राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : राजधानी से कौन?
17-Feb-2024 3:55 PM
राजपथ-जनपथ : राजधानी से कौन?

राजधानी से कौन?

भाजपा में लोकसभा प्रत्याशी चयन के लिए पैनल तैयार हो रहे हैं। रायपुर में तो सुनील सोनी को निर्विवाद माना जाता रहा है, लेकिन चुनाव के नजदीक आते ही उनके कई करीबी ही सोनी की जगह लेने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। 

सुनील सोनी के एक करीबी पूर्व विधायक ने तो अपनी दावेदारी ठोक दी है। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं से मिलकर खुद को रायपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए जाने की मांग कर दी है। कई और नेताओं ने भी पार्टी संगठन को अपना बायोडाटा सौंपा है। 

दूसरी तरफ, सुनील सोनी रायपुर लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले प्रत्याशी हैं। विधानसभा चुनाव में भी उनके अपने लोकसभा क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन बहुत बढिय़ा रहा है। बावजूद इसके उनके अपने करीबी टिकट को लेकर सक्रिय हैं। इसकी खूब चर्चा हो रही है। वैसे भी भाजपा टिकट को लेकर चौंकाती रही है, इसलिए दावेदार उम्मीद से भी हैं। 
भाजपा के दिल्ली के सूत्र बताते हैं कि इस बार पार्टी परंपरागत नेताओं से परे किसी बिलकुल नए चेहरे को राजधानी से उतारने की सोच रही है।  


भारत बंद में उदासीन कांग्रेसी

किसानों के भारत बंद को छत्तीसगढ़ में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। किसान संगठनों और ट्रेड यूनियन के आह्वान पर औद्योगिक और ग्रामीण क्षेत्रों में इसका असर जरूर दिखा। इस आंदोलन का कांग्रेस ने खुला समर्थन किया। पर ज्यादातर स्थानों पर कार्यकर्ताओं की भीड़ ही नहीं जुटी। कई शहरों में बंद के समर्थन में आयोजित धरना प्रदर्शन में कुर्सियां खाली देखी गईं। आम तौर पर किसी ‘बंद’ को बाजार कुछ घंटों के लिए बंद होने पर कामयाब मान लिया जाता है। कोंडागांव में मोहन मरकाम ने एक ट्रैक्टर रैली निकाली, इक्के दुक्के और जगहों पर ऐसे प्रदर्शन हुए, पर ज्यादातर जिलों में कांग्रेसी शहर बंद कराने निकले ही नहीं, जहां निकले वहां औपचारिकता ही दिखी।

छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद आंदोलन के लिए कांग्रेस का सडक़ पर उतरने का यह प्रदेशव्यापी पहला कार्यक्रम था। इसके पहले वे हसदेव में पेड़ कटाई के खिलाफ वहां हो रहे आंदोलन को समर्थन देने गए थे। अभी-अभी छत्तीसगढ़ से राहुल गांधी की न्याय यात्रा गुजरी है। वहां सामने आने के लिए कार्यकर्ताओं, नेताओं में भारी होड़ थी। इतनी कि एक पूर्व विधायक प्रकाश नायक ने धरना भी दे दिया और उनकी गतिविधि को अनुशासनहीनता मानते हुए नोटिस भी थमा दी गई।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से एक पत्र संगठन के पदाधिकारियों, विधायकों-पूर्व विधायकों, सांसदों और अन्य नेताओं को एकजुटता के लिए जारी किया गया था। इसके बावजूद अधिकांश लोग धरना प्रदर्शन से गायब दिखे। कम से कम उन लोगों को तो नजर आना ही था, जो लोकसभा चुनाव की टिकट पाने की इच्छा रखते हैं। अब 19 फरवरी को कांग्रेस ने आयकर दफ्तरों के सामने प्रदर्शन करने का कार्यक्रम बनाया है, शायद तब गर्मजोशी दिखे।

लाइलाज गांजे की तस्करी

कबीरधाम पुलिस ने भूसे का परिवहन कर रहे एक ट्रक के भीतर तलाशकर भारी मात्रा में गांजा जब्त किया, जिसका बाजार मूल्य 15 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। इसके दो दिन पहले ही बेमेतरा-रायपुर एनएच में दो गाडिय़ों से दो करोड़ रुपये का गांजा इंदौर पुलिस की नारकोटिक्स टीम ने पहुंचकर पकड़ा। कुछ माह पहले महासमुंद में चावल की बोरियां ले जा रहे ट्रक में छिपाया गया करीब 1.5 करोड़ रुपये का गांजा पकड़ाया। इसी तरह की खबरें जगदलपुर और दूसरे ऐसे शहरों से मिल रही हैं, जो ओडिशा से जुड़े हैं। पिछले कई वर्षों से न तो ओडिशा से निकलने वाली गांजे की खेप कम हो रही है और न ही पुलिस की जब्ती कार्रवाई में कोई कमी आई है। अक्सर जो गांजा जब्त किया जाता है वह यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश या उसी रास्ते से दिल्ली तक ले जाने के लिए निकलने वाली गाडिय़ां होती हैं। ओडिशा का जयपुर और मलकानगिरी क्षेत्र तस्करी का हब बना हुआ है। वहां गांजे की खेती नहीं होती। खेती तो दुर्गम जंगलों के बीच होती है, पर यहां से पूरे देश के लिए माल की सप्लाई होती है। सवाल यह उठता है कि ओडिशा से आने वाला गांजा रुक क्यों नहीं रहा है? वहां की पुलिस क्या कर रही है? पुलिस के ही सूत्र बताते हैं कि गांजा की पैदावार ऐसे दुर्गम स्थानों पर की जा रही है, जहां पुलिस भारी फोर्स को ले जाए बिना अटैक नहीं कर सकती। और ये खेती दो चार गांवों  में नहीं, दर्जनों गांवों में हो रही है- जो दूर-दूर तक फैले हुए हैं। इन्हें राजनीतिक संरक्षण तो है ही, नक्सलियों का भी साथ भी मिला हुआ है। छत्तीसगढ़ में जिन थानों से गांजा गाडिय़ां गुजरती हैं, उनमें पुलिस जितनी कार्रवाई करते हुए दिखती है, असल व्यापार उससे कई गुना अधिक है। पुलिस जो माल जब्त करती है, उसे तस्कर अपने धंधे के मार्जिन-लॉस में लेकर चलते हैं। जो माल नहीं पकड़ाता उसमें मुनाफा लेकर हानि की भरपाई कर ली जाती है। फिलहाल, तो गांजा की पैदावार, तस्करी और खपत रोकने में दोनों राज्यों की पुलिस के हाथ बंधे हुए दिख रहे हैं।

बेजुबान बाघ की अपील...

बेंगलुरु के एक आईएफएस प्रवीण कासवान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। एक बाघ तालाब में तैर रहे पानी के प्लास्टिक बॉटल को अपने मुंह में दबा लेता और निकालकर बाहर फेंकता है। हम-आप छुट्टी में जंगल जाते हैं, पार्टी करते हैं लेकिन पैक्ड बचा खाना, प्लास्टिक बोतल, रैपर आदि कितनी ही चीजें जिम्मेदारी का एहसास किए बिना छोड़ आते हैं। जंगल की सफाई में अपने हिस्से की मदद करते इस टाइगर का वीडियो आईएफएस कासवान के ट्विटर पेज पर देखा जा सकता है। उनका एक और वीडियो भी अपलोड है, जिसमें उनकी टीम जंगल को साफ करने के लिए श्रमदान कर रही है।

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