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रामबन/जम्मू, 13 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में सुरक्षा बलों को जंगल से एक बैग में तीन परिष्कृत विस्फोटक उपकरण (आईईडी) विस्फोटक बरामद हुए हैं। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सेना और पुलिस के संयुक्त तलाशी दल ने बुधवार देर रात यह बैग गूल उपमंडल के संगलदान के जंगलों से बरामद किया है।
अधिकारियों ने बताया कि कुछ लोगों की संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलने के बाद वन क्षेत्र में तलाशी शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा, तलाशी के दौरान किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। बम निरोधक दस्ते ने बैग में तीन आईईडी होने की पुष्टि की।
अधिकारियों ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि संदिग्ध आतंकवादियों ने जिले में हमला करने की साजिश रची थी।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है। (भाषा)
तिरुवनंतपुरम, 13 अक्टूबर। केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने राज्य में कथित मानव बलि की घटना की कड़ी निंदा करते हुए अंधविश्वास से जुड़ी इस प्रकार की प्रथाओं को रोकने के लिए एक नए कानून की आवश्यकता पर बल दिया है और इस संबंधी मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करने का आग्रह किया है।
वामपंथी दल के राज्य सचिवालय ने बुधवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि मनुष्य की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली इस प्रकार की घटना को केवल कानून से नहीं रोका जा सकता, बल्कि इस तरह की प्रथाओं के खिलाफ समाज में एक मुहिम चलाने और जागरुकता पैदा की आवश्यकता है।
इसमें कहा गया है कि पथनमथिट्टा के एलंथूर में ‘‘जादू टोने के चलते हत्या’’ के इस मामले ने राज्य में मौजूद अंधविश्वास की गंभीरता और खतरे के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई की आवश्यकता को उजागर किया है।
वामदल ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में केवल पिछले साल अंधविश्वास के कारण 73 हत्याएं की गईं।
उसने कहा कि किसी ने नहीं सोचा होगा कि केरल जैसे राज्य में ऐसी घटना होगी। बयान में कहा गया, ‘‘पार्टी अंतरात्मा को झकझोर देने वाली इस घटना की कड़ी निंदा करती है।’’
माकपा ने कहा, ‘‘मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करने के अलावा, यदि आवश्यक हो तो, एक नया कानून लाने पर भी विचार किया जाना चाहिए।’’
बहरहाल, पार्टी के राज्य सचिवालय ने दूसरे आरोपी भागवल सिंह के सत्तारूढ़ दल के साथ कथित संबंध को लेकर राजनीतिक विरोधियों द्वारा लगाए गए आरोपों पर चुप्पी साधे रखी। (भाषा)
फतेहपुर (उप्र), 13अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में फतेहपुर जिले में भारी बारिश के कारण एक मकान की कच्ची दीवार गिरने से दो बच्चियों की मौत हो गई। प्रशासन ने पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।
उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सदर अवधेश कुमार निगम ने बृहस्पतिवार को बताया कि ललौली थाना क्षेत्र में करैहा गांव के मजरे सालोना डेरा में बुधवार शाम करीब पांच बजे कमलेश निषाद की छह वर्षीय बेटी नैना एवं सौखी निषाद की पांच वर्षीय बेटी प्रांसी खेल रही थी और इस दौरान पड़ोसी के मकान की दीवार भरभराकर गिर पड़ी।
कुमार के अनुसार दोनों मासूम मलबे में दब गई और दीवार गिरने की आवाज सुनकर आस-पड़ोस के लोग दौड़कर मौके पर पहुंच गए एवं उन्होंने दोनों बच्चियों को मलबे से बाहर निकाला, लेकिन तब तक उनकी सांसें थम चुकी थीं।
हादसे की जानकारी पर एसडीएम, नायब तहसीलदार के साथ राजस्व कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया और दोनों मासूम बच्चियों के परिवार को ढाढस बंधाते हुए उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। (भाषा)
वाशिंगटन, 13 अक्टूबर। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत जटिल मुद्दों का समाधान निकालने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिहाज से सबसे प्रेरणादायी मिसाल पेश कर रहा है और इस देश की बहुत सी बातें सीखने लायक हैं। उसने भारत की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (डीबीटी) और इसी प्रकार के अन्य समाज कल्याण कार्यक्रमों को ‘‘लॉजिस्टिक चमत्कार’’ बताया।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का लक्ष्य विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं के लाभ एवं सब्सिडी को पात्र लोगों के खाते में समय पर और सीधे भेजना है जिससे प्रभावशीलता, पारदर्शिता बढ़ती है तथा मध्यस्थों की भूमिका कम होती है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से डीबीटी के जरिए 24.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि लाभान्वितों तक पहुंचाई गई है जिसमें से 6.3 लाख करोड़ रुपये के लाभ सिर्फ 2021-22 में ही पहुंचाए गए। 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार औसतन 90 लाख से अधिक डीबीटी भुगतान प्रतिदिन होते हैं।
आईएमएफ में वित्तीय मामलों के विभाग के उप निदेशक पाओलो माउरो ने कहा, ‘‘भारत से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। दुनिया में प्रेरणादायी कई अन्य उदाहरण भी हैं, हर महाद्वीप और हर आय स्तर के उदाहरण हमारे सामने हैं। यदि हम भारत की बात करें तो यह बहुत प्रभावशाली है।’’
भारतीय सरकार द्वारा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘देश के आकार को देखते हुए यह ‘लॉजिस्टिक चमत्कार’ ही है जिस तरह से गरीब लोगों की मदद के लिए शुरू किए गए ये कार्यक्रम लाखों लोगों तक पहुंचे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के मामले में एक चीज है जो गौर करने लायक है और वह है विशिष्ट पहचान प्रणाली यानी ‘आधार’ का इस्तेमाल।’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को खंडित फैसला सुनाया।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने उन्हें स्वीकार किया।
न्यायमूर्ति गुप्ता ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘इस मामले में मतभेद हैं।’’
पीठ ने खंडित फैसले के मद्देनजर निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं को एक उचित वृहद पीठ के गठन के लिए प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए। (भाषा)
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने जम्मू-कश्मीर को लेकर दिए गए पाकिस्तान के बयान का जवाब दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन-रूस संघर्ष को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया था.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक इस मसौदे पर अपने मतदान को लेकर बात करते हुए पाकिस्तान के राजनयिक मुनीर अकरम ने कश्मीर और रूस-यूक्रेन की स्थितियों को एकसमान बताया. भारत ने इसका विरोध करते हुए जवाब दिया है.
यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, ''हमने फिर से देखा कि एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मंच का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश की और मेरे देश के ख़िलाफ़ बेवजह और व्यर्थ की टिप्पणी की.''
रुचिरा कंबोज ने कहा कि झूठ फ़ैलाने वाले इस तरह के बयान की सामूहिक रूप से निंदा होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ''जम्मू और कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा. हम पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए कहेंगे ताकि हमारे नागरिक जीवन और आज़ादी के अधिकार का खुल कर इस्तेमाल कर सकें.''
यूक्रेन के चार इलाक़ों पर रूस के कब्जे के ख़िलाफ़ यूएनजीए में प्रस्ताव लगाया गया था. महासभा के 143 सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया और पांच ने इसके ख़िलाफ़. करीब 35 देश मतदान में अनुपस्थित रहे जिसमें भारत और पाकिस्तान भी शामिल हैं. (bbc.com/hindi)
कांग्रेस में वरिष्ठ नेता और अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे के एक बयान को बीजेपी ने मुसलमानों का अपमान बताया है.
भोपाल के दौरे पर गए खड़गे बुधवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर रहे थे. मल्लिकार्जुन खड़गे से पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर सवाल किया गया था.
इस पर खड़गे ने कहा, ''मैं संगठन चुनाव के लिए यहां आया हूं. हमारे यहां एक कहावत है- ‘बकरीद में बचेंगे तो मोहर्रम में नाचेंगे.’ पहले मेरा चुनाव तो ख़त्म होने दो, मुझे अध्यक्ष बनने दो उसके बाद देखेंगे.''
इस पर आपत्ति जताते हुए बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, ''ये बेहद आपत्तिजनक बयान है. मोहर्रम एक मातम का एक शोक का महीना है. इसमें नाचना-गाना नहीं होता. ये मुसलमानों की भावनाओं को आहत करने वाला एक बेहद गंभीर और असंवेदनशील बयान है. कांग्रेस को इस पर स्पष्टीकरण देना ही चाहिए."
