सरगुजा
वनेश्वरी धाम में अब माता के साथ गजानन महाराज के भी दर्शन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 7 फरवरी। शहर से लगे सांडबार मंदिर जिसे वनेश्वरी माता के मंदिर के रूप मे भी जाना जाता है, यहां अब लम्बोदर महाराज भी विराजमान होने वाले हैं।
दर्रीपारा के रहने वाले राकेश साहू ने अपने पूर्वजों की याद में यहां विशाल,भव्य और बेहद ही आर्कषक श्री सिद्धि विनायक मंदिर का निर्माण कराया है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 14 फरवरी को होने जा रही है। इसके पहले 11 फरवरी को वेदी निर्माण, 12 फरवरी को कलश यात्रा और 13 फरवरी को देव वेदी पूजन का कार्यक्रम किया जाएगा,14 फरवरी को मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्य ब्राह्मणों के मंत्रोचारण के साथ पूर्ण किया जाएगा, 14 फरवरी को ही ब्राह्मण भोज, कन्या भोज के साथ भंडारे का भी आयोजन किया गया है।
जिले के इस पहले श्री सिद्धिविनायक मंदिर को ओडिशा से आए कारीगरों. ने तैयार किया है। एक साल से तैयार हो रहे इस भव्य मंदिर को कारीगरों ने ओडिशा के मंदिरों की तर्ज पर बनाया है। श्री सिद्धि विनायक की 3 फीट की प्रतिमा स्थापित की जाएगी जो कि राजस्थान से मंगवाई गई है। इस मंदिर का गुंबद भी काफी आकर्षक है जिसे ओडिशा के कारीगरों ने वहीं के पैटर्न पर बनाया है।
गौरतलब है कि अंबिकापुर शहर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सांडबार में 15 एकड़ वनों से घिरा हुआ वनदेवी का ये मंदिर है, यहां लाखों हीं श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।
मंदिर के पुजारी के अनुसार वन देवी की उत्पत्ति आकस्मिक हुई थी। बताया जाता है वनदेवी मंदिर में हाथी नुमा विशाल पत्थर है, जिसे हाथी पखना के नाम से जाना जाता है। पत्थरों से निकली हुई वन देवी की प्रतिमा में लोगों की आस्था है। जिसके कारण हर साल नवरात्र में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
कहा जाता है वन देवी मंदिर को फिर से पहचान देने के लिए वन विभाग ने अवैध लकड़ी की कटाई पर रोक लगाई थी और 15 एकड़ के मैदान में वृक्षारोपण कराकर वन तैयार कर दिया। जिसके कारण आज शहरी और ग्रामीणों क्षेत्रों के भक्तों का यहां आना-जाना लगा रहता है।यहां आने वाल प्रत्येक व्यक्ति हरे भरे लहलहाते पेड़ों को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। तो वहीं यहां की प्रचलित एक मान्यता के अनुसार यहां रहने वाले कबूतर शांति, समृद्धि और धन का प्रतीक माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में वन देवी की मान्यता इस कदर बढ़ती गई कि अब वहां शिव मंदिर, बजरंगबली का मंदिर, संतोषी माता का मंदिर, राधा कृष्ण का मंदिर, दुर्गा मंदिर सहित अन्य मंदिरों का निर्माण भीकिया जा चुका है. जिले में अब तक गणेश जी का मंदिरकहीं नहीं बना था.अब सांडबार मंदिर जिसे वनेश्वरी माता के मंदिर के रूप मे भी जाना जाता है यहां लम्बोदर महाराज भी विराजमान होने वाले हैं। आकर्षक मंदिर में श्री सिध्दीविनायक की प्रतिमा को विराजमान करनेपूरी तैयारी कर ली गई है।
अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज
पर मुख्य दरवाजे का निर्माण
बताया जा रहा है कि श्री सिद्धिविनायक मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण अयोध्या के राम मंदिर में लगे दरवाजे की तर्ज पर किया गया है।