स्थायी स्तंभ
जिला छुआ भी नहीं गया
कवर्धा एक ऐसा जिला है जहां सरकार बदलने के बाद शीर्ष अफसर बदले नहीं गए हैं। खास बात यह है कि कलेक्टर जनमेजय महोबे, एसपी अभिषेक पल्लव, डीएफओ चूड़ामणि सिंह, और जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल की पोस्टिंग भूपेश सरकार ने की थी। तब से अब तक ये सभी बने हुए हैं।
भाजपा की सरकार आई, तो ज्यादातर जिलों के कलेक्टर, एसपी, और अन्य प्रमुख पदों पर बैठे अफसर बदल चुके हैं, लेकिन चारों को बदला नहीं गया है। कलेक्टर मोहबे और डीएफओ चूड़ामणि सिंह को तो दो साल से अधिक हो गए हैं। डीएफओ के खिलाफ भाजपा ने चुनाव से पहले शिकायत भी की थी, लेकिन पार्टी की सरकार बनने के बाद उन्हें भी बदला नहीं गया है।
बताते हैं कि ये अफसर चुनाव के दौरान पूरी तरह निष्पक्ष रहे, और बिना किसी के दबाव में आए काम करते रहे। यही वजह है कि सत्ता परिवर्तन होने पर भी इन सभी को कोई फर्क नहीं पड़ा।
एक बैच के पड़ोसी
दुर्ग संभाग के तीन जिले दुर्ग, राजनांदगांव, और कवर्धा में एसपी के पद पर एक ही बैच के अफसर काबिज हैं। दिलचस्प बात यह है कि आईपीएस के 2013 बैच के ये तीनों अफसर एक-दूसरे के जिले में काम कर चुके हैं। मसलन, दुर्ग एसपी जितेन्द्र शुक्ला, राजनांदगांव एसपी रह चुके हैं।
शुक्ला की साख अच्छी है, और राजनांदगांव में बहुत कम समय में अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। वो बिना किसी दबाव में आए काम करने के लिए जाने जाते हैं। उनके बैचमेट राजनांदगांव एसपी मोहित गर्ग पहले कवर्धा एसपी रह चुके हैं। मोहित बलरामपुर एसपी रह चुके हैं। उस समय उनकी स्थानीय विधायक बृहस्पति सिंह से ठन गई थी। इसके बाद उनका तबादला हुआ था। इसी बैच के कवर्धा एसपी अभिषेक पल्लव पहले दुर्ग एसपी रह चुके हैं। वो कई तरह की चर्चाओं में रहे, लेकिन वो गृहमंत्री विजय शर्मा के गृह जिले कवर्धा की कमान संभाले हुए हैं।
इतना बड़ा अफसर
तेईस जनवरी को आदेश के एक माह बाद भी आईएएस अफसर पुष्पा साहू माशिमं के सचिव का काम शुरू नहीं कर पाई हैं। आदेश जारी होने, नए अफसर की ज्वाइनिंग के बाद भी माशिमं के प्रोफेसर सचिव ने कार्यभार नहीं दिया है और परीक्षा जैसा गोपनीय कार्य कर रहे हैं। इस पर आईएएस अध्यक्ष भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं । यानी एसीएस स्तर के अध्यक्ष से बड़े हो गए हैं, प्रोफेसर सचिव । दस दिन बाद परीक्षाएं शुरू होनी हैं। ऐसे में परंपरा अनुसार प्रश्न पत्र लीक,नंबर बढ़ाने की कवायद, फेल को पूरक और पूरक को पास करने जैसे तरह तरह के उपक्रम शुरू होने की चर्चाएं मंडल के मातहत करने लगे हैं । यह भी कहा जा रहा है कि पिछली सरकार को जब प्रोफेसर साहब ने सेट कर लिया था । और तो और, इन पर उंगली उठाने वाली सभी समितियों को इन्होंने भंग भी कर दिया है। इसलिए कहा जा रहा है कि आईएएस से बड़े होते हैं प्रोफेसर।
गौ माताओं को चारे का इंतजार
छत्तीसगढ़ की सियासत में पिछली सरकार की गौठान योजना हावी रही। कांग्रेस के पूरे शासनकाल के दौरान भाजपा ने विधानसभा और उसके बाहर गौठान और गोबर खरीदी में घोटाले को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया था। तब बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाया कि जितना बजट खर्च किया गया, उसके अनुसार एक गाय पर खर्च 39.80 लाख तक खर्च हुआ। मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि समितियों से 246 करोड़ का गोबर खरीदा गया लेकिन सरकार ने बेचा सिर्फ 17 करोड़ का। तत्कालीन विधायक सौरभ सिंह ने सवाल किया कि बाकी 229 करोड़ का गोबर कहां गया?
भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान गौशालाओं में गायों की मौत की कई घटनाएं सामने आई थीं। इनके संचालक भाजपा कार्यकर्ता थे, यह भी बात सामने आई थी। एक चर्चित मामला अगस्त 2017 का था, जिसमें भाजपा नेता हरीश वर्मा की गौशालाओं में 300 गायों की मौत हुई थी। अनुदान के नाम पर अलग-अलग चरणों में तीन गौशालाओं को 165 करोड़ रुपये का फंड मिला था। खुद गौसेवा आयोग ने तब एफआईआर कराई थी।
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद जगह-जगह से खबरें आ रही हैं कि वहां काम कर रही स्व-सहायता समूहों का काम ठप हो गया है। गौठानों में चारा भी नहीं है, गायों की स्थिति बदहाल है। एक खबर रायगढ़ से है कि यहां नगर-निगम द्वारा संचालित आदर्श गौठान में मौजूद करीब 150 गाय चारे के अभाव में कमजोर हो चुके हैं, मरणासन्न स्थिति में हैं। कई की मौत हो चुकी है। नगर-निगम के अधिकारी साफ कर रहे हैं कि चारे के लिए बजट नहीं है।
कुछ दिन पहले राजधानी के पास कुम्हारी में गौ तस्करी का मामला पकड़ा गया। कंटेनर में 80 गाय ले जाए जा रहे थे, इनमें से 13 गायों की मौत हो चुकी थी। कांग्रेस ने विधानसभा में इस मामले को उठाया और आरोप लगाया कि कांग्रेस की गौठान योजना की आलोचना करने वाली भाजपा सरकार गायों के प्रति संवेदनहीन है।
पिछले महीने जनवरी में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कोरबा प्रवास के दौरान कहा था कि गौठान बंद नहीं होंगे। इनमें गायों को चारा-पानी देने के अलावा कोई काम नहीं हो रहा है। गौठान से सार्वजनिक उपक्रमों को जोड़ा जाएगा और ये ग्रामीणों के उत्थान का मार्ग बनेंगे। मगर यह कौन सा मॉडल होगा, कैसे संचालन होगा, यह गौठान चलाने वाली किसी समिति के सामने अब तक साफ नहीं है। फिलहाल सोसायटी से जुड़े लोग हाथ बांधकर बैठे हैं और गायों को चारा-पानी भी नसीब नहीं हो रहा है।
रिश्वत की सबसे छोटी रकम...