उन्होंने कहा, ''इस बयान का एक निष्कर्ष भी है. जिस प्रकार से उन्होंने बातें रखी हैं इससे कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को उनकी मंशा भी समझ लेनी चाहिए और कांग्रेस पार्टी की आज जो दयनीय स्थिति बन चुकी है उसका भी वो विवरण कर रहे हैं.'' (bbc.com/hindi)
हज और उमरा पर जाने वाली महिलाओं के लिए सऊदी अरब ने एक बड़ा फ़ैसला किया है. तीर्थयात्रा पर जाने वाली महिलाओं को अब किसी पुरुष को अपने साथ लाने की ज़रूरत नहीं होगी.
सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्री तौफ़ीक़ अल-राबिया ने मिस्र की राजधानी काहिरा में सऊदी दूतावास में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फ़ैसले की घोषणा की.
उन्होंने कहा कि हज और उमरा पर आने वाली महिलाओं को अब बिना महरम (रक्त संबंध वाले पुरुष) के साथ आने की इज़ाजत होगी.
इसके साथ ही उस बहस पर विराम लग गया है कि महिलाएं हज और उमरा पर अकेले आ सकती हैं या नहीं.
पिछले साल भी महरम के बिना आने की अनुमति दी गई थी, लेकिन तब महिला किसी और महिला के साथ आ सकती थी. लेकिन, इस साल आए आदेश में महिलाएं अकेली भी तीर्थयात्रा पर आ सकती हैं.
सऊदी अरब के अंग्रेज़ी अख़बार सऊदी गैजेट के मुताबिक अल-राबिया ने ये भी बताया कि कोई मुसलमान किसी भी तरह के वीज़ा के साथ उमराह के लिए सऊदी अरब आ सकता है. उमरा वीज़ा के लिए कोटा या संख्या की सीमा तय नहीं है. (bbc.com/hindi)
हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की अलग-अलग राय है और अब ये मामला बड़ी बेंच के पास जाएगा.
अब हिजाब मामले की सुनवाई बड़ी बेंच करेगी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धुलिया इस मामले की सुनवाई कर रहे थे. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि हमारे अलग-अलग विचार हैं इसलिए ये मामला चीफ जस्टिस के पास भेजा जा रहा है ताकि वह बड़ी बेंच का गठन करें.
इस दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट का फ़ैसला जारी रहेगा.
इस साल मार्च में कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि क्लासरूम में हिजाब पहनने की अनुमति देने से "मुसलमान महिलाओं की मुक्ति में बाधा पैदा होगी" और ऐसा करना संविधान की 'सकारात्मक सेकुलरिज्म' की भावना के भी प्रतिकूल होगा.
हाई कोर्ट ने कहा था कि हिजाब इस्लाम के अनुसार अनिवार्य नहीं है.
अपने 129 पन्ने के फ़ैसले में हाईकोर्ट ने क़ुरान की आयतों और कई इस्लामी ग्रंथों का हवाला दिया था.
इसके बाद कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए, छात्राओं की ओर से एक स्पेशल लीव पेटिशन दायर की गई.
ये मामला बीते साल जुलाई में शुरु हुआ. कर्नाटक के उडुपी ज़िले में एक जूनियर कॉलेज ने छात्राओं पर स्कूल में हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी थी.
01 जुलाई 2021 को गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स ने तय किया था कि किस तरह की पोशाक को कॉलेज यूनिफॉर्म स्वीकार किया जाएगा और कहा था कि छात्राओं के लिए दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है.
जब कोविड लॉकडाउन के बाद स्कूल फिर से खुला तो कुछ छात्राओं को पता चला कि उनकी सीनियर छात्राएं हिजाब पहनकर आया करती थीं. इन छात्राओं ने इस आधार पर कॉलेज प्रशासन से हिजाब पहनने की अनुमति मांगी.
उडुपी ज़िले में सरकारी जूनियर कॉलेजों की पोशाक को कॉलेज डेवलपमेंट समिति तय करती है और स्थानीय विधायक इसके प्रमुख होते हैं.
बीजेपी विधायक रघुवीर भट्ट ने मुसलमान छात्राओं की मांग नहीं मानी और उन्हें क्लास के भीतर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं मिली.
दिसंबर 2021 में छात्राओं ने हिजाब पहनकर कैंपस में घुसने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें बाहर ही रोक दिया गया था.
इन लड़कियों ने इसके बाद कॉलेज प्रशासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू कर दिया था और जनवरी 2022 में उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ याचिका दायर कर दी थी.
ये मामला शुरू तो उडुपी ज़िले से हुआ था लेकिन जल्द ही जंगल की आग की तरह बाक़ी ज़िलों में भी फैल गया.
शिवमोगा और बेलगावी ज़िलों में भी हिजाब पहनकर कॉलेज आने वाली मुसलमान छात्राओं पर रोक लगा दी गई.
भगवा गमछा पहने छात्रों ने हिजाब पहने छात्राओं के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी शुरू कर दी.
कोंडापुर और चिकमंगलूर में प्रदर्शन और प्रदर्शनों के ख़िलाफ़ हिंदू और मुसलमान छात्रों के प्रदर्शन शुरू हो गए. (bbc.com/hindi)
रायपुर, 13 अक्टूबर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में छापा मारकर लगभग चार करोड़ रुपए की नकदी और जेवर बरामद किया है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि जब्ती की कार्रवाई सरकारी अधिकारियों और निजी लोगों से की गई है। उन्होंने बताया कि राजगढ़ की जिलाधिकारी रानू साहू के आधिकारिक आवास को केंद्रीय एजेंसी ने सील कर दिया है क्योंकि उनके परिसर की छापेमारी के दौरान वह मौजूद नहीं थीं। साहू से इस प्रकरण पर प्रतिक्रिया के लिए ‘पीटीआई-भाषा’ ने संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
सूत्रों ने बताया कि ईडी की यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ में ट्रांसपोर्टरों से कुछ व्यवसासियों और लोगों द्वारा कथित अवैध कमीशन की धन शोधन की जांच से संबंधित है। उन्होंने बताया कि संघीय एजेंसी ने आयकर विभाग की शिकायत और आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है।
सूत्रों ने बताया कि ईडी ने मंगलवार की सुबह रायपुर, रायगढ़, महासमुंद, कोरबा समेत अन्य जिलों में वरिष्ठ अधिकारियों, कुछ व्यवसायियों और सत्तारूढ़ कांग्रेस के कुछ नेताओं के परिसरों पर छापे की कार्रवाई शुरू की जो बुधवार को भी जारी रही।
उन्होंने बताया कि छापेारी के दौरान ईडी ने करीब चार करोड़ रुपए की नकदी और जेवर बरामद किया है।
उन्होंने बताया कि यह धन सरकारी अधिकारियों और निजी संस्थाओं दोनों से बरामदगी की गई है।
उन्होंने बताया कि ईडी ने जिन लोगों के परिसरों पर छापा मारा है, उनमें एक जिलाधिकारी (कलेक्टर) और सरकार के करीबी कुछ वरिष्ठ अधिकारी तथा व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी एवं कांग्रेस के नेता तथा छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर समेत अन्य शामिल हैं।
राज्य में इन छापों को लेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि यह डराने की कोशिश है और चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएगा यह और बढ़ेंगी।
मंगलवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सैफई रवाना होने से पहले बघेल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था, ‘‘भारतीय जनता पार्टी सीधे लड़ नहीं पा रही है इसलिए ईडी, आईटी, डीआरआई के माध्यम से लड़ने की कोशिश कर रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहले ही कह चुका हूं कि ये फिर आएंगे, यह आखिरी नहीं है। चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएगा इनकी (जांच एजेंसियों) यात्राएं और बढ़ेंगी। यह डराने धमकाने का काम है, इसके अलावा और कुछ नहीं है।’’ बघेल ने कहा था, 'ये परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने पहले भी कहा था कि चिटफंड कंपनी में लोगों का 6,500 करोड़ रुपया डूब गया, इस मामले में संज्ञान लें। लेकिन उसमें कुछ नहीं करेंगे। यह डराने की कोशिश कर रहे है। यह बार—बार आएंगे, लेकिन जनता जान चुकी है कि भाजपा लड़ नहीं पा रही है इसलिए केंद्रीय एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है।' वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा था कि राज्य में भ्रष्टाचार का झंडा गाड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी और अन्य वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के लिए एटीएम का काम कर रहे हैं।
सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, 'देश और दुनिया के सामने छत्तीसगढ़ शर्मसार हुआ है। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का झंडा गाड़ा जा रहा है। हमने कभी कल्पना नहीं की थी कि 40 अधिकारियों के घरों पर ईडी का छापा पड़ेगा।’’
