रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 मार्च। मास्टर प्लान को लेकर मंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में कल बताया गया है कि पहले कुछ क्षेत्रों में रोड की चौड़ाई अधिक रखते हुए कॉलोनी निर्माण की अनुमति दी गई है, जिसे मास्टर प्लान में मार्ग की चौड़ाई कम रखते हुए बिल्डर को लाभ पहुंचाने का काम किया गया है तथा कई क्षेत्रो में व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिये मास्टर प्लान में मिश्रित भू-उपयोगदिया गया है।
इतना ही नहीं पूर्व मास्टर प्लान के कई मार्गों को हटा दिया गया है, जबकि जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए मार्गों को यथावत रखा जाना चाहिए था। एक शहर के विकास के लिए मार्गों का होना अति आवश्यक है, जो कि उक्त मास्टर प्लान को देखने यह प्रतीत होता है कि इसमें शहर के विकास जैसा किसी प्रकार का प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया है। ग्राम-अटारी, भटगाँव, बोरियाकला, चंदनीडीह, चरोदा, धनेली, दोंदेखुर्द, गिरौद, काठाडीह, मांढर, मोहदी, निमोरा, सिलतरा एवं उरला आदि ग्रामों में आवासीय / वाणिज्यिक / सार्वजनिक-अर्द्धसार्वजनिक आदि का प्रावधान मास्टर प्लान 2031 में नहीं किया गया है, जिससे उक्त ग्रामों का विकास सुनियोजित रूप से योजना तैयार नहीं की गई है।
मास्टर प्लान की पुस्तिका छपने नहीं दी गयी
सूत्रों ने बताया कि अधिसूचना जारी होने के बाद मास्टर प्लान की पुस्तिका प्रकाशन और जारी नहीं करने दिया गया । जो अब तक नहीं हो पाया है। नगर निवेश संचालनालय (टी एंड सी) ने अपने प्लान पर लोगों से दावा आपत्ति आमंत्रित किया, सुनवाई भी की। इसमें से पूर्ववर्ती सरकार के मंत्री ने कांग्रेस,भाजपा नेताओं की आपत्तियों को फेवर कर रद्दोबदल किया लेकिन आम आदमी की आपत्तियों खारिज कर दी गई ।
कृषि भूमि को आवासीय, और बहुउपयोगी किया
सूत्रों ने बताया कि टीएडंसी ने तेलीबांधा एक्स्प्रेस वे पर महावीर नगर के पास एक अपूर्ण होटल से लगे 100एकड़ से अधिक की एक चक भूमि जो कृषि भूमि थी। उसे टीएंडसी ने मिक्सडयूज में डायवर्ट किया। इस जमीन से लगे दूसरे भूखंड के लिए कोई पहुंच मार्ग का एप्रोच नहीं दिया गया । इसी तरह से पुराने धमतरी रोड पर पांच सौ एकड़ एक चक कृषि भूमि को एक प्रॉपर्टी फर्म को रेसिडेंशियल कर लाभ पहुंचाया गया।
लोकसभा चुनावों के बाद जांच होगी
सूत्रों ने बताया कि कल आवास पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी की घोषणा के बाद पिछली सरकार में मास्टर प्लान का खेल करने वालों में हडक़ंप है। बताया जा रहा है कि दस वर्ष पूर्व डायवर्षन या प्लान स्वीकृति के लिए शिष्टाचार शुल्क 50हजार रूपए एकड़ था वो पिछली सरकार में ढाई लाख रूपए एकड़ की दर से लिया गया ।