स्थायी स्तंभ
शुभ टोटका है यह राज्य..!
प्रदेश भाजपा की प्रभारी डी पुरंदेश्वरी, सहप्रभारी नितिन नबीन के साथ शनिवार को रायपुर पहुंची, तो कई नेताओं ने नबीन को बधाई दी। नबीन कुछ दिन पहले ही बिहार सरकार में मंत्री बने हैं। एक नेता ने उनसे कहा कि छत्तीसगढ़ आप लोगों के लिए शुभ है, जो भी यहां प्रभारी रहा, उसकी राजनीतिक उन्नति हुई है। इस पर दोनों नेता मुस्करा दिए। सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद नरेन्द्र मोदी प्रभारी रहे। वे तो प्रदेश भाजपा कार्यालय में आगजनी के साक्षी भी रहे हैं। बाद में वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने, और अब प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं। कुछ समय बाद वेंकैया नायडू यहां के प्रभारी बनाए गए। बाद में वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, और केन्द्र सरकार में मंत्री रहे। अभी उपराष्ट्रपति के पद पर हैं।
छत्तीसगढ़ में पहली बार विधानसभा आम चुनाव के पहले राजनाथ सिंह को प्रभारी बनाया गया था। उस समय राजनाथ सिंह के उत्तरप्रदेश में सीएम रहते पार्टी को बुरी हार गई थी। मगर छत्तीसगढ़ प्रभारी बनते ही उनकी भी किस्मत चमक गई। वे केन्द्र सरकार में मंत्री बने। बाद में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, और वर्तमान में रक्षा मंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं। राजनाथ सिंह के बाद धर्मेन्द्र प्रधान को यहां का प्रभारी बनाया गया। बाद में उनकी भी राष्ट्रीय राजनीति में पैठ बनी, और पिछले 6 साल से केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
धर्मेन्द्र प्रधान के बाद जगतप्रकाश नड्डा यहां के प्रभारी रहे। बाद में वे पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बने, फिर केन्द्र सरकार में मंत्री रहे, और वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं। कुछ समय के लिए रामशंकर कठेरिया प्रभारी रहे, लेकिन वे यहां नहीं आए। फिर भी उनकी राजनीतिक उन्नति हुई। वे केन्द्र सरकार में मंत्री रहे, और वर्तमान में अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
कठेरिया के बाद डॉ. अनिल जैन प्रभारी रहे। उनके कार्यकाल में यहां पार्टी की दुर्गति हो गई। फिर भी उन्हें केन्द्र सरकार में मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही है। वर्तमान सह प्रभारी नितिन नबीन तो कुछ दिनों के भीतर ही बिहार में मंत्री पद पा गए। प्रभारी डी पुरंदेश्वरी की भी उज्जवल भविष्य की संभावनाएं जताई जा रही है। पहली तो यह कि वे आंध्रप्रदेश में भाजपा का चेहरा हो सकती हैं। पुरंदेश्वरी, आंध्रप्रदेश के सीएम रहे एनटी रामाराव की बेटी हैं। वे केन्द्र सरकार में मंत्री रही हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन का प्रभार संभालने के बाद वे भी बाकियों की तरह राजनीतिक परिदृश्य में छा जाएं, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वैसे भी यहां पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए तो कम से कम यह कहा ही जा सकता है।
अजय चंद्राकर तैयारी से हैं..
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और महामंत्री भूपेन्द्र सवन्नी के बीच विवाद अब तक खत्म नहीं हुआ है। इस विवाद पर प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने महामंत्री (संगठन) पवन साय से बात की थी। सुनते हैं कि अजय ने बकायदा एक लिस्ट तैयार की, जिससे यह साफ हो जाएगा कि उन्हें कब-कब बैठक में नहीं बुलाया गया। जबकि बैठक व्यवस्था और सूचना देने की जिम्मेदारी सवन्नी की थी। अजय इस बार पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। देखना है कि पुरंदेश्वरी इस विवाद का निपटारा कैसे करती हैं।
जान को खतरा या कुर्सी की लड़ाई?
को-वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बयान और चि_ियों पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और सनसनी नहीं फैलाने की नसीहत दी । हालांकि उन्होंने माना है कि इसे क्लीनिकल ट्रायल के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाना है। यह स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ और परीक्षण के सिद्धांतों को जानने वाले बता पायेंगे कि क्या बड़े पैमाने पर आम लोगों को क्लीनिकल ट्रायल के तौर पर क्या कोई वैक्सीन दी जा सकती है? क्या लोगों का यह अधिकार नहीं है कि वे ट्रायल के लिये तैयार होने से मना कर दें। सरकार इस मामले में लोगों पर दबाव डाले? केन्द्र का कहना है कि देशभर में इस तरह के ट्रायल हो रहे हैं। इसमें कोई खराबी नहीं है। लक्ष्य के अनुरूप वैक्सीनेशन नहीं कर पाने के कारण छत्तीसगढ़ सरकार लोगों का ध्यान भटका रही है।
इधर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इसे सीधे प्रदेश कांग्रेस में सत्ता की राजनीति से जोड़ दिया और कहा कि यह मंत्रिमंडल का सामूहिक फैसला नहीं है। कुर्सी की लड़ाई में कोविड मरीजों की जान को जोखिम में डाला जा रहा है। केन्द्रीय मंत्री की जवाबी चि_ी और प्रदेश के भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया के बाद क्या को-वैक्सीन इस्तेमाल करने का निर्णय पलट दिया जायेगा, या फिर टीके रखी रह जायेंगी, यह आने वाले दिनों में मालूम होगा।
हवाई चप्पल वाले कैसे उड़ेंगे ?
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से हवाई सेवा शुरू करने की मांग राज्य बनने के बाद से ही होती रही है लेकिन इस मांग ने धार पकड़ी जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रुचि ली। इसी दौरान शहर के नागरिकों ने संघर्ष समिति बना ली और वे बीते एक साल से भी ज्यादा समय से वे अखंड धरना दे रहे हैं। हाईकोर्ट में लगी याचिकाओं ने भी हवाई सेवा शुरू करने के लिये केन्द्र और राज्य सरकार दोनों पर दबाव बनाया है। अब मार्च से यहां से उड़ानें शुरू हो जाने की घोषणा की गई है। उड़ान स्कीम के अंतर्गत। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उड़ान- उड़े देश का आम नागरिक (यूडीएएन) योजना शुरू करते हुए घोषणा की थी कि हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई सफर कर सकेंगे। बिलासपुर से अधिकांश महानगरों की दूरी 600 किलोमीटर से अधिक है, जिसके चलते उड़ान स्कीम में टिकटों पर रियायत नहीं मिलने वाली। ऊपर से अब यात्रा टिकट 30 प्रतिशत तक महंगी भी कर दी गई है। न्यूनतम किराया भी 2200 रुपये हो गया है। बिलासपुर हवाई अड्डे को तैयार करने के रास्ते में अनेक बाधायें तो दूर कर ली गईं, पर उड़ानें शुरू होने के बाद देखना होगा कि चप्पल पहनने वाले कितने लोग इनमें यात्रा का सुख ले पायेंगे।
सूपेबेड़ा से इच्छा मृत्यु की मांग
राज्यपाल अनुसूईया उइके सुपेबेड़ा, गरियाबंद के दौरे पर 22 अक्टूबर 2019 को गई थीं। इस दौरान सरकार और राज्यपाल के बीच थोड़ा टकराव भी हुआ। हेलिकॉप्टर देने या नहीं देने के नाम पर। आखिरकार राज्यपाल वहां गईं, साथ में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी थे। राज्यपाल ने किडनी पीडि़तों और उनके परिवार के लोगों की तकलीफें सुनीं। सरकार को कई निर्देश दिये। स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वस्त किया कि यहां के किडनी मरीजों का न केवल इलाज मुफ्त होगा बल्कि अस्पताल में रहने खाने का खर्च भी उठाया जायेगा। अन्य विभागों ने भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। लेकिन अब वहां क्या स्थिति है। जिस तेल नदी से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का वादा किया था वह फाइलों में उलझ गई है। किडनी से मौतों का सिलसिला अब भी जारी है और यहां लोगों को राहत नहीं मिली। यही वजह है कि गरियाबंद में कल कलेक्टर से मिलकर सुपेबेड़ा और आसपास के 10 गावों के लोगों ने इच्छा मृत्यु मांगी है और अपनी बात राज्यपाल तक पहुंचाने का निवेदन किया है। ग्रामीण बता रहे हैं कि हाल के दिनों में मौतों का आंकड़ा 90 से ऊपर जा चुका है।
सुपेबेड़ा व आसपास के गांवों की यह समस्या करीब 10 साल से है। अब तक वहां किडनी से मौतें हो रही हैं। राज्यपाल, स्वास्थ्य मंत्री और अन्य नेताओं की पहल के बावजूद। क्या यह पीड़ादायक नहीं है?
