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बालको, 29 जुलाई। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने साढ़े पांच दशकों में विश्वस्तरीय धातु उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता और उत्कृष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में मिसाल बनाई है। सामुदायिक विकास परियोजना के जरिए किसानों को आधुनिक खेती के अनेक आयामों से परिचित कराया है। बालको स्थानीय समुदाय के आर्थिक-सामाजिक विकास को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कंपनी के सामुदायिक विकास परियोजना ‘मोर जल मोर माटी’ का प्रमुख उद्देश्य सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने, फसल उत्पादन में वृद्धि, किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों से अवगत कराने के साथ जल और मृदा प्रबंधन को उत्कृष्ट बनाना है। परियोजना का मुख्य घटक कृषि, जल प्रबंधन, पशुपालन, मत्स्य पालन, बाड़बंदी, वनोपज एवं वन संरक्षण और लाख की खेती शामिल है।
परियोजना 1200 एकड़ से अधिक भूमि के साथ 2000 किसानों तक अपनी पहुंच बना चुका है। 500 से अधिक किसानों ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया है जिससे उनकी औसत वार्षिक आय के साथ-साथ उत्पादन में लगभग दो गुना वृद्धि हुई है।
तकनीकी सहयोग से लागत में 35 प्रतिशत की कमी आई है। आसपास के लगभग 60 प्रतिशत किसान आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। इस परियोजना से युवा कृषि को मुख्य व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। मोर जल मोर माटी' पहल में लगभग 25 प्रतिशत लाभार्थी युवा किसान हैं।
बालको द्वारा कृषि उन्नयन को सदैव ही सर्वोपरि स्थान देने पर बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने कहा कि हमारे किसान देश के आर्थिक विकास के प्रमुख अंग हैं। कृषि और ग्रामीण विकास क्षेत्र में कंपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
बालको प्रशिक्षित किसानों ने जैविक खेती, कृषि नवाचार और नवीन तकनीकों की मदद से विभिन्न फसलों का उत्पादन बढ़ाने में सफलता पाई है। कृषि प्रोत्साहन परियोजना ‘मोर जल मोर माटी’ से किसानों को लाभ मिल रहा है। श्री पति कहा कि हम अपने सामुदायिक विकास कार्यक्रम के जरिए जरूरतमंदों किसानों की हरसंभव मदद करने के लिए कटिबद्ध है।
स्थानीय किसानों को आत्मनिर्भर बनाने एवं उनकी आय में बढ़ोत्तरी करने हेतु बालको ने कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में संसाधन उपलब्ध कराए हैं। कृषि तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए बालको की प्रतिबद्धता के अनुरूप बोरवेल (सौर संचालित), कुआं, तालाब, चेक डेम का निर्माण एवं नवीनीकरण के माध्यम से सुरक्षित सिंचाई को सुनिश्चित कर, बिजली और डीजल पंपों के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली और सौर संचालित पंपों को बढ़ावा देकर किसानों को जल प्रबंधन पालन के प्रति जागरूक किया है। सिस्टमेटिक राइस इंटेंसीफिकेशन (एसआरआई) और डीएसआर तकनीक से धान की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी, जैविक खेती तकनीक से रबी और साग-सब्जी के फसल तथा बाड़बंदी के माध्यम से फसल को जंगली जानवरों से बचाने में सहायक साबित हुआ है।
कृषि की अत्याधुनिक तकनीकों से ग्रामीणों को परिचित कराने के उद्देश्य से मॉडल एग्री-फार्म वेदांत एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर (वीएआरसी) विकसित किया गया है। इसका संचालन कृषक उत्पादक संघ (एफ.पी.ओ.) द्वारा किया जाता है।