सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 8 मार्च। महाशिवरात्रि का पर्व सरगुजा जिले में भक्तिभाव से मनाया गया। शिवालयों में हर-हर महादेव, बोलबम की अनुगूंज के साथ श्रद्घालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। जगह-जगह भंडारा सहित विविध धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए, जिसमें श्रद्घालुओं ने भक्तिभाव से हिस्सा लिया।
महाशिवरात्रि पर्व को लेकर संभाग मुख्यालय अंबिकापुर सहित जिले भर में सुबह से ही भक्ति और उल्लास का वातावरण बना हुआ था। शुक्रवार को सुबह से ही शहर के हर मोहल्ले से श्रद्घालुओं का पूजा-अर्चना के लिए घरों से निकलना हो रहा था।
शाम तक नगर के शिव मंदिरों में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्घालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। शिवालयों में श्रद्घालुओं ने जल, दुग्ध, शहद, घी, बेलपत्र, पुष्प से अभिषेक कर भक्तिभाव से भोलेनाथ की पूजा की।
नगर के शंकरघाट स्थित शिव मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर मेले जैसा माहौल था, यहां अलसुबह से ही भक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई थी। कतार में लगकर भोले भक्त हर-हर महादेव, बम-बम भोले की अनुगूंज कर रहे थे। महिलाओं की भीड़ ऐसी थी कि शंकरघाट की सीढ़ी तक में पैर रखने की जगह नहीं थी।
नगर के पुलिस लाइन स्थित शिव-गौरी मंदिर, स्टेडियम कांप्लेक्स से लगे निगम के शिव शक्ति मंदिर, शिव मंदिर बौरीपारा, नवापारा के महाकालेश्वर मंदिर एवं मायापुर, चांदनी चौक, खैरबार रोड, गांधीनगर, फुंदुरडिहारी, नमनाकला, जोड़ा पीपल, दर्रीपारा, केदारपुर, सिंचाई कॉलोनी सहित शहर के अधिकांश मोहल्लों में छोटे-बड़े शिवालयों में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ी।
सभी स्थानों पर मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारी सदस्यों ने व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग प्रदान किया। महाशिवरात्रि के अवसर पर जगह-जगह भंडारे का भी आयोजन किया गया था, जहां बड़ी संख्या में श्रद्घालुओं ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया शिवालयों में भजन-कीर्तन तथा भोलेनाथ की भक्ति गीतों से माहौल उत्सवपूर्ण बना था।
सांड़बार में भी उमड़े भक्त
वर्ष 2012 में भिट्टीकला निवासी व्यवसायी अमरचंद अग्रवाल द्वारा निर्मित जय बाबा बनेश्वर महादेव मंदिर में भी महाशिवरात्रि के मौके पर विविध धार्मिक अनुष्ठान हुए। मां वनेश्वरी देवी से लगे इस मंदिर में संपूर्ण शिव परिवार की आकर्षक मूर्तियां स्थापित की गई हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों में आकर्षक सजावट की गई है। इस बार श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए कतार लगाकर पूजा पाठ की व्यवस्था की गई थी।