- 1258-अब्बासी शासकों की राजधानी बग़दाद पर मंगोल आक्रमणकारी हलाकू ख़ान का अधिकार हो गया।
- 1689- ब्रिटेन के राजा विलियम त्रितीय और रानी मेरी द्वितीय की ताजपोशी के समारोह में बिल आफ़ राइट्स नामक घोषणापत्र पढ़ा गया और इस देश की शासन व्यवस्था सशर्त राजशाही में परिवर्तित हो गई।
- 1688 - स्पेन ने पुर्तग़ाल को एक अलग राष्ट्र स्वीकार किया।
- 1689 - विलियम और मैरी इंग्लैंड के संयुक्त शासक घोषित हुए।
- 1788 - भारत में ज्यादतियों के लिए वारेन हेस्टिंग्स पर इंग्लैंड में मुकदमा चलाया गया।
- 1856 - ईस्ट इंडिया कम्पनी का लखनऊ सहित अवध पर भी कब्ज़ा।
- 1920 - अमेरिका में बेसबॉल की नीग्रो नेशनल लीग स्थापित हुई।
- 1931 - नई दिल्ली भारत की राजधानी घोषित हुई।
- 1946-दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर; ई.एन.आई.ए.सी. (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमैरिकल, इंटीग्रेटेड ऐन्ड कैल्कुलेटर, एनिऐक) का प्रदर्शन पेनसिलवेनिया के मूरे स्कूल में किया गया।
- 1960-फ्रांस ने अपने पहले प्लूटोनियम बम का परीक्षण किया।
- 2001 - अंतरिक्ष में क्षुद्रग्रह इरोस पर पहला मानव रहित यान उतरा।
- 2003 - यश चोपड़ा को दादा साहब फालके पुरस्कार मिला।
- 1879 - भारत कोकिला सरोजिनी नायडू का जन्म हुआ।
- 1974 - भारतीय शास्त्रीय संगीत गायक उस्ताद अमीर ख़ां का निधन हुआ।
- 1910 ऐंग्लो-अमेरिकी अभियंता तथा शिक्षक विलियम बी. शोकले का जन्म हुआ, जिन्हें ट्रान्जि़स्टर के आविष्कार के लिए जॉन बार्डीन और वाल्टर एच. ब्रैटेन के साथ वर्ष 1956 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-12 अगस्त 1989)
- 1728 - स्कॉटलैण्ड के चिकित्सक इंग्लैन्ड में चिकित्सकीय शरीर-रचना विज्ञान के संस्थापक जॉन हन्टर का जन्म हुआ, जिन्होंने जीवविज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान, शरीर-रचना विज्ञान, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में भी अनुसंधान किया। (निधन-16 अक्टूबर 1793)
- 1909- डेनमार्क के रसायनज्ञ जूलियस थॉमसन का निधन हुआ, साढ़ें तीन हजार रासायनिक अभिक्रियाओं में अवशोषित तथा उन्मुक्त होने वाली ऊष्मा की मात्रा को सारणीबद्ध किया। (जन्म-16 फरवरी 1826)
- 1914- वैज्ञानिक अल्फॉन्स बर्टिलन का निधन हुआ, जिन्होंने सन् 1880 में बर्टिलन ने अपराधियों की पहचान करने की ऐन्थ्रोपोमेट्री नामक एक प्रणाली विकसित की जिसे बर्टिलन प्रणाली भी कहा जाता है। उन दिनों फ्रांस तथा दूसरे कई देशों में यह काफी प्रचलित हुई। प्रणाली भौतिक लक्षणों को रिकार्ड करती थी जिन्हें सिर की लम्बाई के अनुसार वर्गीकृत कर लिया जाता था।(जन्म-23 अप्रैल 1853)
कोरोना के बाद कोचिंग सेंटर्स का हाल
स्कूल-कॉलेजों की पढ़ाई के भरोसे प्रतिस्पर्धा में आना मुश्किल माना जाता है। कोचिंग सेंटर्स युवाओं की उपलब्धि के अनिवार्य संस्थान के रूप में विकसित हो चुके हैं। इस स्थिति को बहुत से लोग अच्छा भी नहीं मानते। कोचिंग संस्थानों की फीस इतनी ज्यादा होती है कि सक्षम परिवारों के मुकाबले गरीब परिवारों के बच्चे पिछड़ जाते हैं। कोचिंग सेंटर्स की अहमियत देखकर कुछ सरकारी योजनायें भी प्रतिभावान गरीब बच्चों के लिये चल रही हैं। हालांकि इन पर किये जाने वाले खर्च के मुकाबले नतीजे उत्साहजनक नहीं मिलते। कोचिंग सेंटर्स का व्यवसाय कुछ सालों से छत्तीसगढ़ में खूब फलता-फूलता दिख रहा है। भिलाई, रायपुर, बिलासपुर जैसे शहरों में इनकी भरमार है।
अब स्थानीय कोचिंग संस्थायें दूसरे नंबर पर आती हैं। कोटा, दिल्ली, कोलकाता, नागपुर जैसे शहरों की पापुलर ब्रांड की ब्रांच की तरफ युवाओं का रुझान ज्यादा दिखाई देता है। धंधे में कुछ संचालकों ने तो इतनी कमाई कर ली कि टिकट की दौड़ में भी लग गये। दूसरी ओर इन कोचिंग संस्थानों के भरोसे, नौकरी से वंचित कई प्रतिभावान युवाओं को रोजगार भी मिल जाता है। आमदनी का बहुत थोड़ा हिस्सा उनके पास आता है फिर भी इससे खर्च चलाने में उन्हें मदद तो मिल जाती है।
पर, कोविड महामारी ने सब गड्ड-मड्ड कर दिया। अनेक कोचिंग संस्थानों की इतने दिनों में हालत खराब हो गई है। स्टाफ और टीचर्स का वेतन, फ्रेंचाइजी फीस, भवन किराया, बिजली बिल पटाने के दबाव में जो टूटे कि दुबारा ताला खोलने की स्थिति नहीं रह गई है।
लॉकडाउन का दूसरा असर यह हुआ कि ऑनलाइन कोचिंग का व्यापार खूब पनपा। विद्यार्थी जो सचमुच कैरियर को लेकर गंभीर है वे इसे ज्यादा सुविधाजनक पा रहे हैं और वे अब कोचिंग सेंटर्स की तरफ दुबारा रुख करने से बच रहे हैं। छत्तीसगढ़ पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा 14 फरवरी को होने जा रही है। इसमें शामिल होने वाले ज्यादातर विद्यार्थियों ने ऑनलाइन तैयारी की है। ऑनलाइन क्लासेस का असर, फिजिकल क्लासेस की तरह नहीं है पर फीस काफी कम है।
कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को 50 प्रतिशत उपस्थिति और कोरोना गाइडलाइन के पालन के साथ खोलने की अनुमति दी गई है पर अनेक संस्थानों का बोर्ड अब उतर चुका है। कुछ फिर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं। देखना होगा कि इन ठिकानों पर पहले की तरह चहल-पहल में कितना वक्त लगता है या फिर जो बदलाव अभी दिख रहा है वह एक नया स्थायी ट्रेंड बन जायेगा।
आईपीएस का फिटनेस वीडियो
बहुत से आईपीएस अधिकारी हैं जो नियमित रूप से वर्कआउट कर अपनी फिटनेस बनाये रखते हैं। वे जब सोशल मीडिया पर इसकी फोटो, वीडियो पोस्ट करते हैं तो जाहिर है इसका प्रभाव उनके मातहतों पर भी पड़ता है और उन्हें भी फिट दिखने की इच्छा होती है। आईपीएस रतनलाल डांगी के अनेक फिटनेस वीडियो फेस बुक, ट्विटर पर पोस्ट होते रहते हैं। 7 फरवरी की उनकी दौड़ के वीडियो को 41 लाख लोगों ने देखा है। अन्य वीडियोज भी हजारों बार देखे जा चुके हैं। सब वीडियो, फोटो मिला दें तो उन्हें देखने वालों की संख्या करीब एक करोड़ है और शेयर करने वाले भी कई हजार। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को सुविधा रहती है कि वे आम दिनों में काम और व्यायाम के घंटे खुद तय कर सकें।
आईजी दीपांशु काबरा, डीजी आर के विज, अपनी कसरत की तस्वीरें पोस्ट करते रहते हैं. दीपांशु और उनकी पत्नी साईकिल पर 25 -50 किलोमीटर चले जाते हैं।
फील्ड पर काम करने वाले टीआई, हवलदार, सिपाही इतना वक्त इन गतिविधियों को दे सकें तो और भी बेहतर। इन्हें काम का बोझ इतना होता है कि वे अपना शरीर नहीं संभाल पाते, बीमारियां घेर लेती हैं और, कई बार तो मानसिक तनाव के चलते बहुत अप्रिय घटनायें भी सुनने को मिलती रहती है।
