रायपुर

वन विभाग में अंतरराष्ट्रीय पैंगोलिन दिवस नहीं, मंत्री से शिकायत
21-Feb-2021 7:46 PM
वन विभाग में अंतरराष्ट्रीय पैंगोलिन  दिवस नहीं, मंत्री से शिकायत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 21 फरवरी। रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने  वन विभाग पर आरोप लगाते हुए वन मंत्री मोहम्मद अकबर को पत्र लिखकर  कहा है कि वन विभाग वास्तव में पर्यटन विकास विभाग बन गया है। शिकारियों को सजा दिलवाने, वन तथा वन्य प्राणियों की रक्षा करने के अपने दायित्वों को पूरा करने की बजाय वन विभाग, पर्यटन विकास पर ज्यादा ध्यान दे रहा है।

वन तथा वन्यजीवों के प्रति अपने दायित्व को भूलने का  प्रमाण यह है कि आईयूसीएन की लाल सूची में (खतरे में अस्तित्व) दर्ज तथा वन्य संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 में दर्ज पैंगोलिन की रक्षा के लिए जागरूकता फैलाए जाने वाला अंतरराष्ट्रीय पेंगोलिन दिवस (जो फरवरी के तीसरे सप्ताह में मनाया जाता है) को मनाना वन विभाग भूल गया। गौरतलब है कि  देश-विदेश में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कल 20 फरवरी अर्थात फरवरी के तीसरे शनिवार को यह दिवस मनाया गया।

 पैंगोलिन का शिकारगढ़ बना छत्तीसगढ़

वन विभाग की लापरवाही-नजरअंदाजी से छत्तीसगढ़  पैंगोलिन (साल खपरी) के शिकार का गढ़ बन गया है। विगत कुछ वर्षों में शायद ऐसे कोई भी 15 दिन नहीं निकले होंगे, जिसमें छत्तीसगढ़ से पैंगोलिन की तस्करी के समाचार नहीं प्रकाशित हुए हैं। शिकारियों और तस्करों के विरुद्ध कमजोर प्रकरण बनाने के कारण वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत अनुसूचित एक के वन्यप्राणी जैसे पेंगोलिन के शिकार और अंगों की तस्करी के गैरजमानती अपराधों में भी दो-तीन दिनों में जमानत मिल जाती है, इससे अपराधियों के हौसले बुलंद हंै।

चीन है पैंगोलिन का दुश्मन

पैंगोलिन की खाल की दक्षिण पूर्व एशिया के देशों विशेष रूप से चीन और वियतनाम में काफी डिमांड है। चीनी इसके मास को चाव से खाते हैं। इसकी परतदार खाल का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाइयों, ड्रग्स, बुलट प्रुफ जैकेट, कपड़े और सजावट के सामान के लिए किया जाता है। ये केरोटिन की बनी होती है। यह खाल दूसरे जानवरों से बचाव में उसकी रक्षा भी करती है। ज्यादा डिमांड के चलते इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। रुपयों के लालच में पैंगोलिन की तस्करी बढ़ गई है।

अंग्रेज जमाने से चालू है शिकार...किंग जॉर्ज को भेंट किया था पैंगोलिन खाल का कोट

जहां तक पैंगोलिन के अवैध व्यापार की बात है तो ये काफी पुराना है। 1820 में बंगाल के ईस्ट  इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल ने पैंगोलिन की खाल का बना एक कोट ब्रिटेन के तत्कातलीन किंग जॉर्ज तृतीय को भेंट किया था। ये कोट आज भी लीड्स के रॉयल आर्मरीज में संभालकर रखा गया है। 

तस्करी गरियाबंद जिले व उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व से हो रही

सिंघवी ने मंत्री से अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ में विशेष रुप से उड़ीसा से लगे गरियाबंद जिले तथा उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व जहां पर पैंगोलिन का ज्यादा शिकार होता है, वहां पर इनकी रक्षा करने तथा शिकार रोकने हेतु उचित निर्देश दिए जाएं। वन विभाग यह सुनिश्चित करें कि आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय पैंगोलिन दिवस मनाएं।

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