सरगुजा

पांच दिन बाद कांवडिय़ों का मेला, बतौली की सडक़ें अंधेरे में
27-Jul-2024 9:09 PM
पांच दिन बाद कांवडिय़ों का मेला, बतौली की सडक़ें अंधेरे में

25 से 30 हजार कांवडिय़ों का आगमन होता है

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बतौली, 27 जुलाई। अम्बिकापुर शंकर घाट से जल लेकर कैलाश गुफा में जलाभिषेक करने के लिए 31 जुलाई को हजारों की संख्या में कांवडि़ए बतौली आते हैं। रात्रि विश्राम के बाद सभी दूसरे दिन कैलाश गुफा रवाना होते हैं। रात भर सडक़ों पर कांवडि़ए आवाजाही करते हैं। बतौली की अंधेरी सडक़ों में खतरा बना रहता है।

बतौली में कांवडिय़ों के स्वागत के लिए जोर-शोर से तैयारी चालू है। नास्ता, भोजन, फल, चाय के साथ चिकित्सक उपलब्ध रहते हैं। एक अनुमान के अनुसार पच्चीस से तीस हजार कांवडिय़ों का आगमन होता है।

30 से 35 किलोमीटर चल कर आने के बाद कांवडि़ए थक जाते हैं और बतौली में विश्राम करते हैं। कांवडिय़ों के लिए विभिन्न संस्थाएं भोजन नास्ता के साथ जगराता का आयोजन करते हैं। रात भर कांवडिय़ों का आना जाना लगा रहता है। बतौली,कुनकुरी, बिलासपुर,बेलकोटा सहित आसपास के गांव में जिसे जहां जगह मिलती है, वहीं अपना स्थान घेरकर सोते हैं।

बतौली,कुनकुरी कला सहित कई गांव में कांवडिय़ों का रात्रि विश्राम होता है, जिसमें बच्चे, बूढ़े,महिलाएं और नवयुवतियों का दल शामिल होता है, परन्तु इन गांवों के सडक़ों में विद्युत के खंभे तो हैं परन्तु उनमें लाइट नहीं जलती। कई गांव में स्ट्रीट लाइट बन्द पड़े हैं, जिससे जीव जंतुओं के हमलों की आशंका बनी रहती है। रात भर सडक़ों पर कांवडि़ए आवाजाही करते हैं। अंधेरी सडक़ों में खतरा बना रहता है।

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