महतारी वंदन योजना के फॉर्म को प्रमाणित करने के लिए रिश्वत लेने का वीडियो वायरल होने के बाद रिसाली नगर निगम के वार्ड 15 की कांग्रेस पार्षद ईश्वरी साहू को एमआईसी से हटा दिया गया है। वे महिला बाल विकास विभाग की प्रभारी थीं। भाजपा पार्षद इस मामले में और आगे ले जा चुके हैं। उन्होंने नगर निगम आयुक्त से पार्षद की बर्खास्तगी की मांग की है। पार्षद यह कहते हुए पाई गईं कि सुबह से शाम तक वह परिश्रम करती हैं तो 20-20 रुपये लेकर क्या गलत कर रही हैं। यही बात चौंकाने की है कि पद तो जनसेवा का है लेकिन वह मेहनत के बदले मेहनताना की अपेक्षा रखती हैं। फॉर्म पर दस्तखत लेने वाले ज्यादातर लोग गरीब तबके के होंगे, फिर भी 20 रुपये इतनी छोटी राशि से उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा। उनकी आर्थिक स्थिति को समझते हुए ही शायद पार्षद ने दस्तखत की दर इतनी कम रखी। ऐसे कई वार्ड हैं जिनमें चुनाव जीतने के लिए लाखों रुपये खर्च होना आम बात है। इस राशि से तो शायद रोज के चाय-पानी का जेब खर्च भी पूरा न हो। मगर, बात सामने आ गई और सवाल नैतिकता का खड़ा हो गया। कहावत है, पकड़ा गया तो..., नहीं तो साहूकार। ([email protected])
कलेक्टर की फर्जी प्रोफाइल
सोशल मीडिया पर फर्जीवाड़ा करने वालों ने इस बार मुंगेली कलेक्टर राहुल देव को निशाना बनाया। उनकी फेसबुक प्रोफाइल से एक फोटो और डिटेल निकालकर ठगों ने एक फर्जी पेज बना लिया। इस फर्जी पेज में उनके पारिवारिक फोटो, सार्वजनिक कार्यक्रमों की तस्वीर, सब अपलोड किए गए। कलेक्टर के फेसबुक मित्रों को मेसैंजर से मेसैज भेजकर रुपयों की मांग की जाने लगी। किसी परिचित ने कलेक्टर से पूछा कि क्या आप फेसबुक पर मेसैज भेजकर पैसे मांग रहे हैं? कलेक्टर हैरान रह गए। उन्होंने फिलहाल अपने असली फेसबुक पेज को लॉक कर दिया है। पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी गई है। मगर, प्राय: ऐसी करतूत करने वाले जल्दी पकड़ में आते नहीं हैं। पिछली कुछ घटनाओं से तो यही लगता है। आप भी सतर्क रहिये। यदि कोई आईएएस, आईपीएस या और कोई अफसर किसी सोशल मीडिया एकाउंट के जरिये रकम मांग रहा हो तो मानकर चलें कि यह काम फर्जी आईडी बनाकर कोई ठग ही कर रहा है।
चावल घोटाला घटकर एक तिहाई
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राशन के वितरण में गड़बड़ी का खुलासा पिछले साल कैग की रिपोर्ट में किया गया था। इसमें 600 करोड़ रुपये के घोटाले का आकलन किया गया था। तब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस लेकर मामले को सबसे पहले उठाया और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। इसके बाद धरमलाल कौशिक सहित कई भाजपा विधायकों ने विधानसभा में सवाल भी किए। तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने भी माना कि गड़बड़ी हुई है। जांच कराई जा रही है। फरवरी 2023 में मामला उठा था, मार्च 2023 तक राशन दुकानों का सत्यापन पूरा करने की बात थी। पर हुआ नहीं। अलबत्ता कई दुकानों को निलंबित करने और एफआईआर की कार्रवाई हुई। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इस बार विधानसभा में यह मामला फिर उठा। तब सदस्यों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि आसंदी के निर्देश के बाद भी जांच नहीं हुई। मगर, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने सवालों के जवाब में बताया कि गड़बड़ी 216 करोड़ की हुई है। मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विधायकों की समिति मामले की जांच करेगी।
यहां पर सवाल यह उठ रहा है कि जब कैग की रिपोर्ट में गड़बड़ी 600 करोड़ की बताई गई तो यह गड़बड़ी घटकर 216 करोड़ की कैसे हो गई। क्या राशन दुकानों में स्टॉक फिर से वापस लाकर रख दिया गया? यह सवाल हमारा नहीं है- छत्तीसगढ़ खाद्य अधिकारी कर्मचारी संघ का है। संघ का कहना है कि कागजों में लीपापोती कर घोटाले को दबाने की कोशिश की जा रही है। उनकी मांग यह भी है कि यदि सचमुच बिना भेदभाव जांच होनी है तो केवल राशन दुकानदारों की गर्दन नहीं पकड़ी जाए बल्कि उस दौरान पदस्थ सभी संचालकों से भी पूछताछ की जानी चाहिए।
एक साथ दिखे कई वनभैंसा
छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसा की संख्या लगातार घट रही है। कृत्रिम गर्भाधान के जरिये इनकी संख्या बढ़ाने की कोशिश भी सफल नहीं हुई। ऐसे में नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में करीब 15 वनभैंसों के होने की पुष्टि हुई है। वन विभाग द्वारा लगाए गए ट्रैप कैमरों में कुछ कैद भी हुए हैं। इतनी संख्या में भैंसों की मौजूदगी पाकर वन विभाग ने इनकी जिओ मैपिंग कराने का निर्णय लिया है ताकि इनके ठिकानों की सटीक जानकारी रखी जा सके। इंद्रावती रिजर्व के अलावा उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व ही दूसरा वन क्षेत्र है, जहां वनभैंसों के होने की पुष्टि अब तक हुई है।
- 18 फरवरी : प्लूटो की खोज का दिन
- नयी दिल्ली, 18 फरवरी। हर दिन कुछ नया करने और कुछ अनोखा खोजने के इच्छुक लोगों की दुनिया में कमी नहीं है। 18 फरवरी 1930 को ऐसे ही एक जिज्ञासु अमेरिकी वैज्ञानिक क्लाइड टॉमबा ने एक बौने ग्रह की खोज की थी। पहले इसे ग्रह मान लिया गया था, लेकिन बाद में इसे ग्रहों के परिवार से बाहर कर दिया गया।
- इस ग्रह का नाम रखने के लिए सुझाव मांगे गए तो 11वीं में पढ़ने वाली एक लड़की ने इसे प्लूटो नाम दिया। उसका कहना था कि रोम में अँधेरे के देवता को प्लूटो कहते हैं और इस ग्रह पर भी हमेशा अँधेरा रहता है, इसलिए इसका नाम प्लूटो रखा जाए। प्लूटो को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 248 साल लग जाते हैं।
- देश दुनिया के इतिहास में 18 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1836 : भारत के महान संत एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस उर्फ गदाधर चटर्जी का पश्चिम बंगाल के हुगली में जन्म।
- 1905 : शामजी कृष्णवर्मा ने लंदन में इंडिया होमरूल सोसायटी की स्थापना की।
- 1911 : डाक पहुँचाने के लिए पहली बार विमान का इस्तेमाल किया गया। एयर मेल की पहली आधिकारिक उड़ान इलाहाबाद में हुई और इसमें कुल 6500 पत्र नैनी ले जाए गए।
- 1930 : प्लूटो की खोज आज ही के दिन क्लाइड टॉमबा द्वारा की गई। इसे लंबे वक्त तक हमारे सौरमंडल का नौवां ग्रह माना गया, लेकिन बाद में इससे ग्रह का दर्जा वापस ले लिया गया। 1965 : चीन द्वारा पाकिस्तान को 60 करोड़ डॉलर का ब्याजमुक्त कर्ज देने के समझौते पर दोनो देशों के प्रतिनिधियों ने कराची में दस्तख्त किए।
- 1979 : सहारा रेगिस्तान में हिमपात की अनूठी घटना हुई। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था और इसके बाद भी अब तक ऐसा फिर कभी नहीं हुआ।
- 1998 : सी. सुब्रह्मणयम को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। वह 1964 से 1966 के बीच भारत के कृषि मंत्री रहे। हरित क्रांति में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
- 2007 : दिल्ली से लाहौर जा रही समझौता एक्सप्रेस में बम विस्फोट से 68 लोगों की मौत।
- 2008 : पाकिस्तान में बरसों के सैनिक शासन के बाद हुए चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की 120 सीट पर जीत। नवाज शरीफ की पार्टी को 90 और निवर्तमान राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की पार्टी को 51 सीटें मिलीं।
- 2014 : आंध्र प्रदेश का विभाजन करके तेलंगाना के रूप में देश के 29वें राज्य की स्थापना का प्रस्ताव लोकसभा में पारित।
- 2014 : यूक्रेन की राजधानी कीव में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में कम से कम 76 लोगों की मौत और सैंकड़ों लोग घायल। (भाषा)
राजधानी से कौन?
