राजपथ - जनपथ
एक मैडम, 3 साल से अटकी डीपीसी
आईएएस अफसरों की सेवा,पोस्टिंग,पदोन्नति और सेवानिवृत्त तक का रिकॉर्ड रखता है केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग डीओपीटी. इसकी वेबसाइट के हर रोज के अपडेट्स को हम फॉलो करते रहे हैं। इस दौरान यह देखने में आया कि देश भर के राज्यों के राप्रसे के अफसरों की आईएएस में पदोन्नति मिल गई हैं। किसी राज्य में 2, तो किसी में 6-8-10 भी आईएएस पदोन्नत किए गए । इस सूची में नाम नहीं है तो छत्तीसगढ़ का। यहां तीन वर्षों से आईएएस अवार्ड के लिए डीपीसी अटकी पड़ी है। इस दौरान इस कैडर के कम से कम आठ अफसर रिटायर हो चुके हैं। और इस वर्ष सात और प्रमोटी अफसर रिटायर होने वाले हैं। पद पर्याप्त हैं और अफसर भी उपलब्ध। लेकिन एक के कारण पूरी डीपीसी अटकी पड़ी है।
जेल में बंद इस अफसर की वजह से मामले को लेकर पिछली सरकार ने डीपीसी की अनुमति नहीं दी थी। जबकि भूपेश सरकार ने लिस्ट में जूनियर इन मैडम को पदोन्नत करने ऐड़ी चोटी लगा दी थी। अब जब सरकार बदल गई है तो उन मैडम के बाद के अफसर अपनी पदोन्नति के लिए प्रयास कर सकते हैं। लेकिन वे अभी सरकार के रूख का इंतजार कर रहे हैं। डीपीसी न हुई तो इस वर्ष के अंत तक दर्जन भर पद रिक्त होंगे। और अफसर भी कम।
सराहनीय पर समस्या भी
भाजपा ने एक बार फिर प्रदेश कार्यालय में सहयोग केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इसमें मंत्री के साथ संगठन के सीनियर पदाधिकारी की ड्यूटी भी लगाई गई है। अच्छी पहल है, इसका स्वागत भी होना चाहिए पर भाजपा के कुछ नेता रमन सरकार के समय हुई इस पहल को भी याद करते हैं। उस समय जब कार्यकर्ताओं की भीड़ ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए उमड़ी तो सहायता केंद्र में बैठे संयोजक असहाय हो गए। बाद में बंद करना पड़ा। इसके बाद के कार्यकाल में यह व्यवस्था बंद कर दी गई। कांग्रेस ने भी मंत्रियों के लिए ऐसी व्यवस्था लागू की थी पर सबको पता है कि कार्यकर्ता कितने खुश हुए। वैसे एक पदाधिकारी की सलाह यह भी है कि सहायता केंद्र के साथ-साथ गाइडलाइन भी जारी कर देनी चाहिए कि किस तरह की समस्याओं, शिकायतों के लिए लोग वहां पहुंच सकते हैं, जिसमें हल होने की पूरी गारंटी होगी।
कांग्रेस को मिला चुनावी मुद्दा
राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में न्याय यात्रा के अंतिम पड़ाव पर सरगुजा में थे, इसी दौरान दिल्ली में किसानों के आंदोलन में तेजी आ गई। यहां पर उन्होंने और जयराम रमेश ने तुरंत घोषणा की, कि केंद्र में उनकी सरकार बनने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर कानून लाया जाएगा। जातिगत जनगणना को केंद्र में रखकर यह न्याय यात्रा चल रही थी। अब इसके पूरे आसार है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एमएसपी को अपने घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल करे।
दो साल पहले यूपी विधानसभा चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने के लिए न केवल तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी बल्कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक एमएसपी पर कानून बनाने का वादा भी किया था। इस पर बनी उच्च स्तरीय समिति की देशभर में 30 से अधिक बैठकें हुईं, मगर एमएसपी पर वह कोई राय नहीं दे सकी।
दरअसल, अनेक विशेषज्ञों की ओर से बताया गया है कि कानून बन जाने के बाद बहुत सारी जटिलताएं भी खड़ी हो जाएंगी। इसका हल कांग्रेस के पास हो या न हो, मगर किसानों को आश्वासन देकर वह लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधार जरूर सकती है।
रेलवे में पाई-पाई का हिसाब
रेलवे पार्किंग की दर बाइक के लिए अलग-अलग घंटों के अनुसार कुछ इस तरह से है- 8.26 रुपए, 11.80 रुपए, 16.52 रुपए, 21.24 और 21.24 रुपए। इस जमाने में रेलवे ही बता सकती है कि 26, 52 और 24 पैसे की वसूली ठेकेदार किस तरह करेगा और स्टेशन में गाड़ी खड़ी करने वाले ग्राहक कैसे भुगतान करेंगे। हाल ही में हाईकोर्ट ने गेट के सामने गाड़ी खड़ी करने वालों से जबरन वसूली करने वाले नियम पर रेलवे को फटकार लगाई थी। इस पर्ची में साफ दिखाई दे रहा है कि ग्राहक से 30 रुपए लिए गए हैं। रेलवे ने यात्री टिकटों पर तो राउंड फिगर दर निर्धारित कर दिया है लेकिन जीएसटी के नाम पर पार्किंग ठेकेदारों को अवैध वसूली की छूट दे दी है।
बेरोजगारी भत्ता पर ग्रहण
पूर्व में कांग्रेस की सरकार ने कार्यकाल पूरा होने के 4 महीने पहले युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ता शुरू किया था। मगर जैसे ही सरकार बदली बेरोजगारों के खाते में राशि जमा होना बंद हो गया। कई जिलों से पात्र बेरोजगारों की शिकायत आ रही है कि उन्हें मिलने वाले ढाई हजार रुपए दिसंबर और जनवरी माह में खाते में नहीं आए। अब फरवरी भी बीत रहा है। वैसे नई सरकार ने आधिकारिक रूप से इसे बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया है। हो सकता है अफसरों ने खुद ही अपने स्तर पर तय कर लिया हो कि सरकार का रुख जानने के बाद रकम डालेंगे।