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मै पहले से कह रहा हूं कि भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी का एटीएम हैं। राज्य में अवैध वसूली हो रही है। कोयले में अवैध वसूली हो रही है। अब यहां काली कमाई का पोल खुलने लगा है। सच सामने आएगा और सब सामने आएगा। यह सरकार जाने वाली है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहां कई हजार करोड़ रुपए का खेल हो रहा है यहां सभी जानते हैं। सरकार विकास कार्य नहीं कर पा रही है लेकिन वसूली करके असम और उत्तर प्रदेश के चुनावों (विधानसभा) में भेजने के लिए पर्याप्त पैसे हैं।' इससे पहले सितंबर में आयकर विभाग ने राज्य में इस्पात और कोयला व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों के परिसरों पर छापा मारा था।
वहीं, इस साल जून-जुलाई में आयकर विभाग ने कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी के परिसरों और मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में तैनात एक अधिकारी के घर समेत कई जगहों पर तलाशी ली थी।
छापेमारी के बाद तिवारी ने दावा किया था कि आयकर विभाग के अधिकारियों ने उनसे कहा था कि अगर वह राज्य सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस विधायकों के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल करते हैं तो वह मुख्यमंत्री बन सकते हैं। (भाषा)
बिलासपुर, 13 अक्टूबर। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति व सर्व आदिवासी समाज की ओर से 14 अक्टूबर को प्रदेश की कांग्रेस सरकार को वादा याद दिलाने के लिए एक बड़ा प्रदर्शन रखा गया है। इस आंदोलन में बाल पर्यावरण कार्यकर्ता लिसीप्रिया कंगुजम भी शामिल हो रही हैं।
संघर्ष समिति की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि हसदेव क्षेत्र के हरिहरपुर में रखे गए इस प्रदर्शन में क्षेत्र के प्रभावित आदिवासी, आदिवासी समाज के लोग और हसदेव क्षेत्र को हो रही क्षति से चिंतित समाजिक संगठन और कार्यकर्ता शामिल होंगे।
समिति की ओर से जयनंदन सिंह पोर्ते, मुनेश्वर सिंह पोर्ते, आनंदराम खुसरो, मंगल साय, उमेश्वर आर्मो आदि ने कहा कि हसदेव क्षेत्र में जंगल, जमीन, आजीविका, पर्यावरण और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए ग्रामीण आदिवासी और ग्राम सभायें पिछले एक दशक से आंदोलनरत हैं। 2 मार्च 2022 से शुरू हुआ अनिश्चितकालीन धरना अनवरत जारी है। हसदेव अरण्य के सरगुजा जिले में परसा, परसा ईस्ट, केते बासन और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक एवं कोरबा जिले में मदनपुर साउथ एवं पतरिया गिदमुड़ी ब्लॉक में ग्राम सभा के निर्णय को दरकिनार करके भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य और केंद्र सरकार ने शुरू कर दी है। इसके साथ ही परसा कोल ब्लॉक में फर्जी ग्राम सभा का प्रस्ताव बनाकर कंपनी ने वन स्वीकृति कंपनी ने हासिल कर ली। इसके खिलाफ आदिवासियों ने 4 अक्टूबर 2021 से 14 अक्टूबर 2021 तक 300 किलोमीटर की पदयात्रा करके रायपुर में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। राज्यपाल ने स्पष्ट कहा था कि वह पांचवी अनुसूची क्षेत्र की प्रशासक हैं। उनके रहते हसदेव के आदिवासियों के साथ अन्याय नहीं होगा। दुखद रूप से आज फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव की जांच भी नहीं हुई है। पांचवी अनुसूची क्षेत्र होने के बावजूद ग्राम सभा से सहमति लिए बिना ही भारी फोर्स की मौजूदगी में हजारों पेड़ों को काट दिया गया। आंदोलनकारियों पर लगातार फर्जी मामले भी पंजीबद्ध किए जा रहे हैं।
समिति ने प्रेस नोट में कहा है कि 2015 में राहुल गांधी ने मदनपुर में सभा करके हसदेव को बचाने का वादा किया था। उसके बाद पिछले एक वर्ष में उन्होंने कई बार हसदेव के आंदोलन को न केवल सही बताया बल्कि इसके शीघ्र समाधान की बात भी कही। आज हसदेव को बचाने की बात तो दूर आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचले जाने पर भी वे मौन हैं। शायद कारपोरेट के सामने वह भी अपने सिद्धांत और वादों से पीछे हट चुके हैं। इन परिस्थितियों में हसदेव के आदिवासियों के पास अपने आंदोलन को जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हसदेव नदी और उसके जल से सिंचित हो रहे लाखों हेक्टेयर खेती की जमीन वन्य प्राणियों के आवास और अस्तित्व के साथ निर्भरता, आजीविका, संस्कृति और अस्तित्व का विनाश नहीं होने दिया जाएगा। संघर्ष तब तक जारी रखा जाएगा जब तक सरकार खनन परियोजना और उससे जुड़ी समस्त सहमतियों को निरस्त नहीं कर देती।
इधर बिलासपुर में आंदोलनरत संगठनों के प्रतिनिधि प्रथमेश ने बताया है कि चाइल्ड क्लाइमेट एक्टिविस्ट लिसीप्रिया कंगुजम हसदेव अरण्य में वन कटाई और कोयला खनन के विरोध में 14 अक्टूबर को हो रहे सर्व आदिवासी समाज सम्मेलन में और 15 अक्टूबर की शाम 4 बजे छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रखे गए सेव हसदेव रैली में शामिल होंगीं।
दिल्ली की एक अदालत ने फ़रवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के एक अभियुक्त अतहर ख़ान की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है. अतहर ख़ान को दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत दंगों की साजिश का अभियुक्त माना है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत ने बुधवार को ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि आरोप पत्र के आधार पर और जो दस्तावेज़ ज़मानत के पक्ष में दिखाए गए हैं, उनसे पहली नज़र में ये लगता है कि आरोप सही हैं.
ज़मानत के पक्ष में इस दलील पर कि गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं और इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता, अदालत ने कहा कि गवाहों के बयान अतहर ख़ान के ख़िलाफ़ पर्याप्त आपत्तिजनक सामग्री दिखाते हैं और रही बात विरोधाभासी बयानों की तो क्रॉस एग्जामिनेशन के समय उनकी सत्यता का परीक्षण किया जाएगा. (bbc.com/hindi)
सुप्रीम कोर्ट में आज उस समय अजीबोकरीब स्थिति पैदा हो गई, जब एक मामले की सुनवाई के दौरान दो सीनियर वकील आपस में भिड़ गए। हालात इस कदर बिगड़े की बेंच को दखल देकर कहना पड़ा कि कोर्ट रूम का पारा मत चढ़ाइए। जजों के तीखे तेवर देखने के बाद ही दोनों वकील शांत हुए और मामला निपटा।
दरअसल धोखाधड़ी के एक मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान दुष्यंत दवे पेश हुए थे। जस्टिस मेहंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने ये सुनवाई चल रही थी। आरोपी ने बेल के लिए अर्जी दी थी। बेंच को उस पर सुनवाई के बाद कोई फैसला करना था।
बेंच ने मामले पर गौर करने के बाद वकीलों से पूछा कि वो मामले में स्थगन तो नहीं चाहते हैं। उस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दुष्यंत दवे पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी दलीलें सड़कछाप हैं। लोग ये बात उनके मुंह पर नहीं बोलते लेकिन पीठ पीछे ये बात कहते देखे जाते हैं। उसके बाद दवे भड़क गए।
दुष्यंत दवे ने तुषार मेहता पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आपकी नियुक्ति राजनीतिक, आप वैसे ही बर्ताव कर रहे हैं। वो यहां तक बोले कि मेहता एसजी ऑफिस के लिए कलंक जैसे हैं। दोनों के बीच तल्खी बढ़ती देख बेंच को दखल देना पड़ा। जस्टिस गुप्ता ने कहा कि आप कोर्ट रूम का पारा मत चढ़ाइए। उनके दखल के बाद दोनों वकील शांत हो गए। लेकिन बेंच ने फिर मामले की सुनवाई नहीं की और उसे स्थगित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले की सुनवाई स्थगित करने के बाद दोनों वकीलों से कहा कि उनका व्यवहार पूरी तरह से गलत था। दोनों को संयम बरतना चाहिए। दोनों सीनियर वकील हैं।(jansatta.com)
-रजनीश कुमार
- आंबेडकर हिन्दू धर्म की जमकर आलोचना करते थे
- 1951 में आंबेडकर ने नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था
- 1956 में आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया था
- बौद्ध धर्म अपनाने के दौरान उन्होंने हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करने की शपथ ली थी
- यही शपथ इसी महीने केजरीवाल के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने दिलवाई तो उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा
हिन्दी के जाने-माने कवि मुक्तिबोध आपसी बातचीत में अक्सर एक लाइन सवाल की तरह दोहराते रहते थे- पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?
