सरगुजा
![दस वर्षों के दौरान सरगुजा में वर्षा की न्यूनता बढ़ी दस वर्षों के दौरान सरगुजा में वर्षा की न्यूनता बढ़ी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1721581272-0024.gif)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर,21 जुलाई। सम्पूर्ण सरगुजा संभाग की प्रतिनिधि पूर्णकालिक मौसम वेधशाला अम्बिकापुर के जून के विगत 30 वर्षीय वर्षा आंकड़ों का दस वर्षीय विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इस क्षेत्र में प्रारम्भिक मानसून की वर्षा में लगातार न्यूनता आई है।
जून में अम्बिकापुर की दीर्घकालीन औसत वर्षा 221.1 मिमी है। सन 1995 से 2004 की दस वर्षीय अवधि में यह आंकड़ा 246.7 मिमी था जो मासिक औसत वर्षा से 25.6 मिमी अधिक था। इसके बाद कि दस वर्षीय अवधि 2005 से 2014 में जून में औसत वर्षा में 37.1 मिमी की न्यूनता दर्ज की गई। इस अवधि में कुल औसत वर्षा 184.0 मिमी थी। पिछले दस वर्षों 2015 से 2024 के दौरान यह न्यूनता और बढ़ी है। विगत दस वर्षों में अम्बिकापुर में जून की औसत वर्षा 151.5 मिमी तक पहुंच गई है जो कि औसत वर्षा से 69.6 मिमी कम है।
जून की वर्षा या कमजोर मानसून के आगाज का प्रभाव समग्र मानसून काल की वर्षा पर भी स्पष्ट दिखता है। दस वर्षीय वर्षा आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि 1995 से 2004 के बीच की मानसून की औसत वर्षा 1255.4 मिमी थी जो मानसून की दीर्घकालिक औसत 1211.1 मिमी से 44.3 मिमी अधिक थी जबकि अगले दस वर्षीय कालखंड 2005 से 2014 में इसमें 188.7 मिमी और 2015 से 2024 के वर्षों में 197.3 मिमी की कमी आई है।
स्पष्ट होता है कि जून की वर्षा जो मानसून की प्रारंभिक वर्षा है या आषाढ़ मास के साथ वर्षा ऋतु के आगाज का महीना होता है उसके ट्रेंड में लगातार विचलन आया है। मानसून का इस क्षेत्र में विलम्ब से आना, अल्प वर्षा करते हुए बादलों का आगे बढ़ जाना या प्रथम मानसून की तरंगों के बाद बंगाल की खाड़ी में अवदाब का शीघ्र नहीं बनना जैसे कारकों के साथ कुछ स्थानीय कारक भी जिम्मेदार हैं।
बादलों को आकर्षित करने वाले कारकों में प्राकृतिक वनस्पति की बड़ी भूमिका होती है। ऊष्मा परावर्तक क्षेत्रों में वृद्धि के अनुरूप वनस्पति का पुर्नस्थापन नहीं होने तथा वर्षा का ढाल क्षेत्र विकृत होने से सामान्य वर्षा की गतिविधियों में विचलन आता है। यह विचलन कहीं भारी वर्षा तो कहीं अवर्षा की स्थिति उत्पन्न करता है।
यदि अम्बिकापुर के आंकड़ों को सरगुजा संभाग के प्रतिनिधि आंकड़े मान लें तो कमोबेश पूरे संभाग में वर्षा के स्थानीय बंटन में समरूपता प्रतीत होती है।