रायगढ़

22 करोड़ के इंजेक्शन पर टिकी 14 माह के छयांक की जिंदगी
23-Jun-2021 1:50 PM
22 करोड़ के इंजेक्शन पर टिकी 14 माह के छयांक की जिंदगी

सांसद गोमती ने पीएम को लिखा पत्र 
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायगढ़, 23 जून।
रायगढ़ जिले के विकासखंड पुसौर के तुरंगा के किसान नरेन्द्र नायक एवं पद्मनी नायक के 14 माह के बेटे छयांक को एक दुर्लभ बीमारी ने जकड़ लिया है, जिसका इलाज भारत देश में ही संभव ही नहीं है और न ही इसकी दवाईयां ही यहां उपलब्ध है। इस बीमारी से मासूम की जिन्दगी बचाने के लिए जोलगेंसिया इंजेक्शन चाहिये जिसे स्विट्जरलैंड की नोवाटिस कंपनी ही बनाती है और उसे यूएसए में बेचा जाता है। मगर इसमें भी दिक्कत यह आ रही है कि इस इंजेक्शन की एक डोज की कीमत भारत मंगवाने पर टैक्स मिलाकर करीब 22.50 करोड़ रुपये पड़ेगी। जिसके कारण नायक परिवार की पहुंच से यह जीवन रक्षक इंजेक्शन दूर है। इस संवेदनशील मामले में सांसद गोमती साय ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर छयांक का जीवन बचाने की गुहार लगाई है।

रायगढ़ सांसद गोमती साय को जब तुरंगा के किसान नरेंद्र नायक के पुत्र छयांक की बीमारी की जानकारी हुई तो उन्होंने  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एस.एम.ए. टाइप वन (स्पाईनल मस्क्यूलर एथापी) जैसी दुर्लभ गंभीर बीमारी से ग्रसित 14 माह के बच्चे के इलाज हेतु विशेष चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था के विषय को अंकित करते हुए पत्र लिखा कि मेरे लोकसभा क्षेत्र रायगढ़ अन्तर्गत वि.खं. पुसौर के ग्राम पंचायत तुरंगा निवासी मध्यमवर्गीय किसान नरेन्द्र नायक के 14 माह के बेटे छायांक को एस.एम.ए. टाइप वन ( स्पाईनल मस्क्यूलर एथापी ) जैसी दुर्लभ गंभीर बीमारी है, जिसका इलाज भारत में संभव नहीं है और ना ही इसकी दवाईयां उपलब्ध है। इस बीमारी से उक्त मासुम की जिन्दगी बचाने के लिए जो जोलगेसिया इंजेक्शन चाहिए जिसे स्विट्जरलैंड की नोवाटिस कम्पनी ही बनाती है। उक्त इंजेक्शन के अभाव में बच्चे का इलाज संभव नहीं हो पा रहा है। यह बताया गया है कि इस इंजेक्शन की एक डोज की कीमत भारत मगवाने पर टैक्स मिलाकर करीब 22.5 करोड़ रूपये पड़ेगी, जो गरीब किसान परिवार के लिए संभव नहीं है। अत: एस.एम.ए. टाइप वन ( स्पाईनल मस्क्यूलर एथापी ) जैसी दुर्लभ गंभीर बीमारी से ग्रसित 14 माह के बच्चे के इलाज हेतु विशेष चिकित्सकीय सुविधा के तहत् जोलगेंसिया इंजेक्शन उपलब्ध कराकर उक्त बच्ची के इलाज की करवाने की कृपा करें।

एसएमए टाईप वन से ग्रसित है छयांक
देश में मेडिकल साइंस ने भले ही काफी तरक्की कर ली है मगर आज भी कई ऐसी जटिल बीमारियां हैं जिनका इलाज न हमारे पास है और न ही दवाईयां उपलब्ध है। एसएमए टाइप वन अर्थात् स्पाईनल मस्क्यूलर एथापी भी इन्हीं दुर्लभ बीमारियों में शामिल है जिसका इलाज भारत में संभव नहीं है और इसके इलाज के लिए करोड़ों में मिलने वाली इंजेक्शन सिर्फ यूएसए में है जहां इसके एक डोज की कीमत 16 करोड़ है। छत्तीसगढ़ में भी इस बीमारी के कई केस सामने आ चुके हैं और अब रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लाक अंतर्गत तुरंगा गांव में इस दुर्लभ बीमारी से एक मासूम बच्चे के ग्रसित होने की जानकारी सामने आयी है। तुरंगा के मध्यम वर्गीय किसान नरेन्द्र नायक के 14 माह के मासूम छयांक को इस बीमारी ने जकड़ रखा है।
10 लाख में किसी एक को होती है यह दुर्लभ बीमारी
नरेन्द्र का छोटा बेटा छयांक जब छह महीने का था, तब उसके कमर के नीचे के हिस्से ने मूवमेंट करना बंद कर दिया। इसके बाद धीरे-धीरे गर्दन का मूवमेंट भी कम होने लगा। इस पर परेशान माता-पिता ने राजधानी रायपुर के डॉक्टरों से छयांक का जब चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने मासूम को एसएमए टाइप वन होने की शंका जाहिर की और उन्हें दिल्ली में जांच कराने की सलाह दी। इसके बाद रायपुर के ही एकता अस्पताल से छयांक की रिपोर्ट दिल्ली गंगाराम हास्पीटल भेजी गई तो जहां पीडियाट्रिक न्यूरोलाजिस्ट ने मासूम को एसएमए टाइप वन होने की पुष्टि की। एसएमए टाइप वन ऐसी दुर्लभ बीमारी है जो दस लाख बच्चों में से किसी एक को होती है। दवाइयां नहीं होने की वजह से इसका इलाज भी भारत में संभव नहीं है। अमेरिका में इसके इलाज के साथ दवाइयां हैं जिसे मंगाने से छयांक को जिंदगी मिल सकती है लेकिन इन दवाइयों की कीमत ही तकरीबन 16 करोड़ है। विदेश से लाने पर करीब 6.5 करोड़ का टैक्स भी लगेगा।
क्राउड फंडिंग से चल रहा प्रयास
नरेन्द्र नायक जैसे गरीब किसान के लिए करीब 22.50 करोड़ का इजेक्शन अपने दम पर मंगा पाना संभव नहीं है। एनजीओ के जरिये कर रहे क्राउड फंडिंग अपने मासूम के इलाज के बारे में पता चलने के बाद पहले तो पिता नरेन्द्र ने आसपास के लोगों से मदद मांगनी शुरु की और अब भिलाई के इंपेक्ट गुरु और मिलाप जैसी संस्थाओं के जरिए वे क्राउड फडिंग की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि अब तक सिर्फ छयांक के इलाज के लिए 96 हजार की फडिंग हो पाई है।
सीएमएचओ रायगढ़ डॉ. केशरी का कहना है कि  एसएमए का केस है, यह बहुत रेयर बीमारी है। ये मामला उनके संज्ञान में आया है। मेडिकल कॉलेज में बच्चे की व्यवस्था की जा सकती है। शासन की ओर से हर संभव प्रयास किया जाएगा।  

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