मुक्तिबोध क्लास पॉलिटिक्स की बात करते थे और उनकी यह लाइन आज भी सवाल के रूप में उछलती रहती है. एक लाइन का यह सवाल भारतीय समाज और राजनीति में आज भी उतना ही प्रासंगिक है.
अरविंद केजरीवाल का एक वीडियो क्लिप आए दिन शेयर होता रहता है. इस वीडियो में अरविंद कह रहे हैं, ''जब बाबरी मस्जिद का ध्वंस हुआ तो मैंने नानी से पूछा कि नानी अब तो तुम बहुत ख़ुश होगी? अब तो आपके भगवान राम का मंदिर बनेगा. नानी ने जवाब दिया कि नहीं बेटा मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़कर ऐसे किसी मंदिर में नहीं बस सकता.''
केजरीवाल ने 2014 में अपनी नानी की यह कहानी सुनाई थी.
लेकिन इसी साल 11 मई को गुजरात के राजकोट में अरविंद केजरीवाल ने अपनी नानी के उलट एक बूढ़ी अम्मा की कहानी सुनाई. इस कहानी में केजरीवाल बताते हैं, ''एक बूढ़ी अम्मा आईं. आकर धीरे से मेरे कान में कहा, बेटा अयोध्या के बारे में सुना है?"
मैंने कहा, "अयोध्या जानता हूँ अम्मा. वही अयोध्या न जहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था?" वो बोलीं, "हाँ, वही अयोध्या. कभी गए हो वहाँ पर?" मैंने कहा, "हाँ गया हूँ. राम जन्मभूमि जाकर बहुत सुकून मिलता है." वो बोलीं, "मैं बहुत ग़रीब हूँ. गुजरात के एक गाँव में रहती हूँ. मेरा बहुत मन है अयोध्या जाने का."
मैंने कहा, "अम्मा आपको अयोध्या ज़रूर भेजेंगे. एसी (एयर कंडीशनर) ट्रेन से भेजेंगे. एसी होटल में ठहराएंगे. गुजरात की एक बुज़ुर्ग और माताजी को हम अयोध्या में रामचंद्रजी के दर्शन कराएंगे. अम्मा एक ही विनती है. भगवान से प्रार्थना करो कि गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बने."
जब केजरीवाल ने नानी की कहानी सुनाई तब आम आदमी पार्टी कच्ची उम्र में थी और इस साल मई महीने में बूढ़ी अम्मा की कहानी सुनाई तो समय से पहले वयस्क हो चुकी थी.
केजरीवाल का राम प्रेम
अरविंद केजरीवाल ने शायद अपनी नानी की बात नहीं मानी. वह पिछले साल ही अयोध्या गए और रामलला का दर्शन किया. केजरीवाल न केवल ख़ुद अयोध्या में जाकर रामलला का दर्शन कर रहे हैं, बल्कि हिन्दुओं के बीच चुनावी वादा भी कर रहे हैं कि वह बुज़ुर्गों को सरकारी ख़र्च पर अयोध्या ले जाएंगे.
नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फ़ैसला मंदिर के पक्ष में तो सुनाया, लेकिन साथ में यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद तोड़ना एक अवैध कृत्य था. सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले पर काफ़ी सवाल भी उठे थे.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस गांगुली उन पहले लोगों में थे जिन्होंने अयोध्या फ़ैसले पर कई सवाल खड़े किए थे. जस्टिस गांगुली का मुख्य सवाल था कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस आधार पर हिन्दू पक्ष को विवादित ज़मीन देने का फ़ैसला किया है, वो उनकी समझ से परे है.
केजरीवाल ख़ुद को राम भक्त बताने के अलावा आंबेडकर के सिद्धांतों पर भी चलने का दावा करते हैं. लेकिन हाल की घटना से उनके आंबेडकर प्रेम पर सवाल उठ रहे हैं.
राजेंद्र पाल गौतम अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट का दलित चेहरा थे. वह बौद्ध हैं. उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सीमापुरी रिज़र्व सीट से वह दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. वह ख़ुद को आंबेडकरवादी बताते हैं.
अरविंद केजरीवाल ने 2017 में राजेंद्र पाल गौतम को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था.
गौतम की एंट्री को भी उसी रूप में देखा गया जैसे शीला दीक्षित और बीजेपी की सरकारों में प्रतीक के तौर पर दलित चेहरे रखे जाते थे. पाँच अक्तूबर को राजेंद्र पाल गौतम दिल्ली में एक कार्यक्रम में मौजूद थे, जहाँ सैकड़ों हिन्दू बौध धर्म अपना रहे थे. राजेंद्र पाल गौतम कार्यक्रम में मंच पर थे.
राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि वह सालों से इस कार्यक्रम में शामिल होते रहे हैं. यहाँ बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले लोग वही संकल्प दोहराते हैं, जो भीम राव आंबेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपनाने के दौरान लिया था.
आंबेडकर जब बौद्ध बने
अक्तूबर 1956 में बीआर आंबेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपना लिया था. पाँच अक्तूबर को राजेंद्र पाल जिस मंच पर थे उससे शपथ दिलवाई गई थी कि हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी है.
इसी शपथ को लेकर बीजेपी के नेताओं ने केजरीवाल को घेरना शुरू किया. बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को हिन्दू विरोधी बताया. मोदी सरकार में किरेन रिजिजू एकमात्र बौद्ध मंत्री हैं और उन्होंने भी इस वाक़ये को लेकर सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया कि केजरीवाल हिन्दुओं से इतनी नफ़रत क्यों करते हैं.
इस मामले में अरविंद केजरीवाल फँसे हुए लग रहे थे. राजेंद्र पाल गौतम ने बयान जारी किया कि वह किसी भी धर्म के अराध्य का अपमान नहीं करते हैं.
लेकिन बात यहीं तक नहीं रुकी. नौ अक्तूबर की शाम राजेंद्र पाल गौतम ने ट्विटर पर केजरीवाल कैबिनेट से इस्तीफ़े की घोषणा कर दी. गौतम ने लिखा है, ''मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से अरविंद केजरीवाल जी और मेरी पार्टी पर किसी तरह की आँच आए.''
अपने इस्तीफ़े में राजेंद्र पाल गौतम ने स्वीकार किया है कि वह पाँच अक्तूबर को विजयादशमी के मौक़े पर दिल्ली में रानी झांसी रोड पर स्थित आंबेडकर भवन में जय भीम बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ़ इंडिया की ओर से आयोजित बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में शामिल हुए थे.
राजेंद्र पाल गौतम ने लिखा है, ''इसी कार्यक्रम में बाबा साहब के प्रपौत्र राजरत्न आंबेडकर ने बीआर आंबेडकर के 22 संकल्प दोहराए थे और उन्होंने भी 10 हज़ार लोगों के साथ यह शपथ दोहराई थी. इसी शपथ में हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करने की बात है.''
15 अक्तूबर, 1956 को बीआर आंबेडकर के सामने हज़ारों की भीड़ खड़ी थी और उन्होंने लोगों को ये 22 शपथ दिलवाई थी-
इन 22 शपथ को लेकर राजेंद्र पाल गौतम के मामले में आम आदमी पार्टी की स्थिति जटिल हो गई थी. यह एक तरह हिन्दू पहचान को चुनौती थी और दूसरी तरफ़ दलितों के उभार का मामला था. केजरीवाल के लिए दोनों को ख़ारिज कर देना आसान नहीं था.