अब होली का इंतजार
बीते साल कोरोना महामारी से बचाव के लिये लॉकडाउन होली त्यौहार के ठीक कुछ दिनों बाद लगा था। कुछ लोग घबरा रहे थे कि होली मनाने के दौरान वे वायरस के सम्पर्क में तो नहीं आ गये। पर अनेक लोगों को राहत भी थी कि चलो कम से कम त्यौहार तो मना लिया। बीच में अनेक तीज-त्यौहार गुजरे। सबमें सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी थी। धार्मिक स्थलों पर ताला लगा रहा। एक जगह एकत्रित होने पर मनाही थी। पर अब तो हर तरफ ढील दी जा रही है। लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि होली तक क्या इतनी बेहतर स्थिति हो पायेगी कि लोगों को गुलाल लगाने, गले लगने, रंग डालने की मंजूरी मिल जाये। मिल भी जाये तो क्या लोग बेफिक्री से हर बार की तरह अगली होली मना पायेंगे। वैसे इस साल की होली मार्च के अंत में 29 तारीख को है। यानि, तय करने में अभी लगभग डेढ़ माह का वक्त है।
- 1736 - नादिरशाह फ्रांस का शासक बना।
- 1742 - नाना फड़ऩवीस का जन्म।
- 1885 - जर्मन ईस्ट अफ्रीका कम्पनी का गठन हुआ।
- 1899 - जर्मनी ने स्पेन से मेरिनास कैरोलिन और पिल्यू द्वीप खऱीदे।
- 1928 - गांधी जी ने बारदोली में सत्याग्रह की घोषणा की।
- 1941-पेनिसिलिन के निर्माता अर्न्स्ट चेन और हॉवर्ड वॉल्टर फ्लोरी ने पेनिसिलिन का पहला इंजेक्शन सेप्टिक के रोगी अल्बर्ट ऐलेक्ज़ेन्डर को लगाया जिससे उसकी हालत में सुधार हुआ और वह खुश भी हुआ कि उसका इलाज नई दवा से हुआ। लेकिन पेनिसिलिन की मात्रा सीमित होने से उसका पूरा इलाज नहीं हो पाया। जिससे संक्रमण फिर से बढ़ गया और चार हफ्ते बाद उसकी मृत्यु हो गई।
- 1996 - फिलीस्तीनी मुक्ति संगठन के नेता यासर अराफात को गाजा में फिलीस्तीन के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई।
- 1999 - बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू।
- 2000 - पंडित रविशंकर फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान कॉमनडियर डीला लीजंड डि आनर से सम्मानित, पाकिस्तान राष्ट्रमंडल संसदीय संघ से निलम्बित।
- 2008 - उत्तर प्रदेश सरकार ने बहुचर्चित उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधोयक (यूपीकोका) को दोबारा ध्वनिमत से पारित किया। अमेरिका में हाइड एक्ट के सह लेखक टॉम लेंटास का निधन। अंतरिक्ष केन्द्र पर पहला यूरोपीय लैब स्थापित किया गया।
- 2009 - भारत के वैज्ञानिकों ने विश्व का पहला भैंस क्लोन विकसित किया। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को कैंम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने डीलिट् की उपाधि से सम्मानित करने की घोषणा की।
- 1824 - आर्य समाज के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी सन्यासी दयानंद सरस्वती का जन्म हुआ।
- 1920 -भारतीय फि़ल्म अभिनेता प्राण का जन्म हुआ।
- 1809- अंग्रेज़ प्रकृतिविद चाल्र्स रॉबर्ट डार्विन का जन्म हुआ।
- 1637- डच प्रकृतिविद जैन स्वैम्मर्डम का जन्म हुआ, जो जीवविज्ञान में सूक्ष्मदर्शी अवलोकन में प्रवीणता तथा सही चित्रों के निर्माण के लिए जाने जाते हैं। ये पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1658 में लाल रक्त कणिकाओं की व्याख्या की।(निधन-15 फरवरी 1680)
- 1965-अमेरिकी आविष्कारक जॉन हेस हैमन्ड जूनियर का निधन हुआ, जिनके रेडियो रिमोट कंट्रोल ने आधुनिक मिसाइल प्रणालियों में मार्गदर्शन का काम किया। वे जाने माने अमेरिकी खदान इंजीनियर जॉन हेस हैमन्ड के पुत्र थे। उन्होंने 1911 में हैमन्ड रेडियो रिसर्च प्रयोगशाला की स्थापना की। (जन्म 13 अप्रैल 1888)
- 1947-अमेरिकी वैज्ञानिक मॉसेस गॉम्बर्ग का निधन हुआ, जिन्होंने मुक्त मूलक (फ्री रैडिकल) पर अध्ययन की शुरूआत की जब उन्होंने 1900 में पहला ट्राइफिनाइलमिथाइल बनाया। गॉम्बर्ग की खोज ने कार्बनिक यौगिकों की संरचना तथा सक्रियता के सिद्धांतों की नींव रखी और अनुसंधान के लिए एक नया क्षेत्र प्रदान किया।
कुछ खुश, कुछ नाखुश
काफी उहापोह के बाद भाजयुमो की कार्यकारिणी तो घोषित हो गई, लेकिन कई ऐसे नाम हैं, जो कि तय मापदण्ड में खरे नहीं उतरते हैं। उन्हें भी जगह मिल गई। पार्टी ने 35 वर्ष से अधिक उम्र वालों को कार्यकारिणी में जगह नहीं देने का फैसला लिया था। बावजूद इसके कई ऐसे लोग जगह पा गए, जिनकी उम्र 40 के आसपास है।
ये अलग बात है कि पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष के सख्त निर्देश के बाद नेता पुत्रों को कार्यकारिणी में जगह नहीं मिल पाई। जबकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल, रामसेवक पैकरा के बेटे लवकेश पैकरा, रामविचार नेताम की बेटी सहित कई अन्य कतार में थे।
सुनते हैं कि अध्यक्ष अमित साहू अपने करीबी 15 लोगों को कार्यकारिणी में जगह दिलाने में कामयाब रहे। पूर्व सांसद अभिषेक सिंह की भी खूब चली है। कई ऐसे युवा नेता हैं, जिन्हें कार्यकारिणी में जगह नहीं मिल पाई है, वे सभी अभिषेक को कोस रहे हैं। नाराज युवा नेता दबे स्वर में कह रहे हैं कि अभिषेक की दखलंदाजी की वजह से उन्हें जगह नहीं मिल पाई है। भले ही यह सच न हो, लेकिन युवा मोर्चा की कार्यकारिणी को लेकर विवाद बरकरार है।
पूरा प्रशासनिक अमला परेशान
कांकेर बस स्टैण्ड में अवैध कब्जा हटाना स्थानीय प्रशासन को भारी पड़ रहा है। कुछ ऐसे निर्माण को भी हटा दिया गया, जिन्हें पट्टा मिला हुआ था। विधानसभा में सवाल लगा, तो जवाब सही नहीं आया। प्रश्नकर्ता विधायक ननकीराम कंवर ने विधानसभा की प्रश्न संदर्भ समिति में गलत जवाब देने की शिकायत की। समिति ने जांच शुरू की, तो हडक़ंप मच गया। कलेक्टर ने नजूल अफसर और तहसीलदार से स्पष्टीकरण मांगा है। बात यही खत्म नहीं हो रही है। विधानसभा के बजट सत्र में इस मामले को लेकर अलग-अलग आधा दर्जन सवाल लगे हैं। हाल यह है कि पूरा प्रशासनिक अमला परेशान है।
ट्रायल के लिये को-वैक्सीन, हरगिज नहीं
कोविड महामारी ने फार्मा कम्पनियों को भारी मुनाफा दिया । पीपीई किट, बेड, इक्विपमेंट्स, वेंटिलेटर, सैनेटाइजर, क्लोरोक्वीन दवा, आदि की अचानक मांग बढ़ी और पूरे देश में इसकी आपूर्ति की होड़ लगी। लाखों पैकेट दवायें निर्यात भी हुईं। कुछ की गुणवत्ता और कीमत पर सवाल भी उठते रहे लेकिन महामारी के खौफ ने इस पर ज्यादा बहस के लिये जगह नहीं दी। वैक्सीन के ईजाद और इसके उत्पादन को लेकर यही बात है। पहले दूसरे देशों से वैक्सीन मांगने की बात थी पर बाद में देसी उत्पाद ही बाजार में पहले आ गये। बाबा रामदेव ने कोरोलिन का दावा सबसे पहले किया पर उसे आईसीएमआर ने मानने से मना कर दिया। इसके बाद मान्यता प्राप्त वैक्सीन का उत्पादन तो बढ़ा पर कोरोना का डर भागने लगा।
