बस्तर
मांझी अनुसूचित जनजाति आरक्षण के लिए संभागीय स्तरीय आंदोलन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 9 जुलाई। मांझी अनुसूचित जनजाति आरक्षण के लिए आगामी 12 जुलाई को जगदलपुर में प्रदेश मछुआरा समाज ने संभाग स्तरीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया है। इस भव्य आंदोलन के लिए समाज एकजुट होकर तैयारी में जुट गया है।
समाज के बस्तर संभाग प्रभारी राजेश निषाद ने जानकारी दी है कि छत्तीसगढ़ मछुआरा समाज (केंवट, मल्लाह, भोई, धीवर, कहरा, मांझी) ने छत्तीसगढ़ मछुआरा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले व प्रदेश संयोजक सुखाऊ राम निषाद के नेतृत्व में संभाग स्तरीय बैठक की गई थी, जिसमें सभी संभागों में प्रदर्शन के लिए निर्णय लिया गया था।
बैठक में इस बात का विशेष जिक्र किया गया कि मछुआरा समाज को सन 1950 से ही अनुसूचित जनजाति का लाभ प्राप्त करने की पात्रता है। जिसका उल्लेख तत्कालीन शासकीय दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से दर्ज है। राज्य सरकार द्वारा संविधान में 1950 में भेजी गई अनुशंसा, जिसमें माझी(केवट, मल्लाह, भोई, धीवर, कहार, कहरा) का स्पष्ट उल्लेख होने के बावजूद अनुसूचित जनजाति का आरक्षण लाभ प्रदान नहीं किया जा रहा है और न ही इनके संबंध में कोई आदेश प्रसारित किए जा रहे हैं। इस मुद्दे से संबंधित समस्त दस्तावेज राज्य की ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को इस विषय पर गठित मछुआरा समाज की उच्च स्तरीय समिति के द्वारा उपलब्ध कराने के बाद भी इस विषय पर कार्यवाही लंबे समय से लंबित है। निर्णयानुसार सभी संभागों में एक दिवसीय रैली धरना प्रदर्शन के माध्यम से राज्य शासन को ज्ञापन दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि पूर्व सरकार ने भी कैबिनेट द्वारा इन जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग से हटाकर जनजाति में शामिल करने कैबिनेट से प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद से प्रस्ताव संशोधन सुधार हेतु राज्य शासन को भेजा गया है।
शासन ने समुदाय की अनुसूचित जनजाति आरक्षण संबंधित रिपोर्ट को सुधार कर अभी तक केंद्र सरकार को नहीं भेजा है। जिस कारण जनता में असंतोष है। 12 जुलाई को बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन व आंदोलन हेतु मछुआ समुदाय के सभी लोगों से अपील की गई है। वे अपने संवैधानिक अधिकार के लिए 12 जुलाई को जगदलपुर आंदोलन में शामिल होकर उसे सफल बनाने का आह्वान किया गया।
ताकि आगामी मानसून सत्र में शासन विधानसभा में संकल्प पारित कर आरक्षण संबंधी रिपोर्ट में सुधार कर केंद्र सरकार को भेजे। राज्य शासन द्वारा यदि मछुआ समाज के आरक्षण संबंधी मांग को नजरअंदाज किया जाएगा तो राज्य स्तरीय आंदोलन किया जाएगा।