राजेंद्र पाल गौतम जब मंत्री के तौर पर धर्मांतरण कार्यक्रम में शामिल हुए तो हिन्दूवादी केजरीवाल को घेर रहे थे और जब उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया तब भी सवाल उठ रहा है. इस्तीफ़े के बाद सवाल उठ रहा है कि केजरीवाल ने हिन्दुत्व की राजनीति के सामने आंबेडकरवाद को कोने में रख दिया.
पंजाब यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफ़ेसर आशुतोष कुमार कहते हैं, ''केजरीवाल को आंबेडकर से कोई प्रेम नहीं है. पंजाब में उन्हें सत्ता में आना था और वहां दलितों की आबादी 32 फ़ीसदी है. इसीलिए केजरीवाल ने आंबेडकर को लेकर प्रेम जताया. राजेंद्र गौतम के मामले में उनका आंबेडकरवाद एक्सपोज हो चुका है. केजरीवाल के पंजाब पैकेज में भगत सिंह और आंबेडकर थे.
इसी के तहत उन्होंने दोनों की तस्वीर सरकारी दफ़्तरों में टिका दी है. अब उन्हें पता है कि पंजाब के बाहर भगत सिंह और आंबेडकर से काम चलेगा नहीं. इसीलिए गुजरात में ख़ुद को कट्टर हनुमान भक्त कह रहे हैं. केजरीवाल मध्य वर्ग की राजनीति करते हैं और मध्य वर्ग राइट विंग के साथ है. हम कहते हैं कि पॉलिटिक्स इज़ आर्ट ऑफ़ कंट्राडिक्शन और केजरीवाल भी यही राजनीति कर रहे हैं. केवल केजरीवाल ही नहीं बल्कि भारत की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियाँ.''
बीआर आंबेडकर के प्रपौत्र प्रकाश आंबेडकर कहते हैं, ''केजरीवाल से हम उम्मीद नहीं करते हैं कि वह बाबा साहब के सिद्धांतों पर चलेंगे. लेकिन राजेंद्र पाल गौतम के मामले में वह संविधान का भी पालन करते तो उनका इस्तीफ़ा नहीं लेते. संविधान में लिखा है कि आप किसी भी धर्म को छोड़ सकते हैं और किसी भी धर्म को अपना सकते हैं.
केजरीवाल वैदिक हिन्दू धर्म की वर्णाश्रम व्यवस्था को मानते हैं और उनसे हम उम्मीद नहीं कर सकते कि वह बाबा साहब की बताए राह पर चलें. केजरीवाल शुरू में आरक्षण का भी विरोध करते थे. दलित और आदिवासी वर्णाश्रम व्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं और केजरीवाल इन्हें लंबे समय तक गुमराह नहीं कर सकते हैं.''
प्रकाश आंबेडकर कहते हैं, ''केजरीवाल ने झाड़ू चुनाव चिह्न जान-बूझ कर चुना था. झाड़ू का संबंध वाल्मीकि समाज से रहा है. साफ़ सफ़ाई के काम में वाल्मीकि समाज शुरू से रहा है. लेकिन केजरीवाल ने झाड़ू की गरिमा नहीं समझी.''
दरअसल, अरविंद केजरीवाल राम और बीआर आंबेडकर दोनों की राजनीति पर दावा करते हैं. आठ अक्तूबर को अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ''मैं हनुमान जी का कट्टर भक्त हूँ. कंस की औलादें मेरे ख़िलाफ़ एकजुट हैं. मेरा जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ था. मुझे भगवान ने कंस की औलादों को ख़त्म करने के लिए स्पेशल काम देकर भेजा है.''
पंजाब में दलित
दिल्ली विधानसभा में 2021 के बज़ट सेशन में अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वह दिल्ली में राम राज्य लाने के लिए काम कर रहे हैं.
केजरीवाल ने कहा था, ''भगवान राम अयोध्या के राजा थे. भगवान राम के शासन में जनता संतुष्ट थी क्योंकि सारी बुनियादी सुविधाएं लोगों की पहुँच में थीं. हम इसे ही राम राज्य कहते हैं. हम दिल्ली में भी यह राम राज्य लाना चाहते हैं.''
केजरीवाल ने दिल्ली के मंदिर में राम की 30 फ़ुट ऊंची मूर्ति बनाने को उलपब्धि के तौर पर गिनाया था.
केजरीवाल ने 2021 के बजट में अपनी सरकार की ओर से बीआर आंबेडकर के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए 10 करोड़ रुपए का आवंटन किया था.
इसी साल जनवरी महीने में पंजाब में चुनाव अभियान के दौरान केजरीवाल ने वादा किया था कि उनकी पार्टी सरकार में आई तो सभी सरकारी दफ़्तरों में केवल आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर लगाएगी.
आम आदमी पार्टी सत्ता में आई और वहाँ के सरकारी दफ़्तरों में ऐसा ही किया गया. केजरीवाल ने दिल्ली के सचिवालय में भी ऐसा ही किया है.
इसी साल फ़रवरी महीने में दिल्ली सरकार ने दो हफ़्ते तक दिन में दो बार आंबेडकर के जीवन पर म्यूज़िकल इवेंट का आयोजन करवाया था. आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने अपने कई भाषणों में कहा है कि वह बाबा साहब के सपनों को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार, पंजाब में दलितों की आबादी 31.9 प्रतिशत है. इनमें से 19.4 फ़ीसदी दलित सिख हैं और 12.4 प्रतिशत दलित हिन्दू हैं. पंजाब में कुल 34 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए रिज़र्व हैं.
इस साल हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित 34 सीटों में से 29 पर जीत मिली थी. यानी पंजाब में आम आदमी पार्टी को अनुसूचित जाति के लिए रिज़र्व 85 फ़ीसदी सीटों पर जीत मिली थी. भारत में पंजाब वैसा राज्य है, जहाँ अनुसूचित जातियों की तादाद सबसे ज़्यादा है.
दिल्ली में कुल 1.2 करोड़ मतदाताओं में दलित मतदाता 20 प्रतिशत हैं. दलितों में जाटव, वाल्मीकि और दूसरी उपजातियां हैं. दिल्ली में अनुसूचित जातियों की कुल 12 सीटें रिज़र्व हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में सभी रिज़र्व सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी.
2013 के पहले बहुजन समाज पार्टी भी दिल्ली में अपनी मौजूदगी दर्ज कराती थी, लेकिन केजरीवाल के उभार के बाद बीएसपी दिल्ली से ख़त्म हो चुकी है. दलितों के बीच बीआर आंबेडकर की प्रतिष्ठा केजरीवाल बख़ूबी समझते हैं और उत्तर भारत में मायावती के बाद यह चुनावी मैदान ख़ाली है.
2012 में आम आदमी पार्टी अन्ना हज़ारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली थी. आम आदमी पार्टी नवउदारवादी आर्थिक व्यवस्था स्थापित होने के बाद बनी है.
सिविल राइट एक्टिविस्ट आनंद तेलतुंबड़े ने आम आदमी पार्टी के बनने के दो साल बाद यानी 2014 में इकनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली में लिखा था, ''आम आदमी पार्टी नव उदारवादी व्यवस्था में बनी पार्टी का सबसे अच्छा उदाहरण है. इसके साथ ही यह पार्टी इस बात की भी मिसाल है कि राजनीतिक पतन के दौर में मध्य वर्ग में तेज़ी से जगह बनाती गई.
आप की वेबसाइट पर कहा गया है कि यह पार्टी विचारधारा केंद्रित नहीं बल्कि समाधान मुहैया कराने पर ज़ोर देती है. केजरीवाल ने विचारधारा के सवाल पर अपने जवाब में चीन को आर्थिक ताक़त बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले देंग शियाओपिंग के एक उद्धरण का उल्लेख किया था. देंग शियाओपिंग ने कहा था, ''बिल्ली जब तक चूहा पकड़ती है तब तक यह मायने नहीं रखता है कि वह काली है या सफ़ेद.''
प्रोफ़ेसर आशुतोष कुमार कहते हैं, ''अन्ना आंदोलन गांधीवादी तरीक़े से ज़मीन पर उतरा था. अनशन और सत्याग्रह को आंदोलन का हथियार बनाया गया. मंच पर गांधी की बड़ी तस्वीर लगी रहती थी. लेकिन सत्ता मिलते ही सबसे पहले केजरीवाल ने गांधी को छोड़ा. केजरीवाल को पता है कि गांधी से कोई वोट बैंक नहीं सधने वाला है. इस मामले में आंबेडकर उनके काम आ सकते हैं.