जो परिस्थितियां बन रही हैं उससे लगता है कि वैक्सीन निर्माताओं की उम्मीद के अनुरूप मांग आ नहीं रही है। छत्तीसगढ़ में फ्रंटलाइन वारियर्स, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का पंजीयन किया गया पर ऐसा नहीं हुआ कि वे वैक्सीन लगवाने के लिये टूट पड़े, बल्कि इससे बचते भी रहे। आज प्रदेश में कोविशील्ड का पहला चरण पूरा करने का आखिरी दिन है, पर अब भी लाखों की संख्या में वैक्सीन बच गये हैं। पखवाड़े भर पहले एक दूसरी दवा, को-वैक्सीन की खेप केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भेज दी। को-वैक्सीन लगाने के लिये जो तैयार होंगे एक फार्म भी उन्हें भरना होगा, जिसमें सहमत होना है कि वे इसे ट्रायल बेस पर ही लगवा रहे हैं। ऐसा करने में खतरा तो है। ट्रायल के लिये आम लोगों को जबरदस्ती तैयार करना तो ठीक नहीं। फिलहाल, छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे इस्तेमाल में लाने से मना कर दिया है। को-वैक्सीन स्टेट लेवल के स्टोर रूम में ही रखे हुए हैं। सरकारी खरीदी और घोषणा के चलते ये मुफ्त में लगने हैं। आने वाले दिनों में वैक्सीन की कीमत तय करने की योजना थी, पर जब मुफ्त की वैक्सीन ही नहीं खप पा रही हो तो..?
राम के नाम पर ऑनलाइन दे बाबा...
भगवान के नाम पर भीख, चंदा, चढ़ावा, दक्षिणा मांगना सबसे आसान काम है। ट्रेन, बस-स्टाप और घर के दरवाजे तक भी पारम्परिक भिक्षावृत्ति करने वालों के मुंह से जब निकलता है, राम के नाम पर दे दे बाबा.. तो सुनकर लोग पिघल जाते हैं। कोई तरस खाकर, कोई श्रद्धा-विश्वास की वजह से तो कोई-कोई पीछा छुड़ाने के लिये इन पर मेहरबानी करता आया है।
राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिये जो ‘निधि’ देशभर से एकत्र हो रही है वह इन दिनों चर्चा में है। शायद ही कोई सहयोग देने से मना कर रहा हो। इसे ऑनलाइन जमा करने की सुविधा भी है। इसके लिये अधिकारिक पोर्टल और एप भी तैयार किये गये हैं। ऑनलाइन ठगी के इन दिनों के कितने कारनामे हो रहे हैं, हम सब वाकिफ हैं ही। अब राजधानी की साइबर सेल की जानकारी में यह बात आई है कि लोगों के फोन व सोशल मीडिया पेज पर, फर्जी लिंक भेजे जा रहे हैं। लोग इसके जरिये पैसा जमा कर भी रहे हैं। लोगों को पता नहीं है कि उन्होंने फर्जी लिंक में पैसे दे डाले। इसलिये कितनी ठगी इस तरह हो चुकी है, यह पता नहीं चला है। फर्जी लिंक में पैसा जमा करने वालों को पता नहीं, पुण्य मिलेगा या नहीं, पर ठगों के एकाउन्ट में तो लक्ष्मी आती जा रही है। ऐसी ठगी के सामने बिलासपुर की एक महिला द्वारा चंदे के लिये रसीद छपवाना तो मामूली सा अपराध लगता है।
एक साल में नक्सल का खात्मा!
बस्तर से नक्सलवाद खत्म करने के लिये हर सरकारें संकल्प लेती रही हैं। महीनों कोई वारदात नहीं होती तो कहा जाता है कि अब वे बिखर गये हैं। जन प्रतिनिधि श्रेय भी लेते हैं। पर अचानक फिर कोई बड़ा हमला कर नक्सली अपनी मौजूदगी का एहसास करा देते हैं। दंतेवाड़ा नक्सल प्रभावित संवेदनशील इलाका है। यहां से एक साल के भीतर नक्सल खत्म करने का दावा किया गया है। दावा किसी नेता ने नहीं पुलिस कप्तान ने किया है। वीर गुंडाधूर और बस्तर के पहले आंदोलन की याद में यहां कल भूमकाल दिवस मनाया गया। इसी में यह दावा किया गया। एक बात एसपी ने और कही- पुलिस और नक्सलियों में से जो जनता का विश्वास जीतेगा, जीत उसी की होगी। वास्तव में सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि नक्सली आदिवासियों का विश्वास जीतने में क्यों सफल होते रहे हैं। यह भी जुड़ा हुआ प्रश्न ही है कि भरोसा सहज सहमति की वजह से है या भय के कारण। यही सवाल जनता और पुलिस के बीच के विश्वास जीतने के मामले में उठाया जा सकता है। चूंकि यह पुलिस का बयान है, राजनीतिक नहीं। इसलिये एक साल बाद क्या कोई बदलाव आता है, देखना जरूरी हो जायेगा।
- 1794 -यूनाइटेड स्टेट्स की सीनेट का सेशन पहली बार आम जनता के लिए खोला गया।
- 1826 - लंदन यूनिवर्सिटी की स्थापना यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के नाम से की गई।
- 1889 - जापान में संविधान लागू हुआ।
- 1922- एक कुत्ते में इंसुलिन के द्वारा मधुमेह का इलाज किया गया। कनाडा के चिकित्सक फ्रेड्रिक बैन्टिंग तथा उनके सहायक चाल्र्स बेस्ट द्वारा इस विषय पर उनके पहले शोध-पत्र में इसकी घोषणा की गई।
- 1929 - लैटर्न संधि के तहत स्वतंत्र बेटिकलन सिटी की स्थापना हुई।
- 1933 - गांधी जी के हरिजन वीकली का प्रकाशन शुरू हुआ था।
- 1942 - प्रसिद्ध समाजसेवी जमनालाल बजाज का निधन।
- 1963 - अमेरिका ने इराक की नयी सरकार को मान्यता दी।
- 1970 -ओसुमी-5 नाम के उपग्रह को प्रक्षेपित करने के बाद जापान चौथा देश बन गया जिसका उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित हुआ। पहले चार ओसुमी असफल हो गए थे।
- 1964 - ताइवान ने फ्रांस के साथ अपने राजनैतिक संबंध समाप्त किये।
- 1974 - मोहम्मदउल्ल बांग्लादेश के राष्ट्रपति निर्वाचित।
- 1975 - ब्रिटिश कंजरवेटिव पार्टी की प्रथम महिला नेता के रूप में मागरेट थैचर का निर्वाचन।
- 1990 -दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत नेता नेल्सन मंडेला 28 वर्षों बाद जेल से रिहा किए गए।
- 1999 - चीन द्वारा रूस से 20 सुखोई लड़ाकू विमान खऱीदने की घोषणा, अमेरिकी सांसद शेरॉड ब्राउन इंडिया कोंकस स्वास्थ कार्यवल के अध्यक्ष नियुक्त।
- 1977 - भारत के पांचवे राष्ट्रपति फख़़रुद्दीन अली अहमद का निधन हुआ।
- 1993 - प्रसिद्ध फि़ल्म निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही का निधन हुआ।
- 1898- अमेरिकी भौतिकशास्त्री लियो ज़ीलार्ड का जन्म हुआ, जिन्होंने एनरिको फर्मी के साथ मिलकर 2 दिसम्बर 1945 में पहला नाभिक सयंत्र निर्मित किया जिसमें निरन्तर श्रृंखला अभिक्रिया होती थी।(निधन-30 मई 1964)
- 1847 -अमेरिकी आविष्कारक थॉमस अल्वा ऐडिसन का जन्म हुआ, जिनके नाम कुल 1093 पेटेन्ट हासिल करने का विश्व कीर्तिमान है। उन्होंने पहली अनुसंधान प्रयोगशाला विकसित की और 1879 में बिजली के बल्ब का आविष्कार किया। सन् 1880 में उन्होंने चलचित्र का निर्माण किया। (निधन- 30 अक्टूबर 1931)
- 1839-अमेरिकी भौतिकशास्त्री और रसायनज्ञ जे. विलार्ड गिब्स का जन्म हुआ, जिन्हें सदिश विश्लेषण के लिए तथा भौतिकीय रसायन विज्ञान में दिए उनके अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है। (निधन-28 अप्रैल 1903)