भाजपा में लोकसभा प्रत्याशी चयन के लिए पैनल तैयार हो रहे हैं। रायपुर में तो सुनील सोनी को निर्विवाद माना जाता रहा है, लेकिन चुनाव के नजदीक आते ही उनके कई करीबी ही सोनी की जगह लेने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं।
सुनील सोनी के एक करीबी पूर्व विधायक ने तो अपनी दावेदारी ठोक दी है। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं से मिलकर खुद को रायपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए जाने की मांग कर दी है। कई और नेताओं ने भी पार्टी संगठन को अपना बायोडाटा सौंपा है।
दूसरी तरफ, सुनील सोनी रायपुर लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले प्रत्याशी हैं। विधानसभा चुनाव में भी उनके अपने लोकसभा क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन बहुत बढिय़ा रहा है। बावजूद इसके उनके अपने करीबी टिकट को लेकर सक्रिय हैं। इसकी खूब चर्चा हो रही है। वैसे भी भाजपा टिकट को लेकर चौंकाती रही है, इसलिए दावेदार उम्मीद से भी हैं।
भाजपा के दिल्ली के सूत्र बताते हैं कि इस बार पार्टी परंपरागत नेताओं से परे किसी बिलकुल नए चेहरे को राजधानी से उतारने की सोच रही है।
भारत बंद में उदासीन कांग्रेसी
किसानों के भारत बंद को छत्तीसगढ़ में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। किसान संगठनों और ट्रेड यूनियन के आह्वान पर औद्योगिक और ग्रामीण क्षेत्रों में इसका असर जरूर दिखा। इस आंदोलन का कांग्रेस ने खुला समर्थन किया। पर ज्यादातर स्थानों पर कार्यकर्ताओं की भीड़ ही नहीं जुटी। कई शहरों में बंद के समर्थन में आयोजित धरना प्रदर्शन में कुर्सियां खाली देखी गईं। आम तौर पर किसी ‘बंद’ को बाजार कुछ घंटों के लिए बंद होने पर कामयाब मान लिया जाता है। कोंडागांव में मोहन मरकाम ने एक ट्रैक्टर रैली निकाली, इक्के दुक्के और जगहों पर ऐसे प्रदर्शन हुए, पर ज्यादातर जिलों में कांग्रेसी शहर बंद कराने निकले ही नहीं, जहां निकले वहां औपचारिकता ही दिखी।
छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद आंदोलन के लिए कांग्रेस का सडक़ पर उतरने का यह प्रदेशव्यापी पहला कार्यक्रम था। इसके पहले वे हसदेव में पेड़ कटाई के खिलाफ वहां हो रहे आंदोलन को समर्थन देने गए थे। अभी-अभी छत्तीसगढ़ से राहुल गांधी की न्याय यात्रा गुजरी है। वहां सामने आने के लिए कार्यकर्ताओं, नेताओं में भारी होड़ थी। इतनी कि एक पूर्व विधायक प्रकाश नायक ने धरना भी दे दिया और उनकी गतिविधि को अनुशासनहीनता मानते हुए नोटिस भी थमा दी गई।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से एक पत्र संगठन के पदाधिकारियों, विधायकों-पूर्व विधायकों, सांसदों और अन्य नेताओं को एकजुटता के लिए जारी किया गया था। इसके बावजूद अधिकांश लोग धरना प्रदर्शन से गायब दिखे। कम से कम उन लोगों को तो नजर आना ही था, जो लोकसभा चुनाव की टिकट पाने की इच्छा रखते हैं। अब 19 फरवरी को कांग्रेस ने आयकर दफ्तरों के सामने प्रदर्शन करने का कार्यक्रम बनाया है, शायद तब गर्मजोशी दिखे।
लाइलाज गांजे की तस्करी
कबीरधाम पुलिस ने भूसे का परिवहन कर रहे एक ट्रक के भीतर तलाशकर भारी मात्रा में गांजा जब्त किया, जिसका बाजार मूल्य 15 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। इसके दो दिन पहले ही बेमेतरा-रायपुर एनएच में दो गाडिय़ों से दो करोड़ रुपये का गांजा इंदौर पुलिस की नारकोटिक्स टीम ने पहुंचकर पकड़ा। कुछ माह पहले महासमुंद में चावल की बोरियां ले जा रहे ट्रक में छिपाया गया करीब 1.5 करोड़ रुपये का गांजा पकड़ाया। इसी तरह की खबरें जगदलपुर और दूसरे ऐसे शहरों से मिल रही हैं, जो ओडिशा से जुड़े हैं। पिछले कई वर्षों से न तो ओडिशा से निकलने वाली गांजे की खेप कम हो रही है और न ही पुलिस की जब्ती कार्रवाई में कोई कमी आई है। अक्सर जो गांजा जब्त किया जाता है वह यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश या उसी रास्ते से दिल्ली तक ले जाने के लिए निकलने वाली गाडिय़ां होती हैं। ओडिशा का जयपुर और मलकानगिरी क्षेत्र तस्करी का हब बना हुआ है। वहां गांजे की खेती नहीं होती। खेती तो दुर्गम जंगलों के बीच होती है, पर यहां से पूरे देश के लिए माल की सप्लाई होती है। सवाल यह उठता है कि ओडिशा से आने वाला गांजा रुक क्यों नहीं रहा है? वहां की पुलिस क्या कर रही है? पुलिस के ही सूत्र बताते हैं कि गांजा की पैदावार ऐसे दुर्गम स्थानों पर की जा रही है, जहां पुलिस भारी फोर्स को ले जाए बिना अटैक नहीं कर सकती। और ये खेती दो चार गांवों में नहीं, दर्जनों गांवों में हो रही है- जो दूर-दूर तक फैले हुए हैं। इन्हें राजनीतिक संरक्षण तो है ही, नक्सलियों का भी साथ भी मिला हुआ है। छत्तीसगढ़ में जिन थानों से गांजा गाडिय़ां गुजरती हैं, उनमें पुलिस जितनी कार्रवाई करते हुए दिखती है, असल व्यापार उससे कई गुना अधिक है। पुलिस जो माल जब्त करती है, उसे तस्कर अपने धंधे के मार्जिन-लॉस में लेकर चलते हैं। जो माल नहीं पकड़ाता उसमें मुनाफा लेकर हानि की भरपाई कर ली जाती है। फिलहाल, तो गांजा की पैदावार, तस्करी और खपत रोकने में दोनों राज्यों की पुलिस के हाथ बंधे हुए दिख रहे हैं।
बेजुबान बाघ की अपील...