दलितों के बीच आंबेडकर भगवान की तरह हैं. गांधी और नेहरू को आप गाली दे सकते हैं. बीजेपी के लोग तो सार्वजनिक रूप से देते हैं, लेकिन आंबेडकर के साथ ऐसा नहीं कर सकते. अभी भारतीय राजनीति में वोट आंबेडकर की पूजा और गांधी नेहरू को गाली देने से मिलता है. ज़ाहिर है केजरीवाल भी वोट बैंक की ही राजनीति कर रहे हैं."
भारत की हर राजनीतिक पार्टियों का अतीत विरोधाभासों से भरा हुआ है. भारत के राजनेताओं के आचरण में भी ये विरोधाभास रचे-बसे हैं. आम आदमी पार्टी 2012 में इन्हीं विरोधाभासों के ख़िलाफ़ बनी थी, लेकिन जानकारों के मुताबिक़ ख़ुद भी इसकी चपेट में आ गई.
आम आदमी पार्टी दिल्ली में काफ़ी तेज़ी से लोकप्रिय हुई थी. नवंबर 2012 में आम आदमी पार्टी बनी और दिसंबर, 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 28 सीटों पर जीत मिली. इस चुनाव में कांग्रेस महज़ आठ सीटों पर सिमट गई थी.
अरविंद केजरीवाल ने अपने बच्चों की क़समें खाई थीं कि वह बीजेपी और कांग्रेस से साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगे. लेकिन वह 2013 में कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए.
केजरीवाल के सत्ता में आने की शुरुआत ही अपने कहे से पलटने के साथ हुई. फ़रवरी 2015 में दिल्ली में फिर से विधानसभा चुनाव हुआ और आम आदमी पार्टी ने बीजेपी, कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ कर दिया. आप को 70 में से 67 सीटों पर जीत मिली. अरविंद केजरीवाल प्रचंड बहुमत के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.
इन पाँच सालों में केजरीवाल अन्ना आंदोलन में बनाई अपनी छवि से मुक्त होते रहे. 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने फिर से 70 में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की और वह तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.
2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव हुआ और आम आदमी पार्टी ने यहाँ भी बहुमत से सरकार बनाई. अपने दस सालों के इतिहास में आम आदमी पार्टी अन्ना आंदोलन के दौरान गढ़ी गई छवि से पूरी तरह मुक्त हो गई है और भारत के बहुदलीय लोकतंत्र में एक बाक़ी पार्टियों की तरह स्थापित हो चुकी है.
बीजेपी विनायक दामोदर सावरकर के हिन्दुत्व की विचारधारा को मानती है. हिन्दुत्व और हिन्दूइज़्म को सावरकर भी एक नहीं मानते थे.
हिन्दुत्व को आरएसएस और बीजेपी के राजनीतिक दर्शन के रूप में देखा जाता है और हिन्दूइज़्म को हिन्दू धर्म से जोड़कर देखा जाता है. हिन्दुत्व की विचारधारा में हिन्दू राष्ट्रवाद और हिन्दू श्रेष्ठता निहित है जबकि हिन्दूइज़्म को समावेशी माना जाता है.
कनाडा के मैकगिल यूनिवर्सिटी में रेलिजियस स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर अरविंद शर्मा कहते हैं कि उदारवादी मानते हैं कि पहले हिन्दूइज़्म आया तब हिन्दुत्व जबकि हिन्दू राष्ट्रवादी मानते हैं कि पहले हिन्दुत्व आया फिर हिन्दूइज़्म.
शर्मा कहते हैं, ''हिन्दू उदारवादी भारत में मुस्लिम शासकों को लेकर सहिष्णु भाव रखते हैं और ब्रिटिश शासन को अत्याचारी बताते हैं. दूसरी ओर हिन्दुत्ववादी इतिहासकार मुस्लिम शासकों को ज़्यादा क्रूर मानते हैं और ब्रिटिश शासन को लेकर बहुत आक्रामक नहीं रहते हैं.''
हालांकि 1995 में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेएस वर्मा की बेंच ने एक फ़ैसला दिया था जिसके बाद चीज़ें और जटिल हो गई थीं. 1995 में जस्टिस वर्मा ने हिन्दुत्व पर अपने फ़ैसले में कहा था कि हिन्दुत्व, हिन्दूइज़्म और भारतीयों की जीवन पद्धति तीनों एक हैं. इनका संकीर्ण हिन्दू धार्मिक कट्टरता से कोई लेना-देना नहीं है.
आंबेडकर न केवल हिन्दुत्व को दुत्कारते थे बल्कि हिन्दूइज़्म पर भी हमलावर रहते थे. आंबेडकर हिन्दू धर्म में जातीय भेदभाव को लेकर बहुत ख़फ़ा रहते थे.
दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाने वाले डॉ. राहुल गोविंद ने इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली में एक पेपर में उनके कार्यों का विश्लेषण करके भारतीय इतिहास पर सावरकर और अंबेडकर के बीच मूलभूत अंतर पर चर्चा की है. गोविंद "क्रांति और प्रतिक्रांति" का हवाला देते हैं, जहां आंबेडकर ने लिखा था, "लोगों के सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन पर स्थायी प्रभाव की दृष्टि से, बौद्ध भारत के ब्राह्मणवादी आक्रमण उनके प्रभाव में इतने गहरे रहे हैं कि उनकी तुलना में हिंदू भारत पर मुस्लिम आक्रमणों का प्रभाव वास्तव में सतही रहा है. और क्षणिक". यह सावरकर की भारतीय इतिहास में बौद्ध धर्म और इस्लाम की समझ के विपरीत है. यह सीधे तौर पर आंबेडकर की हिंदू धर्म की मौलिक आलोचना से भी जुड़ा हुआ है, जिसे आंबेडकर 'आक्रमण' के रूप में देखते हैं और जाति को एक धर्मशास्त्रीय आधार देकर समानता और करुणा के बौद्ध आदर्शों को हराते हैं जो तब से हिंदू समाज की एक विशेषता बनी हुई है.
सावरकर अपने हिन्दुत्व में पुण्यभूमि और पितृभूमि की बात करते हैं. पुण्यभूमि से मतलब है कि जिनके मज़हब का जन्म भारत से बाहर हुआ, उनके अनुयायियों की पुण्यभूमि भारत नहीं है.
सावरकर का कहना था कि पुण्यभूमि और पितृभूमि का बँटा होना मुल्क के प्रति प्रेम का भी बँटा होना होता है.
सावरकर का पूरा ज़ोर मध्यकाल में मुस्लिम शासकों को आक्रांता और विध्वंसक दिखाने पर रहा, लेकिन आंबेडकर ने प्राचीन काल में बौद्धों के उभार और उसके विरोध के बीच के टकराव पर ज़्यादा ज़ोर दिया.
आंबेडकर कहते थे कि वह भारत के इतिहास से ख़ुश नहीं हैं क्योंकि भारत में मुसलमानों की जीत पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है.
डॉक्टर राहुल गोविंद ने अपने लेख में आंबेडकर के नोट से उनके उद्धरण का इस्तेमाल किया है.
इसमें आंबेडकर ने कहा था, ''बौद्ध भारत पर ब्राह्मणों के हमले का यहाँ के समाज पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा है. इसकी तुलना में हिन्दू भारत में मुसलमानों का हमला कमतर है. इस्लामिक हमले के बाद भी हिन्दूइज़्म बचा रहा, लेकिन बौद्धों पर ब्राह्मणों के हमले के बाद भारत से यह मज़हब ख़त्म हो गया.''
लेख में डॉ. गोविंद भी रेखांकित करते हैं कि आंबेडकर का तर्क है कि मनुस्मृति और गीता दोनों में कर्म की दार्शनिक अवधारणा को जाति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. डॉ गोविंद का तर्क है कि आंबेडकर की व्याख्या, जो तिलक की व्याख्याओं की आलोचनात्मक है, विस्तृत साक्ष्य और समकालीन विद्वता द्वारा समर्थित है.
इतिहासकार और लेखक राजमोहन गांधी कहते हैं कि बीआर आंबेडकर की यह चिंता बिल्कुल वाजिब थी.
