राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : जिला छुआ भी नहीं गया
19-Feb-2024 2:22 PM
राजपथ-जनपथ : जिला छुआ भी नहीं गया

जिला छुआ भी नहीं गया  

कवर्धा एक ऐसा जिला है जहां सरकार बदलने के बाद शीर्ष अफसर बदले नहीं गए हैं। खास बात यह है कि कलेक्टर जनमेजय महोबे, एसपी अभिषेक पल्लव, डीएफओ चूड़ामणि सिंह, और जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल की पोस्टिंग भूपेश सरकार ने की थी। तब से अब तक ये सभी बने हुए हैं।

भाजपा की सरकार आई, तो ज्यादातर जिलों के कलेक्टर, एसपी, और अन्य प्रमुख पदों पर बैठे अफसर बदल चुके हैं, लेकिन चारों को बदला नहीं गया है। कलेक्टर मोहबे और डीएफओ चूड़ामणि सिंह को तो दो साल से अधिक हो गए हैं। डीएफओ के खिलाफ भाजपा ने चुनाव से पहले शिकायत भी की थी, लेकिन पार्टी की सरकार बनने के बाद उन्हें भी बदला नहीं गया है।

बताते हैं कि ये अफसर चुनाव के दौरान पूरी तरह निष्पक्ष रहे, और बिना किसी के दबाव में आए काम करते रहे। यही वजह है कि सत्ता परिवर्तन होने पर भी इन सभी को कोई फर्क नहीं पड़ा।

एक बैच के पड़ोसी

दुर्ग संभाग के तीन जिले दुर्ग, राजनांदगांव, और कवर्धा में एसपी के पद पर एक ही बैच के अफसर काबिज हैं। दिलचस्प बात यह है कि  आईपीएस के 2013 बैच के ये तीनों अफसर एक-दूसरे के जिले में काम कर चुके हैं। मसलन, दुर्ग एसपी जितेन्द्र शुक्ला, राजनांदगांव एसपी रह चुके हैं।

शुक्ला की साख अच्छी है, और राजनांदगांव में बहुत कम समय में अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। वो बिना किसी दबाव में आए काम करने के लिए जाने जाते हैं। उनके बैचमेट राजनांदगांव एसपी मोहित गर्ग पहले कवर्धा एसपी रह चुके हैं। मोहित बलरामपुर एसपी रह चुके हैं। उस समय उनकी स्थानीय विधायक बृहस्पति सिंह से ठन गई थी। इसके बाद उनका तबादला हुआ था। इसी बैच के कवर्धा एसपी अभिषेक पल्लव पहले दुर्ग एसपी रह चुके हैं। वो कई तरह की चर्चाओं में रहे, लेकिन वो गृहमंत्री विजय शर्मा के गृह जिले कवर्धा की कमान संभाले हुए हैं।

इतना बड़ा अफसर

तेईस जनवरी को आदेश के एक माह बाद भी आईएएस अफसर पुष्पा साहू माशिमं के सचिव का काम शुरू नहीं कर पाई हैं। आदेश जारी होने, नए अफसर की ज्वाइनिंग के बाद भी माशिमं के प्रोफेसर सचिव ने कार्यभार नहीं दिया है और परीक्षा जैसा गोपनीय कार्य कर रहे हैं। इस पर आईएएस अध्यक्ष भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं । यानी एसीएस स्तर के अध्यक्ष से बड़े हो गए हैं, प्रोफेसर सचिव । दस दिन बाद परीक्षाएं शुरू होनी हैं। ऐसे में परंपरा अनुसार  प्रश्न पत्र लीक,नंबर बढ़ाने की कवायद, फेल को पूरक और पूरक को पास करने जैसे तरह तरह के उपक्रम शुरू होने की चर्चाएं  मंडल के मातहत करने लगे हैं । यह भी कहा जा रहा है कि पिछली सरकार को जब प्रोफेसर साहब ने सेट कर लिया था । और तो और, इन पर उंगली उठाने वाली सभी समितियों को इन्होंने भंग भी कर दिया है। इसलिए कहा जा रहा है कि आईएएस से बड़े होते हैं प्रोफेसर।

गौ माताओं को चारे का इंतजार

छत्तीसगढ़ की सियासत में पिछली सरकार की गौठान योजना हावी रही। कांग्रेस के  पूरे शासनकाल के दौरान भाजपा ने विधानसभा और उसके बाहर गौठान और गोबर खरीदी में घोटाले को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया था। तब बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाया कि जितना बजट खर्च किया गया, उसके अनुसार एक गाय पर खर्च 39.80 लाख तक खर्च हुआ। मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि समितियों से 246 करोड़ का गोबर खरीदा गया लेकिन सरकार ने बेचा सिर्फ 17 करोड़ का। तत्कालीन विधायक सौरभ सिंह ने सवाल किया कि बाकी 229 करोड़ का गोबर कहां गया?

भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान गौशालाओं में गायों की मौत की कई घटनाएं सामने आई थीं। इनके संचालक भाजपा कार्यकर्ता थे, यह भी बात सामने आई थी। एक चर्चित मामला अगस्त 2017 का था, जिसमें भाजपा नेता हरीश वर्मा की गौशालाओं में 300 गायों की मौत हुई थी। अनुदान के नाम पर अलग-अलग चरणों में तीन गौशालाओं को 165 करोड़ रुपये का फंड मिला था। खुद गौसेवा आयोग ने तब एफआईआर कराई थी।

प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद जगह-जगह से खबरें आ रही हैं कि वहां काम कर रही स्व-सहायता समूहों का काम ठप हो गया है। गौठानों में चारा भी नहीं है, गायों की स्थिति बदहाल है। एक खबर रायगढ़ से है कि यहां नगर-निगम द्वारा संचालित आदर्श गौठान में मौजूद करीब 150 गाय चारे के अभाव में कमजोर हो चुके हैं, मरणासन्न स्थिति में हैं। कई की मौत हो चुकी है। नगर-निगम के अधिकारी साफ कर रहे हैं कि चारे के लिए बजट नहीं है।

कुछ दिन पहले राजधानी के पास कुम्हारी में गौ तस्करी का मामला पकड़ा गया। कंटेनर में 80 गाय ले जाए जा रहे थे, इनमें से 13 गायों की मौत हो चुकी थी। कांग्रेस ने विधानसभा में इस मामले को उठाया और आरोप लगाया कि कांग्रेस की गौठान योजना की आलोचना करने वाली भाजपा सरकार गायों के प्रति संवेदनहीन है। 

पिछले महीने जनवरी में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कोरबा प्रवास के दौरान कहा था कि गौठान बंद नहीं होंगे। इनमें गायों को चारा-पानी देने के अलावा कोई काम नहीं हो रहा है। गौठान से सार्वजनिक उपक्रमों को जोड़ा जाएगा और ये ग्रामीणों के उत्थान का मार्ग बनेंगे। मगर यह कौन सा मॉडल होगा, कैसे संचालन होगा, यह गौठान चलाने वाली किसी समिति के सामने अब तक साफ नहीं है। फिलहाल सोसायटी से जुड़े लोग हाथ बांधकर बैठे हैं और गायों को चारा-पानी भी नसीब नहीं हो रहा है।

रिश्वत की सबसे छोटी रकम...

महतारी वंदन योजना के फॉर्म को प्रमाणित करने के लिए रिश्वत लेने का वीडियो वायरल होने के बाद रिसाली नगर निगम के वार्ड 15 की कांग्रेस पार्षद ईश्वरी साहू को एमआईसी से हटा दिया गया है। वे महिला बाल विकास विभाग की प्रभारी थीं। भाजपा पार्षद इस मामले में और आगे ले जा चुके हैं। उन्होंने नगर निगम आयुक्त से पार्षद की बर्खास्तगी की मांग की है। पार्षद यह कहते हुए पाई गईं कि सुबह से शाम तक वह परिश्रम करती हैं तो 20-20 रुपये लेकर क्या गलत कर रही हैं। यही बात चौंकाने की है कि पद तो जनसेवा का है लेकिन वह मेहनत के बदले मेहनताना की अपेक्षा रखती हैं। फॉर्म पर दस्तखत लेने वाले ज्यादातर लोग गरीब तबके के होंगे, फिर भी 20 रुपये इतनी छोटी राशि से उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा। उनकी आर्थिक स्थिति को समझते हुए ही शायद पार्षद ने दस्तखत की दर इतनी कम रखी। ऐसे कई वार्ड हैं जिनमें चुनाव जीतने  के लिए लाखों रुपये खर्च होना आम बात है। इस राशि से तो शायद रोज के चाय-पानी का जेब खर्च भी पूरा न हो। मगर, बात सामने आ गई और सवाल नैतिकता का खड़ा हो गया। कहावत है, पकड़ा गया तो..., नहीं तो साहूकार। ([email protected])

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