बेंगलुरु के एक आईएफएस प्रवीण कासवान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। एक बाघ तालाब में तैर रहे पानी के प्लास्टिक बॉटल को अपने मुंह में दबा लेता और निकालकर बाहर फेंकता है। हम-आप छुट्टी में जंगल जाते हैं, पार्टी करते हैं लेकिन पैक्ड बचा खाना, प्लास्टिक बोतल, रैपर आदि कितनी ही चीजें जिम्मेदारी का एहसास किए बिना छोड़ आते हैं। जंगल की सफाई में अपने हिस्से की मदद करते इस टाइगर का वीडियो आईएफएस कासवान के ट्विटर पेज पर देखा जा सकता है। उनका एक और वीडियो भी अपलोड है, जिसमें उनकी टीम जंगल को साफ करने के लिए श्रमदान कर रही है।
- 17 फरवरी : छत्रपति शिवाजी ने मुगलों को हराकर सिंहगढ़ के किले पर कब्जा किया
- नयी दिल्ली, 17 फरवरी। आप हम सभी जानते हैं कि फरवरी का महीना साल का सबसे छोटा महीना होता है। इसमें लीप वर्ष में 29 और सामान्य वर्ष में 28 दिन होते हैं। 17 फरवरी की बात करें तो ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से साल का 48वां दिन है और अभी साल के कुल 317 दिन बाकी हैं।
- इतिहास में यह कई अच्छी बुरी घटनाओं के साथ दर्ज है। इनमें मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की वीर गाथा का भी जिक्र है, जब उन्होंने 1670 में मुगलों की सेना के साथ जमकर लोहा लिया और 17 फरवरी के दिन सिंहगढ़ के किले पर अपना परचम लहराया।
- देश दुनिया के इतिहास में 17 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1670 : छत्रपति शिवाजी ने मुगलों को हराकर सिंहगढ़ के किले पर अपना परचम लहराया।
- 1843 : ब्रिटेन ने मियानी की लड़ाई जीतने के बाद पाकिस्तान के आज के सिंध प्रांत के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया।
- 1863 : जिनेवा में अन्तरराष्ट्रीय रेडक्रॉस की स्थापना। 1915 : गांधी जी ने पहली बार शांतिनिकेतन की यात्रा की।
- 1931 : लॉर्ड इरविन ने दिल्ली के वाइसरीगल लॉज में महात्मा गांधी का पहली बार भारत की जनता के लोकप्रिय नेता के रूप में स्वागत किया।
- 1963 : बास्केटबाल के दुनिया के महानतम खिलाड़ियों में शुमार माइकल जोर्डन का जन्म। उनके हवा में कुलांचे भरते कदमों के कारण उन्हें ‘एयर जोर्डन’ के नाम से पुकारा गया।
- 1979 : वियतनाम युद्ध के बाद वियतनाम ने चीन की बजाय सोवियत संघ से अपनी नजदीकियां बढ़ाईं और उसके कुछ चीन विरोधी और सोवियत समर्थक कदमों के चलते चीन ने अपने इस पड़ोसी देश पर हमला कर दिया।
- 1987: ब्रिटेन में शरण मांग रहे श्रीलंका के तमिलों के एक समूह को जब उनके देश वापस भेजने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कपड़े उतारकर विरोध प्रकट किया।
- 1996 : इंडोनेशिया में भीषण भूकंप और उसके बाद सुनामी के कारण 100 से ज्यादा की मौत, 400 से ज्यादा घायल और 50 से ज्यादा लोग लापता।
- 2004 : फूलन देवी की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी शमशेर सिंह राणा तिहाड़ जेल से फरार।
- 2005 : बांग्लादेश की विवादास्पद लेखिका तसलीमा नसरीन ने भारतीय नागरिकता का अनुरोध किया। 2007 : महिला उत्थान को समर्पित और वयोवृद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता अरुणाबेन देसाई का गुजरात में निधन।
- 2009 : चुनाव आयोग ने चुनावों के दौरान अन्तिम चरण का मतदान समाप्त होने तक एग्जिट पोल के प्रसारण पर रोक लगा दी। भाषा
भूपेश गैरहाजिर
पूर्व सीएम भूपेश बघेल इन दिनों संगठन के कार्यों के लिए दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, बिहार आदि के दौरे कर रहे हैं। इसलिए बजट सत्र में उनकी उपस्थिति कम नजर आ रहे हैं। इस पर अजय चंद्राकर लगातार नौ दिनों से नजर बनाए हुए हैं। आज उनसे रहा नहीं गया। सदन में बघेल को देख चंद्राकर ने स्पीकर से कहा कि अध्यक्ष जी विधानसभा में दर्शन देने के लिए पूर्व सीएम का अभिनंदन हैं, दर्शन देकर बड़ी कृपा की।
पूर्व सीएम बघेल ने जवाब में कहा कि अजय जी, आप मेरी अनुपस्थिति पर रोज टिप्पणी करते हैं। जबकि पूरा ट्रेजरी बेंच (मंत्रियों की कुर्सियां) खाली है। इस पर चंद्राकर ने कहा कि मैंने टिप्पणी कहा कि,धन्यवाद दिया है दर्शन देने के लिए। उन्होंने कहा कि अध्यक्षजी विधानसभा में मेडिकल कैंप चल रहा है। विपक्ष को इलाज की जरूरत है। नहीं आ रहे। पूर्व सीएम आज आ रहे हैं। शुरू के दो दिन में एक एक मिनट में बहिर्गमन कर चले जाते रहे हैं। बघेल ने कहा कि इलाज की जरूरत हमें नहीं आपको है।
घर का जानकार दर्द
कांग्रेस विधायक चातुरी नंद ने गुरुवार को अपने तारांकित प्रश्न पर चर्चा, छांट,छांट कर तार्किक पूरक प्रश्नों पर आसंदी से बधाई ली। नि: संदेह उन्होंने काफी चातुर्यता का परिचय दिया। सरायपाली के मिडिल स्कूल की शिक्षिका रहीं चातुरी नंद पहली बार विधायक चुनी गईं। कल की अपनी पूरी चर्चा छत्तीसगढ़ी भाषा में की। गृह मंत्री ने जवाब भी छत्तीसगढ़ी में ही दिया।
चर्चा में सब कुछ था- तथ्य थे, आरोप थे, गलत जवाब पर उंगली उठाई, छत्तीसगढ़ी लोकोक्ति के साथ पीडि़तों का दर्द बयां किया और स्पीकर समेत वरिष्ठ विधायकों के पूर्व के प्रश्नों का संदर्भ भी। पुलिस कर्मियों के भत्तों को लेकर काफी बारीक जानकारी दी। किट भत्ता, सायकल भत्ता, भोजन भत्ता, पौष्टिक आहार भत्ता, वर्दी धुलाई अलाउंस से लेक एचआरए तक। इन दशक पुराने न्यूनतम भत्ता से महंगाई इन दिनों में गुजारे को मुश्किल बताया। चर्चा सुनकर लगा विधायक ने किसी पुलिसकर्मी के साथ बैठकर पहले होम वर्क किया होगा। नि: संदेह किया है, होमवर्क ही। उन्हें दशकों का अनुभव भी है। भुक्तभोगी भी हैं। इस संबंध में पता किया तो मालूम हुआ विधायक-पति, पुलिसकर्मी ही हैं। पति के साथ 60 हजार जवानों की पीड़ा को भला ऐसे और कौन पेश कर सकते हैं। इस सदन में पूर्व में भी सिपाही, सब इंस्पेक्टर से लेकर डीएसपी तक विधायक रहे लेकिन किसी ने या तो प्रश्न ही नहीं किया ,या फिर प्रश्नों में इतने तर्क नहीं रहे।
जोगी सतर्क थे, पवार निश्चिन्त
चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कब्जा इसके संस्थापक शरद पवार के हाथ से छीन कर उनके भतीजे अजित पवार को सौंप दिया है। दुखी शरद पवार ने कहा कि चुनाव आयोग ने पार्टी को उनसे छीना जिन लोगों ने इसकी स्थापना की। हमारा चुनाव चिन्ह भी ले गए।
इस घटना ने प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की याद दिला दी है। कांग्रेस से अलग होने पर जब उन्होंने नई पार्टी बनाई, तब नाम की घोषणा की- जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी)। इसे अभी भी संक्षेप में जेसीसी (जे) कहा जाता है। लोगों ने पूछा कि अभी तो जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ नाम से कोई दूसरा दल नहीं है, फिर ब्रैकेट में जोगी लिखने की क्या जरूरत है? सयाने जोगी ने जवाब दिया कि आज नहीं है, यह बात ठीक है। ? मगर, कल को कोई बगावत करने वाला पार्टी के नाम पर दावा करेगा तो उसे जोगी नाम चिपकाकर चलना पड़ेगा। और मुझसे अलग होकर कोई जोगी नाम जोडक़र कैसे रखेगा? मेरी पार्टी का नाम मेरे पास ही रहेगा। और जब नाम मेरे पास रहेगा तो चुनाव चिन्ह पर भी कोई दावा नहीं कर पाएगा।
शायद शरद पवार स्व. जोगी की तरह सतर्क होते तो उनको पार्टी का नाम छिन जाने का सदमा आज नहीं झेलना पड़ता। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की नौबत नहीं आती। यह जरूर है कि जोगी की तरह सिर्फ सरनेम से काम नहीं चलता। उन्हें अपनी पार्टी के नाम के साथ अपना पूरा नाम ‘शरद पवार’ जोडऩा पड़ता। आखिर, उनके भतीजे अजीत का भी सरनेम पवार ही है।
सौ फीसदी खरे सांसद..?