- 1973- जर्मन भौतिकशास्त्री जोहानेस हैन्स डेनिएल जेन्सन का निधन हुआ, जिन्होंने प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन की नाभिकीय संरचना का कक्षा सिद्धांत प्रस्तुत किया। जेन्सन को उनके नाभिक के नमूने के लिए 1963 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। (जन्म 25 जून 1907)।
पीडि़त रेंजर का सस्पेंड होना
कथित मीडियाकर्मी और उसकी गर्लफ्रेंड की ब्लैकमेलिंग के पीछे 1.40 करोड़ लुटा चुके मुंगेली के रेंजर सीआर नेताम ने पैसे की व्यवस्था करने के लिये ऐसा फर्जीवाड़ा कर दिया कि अभी तो उसे निलम्बित कर दिया गया है, अब एफआईआर की तैयारी भी की जा रही है। दरअसल, नेताम ने 25 लाख रुपये रतनपुर के मजदूरों के निकाल लिया। वह भी तब जब 6 माह पहले यहां से उनका तबादला हो चुका था। दरअसल नये अधिकारी के आने पर सम्बन्धित बैंकों में उनका अधिकृत हस्ताक्षर भी भेजा जाता है। बैंक के पास जो भेजा ही नहीं गया और रतनपुर से हटने के बाद भी वे यह रकम निकाल ले गये। अब रतनपुर के मजदूर अपनी मजदूरी के लिये परेशान हैं तो दूसरी तरफ संस्पेंड हो चुके नेताम के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराये जाने की तैयारी हो रही है।
कामयाब होगा सोशल मीडिया कैम्पेन?
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में सोशल मीडिया कैम्पेन के लिये फिलहाल 11 हजार स्वयंसेवकों को जोडऩे का अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने विरोधी दल भाजपा से काफी पीछे है। न केवल प्रदेश स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी। भाजपा के असल नाम से कुछ सैकड़ा ही प्रोफाइल होंगे पर फेसबुक, वॉट्सअप और दूसरे प्लेटफॉर्म पर हजारों की संख्या उन लोगों की है जो पहचान में ही नहीं आते। ऐसे अनजान लोग अपनी पोस्ट को जो कई बार भ्रामक, तथ्यहीन और उकसाने वाले भी होते हैं वे एक से दूसरे तक वायरल होते हुए लाखों लोगों तक पहुंच चुके होते हैं। कांग्रेस किस तरह से इनका मुकाबला कर पायेगी?
छनकर क्या निकलेगा भाजपा में?
भाजपा इन दिनों अपने सांगठनिक उठापटक को लेकर ज्यादा चर्चित है। भाजयुमो में 35 साल से ऊपर के लोगों को नहीं लिये जाने को लेकर काफी विवाद की स्थिति बनी रही, आखिरकार इसमें शिथिलता बरती गई और कई नाम इससे ऊपर वाले भी दिखाई दे रहे हैं। राजनांदगांव की भाजपा कार्यकारिणी की सूची में मृत कार्यकर्ताओं को जगह देने से बात सामने आई है। भाजपा महामंत्री भूपेन्द्र सवन्नी और विधायक डॉ. अजय चंद्राकर के बीच का विवाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिकायत केन्द्रीय नेतृत्व तक पहुंच गई है। कांग्रेस इन बातों पर कटाक्ष कर रही है। नई प्रदेश प्रभारी सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रति धारदार विरोध की रणनीति बनाने के लिये परिश्रम करती दिख रही हैं पर शायद उन्हें घर सुधारने में ही काफी समय लग जायेगा।
- 1763 - पेरिस संधि के तहत फ्रांस ने कनाडा ब्रिटेन को दे दिया।
- 1811 - रूसी सैनिकों ने बेलग्रेड पर कब्ज़ा किया।
- 1828 - दक्षिण अमेरिकी क्रान्तिकारी साइमन बोलिवार कोलंबिया के शासक बने।
- 1848 - फर्नीनांड प्रथम ने नया संविधान लागू किया।
- 1921 - काशी विद्यापीठ का उद्घाटन गांधी जी ने किया। ड्यूक आफ़ कनॉट ने इंडिया गेट की नींव रखी।
- 1929 - जे.आर.डी. टाटा पायलट लाइसेंस पाने वाले पहले भारतीय बने।
- 1931 - दिल्ली भारत की राजधानी बनी।
- 1939 - जापानी सैनिकों ने हेनान द्वीप, चीन पर अधिकार कर लिया।
- 1957 -स्टायरोफोम कूलर की खोज हुई।
- 1961- नियाग्रा जलप्रपात की जलविद्युत परियोजना ने बिजली उत्पादन शुरू किया।
- 1979 - ईटानगर को अरुणाचल प्रदेश की राजधानी बनाया गया।
- 1981 - खगोलविद राय पेंथर द्वारा धूमकेतु की खोज।
- 1989 - अमेरिका ने नवादा परीक्षण-स्थल पर परमाणु परीक्षण किया।
- 1992 - अंडमान और निकोबार द्वीप विदेशी पर्यटकों के लिए खुला।
- 2009 - सोमालिया तट पर भारत-रुस की नौसेनाओं का संयुक्त अभ्यास प्रारम्भ हुआ। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किया गया।
- 1835- शरीर क्रिया वैज्ञानिक तथा समुद्र विज्ञानी विक्टर हेन्सेन का जन्म हुआ, जिन्होंने समुद्र में (तथा सामान्य जल में रहने वाले) सूक्ष्मजीवों के लिए प्लैंकटन शब्द दिया। एक शरीर क्रिया वैज्ञानिक के रूप में वे आन्तरिक कान में हेन्सन कोशिका तथा कैनाल ऑफ हेन्सन की खोज के लिए जाने जाते हैं। (निधन-5 अप्रैल 1924)
- 1902 -अमेरिकी वैज्ञानिक वाल्टर एच. ब्रैटेन का जन्म हुआ, जिन्हें अर्धचालक पर कार्य करने के लिए जॉन बर्डीन और विलियम बी. शोकले के साथ 1956 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। अर्धचालकों का उपयोग ट्रान्जि़स्टर निर्माण में किया जाता है। शोकले और बर्डीन के साथ मिलकर इन्होंने पहले ट्रान्जि़स्टर का निर्माण किया। (निधन-13 अक्टूबर 1987)
- 1923-जर्मन भौतिकशास्त्री विल्हेम कॉनरैड रोन्टजन का निधन हुआ, जिन्हें एक्स-किरणों की खोज के लिए वर्ष 1901 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। एक्स-किरणों की खोज ने विज्ञान में नए युग की शुरुआत की तथा इससे चिकित्सा विज्ञान में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। (जन्म 27 मार्च 1845)
- 2005-कनाडाई-अमेरिकी नाभिकीय वैज्ञानिक डेविड ऐलेन ब्रॉमले का निधन हुआ, जिन्हें नाभिक की संरचना तथा गतिशीलता पर शुरूआती प्रयोग करने के लिए तथा भारी आयन पर कार्य करने के कारण भारी आयन विज्ञान का जनक माना जाता है। (जन्म 4 मई 1926)।
जरूरी जिन्दगी का इम्तेहान
मोहब्बत से ज्यादा जरूरी जिन्दगी का इम्तेहान में कामयाब होना जरूरी है। लगता है छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने यही सबक सिखाने के लिये प्रारंभिक परीक्षा की तारीख तय कर दी है। इस बार 14 फरवरी को न तो मातृ-पितृ पूजन दिवस और न ही वैलेन्टाइन डे। हजारों युवा परीक्षा हॉल में दिखाई देंगे। कोविड के कारण वैसे भी त्यौहारों का हाल फीका है। होटल-गार्डन, स्कूल कॉलेज सब बंद रहे इसलिये प्यार की कोंपलें भी फूट नहीं पाईं। इन सबके चलते ऐसा लग रहा है कि इस बार रोज डे पर गुलाबों की बिक्री भी कमजोर रहेगी। वैलेंन्टाइन डे पर हंगामा करने वालों के पास भी कुछ कम काम रहेगा। वैसे भी पीएससी के इम्तेहान में जो कामयाब हो जायेगा, उसे तो मनमाफिक हमसफर वैसे भी मिल जाना है।
कोरोना का बहाना बनाये रखने के लिये
