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धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने महामाया मंदिर को 'प्रसाद' योजना में शामिल करने की मांग
25-Jul-2024 10:51 AM
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने महामाया मंदिर को 'प्रसाद' योजना में शामिल करने की मांग

शेखावत से मिले केंद्रीय राज्य मंत्री व बिलासपुर सांसद तोखन साहू

‘छत्तीसगढ़’ संवादाता

बिलासपुर, 25 जुलाई। बिलासपुर के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत से मुलाकात कर आग्रह किया है कि रतनपुर स्थित प्रसिद्ध महामाया मंदिर को भारत सरकार की तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान (प्रसाद) योजना में शामिल किया जाए।

उन्होंने शेखावत को बताया कि महामाया मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले के रतनपुर में स्थित है और देवी दुर्गा, महालक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर पूरे भारत में फैले 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए हमेशा से आस्था का केंद्र रहा है। रतनपुर एक छोटा शहर है, जो मंदिरों और तालाबों से भरा हुआ है। यह बिलासपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है। देवी महामाया को कोसलेश्वरी के रूप में भी जाना जाता है, जो पुराने दक्षिण कोसल क्षेत्र (वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य) की अधिष्ठात्री देवी हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में कराया गया था। ऐतिहासिक, धार्मिक तथा पर्यटन की दृष्टि से यह मंदिर देश और प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। हर वर्ष लगभग 15 लाख से अधिक श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं।

साहू ने पत्र में बताया है कि कि महामाया मंदिर की महत्ता और छत्तीसगढ़ राज्य के करोड़ों लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए, इस मंदिर का विकास 'प्रसाद' योजना के तहत किया जाना जनहित में आवश्यक है। इस योजना के तहत महामाया मंदिर का विकास होने से देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।

इस मांग के समर्थन में साहू ने बिलासपुर के महत्व के बारे में भी बताया है। उन्होंने पत्र में कहा है कि बिलासपुर जिला, छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है और लगभग 3,700 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। जिला मुख्यालय, बिलासपुर शहर, छत्तीसगढ़ राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। बिलासपुर अपने पारंपरिक शिल्प, जैसे बेल मेटल शिल्प, टेराकोटा मिट्टी के बर्तन और हथकरघा बुनाई के लिए भी प्रसिद्ध है।

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