रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 21 दिसंबर। के.आई.टी. रायगढ़ पूरे जिले का शासन द्वारा संचालित एवं राज्य शासन द्वारा प्रवर्तित एकमात्र इंजीनियरिंग महाविद्यालय है। वर्तमान में यह संस्था वित्तीय संकट से जूझ रहा है पूर्व में डी. एम.एफ. की राशि से मार्च 2022 तक का वेतन भुगतान हो पाया है। माह अप्रैल 2022 से आज पर्यंत कुल 20 माह का वेतन भुगतान नहीं हो पाया है।
विगत 20 माह से वेतन नहीं मिलने के कारण सभी कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है एवं आर्थिक तंगी के कारण इलाज के अभाव में संस्था के तीन कर्मचारियों के परिवारजनों की मृत्यु हो चुकी है, जो दुर्भाग्यजनक है। वर्तमान में पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में मात्र तीन शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय है।
यदि के. आई. टी. रायगढ़ का शासकीयकरण होता है तो रायगढ़ जिला एवं निकट के जिले जैसे जशपुर, सारंगढ़, शक्ति, जांजगीर चांपा, कोरबा, महासमुंद एवम अन्य जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के विद्यार्थी इंजीनियरिंग शिक्षा से लाभान्वित होंगे। के.आई.टी. की दुर्दशा का सीधा प्रभाव यहां अध्ययन छात्र-छात्राओं के साथ भविष्य में इंजीनियरिंग शिक्षा की लालसा रखने वाले निर्धन छात्रों पर पड़ रहा है इसका कारण यह है कि प्राइवेट कॉलेज में शिक्षण शुल्क के.आई.टी. कॉलेज की तुलना में चार गुना से अधिक है।
ज्ञात हो कि वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, सन 2013 में रायगढ़ सांसद एवं के.आई.टी. संस्था के साधारण सभा के सदस्य होने के नाते इस संस्था को शासनाधीन करने हेतु तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को पत्र प्रेषित किया गया था तथा वर्तमान रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी ने विधानसभा चुनाव के पूर्व से ही इस महाविद्यालय को शासनाधीन करने हेतु तत्कालीन उच्चशिक्षा मंत्री उमेश पटेल को पत्र प्रेषित किया गया है।
केआईटी रायगढ़ के कर्मचारियों द्वारा राज्य के अत्यंत संवेदनशील एवं मुखिया विष्णुदेव साय को 20 माह का बकाया वेतन भुगतान एवं स्थाई समाधान हेतु पूर्ण शासकीयकरण करने हेतु पत्र भेजा है।