राजनांदगांव
एक लाख 80 हजार पंजीकृत किसानों को इस साल कर्ज के लिए मिले नौ सौ करोड़
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
राजनांदगांव, 27 अक्टूबर। विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस का कर्जमाफी ऐलान मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2018 में सत्ता में आने से पहले किसानों का कर्जमाफी की घोषणा कर भाजपा को चारो खाने चित्त कर दिया था। अब उन्होंने फिर से किसानों को कर्ज से मुक्त करने की घोषणा कर दी है। साल 2018 में सत्ता में आने के दो दिन के भीतर 6 सौ करोड़ का कर्ज राजनंादगांव के किसानों का माफ कर दिया था। किसानों के वोट को निर्णायक मानते हुए कांग्रेस ने एक सियासी दांव खेला है।
भाजपा भी इस घोषणा का माकूल जवाब देने के लिए तैयारी में है, लेकिन अब तक किसानों को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। अविभाजित राजनांदगांव जिले के लगभग एक लाख 80 हजार पंजीकृत किसानों को कांग्रेस सरकार के सत्तासीन होने पर लाभ मिलेगा। इस साल किसानों को जिला सहकारी बैंक के जरिये कृषि ऋण के तौर पर नौ सौ करोड़ रुपए दिए गए हैं। कर्जधारी किसान कांग्रेस के घोषणा से काफी खुश हैं। किसानों को लगता है कि पूर्व में किए गए वादे मुख्यमंत्री ने पूरे किए। ऐसे में दूसरी बार की घोषणा पर भरोसा करना लाजमी है।
बताया जा रहा है कि इस घोषणा के बाद राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। राजनांदगांव के अलावा अन्य विधानसभा में इस घोषणा का असर पड़ा है। अविभाजित राजनंादगांव की सभी 6 सीटों में नजर डालें तो किसानों की खासी तादाद है। मतदाता के तौर पर किसानों की भूमिका काफी अहमियत रखती है। राजनांदगांव लोकसभा की बात करें तो 8 विधानसभा में सहकारी बैंक और सोसायटियों के माध्यम से किसानों को 15 सौ करोड़ रुपए बांटे गए हैं। यानी अविभाजित राजनंादगांव और कवर्धा जिले में लगभग क्रमश: नौ सौ और 6 सौ करोड़ रुपए कर्ज के तौर पर किसानों को दिया गया है। कर्जमाफी एक बड़ा सियासी उलटफेर ला सकता है।
बताया जा रहा है कि किसानों के सिर से कर्ज खत्म करने के अलावा कांग्रेस प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की घोषणा भी कर चुकी है। साल-दर-साल समर्थन मूल्य की कीमत 32 रुपए ले जाने का भी एम ने भरोसा दिया है। बहरहाल अविभाजित राजनांदगांव के किसानों के बीच कर्जमाफी की घोषणा से का क्या असर होगा, इसका पता 3 दिसंबर को मतणगना में साफ हो जाएगा।