छत्तीसगढ़ से पैसेंजर और लोकल ट्रेनों को चलाने के लिये रेलवे ने राज्य सरकार से अनुमति मांगी है। हाईकोर्ट में लगाई गई एक जनहित याचिका के बाद रेलवे ने यह कदम उठाया है, जिसमें राज्य सरकार से पूछा गया है कि कोविड गाइडलाइन के मद्देनजर इन ट्रेनों को चलाने की अनुमति देने पर विचार करें। हैरानी यह है कि एक्सप्रेस और स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिये तो रेलवे ने कोई मंजूरी नहीं ली। दूसरे राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल और मुम्बई में तो उसने पहले ही राज्य सरकार की बिना मंजूरी लिये ही चालू कर दी। फिर छत्तीसगढ़ में ऐसा क्यों। स्वास्थ्य सचिव ने भी रेलवे से लगभग यही सब बातें पूछ लीं। दरअसल, रेल मंत्रालय के सर्कुलर में भी सिर्फ इतना कहा गया है कि राज्य सरकार को सूचना देनी है। अनुमति जैसी कोई बंदिश नहीं लगाई गई है। खुशखबरी यही है कि ग्रामीण और कम आय वालों को इस माह से ट्रेनों में सफर का में मौका मिल जायेगा।
टमाटर होने लगे लाल
टमाटर की भरपूर पैदाइश छत्तीसगढ़ की पहचान भी रही और इसकी सही कीमत नहीं मिलना भी किसानों को तकलीफदायक देता है। दिसम्बर, जनवरी में जब टमाटर खेतों से खूब निकले तो उत्पादकों को एक दो रुपये ही मिल पाते हैं। पर समस्या सिर्फ प्रबंधन का लगता है। रायगढ़ और जशपुर जिले में जिन दिनों टमाटर का थोक भाव 5 रुपये किलो था, उन्हीं दिनों में बेमेतरा, दुर्ग आदि जिलों में इसकी कीमत उत्पादन लागत से भी कम थी। रायगढ़, जशपुर के टमाटर की मांग झारखंड के रास्ते में कई राज्यों को भेजा जा रहा है। अब कुछ नई उम्मीद स मैदानी इलाके के टमाटर उत्पादकों के लिये भी दिखाई दे रही है। इन दिनों मध्यप्रदेश और कर्नाटक के थोक सब्जी व्यापारी टमाटर पर रुचि दिखा रहे हैं। इसकी कीमत वे क्वालिटी के हिसाब से 7 से 12 रुपये किलो तक दे रहे हैं। उम्मीद करनी चाहिये कि सरकारी भी इस मांग को समझकर नये उभर रहे बाजार को प्रोत्साहित करेगी।
दुनिया का सबसे पुराना?
लोग अपने इतिहास को लेकर बड़े दिलचस्प दावे करते हैं। रायपुर के महानदी प्रकाशन ने अपने बोर्ड में अपने को विश्व का प्रथम पुस्तक प्रकाशक लिखा है। आगे आप खुद समझदार हैं और आपका इतिहास का ज्ञान जिम्मेदार है। तस्वीर/‘छत्तीसगढ़’
- 1649 -ब्रिटेन में लोकतांत्रित शासन का आरंभ हुआ।
- 1973- बीजू पटनायक उड़ीसा की राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए।
- 1992-अलजीरिया के संसदीय चुनावों में इस्लामी प्रवृत्ति वाले धड़े की भारी सफलता के बाद इस देश में सत्तासीन सैनिकों ने चुनावों के परिणामों को निरस्त और अलजीरिया इस्लामी मुक्तिमोर्चे को गैर कानूनी घोषित कर दिया। कुछ समय बाद इस देश के कई नेताओं को गिरफ़तार भी कर लिया गया। सेनाधिकारियों के इस क़दम से इस देश में हिंसा का क्रम आरंभ हुआ जिसमें बहुत सारे लोग मारे जा चुके हैं।
- 1996 -वैज्ञानिकों ने एक नए तत्व की खोज की जिसे तत्व-112 कहा गया।
- 2001 - शिवानतरा थाइलैंड के नए प्रधानमंत्री निर्वाचित, चीन-तिब्बत रेलामार्ग को मंजूरी, तालिबान का पाक से प्रत्यर्पण संधि से इंकार।
- 2002 - अफग़़ानिस्तान की पूर्व तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मुत्तवकील का आत्मसमर्पण।
- 2007 - पाकिस्तान की विपक्ष पार्टी जमायती उलेमा इस्लामी ने जिन्ना को स्वतंत्रता सेनानी की सूची से हटाया।
- 2008- प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आम्टे का निधन।
- 2010- भारत सरकार ने बीटी बैंगन की व्यावसायिक खेती पर अनिश्चित काल के लिए रोक लगाई।
- 2006-भारतीय फि़ल्म अभिनेत्री नादिरा का निधन हुआ (जन्म- 1932)
- 1846- जर्मन इंजीनियर तथा इंजन के अन्वेषक विल्हेम मेबैक का जन्म हुआ जिन्होंन स्प्रे-कार्बोरेटर की खोज की। ये पहली मर्सडीज़ आटोमोबाइल (1900-01) के मुख्य डिज़ाइनर भी थे। (निधन-29 दिसम्बर 1929)
- 1854 -डच चिकित्सक ऐलेटा हेनरिएट जैकब्स का जन्म हुआ, जो परिवार नियोजन के क्षेत्र में अग्रणी थीं। इन्होंने पहला जन्म नियंत्रण चिकित्सालय खोला। वे नीदरलैन्ड की पहली महिला थीं जिन्होंने चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई की और पहली महिला चिकित्सक बनीं।(निधन- 10 अगस्त 1929)
- 1994- अमेरिकी विषाणु वैज्ञानिक हॉवर्ड मार्टिन टेमिन का निधन हुआ जिन्हें उनके प्रोफेसर रैनेटो डलबैक्को और उनके ही दूसरे विद्यार्थी डेविड बाल्टिमोर के साथ रिवर्स ट्रान्सक्रिप्टेज़ एन्ज़ाइम की खोज के लिए1975 का नोबेल पुरस्कार मिला। (10 दिसम्बर-1934)
- 1865 -अमेरिकी नौसेना के अधिकारी और खगोलशास्त्री जेम्स मैल्विले गिलिस का निधन हुआ, जिन्होंने पहली प्रयोगशाला की स्थापना की जो पूर्णरूप से अनुसंधान के लिए थी। गिलिस 15 साल की उम्र से नौसेना से जुड़े थे और फिर खगोलशास्त्र की पढ़ाई खुद ही की। (6 सितम्बर 1811)
- 1675- फ्रांस के साहित्यकार और लेखक वैलन्टाइन कोनरेर का 72 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे सन 1603 ईसवी में एक साहित्य प्रेमी परिवार में जन्मे थे।
शिकायत भारी पड़ी
सरकार के एक बोर्ड के कर्मचारी के खिलाफ शिकायत करना कांग्रेस के एक पदाधिकारी को भारी पड़ गया। कर्मचारी के खिलाफ गड़बड़ी की कई तरह की शिकायतें रही हैं, और जब इन शिकायतों पर कार्रवाई के लिए पदाधिकारी मंत्रीजी के पास गए, तो उल्टा उन्हें ही सरकारी कामकाज में ज्यादा दखल नहीं देने की नसीहत दे दी। बात यहीं खत्म नहीं हुई। मंत्रीजी ने पदाधिकारी पर अपने लेटरहेड का दुरूपयोग करने का आरोप मढ़ दिया, और प्रदेश कांग्रेस के मुखिया से इसकी शिकायत कर दी। अब पदाधिकारी को ही अपने द्वारा की गई शिकायतों के संबंध में सफाई देनी पड़ रही है।
बड़े नेताओं के झगड़े
प्रदेश भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने पांच तारीख तक जिलों की कार्यकारिणी और मोर्चा पदाधिकारियों की सूची जारी करने की सख्त हिदायत दी थी। पुरंदेश्वरी के आदेश का कुछ हद तक पालन भी हुआ, और भाजयुमो के साथ-साथ दुर्ग-भिलाई की कार्यकारिणी को छोडक़र बाकी सभी जारी हो गई।
भाजयुमो की कार्यकारिणी को लेकर बड़े नेताओं का इतना दबाव है कि अमित साहू अब तक सूची जारी नहीं कर पाए हैं। वे बड़े नेताओं को सूची दिखा चुके हैं। मगर नुक्ताचीनी इतनी ज्यादा हो रही है, कि महामंत्री (संगठन) पवन साय सूची पर मुहर नहीं लगा सक रहे हैं। दुर्ग-भिलाई में बड़े नेताओं के झगड़े के कारण सूची अटक गई है। कुछ लोगों का मानना है कि पुरंदेश्वरी को ही हस्तक्षेप करना पड़ेगा, तब जाकर सूची हो सकती है।
लोहे, लकडिय़ों से टकराती महिलायें
