रायगढ़

नाट्य समारोह में पूनम की गायिकी ने बांधा समा
06-Jan-2024 4:50 PM
नाट्य समारोह में पूनम की गायिकी ने बांधा समा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 6 जनवरी।
इप्टा के पांच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह के अंतर्गत तीसरे दिन छत्तीसगढ़ी लोक संगीत का कार्यक्रम हुआ। प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी लोक गायिका पूनम तिवारी विराट एवं उनके साथियों द्वारा लोकगायन की प्रस्तुति दी गयी। वहीं इप्टा रायगढ़ की ओर से वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी ने पूनम तिवारी को मूमेंटो देकर सम्मानित किया।

राष्ट्रीय नाट्य समारोह के तीसरे दिन छत्तीसगढ़ी लोक गायिका पूनम तिवारी व उनकी टीम ने लोक गायन की प्रस्तुति दी। पूनम तिवारी ने  मोर अडग़ा शिकारी पहली चिरैया ला देदे दाना  रे फेर ते लगाबे निशाना रे, लीमें ला कतको ते शक्कर में घोल ये चीखे में कडु रे भैया,  का समझाओ मन ला, करेजा ला हुल मारे रे और सुवा गीत के अंतर्गत सेमी के मड़वा कुंदरवा के झूल वो सुवा बन के आजा मोर राजा,  चोला माटी के है राम जैसे लोक गीतों से ऐसा समा बांधा कि दर्शक मंत्र मुग्ध हो गये। पूनम तिवारी ने प्रसिद्ध रंगकर्मी व पदम हबीब तनवीर के चरण दास चोर सहित अन्य नाटकों में शामिल गीतों की भी प्रस्तुति दी।

उल्लेखनीय हैं कि पूनम तिवारी की कला यात्रा बचपन से ही शुरू हो गयी थी। यू कहे कि पूनम तिवारी को कला विरासत में मिली है, तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, उनकी माता राधा सोनवानी व पिता नारायण राव भी कला के क्षेत्र से ही है। नौ वर्ष की उम्र से ही विभिन्न नाचा पार्टियों से नाच गाना की शुरुवात पूनम तिवारी ने की थी। पूनम तिवारी ने 1984 से 2005 तक प्रसिद्ध रंगकर्मी पद्म हबीब तनवीर के निर्देशन में अनेक नटको में अभिनय किया। पूनम तिवारी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंदन, पेरिस, जर्मनी, फ्रांस, स्वीडऩ, रूस, बांग्लादेश, मिश्र व शिकागो सहित भरत के विभिन्न प्रदेशों में भी अपनी प्रस्तुति दी है। पारंपरिक देवार गीत व नाचा शैली का मिश्रण भी उनकी गायकी में देखने को मिलता है।

 

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