोद जिले के गुंडरदेही के ईरागुड़ा का रहने वाला राजेन्द्र निषाद महीनों सफर करते वैष्णोदेवी के लिए निकल पड़ा है।
सूबे के आखिरी छोर में स्थित चिल्फी के भोरमदेव अभ्यारण्य से गुजर रहे इस भक्त से 'छत्तीसगढ़' ने वैष्णोदेवी दर्शन के लिए पैदल सफर पर निकलने की वजह पर चर्चा की। निषाद का कहना है कि अंतरात्मा से मां के दर्शन के लिए आवाज आई और वह लंबी दूरी और थकान वाले सफर की परवाह छोड़ पैदल निकल पड़े। वैसे निषाद का पैदल सफर का यह पहला मौका नहीं है। साल 2018 में वह 61 दिन का सफर तय कर मां के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं। ऊंचे पहाड़ों वाली वैष्णोदेवी के अनन्य भक्ति में लीन निषाद अकेले ही घने जंगलों और सूनसान रास्ता नाप रहे हैं।
इस संवाददाता से चर्चा में भक्त ने बताया कि शाम ढ़लने से पहले वह किसी मंदिर या आश्रम रात गुजारकर अगले दिन भी निकल पड़ते हैं। दो लड़की और एक पुत्र के पिता राजेन्द्र निषाद की उम्र 46 साल की है। वह करीब 5 साल पहले 1965 किमी की लंबा सफर तय कर वैष्णोदेवी के चौखट पर माथा टेक चुके हैं। 31 मई से घर से निकले राजेन्द्र का कहना है कि सफर के दौरान होने वाली परेशानी भक्ति के सामने छोटी लगती है। यहां यह बता दें कि राजेन्द्र निषाद ने मरणोपरांत देहदान की भी घोषणा की है। परिवार की मनाही के बावजूद वह वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए निकले हैं। उनका कहना है कि दुनिया में ईश्वर के अस्तित्व का प्रचार-प्रसार करने और आपसी भाईचारे का संदेश देने के लिए पैदल निकल पड़े हैं।