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कुछ मंत्रियों से काम जल्दी करवा लें
छत्तीसगढ़ में छह माह पुराने मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार, दोनों की ही चर्चा चल पड़ी है। इस बदलाव के साथ विभागों में भी उलटफेर होना है। इस खबर के मिलते ही सारे लोग अपने सारी कामकाज तेजी से कराने में जुट गए हैं। पता नहीं कौन कब तक रहे,तुरंत करवा लिया जाए। इतना ही नहीं मुंबई से भी एक नेता ने अपने लोगों से कहा है कि इन मंत्रियों से अपने लंबित, अटके काम करवा लें। नेताजी ने तो कुछ मंत्रियों के नाम भी गिनाए हैं और फेरबदल की संभावित डेट भी दे दी है। समर्थकों के मुताबिक यह फेरबदल पखवाड़े भर में होना है। कैबिनेट में इस समय एक पद खाली हैं, दूसरा भी खाली होने जा रहा है। कुल दो पद भरे जाने हैं। दो नए मंत्री शामिल होंगे और एक,दो बदले जाने की चर्चा महानदी भवन से ठाकरे परिसर तक फैली हुई है।
विधानसभा सत्र की गर्मी
विधानसभा का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू हो सकता है। खबर है कि मानसून सत्र के मसले पर सीएम विष्णुदेव साय, और स्पीकर डॉ. रमन सिंह के बीच चर्चा हो चुकी है। मानसून सत्र में अधिकतम 7 बैठकें होंगी। इस सिलसिले में अधिसूचना जल्द जारी होगी।
बलौदाबाजार में आगजनी की घटना के बाद से सरकार बैकफुट पर आ गई है। विपक्ष हमलावर है, और इसको लेकर सदन में सरकार को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं रखने वाली है। न सिर्फ बलौदाबाजार बल्कि नक्सल मुठभेड़ के मसले पर भी सरकार को घेरने की कोशिश हो
सकती है।
हालांकि नक्सल मोर्चे पर सरकार को काफी सफलता भी मिली है। छह महीने में धुर नक्सल इलाकों में विकास कार्यों की रफ्तार तेज हुई है। मगर एक-दो जगहों पर निर्दोष आदिवासियों की मौत का भी आरोप लग रहा है। कांग्रेस ने इसके लिए जांच कमेटी बनाई थी। कुल मिलाकर मानसून सत्र में कानून व्यवस्था का मुद्दा काफी गरम रहेगा।
कौन बनेंगे मंत्री?
मानसून सत्र से पहले साय कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा है। संसदीय कार्य मंत्री बृजमोहन अग्रवाल सांसद बन चुके हैं, और आज-कल में विधानसभा की सदस्यता भी छोड़ देंगे। मगर मंत्री पद कुछ दिन और रख सकते हैं।
पार्टी नेताओं का मानना है कि रथयात्रा के पहले यानी 7 जुलाई के आसपास कैबिनेट में फेरबदल हो सकता है। कैबिनेट में एक पद पहले से ही खाली है, और अब बृजमोहन की जगह भी एक और विधायक को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
संसदीय कार्यमंत्री के लिए अजय चंद्राकर और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक के नाम की चर्चा है। अजय पहले भी करीब 10 साल संसदीय कार्य विभाग बेहतर ढंग से संभाल चुके हैं।