धीरे-धीरे उन कामों की सूची छोटी होती जा रही है, जिन्हें महिलाओं के वश का नहीं माना जाता है। सेन्ट्रिंग प्लेट और लोहे से बनने वाले फेंसिंग तार भी अब महिलाओं के हिस्से में आ चुके हैं। सरायपाली के किसड़ी ग्राम की महिलाओं ने खुद से सेन्ट्रिंग प्लेट बनाया है और वह इन्हें अब किराये पर दे रही हैं। बागबाहरा ब्लॉक के ग्राम कोमाखान में भी इसी तरह फेंसिंग वायर बनाने का काम हाथ में लिया गया है। सरकारी संस्थायें उनके तार को खरीदने में रुचि तो दिखा ही रही हैं, निजी जरूरतों के लिये भी उनके तार की खरीदी हो रही है। वैसे तो सरकारी योजनाओं का प्रचार करने के लिये प्रशासन के पास अपनी टीम है पर कुछ हटकर काम हो तो उसकी अलग से भी चर्चा भी हो जानी चाहिये।
रसोई गैस के उतरते-चढ़ते दाम
घरेलू रसोई गैस के दाम महीने के पहले पखवाड़े में एक बार फिर बढ़ गये। पिछले महीने एक साथ 190 रुपये दाम बढ़ाये गये थे इस बार फरवरी में अभी सिर्फ 25 रुपये बढ़ाये गये। हालांकि गैस कम्पनियां महीने में दो बार कीमत की समीक्षा करती है इसलिये अगले पखवाड़े में कीमत क्या होगी यह अभी नहीं बताया जा सकता। स्थिति यह है कि ऑनलाइन बुकिंग कम दर पर कराई गई हो तो डिलिवरी के समय अंतर की राशि का नगद भुगतान भी करना होगा। इनके दाम इतनी बार बदल जाते हैं कि लोगों ने इसके महंगे या सस्ते होने के बारे में सोचना ही बंद कर दिया है। ठीक पेट्रोल-डीजल की तरह। गनीमत है कि अभी गैस सिलेन्डर पर रोजाना बदलाव का फार्मूला लागू नहीं किया गया है।
थोड़ी चूक हो गई...
बीते कुछ सालों से राजनेताओं का जन्मदिन भव्य तरीके से मनाने का चलन बढ़ा है। इसी बहाने कार्यकर्ताओं को अपनी निष्ठा दिखाने और नेताओं को अपनी लोकप्रियता नापने का मौका मिल जाता है। सत्तारूढ़ दल से किसी जन्मदिन हो तो अधिकारियों को आगे-पीछे होना ही पड़ता है। गुलदस्ते, उपहार, मिठाईयां देने वालों की आधी रात से ही भीड़ जमने लगती है। सत्ता से उतरने के बाद स्थिति अलग हो जाती है। अधिकारी तो पास फटकने की गलती करता ही नहीं, कार्यकर्ताओं की भी छंटनी हो चुकी रहती है। कोई नहीं पूछता कि सरकार रहने, नहीं रहने के बीच इतना बड़ा फर्क कैसे आ जाता है।
संसदीय सचिव शकुंतला साहू का जन्मदिन सरकारी तौर पर मनाने की चि_ी निकालकर वहां के जनपद पंचायत सीईओ चर्चा में आ गये। एसडीओ से लेकर बाबू, भृत्य तक को जिम्मेदारी दे दी। यही काम बिना लिखा-पढ़ी के भी किया जा सकता था। आखिर अब तक तो करते आए ही होंगे। सार्वजनिक जीवन में लोगों को सहजबुद्धि से बैर नहीं रखना चाहिए। इसीलिए कहा जाता है कि कॉमन सेंस बहुत कॉमन नहीं है।
कौन देशद्रोही कहलाएगा?
अभी प्रधानमंत्री कार्यालय की एक चि_ी के जवाब में उत्तरप्रदेश सरकार ने लिखा है कि गाडिय़ों पर किसी भी धर्म या जाति का नाम या निशान लिखा होने पर उसका चालान किया जाएगा। पुलिस विभाग ने इसका आदेश भी निकाल दिया है। लेकिन छत्तीसगढ़ ऐसी किसी भी फिक्र से आजाद है। यहां गाडिय़ों पर जो चाहे लिखाकर घूमा जा सकता है, और पुलिस-आरटीओ की कमाऊ कुर्सियों पर बने रहने के लिए वहां के अधिकारी-कर्मचारी किसी से पंगा लेना नहीं चाहते। गाडिय़ों पर, नंबर प्लेट पर जात लिखाओ, धर्म लिखाओ, धमकी लिखाओ, जो भी लिखाओ, पुलिस-आरटीओ किसी को नहीं देखते। और आज तो देश का जैसा माहौल है, हिन्दुत्व पर कार्रवाई करके किसी को देश का गद्दार कहलाना है क्या? तस्वीर/‘छत्तीसगढ़’
- 1862-ईस्ट इंडियन रेलवे ने अपनी पहली पूर्ण सुविधा वाली रेलवे कार्यशाला जमालपुर में स्थापित की।
- 1865 -मेन्डल ने पहली बार अपना वैज्ञानिक पेपर मोराविया में ब्रन सोसायटी फॉर द स्टडी आफ नैचुरल साइंसेज़ प्रस्तुत किया।
- 1872- अंडमान जेल (सेल्यूलर जेल या कालापानी) में शेर अली ने गवर्नर पर हमला करके शहादत प्राप्त की।
- 1999 - अमेरिकी अंतरिक्ष यान स्टारडस्ट केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से रवाना।
- 2002 - भारत व रूस के बीच चार रक्षा समझौते सम्पन्न, विमानवाहक पोत गोर्शकोव का सौदा अटका।
- 2006 - सिओल में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच तीन समझौते सम्पन्न।
- 2008- बैंगलौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस के वरिष्ठ वैज्ञानिक शांतनु भट्टाचार्य को जी.डी. बिड़ाला पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अमेरिका के अंतरिक्ष यान अटलांटिस को फ़्लोरिडा के केनवाल से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र आईएसएस के लिए सफलतापूर्वक रवाना किया गया।
- 2009- हज़ारों पूर्व सैनिकों ने सरकार की बेरुखी से क्षुब्ध होकर अपने पदक राष्ट्रपति को लौटाए।
- 2010- श्रीनगर के पास खिलनमर्ग क्षेत्र में हिमस्खलन में सेना के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के 350 जवान बफऱ् के नीचे दब गए। इनमें से 70 सैनिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया जबकि 11 सैनिकों के शव निकाले गए।
- 1897 - विद्वान, तृतीय राष्ट्रपति डॉ. ज़ाकिर हुसैन का जन्म हुआ।
- 1925 - प्रसिद्ध भारतीय ठुमरी गायिका शोभा गुर्टू का जन्म हुआ।
- 1941 -गज़़लों की दुनिया के बादशाह जगजीत सिंह का जन्म हुआ।
- 1939 - भारत के बारहवें मुख्य चुनाव आयुक्त जेम्स माइकल लिंगदोह का जन्म हुआ।
- 1951 - हिन्दी के मंचीय कवियों में से एक अशोक चक्रधर का जन्म हुआ।
- 1906- भौतिक शास्त्री चेस्टर एफ. कार्लसन का जन्म हुआ जिन्होंने 22 अक्टूबर 1938 में ज़ेरोग्राफी (फोटोकॉपी) की खोज की। इससे किसी भी पुस्तक या कार्यालयों के दस्तावेज़ों की हूबहू प्रतिलिपि निकलती थी। (निधन-19 सितम्बर 1968)
- 1825 -प्रकृतिविद तथा अन्वेषक हेनरी वाल्टर बेट्स का जन्म हुआ जिन्होंने जीवों के अनुहरण (किसी दूसरे जीव या किसी बेजान वस्तु के समान बन जाना) तथा प्राकृतिक चयन के बारे में लिखा। इससे चाल्र्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को बल मिला। (निधन-16 फरवरी 1892)
- 1975-अंग्रेज़ रसायनज्ञ सर रॉबर्ट रॉबिनसन का निधन हुआ, जिन्हें कई कार्बनयुक्त यौगिकों खासकर एल्केलॉइड पर अनुसंधान करने के लिए वर्ष 1947 का रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्होंने 1925 में मॉर्फीन 1946 तथा स्ट्रिक्नीन की संरचनाओं की खोज की। (जन्म-13 सितम्बर1886)
- 1878-फ्राइज़ स्वीडन के वनस्पति वैज्ञानिक ऐलाइज़ फ्राइज़ का निधन हुआ, जो कवक-विज्ञान के संस्थापकों में से एक थे। इन्होंने कवकों का पहला वर्गीकरण प्रस्तुत किया। (जन्म 15 अगस्त 1794)
पैसेंजर ट्रेनों में भी स्पेशल किराया?
