बस्तर

4 दिन बाद हुआ रीति रिवाज से ईश्वर का अंतिम संस्कार
28-Apr-2024 10:41 PM
4 दिन बाद हुआ रीति रिवाज से ईश्वर का अंतिम संस्कार

 गांव वालों के विरोध के बाद बेटे ने लगाई हाईकोर्ट में याचिका

कोर्ट ने कहा गांव में ही होगा अंतिम संस्कार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 28 अप्रैल। परपा थाना क्षेत्र के ग्राम छिंदबहार में विगत 4 दिनों से चल रहे  ईश्वर के शव के कफन दफन का विवाद रविवार को थम गया, जहाँ गाँव वालों के विरोध के बाद बेटे ने अपने जमीन पर अपने पिता के शव को दफनाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई, जहाँ कोर्ट ने बेटे की याचिका को सही मानते हुए प्रशासन को आदेश दिया कि ईश्वर के शव को उसकी ही जमीन में मिट्टी देने की अनुमति दिया गया, जिसके बाद रविवार को परिजन मेकाज पहुँच अपने परिजन के शव को गांव ले गए, जहाँ ईसाई मान्यता के अनुसार पार्थिव शरीर का कफन दफन किया गया।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छुट्टी के दिन बेटे की याचिका पर तत्काल सुनवाई करते हुए उसके मृत पिता के शव को धार्मिक मान्यता के अनुसार दफनाने की अनुमति देने के साथ ही एसपी बस्तर को इसके लिए सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं, जिससे हिंदू गांव में अंतिम संस्कार के दौरान कोई अप्रिय घटना घटित ना हो सके।

ज्ञात हो कि सार्तिक कोर्राम के पिता ईश्वर कोर्राम को सांस लेने में तकलीफ के चलते 25 अप्रैल को डिमरापाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, इलाज के दौरान ईश्वर की मौत हो गई। परिजन जब शव को गाँव ले जाकर अंतिम संस्कार करने की बात कही गई तो गाँव वालों ने विरोध शुरू कर दिया, जिसके बाद शव को दुबारा मेकाज के पीएम घर में रखवा दिया गया, मृतक ईश्वर के शव को गांव में दफनाने से मना कर दिया गया, जिसके बाद काफी विरोध शुरू हुआ, इस बीच बेटा सार्तिक कोर्राम ने हाईकोर्ट में अर्जेंट हियरिंग का अनुरोध किया, जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच ने शनिवार शाम 6.30 बजे सुनवाई की, याचिकाकर्ता के वकील प्रवीन तुलस्यान ने कहा कि अपने पिता के शव को दफनाना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता का मौलिक अधिकार है। याचिकाकर्ता और उनका परिवार ईसाई धर्म को मानता है, पिता के शव को ग्राम छिंदबहार में गाँव वाले दफनाने से रोक रहे है, जबकि परिवार गांव में अपनी जमीन पर ही शव को दफनाना चाहते हैं।

जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने मेडिकल कॉलेज जगदलपुर को मृतक ईश्वर कोर्राम का शव याचिकाकर्ता को सौंपने का निर्देश दिया गया है। याचिकाकर्ता को किसी भी कानून से बचने के लिए अपने पिता के शव को ग्राम छिंदबहार में अपनी जमीन पर दफनाने की अनुमति दी गई है, पुलिस अधीक्षक बस्तर को यह भी निर्देशित किया गया है कि याचिकाकर्ता को उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि वे शव को शालीनता से दफना सकें। याचिकाकर्ता को 28 अप्रैल को अपने पिता का शव दफनाने की अनुमति दी गई है।

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