संसदीय कार्यमंत्री का रोल विधानसभा में अहम होता है। चंद्राकर से परे राजेश मूणत, और अमर अग्रवाल भी मंत्री पद के दावेदारों में प्रमुखता से लिया जा रहा है। कुछ लोगों का अंदाजा है कि तोखन साहू की तरह बस्तर से एक नया नाम देकर चौंकाया जा सकता है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
ओडि़शा से रिश्ते बहुत गहरे
ओडिशा में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश के कई नेताओं की वहां दखल रह सकती है। ओडिशा के सीएम मोहन मांझी को केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का करीबी माना जाता है। धर्मेन्द्र लंबे समय तक छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी रहे हैं। यही नहीं, रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा की भी वहां पूछ परख रहेगी।
पुरंदर ओडिशा चुनाव में पार्टी के लिए काफी काम किया। पुरंदर के करीबी पृथ्वीराज हरिचंदन, जो कि छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन के बेटे हैं, ओडिशा सरकार ने मंत्री बन गए हैं। पृथ्वीराज को आबकारी और विधि विधायी जैसा अहम विभाग दिया गया है। पुरंदर के ओडिशा सीएम, और कई मंत्रियों से अच्छे संबंध हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि पुरंदर का ओडिशा में भी महत्व रहेगा, छत्तीसगढ़ में तो बहुत बड़ी ओडिया आबादी की वजह से महत्व है ही। ।
खाता-बही की दिक्कतें
लोकसभा चुनाव लडऩे वाले दलीय और निर्दलीय प्रत्याशियों के खर्च का हिसाब जमा करने का समय नजदीक आ रहा है। 28 जून लास्ट डेट है। आयोग के नियमानुसार प्रत्याशी 95 लाख खर्च कर सकता है । निर्दलियों को तो दिक्कत नहीं। उनकी स्थिति नहाए क्या निचोड़े क्या जैसी रही। बात दलीय प्रत्याशियों की है। उन्होंने न केवल अपनी जेब का लगाया बल्कि पार्टी ने भी बोझ उठाया। अंतिम हिसाब से पहले खर्च के मिलान के लिए भाजपा के दिल्ली कार्यालय से आए एकाउंटेंट व सीए की टीम ने परसों खर्च का मिलान किया। इसके लिए प्रत्याशी या उनका खजाना देख रहे व्यक्ति को ठाकरे परिसर बुलाया गया था ।
भाजपा के 11 में से एक प्रत्याशी का हिसाब किताब बड़ा गड़बड़ निकला। हालांकि खर्च तो आयोग के दायरे में ही किया था। बल्कि उससे 20 लाख कम ही किया। लेकिन खर्च तो चेक पेमेंट का ही माना जाएगा और उसमें उन्होंने पांच लाख के ही चेक काटे, शेष 70 लाख कैश पेमेंट रहे। अब दिल्ली से आए एकाउंटेंट पसोपेश में हैं कि खर्च किस मद में दिखाए। नियम तो 10 हजार से अधिक के पेमेंट चेक से करने का था। प्रत्याशी के खजांची ने कहा सब उधारी में है। चुनाव बाद देने का वादा था। यह मानने वाले कम ही होंगे क्योंकि लोगों का चुनाव बाद पेमेंट के अनुभव ठीक नहीं रहे हैं ।
सो सभी तुरतदान महाकल्याण वाले हो गए हैं। और इसे आयोग मानने से रहा। उसे तो आन पेपर, गिव एंड टेक चाहिए?। ऐसे में अब एक ही विकल्प-या तो दोबारा चेक पेमेंट किया जाए, या छ वर्ष के लिए कोई चुनाव लडऩे के अयोग्य घोषित हुआ जाए। अब देखना होगा कि अगले दस दिनों में क्या रास्ता निकलता है?
बसपा का विकल्प भीम आर्मी?