कांकेर के भाजपा सांसद मोहन मंडावी के नाम पर एक खास उपलब्धि जुड़ गई है। लोकसभा के सत्रों में उनकी सौ प्रतिशत उपलब्धि रही। ऐसा रिकॉर्ड अजमेर के सांसद भगरीथ चौधरी ने भी बनाया। दोनों पहली बार के भाजपा सांसद हैं और संयोग से पूरे कार्यकाल में एक ही सीट पर अगल-बगल बैठे। कुछ दिनों पहले सदन में श्रीराम पर स्वरचित छत्तीसगढ़ी गीत गाकर भी मंडावी चर्चा में आए थे। हाल ही में मंडावी ने बताया कि पिछले दो दशकों के भीतर वे अपने क्षेत्र में रामचरितमानस की 48 हजार प्रतियां बांट चुके हैं, जिन पर करीब एक करोड़ रुपए की लागत आई है।
कोविड महामारी के दौरान दो साल पहले मंडावी ने सदन में एक महत्वपूर्ण मामला उठाया था। उन्होंने कहा था कि राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए आवास की सुविधाएं नहीं हैं। वे अपनी जान जोखिम में डालकर महामारी से बचाव के लिए सेवाएं दे रहे हैं। खासकर महिला स्टाफ के लिए एनआरएचएम फंड से आवास की स्वीकृति दी जानी चाहिए।
मगर, 100 प्रतिशत उपस्थिति वाले मंडावी सहित अन्य भाजपा सांसदों से प्रदेश के लोगों की एक आम शिकायत पूरे पांच साल रही कि उन्होंने रेलवे से जुड़ी छत्तीसगढ़ की मांगों को सदन में ठीक तरह से नहीं उठाया। ट्रेनों की लेटलतीफी को या तो उन्होंने उचित ठहराया या फिर कांग्रेस को जिम्मेदार बता दिया।
टेक्नॉलॉजी से दो-दो हाथ...
सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ई-केवाईसी जरूरी है। खेतों में काम करने वाले किसान-मजदूरों को इस तकनीक का अभी इस्तेमाल करना भले ही नहीं आता हो, पर उन्हें मालूम है कि अब यह उनके जीवन का जरूरी हिस्सा बनता जा रहा है। आने वाले कुछ वर्षों में शायद हमें यह भी देखने को मिले जब किसान-मजदूर खुद अपने हाथ से सॉफ्टवेयर और ऐप ऑपरेट करें। तकनीक का अनुसरण कर फसल का निरीक्षण बेहतर तरीके से करें, ज्यादा उपज लें और अच्छा बाजार ढूंढ लें। यह रायगढ़ जिले के एक गांव की तस्वीर है, जहां एक कर्मचारी जन-धन योजना का लाभ पहुंचाने के लिए एक ग्रामीण का ब्यौरा डिजिटली एकत्र कर रहा है।
- 16 फरवरी : कई बड़ी हस्तियों के नाम के साथ इतिहास में दर्ज
- नयी दिल्ली, 16 फरवरी। साल के दूसरे महीने के दो पखवाड़े गुजर चुके हैं और तीसरे पखवाड़े का पहला दिन इतिहास में कई बड़ी हस्तियों के नाम के साथ दर्ज है। यही वह दिन है जब 1959 में फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा का शासन अपने हाथ में लिया। हिंदी सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के का निधन 1944 में आज ही के दिन हुआ। हिंदी के प्रख्यात लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और बांग्ला साहित्य के प्रतिष्ठित नाम शरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्मदिन भी 16 फरवरी ही है।
- इन सबके अलावा 16 फरवरी की तारीख पर इतिहास में दर्ज कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:- 1759 : मद्रास पर फ्रांस का कब्जा समाप्त।
- 1896 : हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म।
- 1937 : अमेरिका के वैज्ञानिक वालेस कैरोदर्स को नायलान का पेटेंट मिला। इसका इस्तेमाल शुरू में टूथब्रश बनाने के लिए किया गया था।
- 1938 : प्रख्यात बांग्ला साहित्यकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का निधन।
- 1944 : हिंदी सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के का निधन। उनके सम्मान में दिए जाने वाले दादा साहब फाल्के पुरस्कार को सिनेजगत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है।
- 1956 : भारत के महान वैज्ञानिक मेघनाद साहा का निधन। उन्हें विज्ञान में साहा इक्वेशन के लिए याद किया जाता है।
- 1959 : तानाशाह जनरल फुलगेंसियो बतिस्ता की सेनाओं को हराने के बाद फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा का शासन अपने हाथों में लिया। 1959 : टेनिस के महान खिलाड़ियों में शुमार जान मैकनरो का जन्म। मैकनरो को उनके आक्रामक खेल के अलावा कोर्ट पर उनके गुस्सैल व्यवहार के लिए जाना जाता है।
- 1969 : जमाने भर में मशहूर उर्दू शायर मिर्जा गालिब की 100वीं पुण्यतिथि पर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया 1971 : पश्चिमी पाकिस्तान और चीन के बीच राजमार्ग को औपचारिक तौर पर खोला गया।
- 1987 : पनडुब्बी से पनडुब्बी तक मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
- 1998 : इंडोनेशिया में बाली से रवाना हुआ चीन एयरलाइंस का विमान ताइवान के ताइपै में उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हुआ। विमान में सवार सभी 197 लोगों के अलावा जमीन पर भी कम से कम 7 लोगों ने दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी।
- 2001 : फिलिपीन की राजधानी मनीला में जूतों के अनूठे संग्रहालय का उद्घाटन। यहां तरह तरह के जूतों के हजारों जोड़े रखे गए हैं।
- 2005 : क्योतो करार लागू किया गया। यह पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से की गई अन्तरराष्ट्रीय संधि है। 2013 - पाकिस्तान के हजारा इलाके के एक बाज़ार में बम धमाके में 84 लोगों की मौत और 190 घायल। भाषा
एक मैडम, 3 साल से अटकी डीपीसी
आईएएस अफसरों की सेवा,पोस्टिंग,पदोन्नति और सेवानिवृत्त तक का रिकॉर्ड रखता है केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग डीओपीटी. इसकी वेबसाइट के हर रोज के अपडेट्स को हम फॉलो करते रहे हैं। इस दौरान यह देखने में आया कि देश भर के राज्यों के राप्रसे के अफसरों की आईएएस में पदोन्नति मिल गई हैं। किसी राज्य में 2, तो किसी में 6-8-10 भी आईएएस पदोन्नत किए गए । इस सूची में नाम नहीं है तो छत्तीसगढ़ का। यहां तीन वर्षों से आईएएस अवार्ड के लिए डीपीसी अटकी पड़ी है। इस दौरान इस कैडर के कम से कम आठ अफसर रिटायर हो चुके हैं। और इस वर्ष सात और प्रमोटी अफसर रिटायर होने वाले हैं। पद पर्याप्त हैं और अफसर भी उपलब्ध। लेकिन एक के कारण पूरी डीपीसी अटकी पड़ी है।
जेल में बंद इस अफसर की वजह से मामले को लेकर पिछली सरकार ने डीपीसी की अनुमति नहीं दी थी। जबकि भूपेश सरकार ने लिस्ट में जूनियर इन मैडम को पदोन्नत करने ऐड़ी चोटी लगा दी थी। अब जब सरकार बदल गई है तो उन मैडम के बाद के अफसर अपनी पदोन्नति के लिए प्रयास कर सकते हैं। लेकिन वे अभी सरकार के रूख का इंतजार कर रहे हैं। डीपीसी न हुई तो इस वर्ष के अंत तक दर्जन भर पद रिक्त होंगे। और अफसर भी कम।
सराहनीय पर समस्या भी
