राजनांदगांव
प्रदीप मेश्राम
चुनाव विशेष
राजनांदगांव, 26 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। राजनांदगांव लोकसभा की 8 सीटों में महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने का गौरवशाली चुनावी इतिहास रहा है। पंडरिया से लेकर मोहला-मानपुर के विधानसभा सीटों में महिलाओं ने अवसर मिलते ही अपनी काबिलियत साबित की। संभवत: सूबे में राजनांदगांव एक ऐसा लोकसभा रहा है, जहां की आठों सीटों में महिलाओं ने जीत का परचम लहराकर विधानसभा में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
चुनावी इतिहास पर नजर डाले तो अब तक हुए विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने अपनी राजनीतिक छाप छोडक़र राजनीतिक पार्टियों को यह सोचने के लिए विवश कर दिया कि सियासत में महिलाएं अब पुरूषों से कमतर नहीं है। अविभाजित राजनांदगांव जिले की छह सीटों में महिलाओं को भी आगे बढऩे का भरपूर मौका मिला है। राजनांदगांव के सियासत में महिला प्रत्याशी जीतने में अब तक नाकामयाब रही है। भाजपा की तुलना में कांग्रेस ने महिला प्रत्याशियों पर भरोसा किया। 2013 के चुनाव में अलका मुदलियार ने रमन सिंह के खिलाफ ताल ठोकी लेकिन वह जीत हासिल करने में असफल रही। पार्टी ने एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 2018 में स्व. करूणा शुक्ला को बेहतर प्रत्याशी मानते हुए पूर्व सीएम के खिलाफ फिर से मैदान में उतारा। कड़ी टक्कर देने के बावजूद शुक्ला को हार का सामना करना पड़ा। राजनांदगांव एकमात्र ऐसी सीट रही, जहां राजनीतिक दलों से जुड़ी महिला प्रत्याशी विधायक बनने में पीछे रही।
मोहला-मानपुर विधानसभा में 2013 के विस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी तेजकुंवर नेताम ने अपने महिला प्रतिद्वंदी भाजपा की कंचनमाला भुआर्य को मात देकर इस सीट से पहली महिला विधायक बनने का गौरव हासिल किया। खुज्जी विधानसभा में 2018 के विस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी छन्नी साहू ने इतिहास बदलते हुए इस सीट से पहली बार महिला विधायक के तौर पर विजयी हासिल की। उन्होंने भाजपा के हिरेन्द्र साहू को बड़े अंतर से परास्त किया था।
डोंगरगांव विस से खैरागढ़ राजघराने की बहू व पूर्व सांसद स्व. शिवेन्द्र बहादुर की पत्नी स्व. गीतादेवी दो बार विधायक चुनी गई। इसी तरह डोंगरगढ़ विधानसभा से 2013 में भाजपा की सरोजनी बंजारे ने कांग्रेस के थानेश्वर पटिला को मात दी। डोंगरगढ़ विधानसभा से चुने जाने वाली सरोजनी पहली विधायक बनी। खैरागढ़ राजघराने में भी महिलाओं को मौका मिला। जिसमें स्व. रश्मिदेवी सिंह दो बार विधायक रही। वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस विधायक के तौर पर यशोदा वर्मा का कब्जा है। वह दूसरी बार विधायक चुने जाने के लिए चुनावी मैदान में हैं।
कवर्धा विधानसभा से महिला विधायक के तौर पर स्व. रानी शशिप्रभा देवी ने भी जीत हासिल कर अपना लोहा मनवाया था। उधर 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए पंडरिया विधानसभा में भी महिला को विधायक के रूप में जनता ने चुना। 2018 के विस चुनाव में कांग्रेस की ममता चंद्राकर विधायक चुनी गई।
भाजपा ने पहली बार पंडरिया विस से महिला प्रत्याशी के तौर पर भावना बोहरा को चुनाव मैदान में उतारा है। वैसे कवर्धा जिले में यह पहला मौका है, जब भाजपा ने महिला को विस चुनाव की टिकट दी है। कवर्धा जिले की दोनों सीट पर अब तक पुरूषों को ही भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था। पंडरिया विस सीट से भावना बोहरा के पास इतिहास बनाने का मौका है।