धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 7 सितंबर। शासकीय सुखराम नागे महाविद्यालय नगरी से एक नए अध्याय का शुरूआत करते हुए पच्चीस वर्ष की उम्र में किताब लिख कर भानुप्रताप कुंजाम ने एक नया इतिहास रचा। इस अवसर पर भानुप्रताप के चाय-कॉफी उपन्यास का विमोचन किया गया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री अजय मंडावी (काष्ठ कलाकार,कांकेर), अध्यक्षता आर. आर. मेहरा (प्रभारी, प्राचार्य महाविद्यालय नगरी) अति विशिष्ट अतिथि डॉ. शैल चंद्रा (साहित्यकार), विशेष अतिथि प्रकाश चंद राय (प्राचार्य, डाइट नगरी) अतिथि के रूप में उपस्थित जोहन नेताम, भूषण लाल नाग, डॉ.अंबा शुक्ला तथा मंच संचालन प्रदीप जैन बंटी के उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
ज्ञात हो कि चाय-कॉफी के लेखक भानुप्रताप कुंजाम अपने अलग और अनूठी कला से अपनी पहचान बन चुके हैं। इस बार अपने क्षेत्र में सबसे कम उम्र में उपन्यास लिखकर सबको अचरज में डाल दिया। भानुप्रताप के शिक्षक बी.एल.नाग ने बताया कि भानु को माध्यमिक कक्षा से ही लेखन में रुचि थी। उसे लिखने के लिए प्रोत्साहित किया गया जिसका परिणाम चाय-कॉफी के रूप में हमें मिला। भानु प्रताप के साहित्यिक गुरु, प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.शैल चंद्रा ने बताया कि भानु ने पहली बार उन्हें खत के माध्यम से संपर्क किया था और उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत मानकर लेखन को आगे बढ़ाने की इच्छा जताई थी। चंद्रा जी आगे कहते हैं गुरु गुड़ ही रह गई, मेरा शिष्य शक्कर हो गया। मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि वह 25 वर्षों की साहित्य साधना में उपन्यास लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाई वह भानु ने उपन्यास लिखकर उनका सर ऊंचा कर दिया।
प्रकाश राय ने श्रद्धा पर कविता पाठ करके सबको प्रेरित किया, साथ ही जोहन नेताम ने बेरोजगारी पर काव्य पाठ करके चिंतन करने के लिए विवश कर दिया। जोहन नेताम चाय-कॉफी के पहले पाठक हैं, जिन्होंने उपन्यास की पहली प्रति खरीदी। पद्मश्री अजय मंडावी ने अपने अनुभव साझा करते हुए उपस्थित सभी दर्शकों को मोहित कर गए। सभी अतिथि और दर्शक उनके सादगी और सरलता को देखकर नतमस्तक थे। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया था कि इस क्षेत्र में कोई माइक्रो आर्टिस्ट है लेकिन अभी-अभी पता चला कि माइक्रो आर्टिस्ट और लेखक एक ही इंसान है और वो भानुप्रताप हैं। अध्यक्षता कर रहे श्री आर. आर. मेहरा जी ने भानु के कॉलेज जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपने अनुभव साझा किये।
अंत में भानुप्रताप ने कहा कि मैं नहीं कहता कि मुझसे प्रेरणा लीजिए जब जिंदगी और जिम्मेदारी पीछे से चांटा मारती है प्रेरणा अपने आप अंदर से निकल आती है। आगे उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी साझा करते हुए चाय-कॉफी के बारे में बताया। यह गांधी चौक में रहने वाले लडक़ों की कहानी है जो छोटे-छोटे गांव से निकलकर जाते हैं। सरकारी नौकरी की तैयारी के दौरान आने वाले चुनौतियों का सामना करते युवाओं को हौसला देने वाली किताब है। पुस्तक विमोचन समारोह को सफल बनाने में उपस्थित अतिथियों, मंच संचालक, शिक्षक तथा दोस्तों का आभार व्यक्त करते हुए अपनी बात रखी।
इस कार्यक्रम में भानुप्रताप के दोस्त योगेश मरकाम (ऑल इंडिया साइकिल राइडर) ललित गौर,आकाश कनौजे, विकास शांडिल्य, अर्जुन नेताम, प्रताप मरकाम, कोशिश निर्मलकर, राकेश नेताम, सुशील राजपूत, दीपेश निषाद, दिव्या भारती, भोमेश, आरती, डॉली, ललिता, अर्चना, प्रियंका, पेमिन तथा कॉलेज के विद्यार्थीगण उपस्थित थे।