भाजपा ने एक बार फिर प्रदेश कार्यालय में सहयोग केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इसमें मंत्री के साथ संगठन के सीनियर पदाधिकारी की ड्यूटी भी लगाई गई है। अच्छी पहल है, इसका स्वागत भी होना चाहिए पर भाजपा के कुछ नेता रमन सरकार के समय हुई इस पहल को भी याद करते हैं। उस समय जब कार्यकर्ताओं की भीड़ ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए उमड़ी तो सहायता केंद्र में बैठे संयोजक असहाय हो गए। बाद में बंद करना पड़ा। इसके बाद के कार्यकाल में यह व्यवस्था बंद कर दी गई। कांग्रेस ने भी मंत्रियों के लिए ऐसी व्यवस्था लागू की थी पर सबको पता है कि कार्यकर्ता कितने खुश हुए। वैसे एक पदाधिकारी की सलाह यह भी है कि सहायता केंद्र के साथ-साथ गाइडलाइन भी जारी कर देनी चाहिए कि किस तरह की समस्याओं, शिकायतों के लिए लोग वहां पहुंच सकते हैं, जिसमें हल होने की पूरी गारंटी होगी।
कांग्रेस को मिला चुनावी मुद्दा
राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में न्याय यात्रा के अंतिम पड़ाव पर सरगुजा में थे, इसी दौरान दिल्ली में किसानों के आंदोलन में तेजी आ गई। यहां पर उन्होंने और जयराम रमेश ने तुरंत घोषणा की, कि केंद्र में उनकी सरकार बनने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर कानून लाया जाएगा। जातिगत जनगणना को केंद्र में रखकर यह न्याय यात्रा चल रही थी। अब इसके पूरे आसार है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एमएसपी को अपने घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल करे।
दो साल पहले यूपी विधानसभा चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने के लिए न केवल तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी बल्कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक एमएसपी पर कानून बनाने का वादा भी किया था। इस पर बनी उच्च स्तरीय समिति की देशभर में 30 से अधिक बैठकें हुईं, मगर एमएसपी पर वह कोई राय नहीं दे सकी।
दरअसल, अनेक विशेषज्ञों की ओर से बताया गया है कि कानून बन जाने के बाद बहुत सारी जटिलताएं भी खड़ी हो जाएंगी। इसका हल कांग्रेस के पास हो या न हो, मगर किसानों को आश्वासन देकर वह लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधार जरूर सकती है।
रेलवे में पाई-पाई का हिसाब
रेलवे पार्किंग की दर बाइक के लिए अलग-अलग घंटों के अनुसार कुछ इस तरह से है- 8.26 रुपए, 11.80 रुपए, 16.52 रुपए, 21.24 और 21.24 रुपए। इस जमाने में रेलवे ही बता सकती है कि 26, 52 और 24 पैसे की वसूली ठेकेदार किस तरह करेगा और स्टेशन में गाड़ी खड़ी करने वाले ग्राहक कैसे भुगतान करेंगे। हाल ही में हाईकोर्ट ने गेट के सामने गाड़ी खड़ी करने वालों से जबरन वसूली करने वाले नियम पर रेलवे को फटकार लगाई थी। इस पर्ची में साफ दिखाई दे रहा है कि ग्राहक से 30 रुपए लिए गए हैं। रेलवे ने यात्री टिकटों पर तो राउंड फिगर दर निर्धारित कर दिया है लेकिन जीएसटी के नाम पर पार्किंग ठेकेदारों को अवैध वसूली की छूट दे दी है।
बेरोजगारी भत्ता पर ग्रहण
पूर्व में कांग्रेस की सरकार ने कार्यकाल पूरा होने के 4 महीने पहले युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ता शुरू किया था। मगर जैसे ही सरकार बदली बेरोजगारों के खाते में राशि जमा होना बंद हो गया। कई जिलों से पात्र बेरोजगारों की शिकायत आ रही है कि उन्हें मिलने वाले ढाई हजार रुपए दिसंबर और जनवरी माह में खाते में नहीं आए। अब फरवरी भी बीत रहा है। वैसे नई सरकार ने आधिकारिक रूप से इसे बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया है। हो सकता है अफसरों ने खुद ही अपने स्तर पर तय कर लिया हो कि सरकार का रुख जानने के बाद रकम डालेंगे।
अंग्रेजों का शो प्लांट अब समस्या बना
बुधवार को विधानसभा में एक बार फिर लेंटाना खरपतवार चर्चा का विषय बना। पंचम विधानसभा में भी इस पर खूब चर्चा होती रही। यह एक तरह का शो प्लांट है जो अब पूरे देश के जंगलों में खरपतवार का रूप लेकर जंगल अमले के लिए समस्या बन गया है। इसके उन्मूलन में हर साल सैंकड़ों करोड़ खर्च किए जा रहे है। इस पर बुधवार को हुई चर्चा में मंत्री ने कहा लेंटाना को लेकर प्रधानमंत्री भी चिंतित हैं। इस प्लांट को अंग्रेज अपने साथ लेकर आए थे। जो एक तरह का शो प्लांट था। और वही आज देश की समस्या बन गया है। इसके उन्मूलन के लिए कैम्पा मद में प्रावधान करना पड़ा है। विधानसभाओं के हर सत्र में उन्मूलन में खर्च के आंकड़े पेश कर विधायक इसे आपदा में अवसर भी बताते रहे हैं। आज भी प्रबोध मिंज ने कहा कि अंग्रेज चले गए और बंदरबांट के लिए लेंटाना छोड़ गए।
कुत्ता या शेर
विधानसभा चुनाव में बुरी हार से कांग्रेसजन अभी उबर नहीं पाए हैं। कांग्रेस नेताओं में काफी निराशा है। इन सबके बीच राहुल गांधी की यात्रा से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता विकास बजाज के सवाल से पार्टी के अंदरखाने में खलबली मची है। उन्होंने एक्स पर राहुल से पूछ लिया था कि कार्यकर्ताओं को कुत्ते की तरह भौंकना है अथवा बब्बर शेर की तरह दहाडऩा है, कृपया मार्गदर्शन करे।
विकास के सवाल से असहज कांग्रेस संगठन उन्हें नोटिस थमाने की तैयारी कर रहा था कि अंबिकापुर की सभा में राहुल का जवाब भी आ गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता बब्बर शेर है, और वो घूम रहे हैं। अब खुद राहुल ने जवाब दे दिया है, तो विकास पर कार्रवाई शायद ही हो।
डाटा से किसी को डर तो नहीं?
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों सर्वेक्षण करने के लिए क्वांटिफाइबल डाटा आयोग का गठन किया। सितंबर 2019 में गठित करते समय इसकी समय सीमा छह माह निर्धारित की गई थी लेकिन इसने करीब 38 माह का वक्त लिया। 21 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश छबिलाल पटेल ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। पिछड़े वर्ग का हितेषी समझे जाने वाली तथा जातिगत जनगणना की मांग जोर-शोर से उठाने के बावजूद इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करना तत्कालीन सरकार ने जरूरी नहीं समझा। उस समय की राज्यपाल अनुसूईया उईके के पास आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने का दबाव जब बनाया गया तो उन्होंने कई सवाल किए थे और सरकार से क्वांटिफिएबल डाटा रिपोर्ट की मांग की। मगर सरकार ने रिपोर्ट राज्यपाल को भी नहीं सौंपी।
अब इस मुद्दे को विधानसभा में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सदन में कहा कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर विचार किया जाएगा।
आयोग की रिपोर्ट पिछली सरकार में सार्वजनिक क्यों नहीं की गई, इसे लेकर कई अटकलें हैं। इनमें से एक यह भी है कि पिछड़ा वर्ग के जिन समुदायों की जनसंख्या अधिक होने की धारणा बनी हुई है, वह आयोग का निष्कर्ष सामने आने से बदल जाएगी। उन वर्गों की राजनीति और प्रशासन में दखल कम होने की बात भी सामने आ सकती है दरअसल जो संख्या में अधिक हैं। यदि ऐसा हुआ तो कई स्थापित नेताओं की राजनीति पर संकट भी खड़ा हो जाएगा और नए वर्ग से नए नेता सामने आएंगे। लेकिन ये सिर्फ अटकले हैं। रिपोर्ट जब तक सार्वजनिक नहीं होगी, लोग ऐसी बातें करेंगे।
महोत्सव में तनाव के मामले...
