रायपुर
ऑन लाइन बुकिंग लगेज की सुविधा से बेरोजगारी का अंदेशा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 फरवरी। कोरोना काल में बेपटरी हुई रायपुर रेल्वे स्टेशन के कुलियों की जिंदगी अब तक पटरी पर नहीं आ पाई है। कोरोना के डर के कारण एक ओर जहां मुसाफिर कुलियों की मदद लेने की जगह अपना लगेज खुद उठा रहे हैं वहीं वर्तमान में कुलियों पर रेल्वे द्वारा शुरु की जा रही ऑनलाइन बुकिंग लगेज की तलवार लटक रही है। इसके अलावा हाल में रेल्वे द्वारा पैकिंग के काम को ठेके में दिए जाने के कारण कुलियों का पैकिंग काम का सहारा भी छूट गया है।
रायपुर रेल्वे स्टेशन में काम करने वाले कुली विक्रमजीत वर्मा ने बताया कि स्टेशन में कुल 112 कुली पंजीबद्ध हैं। कुलियों को नंबर के आधार पर मुसाफिरों का सामान उठाने का मौका मिलता है। एक दिन में एक कुली अमूमन 200 से 250 रु. कमा लेता है लेकिन कई कुलियों को कई बार काम नहीं मिलता है। इन दिनों कई रेल्वे स्टेशनों में ऑनलाइन बुकिंग लगेज सेवा शुरु की जा रही है। जिसकी वजह से कुलियों को डर है कि वे बेरोजगार हो जाएंगें।
कुली बोधन ने बताया कि नागपुर, दानापुर और जोधपुर जैसे रेल्वे स्टेशनों में मुसाफिरों के लिए ऑनलाइन बुकिंग लगेज शुरु की जा चुकी है। इसके तहत मुसाफिरों को निर्धारित दर पर घर सें लगेज लाकर ट्रेन के कोच में रखने तक की सुविधा दी जाएगी। ऑनलाइन बुकिंग लगेज का काम ठेके पर दिया जा रहा है। बोधन कहते हैं हम कुलियों को डर है कि इस सुविधा से हम कुली पूरी तरह से बेरोजगार हो जाएंगें।
रायपुर स्टेशन में बुजुर्ग कुलियों को पार्सल पैंकिंग के काम का सहारा था लेकिन फिलहाल उस काम का भी आसरा नहीं रह गया है। रेल्वे द्वारा यह काम भी ठेके पर शुरु कर दिया गया है। रेल्वे से सालाना तीन पास मिलने के अलावा हमें दूसरी कोई सुविधा नहीं मिलती है। यात्री सुविधा के नाम पर स्टेशन में दिनों दिन लिफ्ट आदि की सुविधा बढ़ती जा रही है। पहियानुमा सूटकेस आ गए हैं। विकलांगों और बुजुर्गों के लिए स्टेशन में दी गई सुविधा का आम मुसाफिर बेखटके उपयोग करते हैं।ऐसे में आने वाले दिनों में हम कुली बेकार हो जाएंगें।