वह कहते हैं, ''अगर भारत में बौद्ध धर्म होता तो यहाँ जातीय भेदभाव, विषमता, नाइंसाफ़ी और छुआछूत जैसी बुराइयाँ नहीं होतीं. समाज में इंसाफ़ ज़्यादा होता. लेकिन बौद्ध धर्म को यहाँ से मिटा दिया गया और यह इतिहास की बड़ी घटना थी.''
राजमोहन गांधी कहते हैं, ''अब राजनीति बदल चुकी है. आज की राजनीति का मुख्य मक़सद चुनाव में जीत हासिल करना है. इन्हें जहाँ आंबेडकर की ज़रूरत होगी वहाँ उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करेंगे और जहाँ गांधी की ज़रूरत होगी, वहाँ उन्हें लाएंगे. कांग्रेस की राजनीति में आंबेडकर बहुत अनफ़िट नहीं है. नेहरू ने ही उन्हें मंत्री बनाया था. बीजेपी के लिए आंबेडकर बिल्कुल उलट हैं. लेकिन अब इससे बहुत फ़र्क़ नहीं पड़ता है.''
राजमोहन गांधी
राजमोहन गांधी कहते हैं कि बीजेपी सावरकर की विचारधारा पर चलती है और वो आंबेडकर को पोस्टर से ज़्यादा नहीं बर्दाश्त कर सकते हैं.
राजमोहन गांधी कहते हैं, ''नेहरू कैबिनेट से 1951 में बीआर आंबेडकर ने इस्तीफ़ा दिया था. आंबेडकर हिन्दू कोड बिल में देरी नहीं चाहते थे. उन्होंने ही इसे तैयार किया था और नेहरू का पूरा समर्थन था. दूसरी ओर नेहरू पर हिन्दूवादी नेताओं का दबाव था कि इसे पास ना होने दें.
हिन्दू राइट विंग इसे पास नहीं होने देना चाहते थे. ऐसे लोग कांग्रेस में भी थे. बीजेपी को सोचना चाहिए कि आंबेडकर क्यों हिन्दू राष्ट्र का विरोध करते थे. पीएम मोदी ने भी आंबेडकर इस्तीफ़े का मुद्दा उठाया था, लेकिन वह ईमानदारी से देखते तो पता चल जाता कि उनकी विचारधारा के कारण ही इस्तीफ़ा देना पड़ा था.''
राजनीति विरोधाभासों को साधने की कला है. इसीलिए सावरकर की विचारधारा पर चलने वाली बीजेपी भी आंबेडकर की बात करती है और ख़ुद को कट्टर हनुमान भक्त बताने वाले अरविंद केजरीवाल भी.
नेहरू आंबेडकर की विद्वता से परिचित थे, इसलिए उन्होंने विरोधी होने के बावजूद आंबेडकर को क़ानून मंत्री बनाया था. नेहरू के इस ऑफ़र से ख़ुद आंबेडकर भी हैरान थे.
बीजेपी नेता भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात करते हैं, लेकिन आंबेडकर इसके सख़्त ख़िलाफ़ थे.
भारत की आबादी में दलितों की तादाद क़रीब 17 फ़ीसदी है और आंबेडकर इनके लिए भगवान से कम नहीं हैं. वोट सभी राजनीतिक पार्टियों को चाहिए और इस 17 फ़ीसदी आबादी के आइकन की उपेक्षा भला कौन कर सकता है? (bbc.com/hindi)
केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई काबू में नहीं आ रही है. सितंबर की रीटेल महंगाई दर में पिछले साल के मुक़ाबले 7.41 फ़ीसदी का उछाल रहा.
राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन ने बुधवार को ये आंकड़े जारी करते हुए बताया कि महंगाई में जारी इस उछाल की बड़ी वजह खाने-पीने की चीज़ों का महंगा होना है.
साथ ही यह भी बताया गया कि ऊर्जा (तेल-गैस, बिजली, कोयला) कीमतों में भी आई तेज़ी ने महंगाई दर में इज़ाफा किया है.
सितंबर में खाद्य महंगाई दर 8.6 फ़ीसदी के स्तर पर पहुँच चुकी है, जबकि अगस्त में ये 7.6 फ़ीसदी पर थी.
अगस्त में रीटेल महंगाई दर 7 फ़ीसदी के स्तर पर थी. अप्रैल के बाद महंगाई दर अपने उच्चतम स्तर पर है.
महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने कई कदम उठाने का दावा किया है जिसमें खाद्य पदार्थों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आयात की व्यवस्था भी की गई है.
साथ ही रिज़र्व बैंक ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है. रिज़र्व बैंक ने महंगाई को 6 फ़ीसदी से कम पर लाने का लक्ष्य रखा है. (bbc.com/hindi)
कोरबा ,13 अक्टूबर। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के पुलिस अधीक्षक यू उदय किरण को कोरबा जिले के एसपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
डीजीपी की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि कोरबा के पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह 30 अक्टूबर 2022 तक विदेश प्रवास पर रहेंगे। इस अवधि में उनका प्रभार आईपीएस गोवर्धन राम ठाकुर को पूर्व के आदेश में दिया गया था। ठाकुर की चाची को ब्रेन हेमरेज के कारण हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। ठाकुर ने आवेदन देकर अनुरोध किया है कि उनकी देखभाल के लिए उन्हें रायपुर में रहना पड़ रहा है। इसलिए कोरबा का प्रभार किसी अन्य अधिकारी को दिया जाए। इसे देखते हुए जीपीएम जिले के पुलिस अधीक्षक उदय किरण को आईपीएस संतोष सिंह के अवकाश अवधि के दौरान कोरबा का प्रभार संभालने का आदेश दिया गया है।
सीएम बघेल का पोस्ट
रायपुर, 13 अक्टूबर। सीएम भूपेश बघेल ने भाजपा नेताओं का नाम लिए बगैर आड़े हाथ लिया है। उन्होंने एक पोस्ट करते हुए कहा है कि, भ्रष्टाचार के अंतर्राष्ट्रीय पितामह को लगता है कि मार्गदर्शक मंडल में हुई वाइल्ड कार्ड एंट्री से बाहर आने के लिए छत्तीसगढ़ को बदनाम करेंगे, लेकिन ये नहीं चलेगा।
देखें पोस्ट -------------
रायपुर, 13अक्टूबर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके उज्जैन में श्री महाकाल लोक’ के लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिवार्पण कार्यक्रम में श्री महाकाल लोक को विश्व को समर्पित किया। राज्यपाल सुश्री उइके इस भव्य कार्यक्रम की साक्षी बनी।
उइके इसकी भव्यता देखकर अभिभूत हुईं। उन्होंने शिव पुराण पर आधारित भित्ति चित्रों सहित परिसर के अन्य नवनिर्मित स्थानों के भ्रमण उपरांत रूद्र सरोवर के तट पर कुछ समय व्यतीत किया। भ्रमण के दौरान मध्यप्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने राज्यपाल को ‘श्री महाकाल लोक’ से जुड़ी विभिन्न जानकारियां दी।
उइके ने महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की
उज्जैन प्रवास के दूसरे दिन राज्यपाल सुश्री उइके ने महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने भगवान महाकाल से देश एवं प्रदेश की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।
कुछ आईपीएस पर भी निगाह में
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 13 अक्टूबर। बंगले में छापे और सील करने के बाद रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू ने जांच में पूरा सहयोग करने की बात कही है। दो दिन के हैदराबाद दौरे के बाद लौटीं रानू ने एक पत्र लिखकर कर जांच में पूरा सहयोग करने की बात कही है। साहू ने हैदराबाद के यशोदा हास्पिटल में माइनर आपरेशन के लिए जाने की भी जानकारी दी है। रानू ने कहा कि उनके द्वारा जिला प्रशासन में पारदर्शिता के साथ कार्य किया जाता है।
यहां बता दें कि छत्तीसगढ़ गठन और उससे पहले भी प्रशासनिक इतिहास में किसी कलेक्टर के बंगले को ईडी जैसी जांच एजेंसी द्वारा सील करने का यह पहला मौका है।छत्तीसगढ़ में 3 दिनों से प्रवर्तन निदेशालय के छापेमारी के दौरान कलेक्टर रानू साहू ने ईडी को पत्र लिखा है. बता दें कि बीते दिनों से प्रवर्तन निदेशालय के 40 अफसरों की टीम तीन आईएएस, पूर्व विधायक और शराब- कोल कारोबारियों के डेढ़ दर्जन ठिकानों पर जांच कर रही है। इन सभी ठिकानों से अब तक चार करोड़ की नगदी और जेवरात सीज किया गया है।
