राजनांदगांव
लोक कलाकारों की भी होगी प्रस्तुति
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 26 अक्टूबर। बर्फानी सेवाश्रम समिति द्वारा मां पाताल भैरवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी दश महाविद्या द्वादश ज्योर्तिलिंग शिव शक्ति सिद्धपीठ बर्फानी आश्रम में शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर की रात्रि मनाई जाएगी। इस अवसर पर श्वांस, दमा व अस्थमा पीडि़तों को जड़ीबुटीयुक्त खीर प्रसाद का नि:शुल्कवितरण किया जाएगा। इसके अलावा लोक कलाकारों की भी प्रस्तुति रात्रि 10 बजे से प्रारंभ होगी।
संस्था द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि बर्फार्नी आश्रम स्थित मां पाताल भैरवी सिद्धपीठ में श्रद्धालुओं द्वारा 2063 ज्योति कलश प्रज्ज्वलन व नवरात्र पर कुवारी कन्या भोजन व महाआरती व ज्योत विसर्जन का आयोजन संपन्न होने के बाद संस्था द्वारा जनकल्याण के तहत श्वांस, दमा व अस्थम पीडि़तों को पिछले 24 वर्षों से दुर्लभ जड़ी बुटियां एकत्रित कर वितरित की जाती है। इस वर्ष चंद्रग्रहण होने के कारण पौराणिक मान्यताओं अनुसार जड़ीबुटीयुक्त खीर प्रसादी तैयार कर पीडि़तों को चंद्रग्रहण समाप्ति पश्चात स्नान ध्यान व शुद्धीकरण पश्चात देवी-देवताओं की आरती के बाद ब्रम्हमुहूर्त में खीर प्रसाद वितरित की जाएगी। संस्था द्वारा लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने की दृष्टिकोण से वनवासी क्षेत्र मोहला छत्तीसगढ़ नाचा पार्टी का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। संस्था ने आयोजन को लेकर जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व नगर निगम से भी सहयोग मांगा है।
इस आयोजन को लेकर संस्था के अध्यक्ष राजेश मारु, उपाध्यक्ष दीपक जोशी, सचिव गणेश प्रसाद शर्मा, कोषाध्यक्ष नीलम जैन, महंत गोविंद दास, श्रीगुरुचरण सिंह छाबड़ा, महेन्द्र लुनिया, दामोदर अग्रवाल, कमलेश सिमनकर, संतोष खंडेलवाल, सूरज जोशी, आलोक जोशी, लीलाधर सिंह, बलविंदर सिंह भाटिया, कुलबीर छाबड़ा, संजय खंडेलवाल, योगेन्द्र पांडे, मनीष परमार सहित अन्य सदस्यगण तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं।
मंदिर का पट रहेगा बंद
इस बार 28 अक्टूूबर को चन्द्रग्रहण पड़ रहा है। ग्रहण का प्रारंभ रात्रि 1.05 बजे से होगा और मोक्ष रात्रि 2.23 मिनट को होगा व ग्रहण का सूतक संध्या 4 बजे से प्रारंभ होगा। इस कारण सिद्धपीठ का पट संध्या 4 बजे से लेकर ग्रहण समाप्ति तक बंद रहेगा। जिसके पश्चात समस्त देवी देवताओं व सिद्धपीठ का स्नान, ध्यान व शुद्धिकरण व आरती पश्चात पीडि़तों को जड़ीबुटीयुक्त खीर प्रसाद का वितरण किया जाएगा। इस बार चूंकि पूर्णिमा तिथि एक ही है और ग्रहण काल में दूध सहित बीमार वच्चे व वृद्धों को ग्रहण में मान्यता अनुरूप से छूट रहती है, जिसे देखते समिति ने निर्णय लिया है कि ग्रहणकाल को ध्यान में रखते प्रसाद तैयार करवाया जाएगा और ग्रहण समाप्ति पश्चात ब्रम्हमुहूर्त पर इस प्रसाद का वितरण किया जाएगा।