रायपुर
बेहिसाब 3.20 करोड़ नगद सीज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 मार्च। आयकर टीमों की रायपुर और राजनांदगांव के फाइनेंस ब्रोकरों के यहां छापेमारी को सफल बताया गया है। शुक्रवार को सभी सात ठिकानों से बेहिसाब 3.20 करोड़ रुपये नगद जब्त किए गए हैं । सबसे बड़ा खुलासा यह किया है कि ये सभी अंचल के वित्तीय बाजार में सिंडिकेट की तरह एकजुट होकर ब्याज नें फंड रोलिंग करते हैं ।
आयकर अधिकारी प्रकाश लूलिया, उनके साथी चंद्रकांत अग्रवाल और संजय शर्मा के कार्यालय और निवास सहित विभिन्न परिसरों से प्राप्त कई हुंडियों (प्रॉमिसरी नोट्स) का विश्लेषण कर रहे । हालांकि, राजधानी रायपुर और राजनांदगांव जिलों में कई दिशाओं में फैले सात में से छह परिसरों में तलाशी अभी भी जारी है। रायपुर में ये स्थान वीआईपी रोड है। अमलीडीह, देवेंद्र नगर और फुंडहर गांव में स्थित हैं। कल रात संजय शर्मा के ठिकानों से टीमें लौट आई है। शेष के यहां आज शाम तक जांच पूरी हो जाएगी।
यह छापेमारी गुरुवार दोपहर करीब 12.30 बजे शुरू हुआ। कुल मिलाकर, रायपुर, इंदौर और भोपाल के 50 कर अधिकारियों सहित 75 कर्मियों की एक टीम और 24 सशस्त्र पुलिसकर्मी शामिल रहे।
आयकर सूत्रों ने बताया, कि इन परिसरों में पाए गए सोने के कीमती सामान जब्त नहीं किए जा सके, क्योंकि वे आयकर अधिनियम के तहत निर्धारित सीमा के भीतर थे। हालांकि, तलाशी अभियान के दूसरे दिन 70 लाख रुपये से अधिक की बेहिसाबी नकदी मिली, जिससे कुल जब्ती 3.20 करोड़ रुपये हो गई।
सूत्रों ने आगे कहा कि तीनों व्यक्तियों के विभिन्न परिसरों से बड़ी तादाद में मिले हुंडियां करोड़ों के अवैध उधार और वित्तपोषण व्यवसाय में धन लगाने की ओर इशारा करती हैं। सूत्रों ने कहा, च्च्अत्यधिक ब्याज और इसके आगे प्रचलन और मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में प्रवेश के माध्यम से अर्जित लाभ कई करोड़ रुपये में है।
यह व्यवसाय इन वित्त दलालों के सुस्थापित और जाने-माने नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता है और इसका अधिकांश हिस्सा नकद में होता है। सूत्रों के अनुसार, इन फाइनेंसरों और उनके सहयोगियों के परिसरों में मिले साक्ष्यों से पता चला कि वे एक संगठित सिंडिकेट की तरह काम करते हैं और पूरे छत्तीसगढ़ में सभी बड़े और छोटे खुदरा व्यापारियों को ऋ ण देते हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा नकद में है।
तलाशी के दौरान, यह पता चला कि वे उच्च ब्याज दर लगाते हैं, जिसका एक हिस्सा कर के अधीन नहीं है। इन निजी फाइनेंसरों द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली से पता चला कि उधारकर्ताओं द्वारा अधिकांश ब्याज भुगतान नकद में प्राप्त किया जाता है और इसे कर उद्देश्यों के लिए जारी नहीं किया जाता है। इसके अलावा, बेहिसाब धन को छिपाया जाता है और असुरक्षित ऋण के रूप में लेखा पुस्तकों में लाया जाता है।