यूपी के हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। राज्य बनने के बाद यह पहला मौका है जब छत्तीसगढ़ विधानसभा में बसपा का कोई विधायक नहीं है। बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर अनेक राजनीतिक विश्लेषक राय दे चुके हैं कि वे भाजपा के खिलाफ सख्ती से नहीं लडऩा चाहतीं। इंडिया गठबंधन में भी उन्होंने शामिल होने से मना कर दिया था। ऐसी स्थिति में उनके जनाधार वाले क्षेत्रों में चंद्रशेखर आजाद को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने यूपी की नगीना सीट भाजपा-सपा के उम्मीदवारों को हराकर जीत ली है। उनके संगठन का नाम भीम आर्मी है। छत्तीसगढ़ में इस संगठन की वाल पेंटिंग विधानसभा चुनाव के समय से दिखाई दे रही हैं। बलौदाबाजार में 10 जून को हुई आगजनी और हिंसा की घटनाओं में गिरफ्तार कुछ लोगों के बारे में पुलिस ने कहा है कि वे इसी भीम आर्मी के सदस्य हैं। अब चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया एक्स पर बलौदाबाजार की घटना को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन’ करने वाले अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के ‘बर्बरतापूर्वक दमन’ तथा जैतखाम को ध्वस्त करने की निंदा की है। आजाद ने कहा है कि वे जल्द पीडि़त परिवारों से मिलने के लिए रायपुर आएंगे। एक्स में उनकी पोस्ट के जवाब में बहुत से प्रतिक्रियाएं आई हैं। इससे अंदाजा लगता है कि अनुसूचित जाति वर्ग को अपने लिए छत्तीसगढ़ में एक नेता की जरूरत महसूस हो रही है। अनेक लोगों ने बताया है कि जो लोग वहां मौजूद नहीं थे, राज्य से बाहर थे, उनको भी जबरन मारपीट कर जेल में डाला जा रहा है। पूरा समाज डरा हुआ है। बच्चों और महिलाओं के मोबाइल फोन भी जबरदस्ती पुलिस वाले लेकर जा रहे हैं...। वह अपनी वर्दी का पूरा फायदा उठा रही है...। समाज के लोगों पर अन्याय हो रहा है। आपको आने की जरूरत है।
भीम आर्मी चीफ ने कलेक्टोरेट में हुई आगजनी और नुकसान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। जब तक पुलिस जांच चल रही है, यह कहना मुमकिन नहीं है कि उनके लोग सचमुच इस हिंसा में शामिल थे। पर अपने सदस्यों की गिरफ्तारी से संगठन चर्चा में जरूर आ गया है। अब चंद्रशेखर ने छत्तीसगढ़ आने का ऐलान भी कर दिया है। क्या बलौदाबाजार की घटना भीम आर्मी को बसपा का विकल्प बनने में मदद करेगी? गौर की बात है कि चंद्रशेखर बसपा सुप्रीमो मायावती का विरोध भी नहीं करते, बल्कि उन्हें अपना प्रेरणा स्त्रोत बताते हैं।
गांव के स्कूल में जापानी पाठ
नया सत्र शुरू होने वाला है तब स्कूलों से कई तरह की खबरें आ रही है। जर्जर भवनों की, शिक्षकों की कमी की, बड़ी संख्या में बच्चों के ड्रॉप आउट हो जाने की। ऐसे में एक अनोखी खबर बेमेतरा जिले से मिल रही है। यहां के बेरला ब्लॉक के कोंडरका मिडिल स्कूल के 20 बच्चे जापानी भाषा सीख रहे हैं। और इन्हें सिखा रही हैं, इसी स्कूल की शिक्षिका केंवरा सेन। उन्होंने पहले खुद सीखा, फिर बच्चों को सिखाना शुरू किया। हाल ही में उनकी एक किताब-किहोन तेकि ना निहोंगों, ( बेसिक जापानी व्याकरण) का विमोचन भी महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने लोनावाला में किया।
गांव के बच्चे जापानी सीख भी लेंगे तो क्या काम आएगा? जब इंटरनेट ने दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने की दूरियां समाप्त कर दी हों तो इस सवाल का अधिक महत्व नहीं है। पिछले साल नागपुर के रामटेक से खबर आई थी कि 10-12 साल के गोंड आदिवासी बच्चे जापानी सीखने में बड़ी दिलचस्पी ले रहे हैं। इनमें से कुछ लोग तो राजधानी दिल्ली या अन्य महानगरों में काम करना चाहते हैं। कुछ जापान जाना चाहते हैं, कुछ लोग पर्यटन के क्षेत्र में सेवा देने का अवसर चाहते हैं। कुछ लोग ऑनलाइन रोजगार का अवसर देख रहे हैं। नई शिक्षा नीति में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि स्कूली शिक्षा के दौरान बच्चे दूसरी भाषाएं, जो उनके आसपास की भाषाओं से अलग हो उसे सीखने की कोशिश करें। ([email protected])