लोगों का आवागमन सडक़ और रेल दोनों ही रास्तों से कठिन होता जा रहा है। पेट्रोल 86 रुपये से अधिक और डीजल 83 से ज्यादा में मिल रहा है। इधर लोकल ट्रेनें भी नहीं चल रही हैं। बसों में ड्योढ़ा किराया हो चुका है तो रेलवे ने भी यात्रियों की जेब ढीली करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। उन लोगों से भी कमाई हो रही है जो बर्थ कन्फर्म होने की उम्मीद रखते हुए टिकट कटा लेते हैं। रेलवे ने प्लेटफॉर्म पर स्टाफ की तैनाती कर रखी है। टिकट कन्फर्म नहीं होने पर आप भीतर नहीं घुस पायेंगे, लेकिन टिकट ले ली है तो ऐसे कठिन नियम बनाये गये हैं कि वापसी के लिये पसीना बहाना पड़ेगा। इसके लिये 50 से 80 फीसदी तक रकम काटी जा रही है। इस रवैये के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। रेलवे ने अपने जवाब में कई बातों को साफ नहीं किया। हालांकि उस पर दबाव बढ़ा है और इसी महीने से लोकल ट्रेनों को चलाने की बात कही जा रही है। देखना यह होगा कि लोकल ट्रेनों का किराया पहले जैसा होगा या फिर स्पेशल ट्रेनों की तरह उनमें भी सरचार्ज के नाम पर ज्यादा वसूली की जायेगी। इससे बड़ी बात क्या इनमें भी सिर्फ कन्फर्म टिकट पर ही सफर करने की इजाजत होगी?
सरकार से खफा संगठन !
सरकार के मंत्रियों ने राजीव भवन में पार्टी पदाधिकारियों के सामने अपने विभागों के कामकाज का ब्यौरा दिया, तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि पदाधिकारी इतना ज्यादा मीन मेख निकालेंगे। दो-तीन बार तो पीएल पुनिया को मंत्रियों के बचाव में आगे आना पड़ा। सबसे पहले मोहम्मद अकबर ने अपने विभाग की गतिविधियों से अवगत कराया। अकबर ने पॉवर पाइंट प्रेजेंटेशन दिया। जिलाध्यक्षों ने कुछ खामियां गिनाई, और शिकायतें की, तो तुरंत अकबर ने संबंधित विषयों को दिखवाने की बात कर किसी तरह उन्हें संतुष्ट किया।
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू की बारी आई, तो उन्होंने पुलिस और पीडब्ल्यूडी की उपलब्धियों का बखान किया। इस पर एक ने तो यहां तक कह दिया कि आईजी और एसपी, जिलाध्यक्ष और प्रभारियों के फोन तक नहीं उठाते। खुलेआम जुआ-सट्टा चल रहा है। शिकायतों को अनदेखा किया जा रहा है। कुछ और लोगों ने भी इसी तरह की बातें की, तब पुनिया ने हस्तक्षेप कर पदाधिकारियों को समझाइश दी कि अभी इसी तरह की बातें करना ठीक नहीं होगा।
रविन्द्र चौबे और प्रेमसाय सिंह, पदाधिकारियों की शिकायतों से असहज हो गए। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह को जिले के एक पदाधिकारी ने यह कहकर घेरा कि जिन अफसरों के खिलाफ विधानसभा चुनाव के ठीक पहले निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की गई थी, उन्हें ही डीईओ और अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई। रविन्द्र चौबे भी बचाव की मुद्रा में दिखे, और यह कहते रहे कि उनकी शिकायतों को दूर किया जाएगा। बाद में पुनिया ने सभी मंत्रियों को नसीहत दी कि जिलों का दौरे से पहले संबंधित जिले के अध्यक्ष और प्रभारियों को इसकी सूचना जरूर दें। उनके ज्ञापन-प्रस्तावों को अनदेखा न करें।
बैठक से काफी खुश
कांग्रेस के पदाधिकारी मंत्रियों के साथ बैठक से काफी खुश नजर आए। उन्हें प्रदेश प्रभारी की मौजूदगी में एक-एक कर मंत्रियों के समक्ष अपनी भड़ास निकालने का मौका मिल गया। एक जिले के प्रभारी ने तो बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम से मिलकर उन्हें धन्यवाद दिया। मरकाम ने कहा कि आप लोगों ने विधानसभा जैसा माहौल बना दिया। उन्होंने आश्वस्त किया कि भविष्य में भी इस तरह की बैठकें होती रहेंगी।
जिसका इंतजार है वह नहीं मिल रहा
प्रदेश से जिन कांग्रेस नेताओं को बूथ मैनेजमेन्ट का प्रशिक्षण देने असम भेजा गया है उनमें से कुछ मुख्यमंत्री के तो, कुछ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सर्वाधिक विश्वस्त हैं। इन्हीं में कुछ को सत्ता में भी जिम्मेदारी मिल चुकी है पर कई लोग अब भी अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जैसे प्रदेश उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव। मरवाही उप-चुनाव, बिलासपुर नगर निगम में महापौर व जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में उन पर बड़ी जिम्मेदारी थी। मुख्यमंत्री ने मरवाही नतीजे के बाद उनकी तारीफ भी सोशल मीडिया पर लिखी। अब फिर संगठन के एक बड़े काम के लिये बनी टीम में उन्हें शामिल कर लिया गया है। उनके समर्थक इस जवाबदारी को लेकर खुशी तो जता रहे हैं, पर मायूसी भी है। एक कार्यकर्ता ने कहा कि जब विपक्ष में थे तब भी संगठन के लिये काम कर रहे थे, अब सरकार बन गई है तब भी वही काम। सरकार का आधा कार्यकाल खत्म होने वाला है, सत्ता में भागीदारी कब मिलेगी?
भारत दर्शन में रुचि घटी
पिछले कई सालों से आईआरसीटी देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों के लिये भारत दर्शन ट्रेनें चलाती है। हर साल इन ट्रेनों में सफर के लिये लोगों में बड़ा उत्साह देखा गया है क्योंकि एक तो सीट कन्फर्म होती है और ट्रैवल्स एजेंसियों के अनाप-शनाप रहने, घूमने के खर्च से बच जाते हैं। पर इस बार इस बार लोग भारत दर्शन में रुचि नहीं दिखा रहे। मार्च महीने से शुरू होने जा रही ट्रेनों की सीटें भर नहीं पा रही है। आईआरसीटीसी तो 50 फीसदी सीटें भरने पर भी ट्रेनों को चलाने तैयार है। और सवारियों का इंतजार हो रहा है। लोगों में कोरोना का भय तो अब खत्म सा है, कम से कम सफर के मामले में तो ऐसा कहा जा सकता है। दूसरी वजह शायद ज्यादा ठीक है कि इन दिनों लोग हाथ खींचकर खर्च कर रहे हैं।