जांजगीर में जाज्वल्य देव लोक महोत्सव और एग्रीटेक कृषि मेला इस बार खास रहा। तमाम वाणिज्यिक और शासकीय स्टॉल के साथ एक पंडाल लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए भी लगाया गया था। यह स्टॉल एक अधिवक्ता ने अपनी संस्था की ओर से नि:शुल्क सेवा देने के लिए लगाई थी। वैसे तो मकसद कानूनी और सामाजिक मुद्दों पर सलाह देना था, मगर शिकायतें आईं तो पता चला कि अपनों के साथ तनाव की एक बड़ी वजह मोबाइल फोन है। फोन पर होने वाली शूटिंग, चैटिंग और कॉलिंग के चलते न केवल पति-पत्नी बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों और दोस्तों के बीच भी संबंध बिगड़ रहे हैं। संचालक अधिवक्ता का दावा है कि तीन दिन में ऐसी 1200 से अधिक शिकायतें आईं। एक उदाहरण देखिए- युवती की शादी साल भर पहले हुई। उसे पति के स्मार्ट नहीं होने की शिकायत है। वह सोशल मीडिया के लिए रील्स बनाती है, जिसे लेकर दोनों के बीच तनाव बढ़ चुका है। नौबत तलाक तक पहुंच गई है। ऐसे ही दर्जनों लोगों ने शिकायत की है, जो मोबाइल के चलते ही बिगड़ते संबंधों की हैं। पंडाल के संचालकों ने अपनी तरफ से इन्हें जरूरी सलाह दी। मगर, महानगर ही नहीं, गांव-कस्बों में भी यह स्थिति चिंताजनक है।
- 14 फरवरी : आतंकी हमले से देश का सीना छलनी
- नयी दिल्ली, 14 फरवरी। 14 फरवरी का दिन इतिहास में जम्मू कश्मीर की एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। घटना भले चार साल पुरानी है, लेकिन उसके जख्म आज तक हरे हैं, जब आतंकवादियों ने इस दिन को देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमले के लिए चुना। राज्य के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें कम से कम 39 जवान शहीद हो गये और कई गंभीर रूप से घायल हुए।
- यह दिन इतिहास में एक और वजह से भी दर्ज है। दरअसल 14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे के तौर पर मनाया जाता है। इसे इस रूप में मनाने की भी अपनी एक कहानी है। कहते हैं कि तीसरी शताब्दी में रोम के एक क्रूर सम्राट ने प्रेम करने वालों पर जुल्म ढाए तो पादरी वैलेंटाइन ने सम्राट के आदेशों की अवहेलना कर प्रेम का संदेश दिया, लिहाजा उन्हें जेल में डाल दिया गया और 14 फरवरी 269 ईसवी को फांसी पर लटका दिया गया। प्रेम के लिए बलिदान देने वाले इस संत की याद में हर वर्ष 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाने का चलन शुरू हुआ। हालांकि इस दिन को मनाने को लेकर कुछ लोगों को एतराज है।
- देश दुनिया के इतिहास में 14 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1537 - गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह की पुर्तगालियों से बचकर भागने के दौरान डूबने से मौत हुई।
- 1556 - पंजाब के गुरुदासपुर जिले के कलानौर में मात्र 13 वर्ष की आयु में अकबर को मुगल सम्राट बनाया गया।
- 1876 : अलैक्जैंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन के पेटेंट के लिए आवेदन किया।
- 1939 : बम्बई :अब मुंबई: के तत्कालीन प्रशासन ने शहर में शराबबंदी का प्रस्ताव रखा।
- 1952 : सुषमा स्वराज का जन्म। वह भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और नरेन्द्र मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं।
- 1974 : रूसी लेखक अलैक्जैंडर सोल्जेंत्सिन को देश निकाले के एक दिन बाद उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया।
- 1989 : ईरान के धार्मिक नेता आयतुल्लाह खुमैनी ने भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रूश्दी की किताब ‘सेटेनिक वर्सेज’ को ईशनिंदा करार देते हुए रूश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया और उनकी जान लेने वाले को इनाम देने का ऐलान किया।
- 1990 : इंडियन एयरलाइंस का एक विमान बेंगलूर में एक गोल्फ कोर्स पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ। पायलट को विमान का रनवे पहचानने में भूल हुई। विमान में सवार 146 लोगों में से 97 की मौत।
- 2005 : स्टीव चेन, चाड हर्ली और जावेद करीम ने वीडियो साझा करने के लिए ‘यू ट्यूब’ नाम की वेब साइट को पंजीकृत कराया और इसकी लोकप्रियता का आज यह आलम है कि हर महीने तकरीबन एक अरब लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।
- 2005 : नेपाल में लोकतंत्र खतरे में पड़ने के बाद ब्रिटेन और फ्रांस ने वहां से अपने राजदूतों को वापस बुलाया।
- 2005 : लेबनान के पूर्व प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की बेरूत में एक कार बम विस्फोट में मौत।
- 2019 : जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षाकर्मियों की बस पर बम हमले में 39 सुरक्षाकर्मियों की मौत और बहुत से घायल। (भाषा)
इनकी कोई थाह नहीं!
