संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : झूठा मुकदमा, पुलिस से दिलाया 8 करोड़ हर्जाना
26-May-2024 6:35 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :  झूठा मुकदमा, पुलिस से दिलाया 8 करोड़ हर्जाना

photo : twitter

अमरीका के कैलीफोर्निया में एक आदमी के गायब होने पर पुलिस ने उसके बेटे को पकड़ा, और उसे अपने पिता की हत्या की बात कबूल करने के लिए मजबूर किया। उससे लगातार 17 घंटे तक पूछताछ की गई थी जो तभी बंद हुई जब उसने बाप को मारना मान लिया। उसके बाद पता लगा कि बाप मरा ही नहीं था, वह अपनी गर्लफ्रेंड के घर जाकर रह रहा था, और पुलिस ने केस हल करने के नाम पर इस आदमी को पकडक़र मुजरिम साबित कर दिया था। अब कैलीफोर्निया की अदालत ने पुलिस पर 8 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया है कि उसने मानसिक प्रताडऩा से इस नौजवान से यह बयान हासिल कर लिया था, और इसके लिए पुलिस ने कई किस्म की प्रताडऩा-तकनीकें इस्तेमाल की थीं जिनमें उसके चहेते कुत्ते को नुकसान पहुंचाने की धमकी भी शामिल थी। अदालत में बेगुनाही साबित होने के बाद पुलिस ने उससे नगद हर्जाना देने का समझौता किया, और अमरीकी कानून के मुताबिक इस पर अदालती मुहर लगी। 

हिन्दुस्तान में इस तरह के मुआवजे की कोई व्यवस्था नहीं है, और बहुत गरीब, और बहुत बेसहारा लोग झूठे मामलों में फंसा दिए जाते हैं, लेकिन बरसों तक चले मुकदमे के बाद जब वे छूटते हैं, तो भी उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिल पाता है जबकि उनकी खासी जिंदगी का नुकसान हो चुका रहता है।  भारत में भी ऐसे मामलों में मुआवजे का प्रावधान करना चाहिए क्योंकि गरीबों की जिंदगी का खोया हुआ हिस्सा उनके परिवार को तोड़ देने वाला भी रहता है, और बहुत से परिवार ऐसे रहते हैं जो फर्जी मामलों में फंसाए गए उनके किसी सदस्य की कमाई पर ही जिंदा रहते हैं। भारत में पुलिस की गलती या गलत काम से अगर ऐसा होगा, तो उसके लिए मुआवजा कहां से आएगा, यह एक सवाल उठ खड़ा हो सकता है, लेकिन यह सरकार के सोचने की बात है कि वह अदालती दावों के निपटारे के लिए अपनी एजेंसियों को कोई बीमा मुहैया कराए, या किसी और तरीके से ऐसे मुआवजे का इंतजाम करे, लेकिन ऐसे प्रावधान के बिना सामाजिक न्याय नहीं हो पाएगा। दिक्कत यह है कि भारत में न्याय प्रक्रिया का बहुत सा हिस्सा इस कदर भ्रष्ट है कि जिन मामलों में बीमा कंपनियों को कोई निपटारा करना पड़ता है, उनमें भी अधिक बड़ा दावा न देना पड़े, इसके लिए कंपनियां कई तरह से रिश्वत भी देने लगती हैं। लेकिन एक विचार की तरह भारत के तमाम तबकों के सामने इस पर बात होनी चाहिए कि झूठी मुकदमेबाजी के शिकार गरीबों को कैसे इंसाफ और मुआवजा दिलाया जा सकता है।   (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)   

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