भाजपा ने जिस तरह छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के लिए अकेले उम्मीदवार का नाम तय करते हुए ऐसा तकरीबन अनजाना सा नाम छांटा है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। नतीजा यह है कि लोकसभा के लिए भाजपा उम्मीदवारों के नामों पर जो अटकलें लग रही थीं, वे अब थम गई हैं, लोगों का अब यह मानना है कि दिल्ली के दिमाग की थाह लगा पाना मुश्किल है, और समंदर में सीप ढूंढने की जहमत क्यों उठाई जाए? लोगों को याद है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सारे 11 उम्मीदवार ऐसे नए छांटे थे जो न कि पहले किसी भी चुनाव से परे के थे, बल्कि बड़े नेताओं की रिश्तेदारी के भी बाहर के थे। भाजपा ने राजस्थान में पहली बार के एमएलए को मुख्यमंत्री बनाकर एक अलग किस्म की साख बनाई है कि लोगों की वरिष्ठता, उनकी जात, उनकी उम्र, उनका दबदबा कुछ भी मायने नहीं रखते, और पार्टी ही सबसे ऊपर होती है। हमेशा ही हाईकमान संस्कृति के लिए बदनाम रहती आई कांग्रेस आज की भाजपा को देखकर हीनभावना में खुदकुशी कर सकती है।
स्कूल, अस्पताल, ट्रैफिक और मेला
महानदी, पैरी और सोंढूर नदी के संगम पर लगने वाला राजिम मेला इस बार फिर कल्प कुंभ के नाम से आयोजित होगा, जैसा सन् 2005 से 2018 तक होता रहा। वैसे तो कई दशकों से यह माघी पुन्नी मेले के रूप में विख्यात रहा पर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सन् 2001 में यहां मेले के अवसर पर राजीव लोचन महोत्सव होता था। कल्प कुंभ के साथ इस मेले की लोकप्रियता बढ़ती गई है। देशभर से साधु संत आने लगे हैं और भीड़ पहले के मुकाबले बहुत हो जाती है। इसके चलते नाच-गाने, झूले, खान-पान और दूसरे व्यापार के स्टॉल भी बढ़ते जा रहे हैं। मगर, इसी के चलते कुछ समस्याएं भी सामने आने लगी हैं।
इस बार मेले की तैयारी शुरू होने के बाद पास के हाईस्कूल के प्राचार्य ने एसडीएम को लिखा कि एक मार्च से 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो रही है। मेले में बहुत तेज लाउडस्पीकर बजते हैं। मौत का कुएं में चलने वाली कार, बाइक की कर्कश आवाज आती है, भीड़ का शोरगुल अलग। राजिम के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक ने लिखा कि मेला जहां लगता है, उसके पास अस्पताल है। अस्पताल के 100 मीटर की दूरी को साइलेंस जोन घोषित किया गया है, पर यहां भारी शोरगुल होता है। मरीज परेशान होते हैं। थानेदार ने भी लिखा मेले तक पहुंचने का रास्ता चौड़ा नहीं है। मेले में लगने वाले स्टाल के सामान ट्रकों में आते हैं। पार्किंग की जगह नहीं मिलती। कई बार घंटों जाम लग जाता है। वीआईपी आते हैं, तब तो स्थिति संभालने में भारी दिक्कत होती है।
कोलाहल और यातायात की यह चिंता एक साथ अलग-अलग पत्रों में की गई। महत्वपूर्ण यह है कि पत्र लिखने वाले सभी सरकार के किसी न किसी विभाग के लोग थे। ऐसे में मेले की तैयारी कर रहे स्थानीय प्रशासन को बात गंभीरता से सुननी पड़ी। मगर, नई जगह तय करने की कई दिक्कतें थीं। मेले की नई जगह पर जमीन को समतल करना, बिजली लाइन खींचना, पेयजल की व्यवस्था करना आदि। पर सब किया जा रहा है। मगर, आखिरकार नई जगह तलाश कर ली गई है, तैयारी वहीं चल रही है।
स्टेशन में जवान का दम तोडऩा..
भारतीय रेल देशभर के 508 स्टेशनों को अमृत भारत योजना में शामिल कर उनके पुनर्विकास पर अरबों रुपये खर्च कर रही है। एसईसीआर के रायपुर सहित 9 स्टेशन भी इनमें शामिल हैं। पिछले साल अगस्त महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। कुछ स्टेशनों की ड्राइंग डिजाइन और मास्टर प्लान का काम शुरू हो चुका है।
शनिवार को रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स का एक जवान अपनी ही सर्विस गन से गोली चल जाने के कारण घायल हो गया। उसकी मौत हो गई। एक दूसरे यात्री को भी गोली लगी, जिसकी हालत गंभीर है। इन्हें जब घटना के बाद तत्काल अस्पताल ले जाने की जरूरत थी तो स्टेशन में एंबुलेंस ही उपलब्ध नहीं थी। जैसे-तैसे ऑटो रिक्शा में उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। रायपुर, बिलासपुर जैसे बड़े स्टेशनों से रोजाना 50 से 60 हजार यात्री गुजरते हैं। मगर, इन्हें इमरजेंसी स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती है। दिसंबर महीने में ग्वालियर स्टेशन पर एक घटना हुई थी, जिसकी देशभर में चर्चा हुई। दिल्ली से आ रहे एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को हार्ट अटैक के कारण रास्ते में उपचार नहीं मिला। ग्वालियर स्टेशन पर उनके गंभीर हालत में पहुंचने की पहले से सूचना रेलवे को दे दी गई थी, इसके बावजूद स्टेशन पर एंबुलेंस नहीं पहुंचा। उसे तत्काल हॉस्पिटल ले जाने के लिए एक हाईकोर्ट जज की कार को युवाओं ने बलपूर्वक अपने कब्जे में लिया और उन्हें अस्पताल पहुंचाया। हालांकि उस प्रोफेसर की जान नहीं बचाई जा सकी पर आरपीएफ ने इन युवाओं के खिलाफ डकैती का जुर्म दर्ज कर लिया। इस बार हादसे का शिकार उसी आरपीएफ का एक जवान हुआ है। केवल आम यात्री नहीं, रेलवे के सैकड़ों की संख्या में तैनात स्टाफ को भी इमरजेंसी सेवाओं की जरूरत कभी भी पड़ सकती है। स्टेशनों में वर्ल्ड क्लास सुविधाएं जब मिलेगी, तब मिले, पर आज तो आवश्यक सेवा भी रेलवे मुहैया नहीं करा पाती है।
जाति जनगणना पर शंकराचार्य
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयानों को लेकर बड़ा विवाद छिड़ा था। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और टीवी चैनलों पर लगातार बयान दिए। वे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा निर्माण पूरा हुए बिना किये जाने को गलत मान रहे थे। वे यह भी ठीक नहीं समझते थे कि धर्माचार्यों की जगह राजनेता से मुख्य पूजा कराई जाए। अन्य शंकराचार्यों की तरह प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में वे भी शामिल नहीं हुए। भाजपा और उसके सहयोगी संगठन शंकराचार्य के बयानों से असहज थे, लेकिन धर्मगुरू के खिलाफ सीधे बयान देने से बच रहे थे। अब ऐसे समय में जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी छत्तीसगढ़ की यात्रा पर हैं और वे जातिगत जनगणना की मांग को खास तौर से उठा रहे हैं, रायपुर में शंकराचार्य ने इस मांग को औचित्यहीन बताया है। शंकराचार्य के मुताबिक जो जिस जाति को मानता है मानने दिया जाए। भाजपा ने इस पर प्रतिक्रिया तुरंत दी है। उसने कहा कि कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचाने के लिए यह मांग उठा रही है, जबकि 2011 में उसने जनगणना कराने के बावजूद जाति के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए।
वैसे शंकराचार्य के बयान में सिर्फ जाति जनगणना का विरोध नहीं था, उन्होंने यह भी कहा था कि किसी को धर्म की राजनीति भी नहीं करनी चाहिए। मतलब, कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए वे कुछ-कुछ कह रहे हैं।
राज्यसभा का नाम, लोकसभा की झलक?
राज्यसभा की एक सीट पर ऐसे प्रत्याशी का चुनाव कर, जिनका नाम चर्चा में नहीं था, भाजपा ने चौंकाने का सिलसिला जारी रखा। यह पिछली लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में देखा गया, काफी कुछ इस विधानसभा चुनाव के टिकट बांटने में और मंत्रिमंडल के गठन में भी। विधानसभा में मिली शानदार सफलता के बाद लोकसभा टिकट के लिए दावेदारी बढ़ गई है। एक-एक सीट से दर्जनभर या उससे अधिक गंभीर दावेदार हैं, नाम तो 50 पार चल रहे हैं। नए दावे इसी उम्मीद से आ रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हाल के चुनावों में किए जा रहे प्रयोग का सिलसिला लोकसभा टिकट के वितरण में जारी रहेगा, जीती हुई सीटों पर भी। इससे फर्क नहीं पड़ता कि जीत का अंतर कितना था। चिंता उन 9 सांसदों की है, जिन्हें यह पता नहीं है कि उनको रिपीट किया जाएगा या 2019 का दोहराव किया जाएगा।
रिश्वतखोरों को श्राप
वैसे तो करंसी पर लिखा जाना अपराध है, पर लोग यह जुर्म करते ही रहते हैं। वाट्सअप ग्रुप के उकसाने वाले मेसैजेस की तरह इसका भी मूल स्रोत कहां है, यह पता नहीं चलता। बाजार में एक बंदे को यह 200 रुपये का नोट मिला, जिसमें लिखा है- रिश्वत के नोटों से महल तो बना सकते हो, मगर अपने बच्चों का भविष्य नहीं- दोगला बाबा।