इनके यहां से निवेश के साथ साथ खनन लाइसेंस से जुड़े दस्तावेज भी बड़ी संख्या में मिले हैं। इस आधार पर ईडी की टीम ने बुधवार दोपहर से देर रात तक एक होटल के कमरे में पूछताछ कर बयान दर्ज किया है। आईएएस अफसर रानू साहू, उनके पति जेपी मौर्य, समीर विश्नोई और उनकी पत्नी से पूछताछ की जा रही हैं। इस पूछताछ के हवाले से सूत्रों ने बताया कि ईडी के घेरे में एक- दो आईपीएस अधिकारी भी आ सकतें हैं।
नारडा के सहायक प्रबंधक से वसूले थे
रायपुर, 13 अक्टूबर। नवा राजधानी स्थित एन आर डी ए के सहायक प्रबंधक को पुराने मामले छापने का भय दिखाकर अवैध वसूली करते हुए 4 फर्जी पत्रकार गिरफ्तार किए गए हैं।तहसीलदार स्तर के अधिकारी बेंजामिन सिक्का से सवा 2 लाख रुपए की अवैध वसूली करते हुए पुलिस ने जाल बिछाकर गिरफ्तार किया।सभी फर्जी पत्रकार रायपुर और महासमुंद के रहने वाले हैं।पुलिस ने अवैध वसूली का मामला दर्ज किया है। इनके नाम सेवकराम दीवान, सुनील यादव, हामिद कादरी समेत आर बी वर्मा बताए गए हैं।राखी थाना पुलिस आगे की जांच कर रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 अगस्त। यूनियन बैंक में करोड़ो रूपये की घपलेबाजी करने वाला प्रधान खजांची करीब सात महीने बाद बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है। इस घोटाले की वजह से बैंक प्रबंधन ने 5-6 कर्मचारियों को निलंबित करते हुए कुछ की ग्रेच्युटी, पेंशन को रोका हुआ है।
यूनियन बैक प्रियदर्शनीनगर के शाखा प्रबंधक सरोज टोप्पो ने राजेंद्र नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 21 अप्रैल 2022 को बैंक द्वारा करेन्सी चेस्ट प्रेषण के लिये भेजने हेतु नगदी रकम की गिनती की गई तो ज्ञात हुआ कि बैंक के करेंसी चेस्ट में राशि 5,59,68,259/-रूपये कम है। जिसकी जांच हेतु बैंक के अधिकृत अधिकारी को नियुक्त किया गया जिसने बताया कि बैंक में प्रधान खजांची एवं क्लर्क के पद पर पदस्थ किशन बघेल के द्वारा कपटपूर्वक अपने तथा अपने रिश्तेदारों के बैंक खातों में अलग-अलग तिथियों में नगदी रकम स्थानांतरित किया गया है। जिस पर बैंक द्वारा पूछताछ हेतु किशन बघेल से संपर्क करने की कोशिश की गई किन्तु किशन बघेल कुछ दिनों से अनाधिकृत रूप से बैंक से अनुपस्थित है। इस प्रकार किशन बघेल द्वारा बैंक में करोड़ो रूपये की ठगी कर फरार हो गया है। जिस पर आरोपी किशन बघेल के विरूद्ध थाना न्यू राजेन्द्र नगर में अपराध क्रमांक 420, 409 भादवि. का अपराध पंजीबद्ध किया गया।
न्यू राजेन्द्र नगर पुलिस की टीम द्वारा घटना के संबंध में प्रार्थी सहित बैंक के अन्य कर्मचारियों से विस्तृत पूछताछ करते हुए आरोपी की पतासाजी करना प्रारंभ किया गया। टीम के सदस्यों द्वारा आरोपी के छिपने के हर संभावित ठिकानों में लगातार रेड कार्यवाही करते हुए प्रकरण में आरोपी किशन बघेल को गिरफ्तार करने के प्रयास किये जा रहे थे। इसी दौरान टीम के सदस्यों को प्रकरण में संलिप्त आरोपी के उपस्थिति के संबंध जानकारी प्राप्त हुई जिस पर घटना में संलिप्त आरोपी किशन बघेल गिरफ्तार किया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 अगस्त। राजधानी, बिलासपुर और रायगढ़ में चल रही छापेमारी के बीच ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा के रायपुर पहुंचने की खबर है।
दो दिन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) के 40 अफसरों की टीम तीन आईएएस, पूर्व विधायक और शराब- कोल कारोबारियों के डेढ़ दर्जन ठिकानों पर जांच कर रही है। इन सभी ठिकानों से अब तक चार करोड़ की नगदी और जेवरात सीज किया गया है। इनके यहां से निवेश के साथ साथ खनन लाइसेंस से जुड़े दस्तावेज भी बड़ी संख्या में मिले हैं। इस आधार पर ईडी की टीम द्वारा आईएएस अफसर रानू साहू, उनके पति जेपी मौर्य, समीर विश्नोई और उनकी पत्नी से पूछताछ की जा रही है।इन सभी को बुधवार दोपहर से एक फाइव स्टार होटल के चौथे माले के रूम में पुछताछ की जा रही है। इसके लिए इन्हें हिरासत में लिए जाने को लेकर दावे,प्रतिदावे किए जा रहे हैं। यह पूछताछ ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा की अगुवाई में हो रही है। वे आज ही सुबह रायपुर पहुंचे हैं। वहीं इसी तरह से रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू भी दो दिन के हैदराबाद दौरे के बाद आज ही रायपुर लौटीं है। और समीर विश्नोई के यहां आज दोपहर ही जांच पूरी की है।
प्रदेश के दो वरिष्ठ आईएएस अफसर को जेपी मौर्य और समीर विश्नोई को पूछताछ के लिए कैंप ऑफिस लेकर पहुंच गई है। समीर विश्नोई की पत्नी को भी लाया गया है। इस बीच संभवत: देर रात तक बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
सूत्रों ने बताया कि रायगढ़ के कलेक्टर बंगले में रानू साहू की मौजूदगी में कल जांच होगी। ईडी ने बंगले को सील कर रखा है। इनमें चार कमरों को काफी अहम माना जा रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 अगस्त। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार शाम छत्तीसगढ़ के प्रभारी ओम माथुर से मुलाकात की। माथुर का हाल में आपरेशन के बाद से स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इसी वजह से वे अपनी नियुक्ति के बाद से अबतक रायपुर नहीं आए हैं। माथुर का ब्रेन का आपरेशन हुआ था। समझा जाता है कि शाह ने माथुर को छत्तीसगढ़ के राजनीतिक हालात और भाजपा के भीतर की राजनीति पर बात की। दोनों की यह मुलाकात ऐसे समय हुए जब छत्तीसगढ़ में ईडी की जांच चल रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 अक्टूबर। राज्य में आज रात 09.00 बजे तक 67 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 12 रायपुर जिले से है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के इन आंकड़ों के मुताबिक आज रात तक किसी भी जिले में 20 से अधिक कोरोना पॉजिटिव नहीं मिले हैं। आज 11 जिलों में एक भी पॉजिटिव नहीं मिले हैं।
आज कोई मौत नहीं हुई है।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 6, राजनांदगांव 6, बालोद 9 बेमेतरा 3, कबीरधाम 1, रायपुर 12, धमतरी 0, बलौदाबाजार 5, महासमुंद 1, गरियाबंद 1, बिलासपुर 3, रायगढ़ 7, कोरबा 1, जांजगीर-चांपा 1, मुंगेली 0, जीपीएम 0, सरगुजा 4, कोरिया 1, सूरजपुर 0, बलरामपुर 0, जशपुर 0, बस्तर 3, कोंडागांव 0, दंतेवाड़ा 0, सुकमा 0, कांकेर 3, नारायणपुर 0, बीजापुर 0, अन्य राज्य 0 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
रायपुर, 12 अक्टूबर। माना थाने में एक पखवाड़े बाद भी टीआई की पोस्टिंग नहीं हो पाई है। यह थाना एयरपोर्ट जैसे अति संवेदनशील इलाके को कवर करता है। एलेक्जेंडर किरो को सितंबर के मध्य में हटाया गया था। उसके बाद से वहां का काम उप निरीक्षक के जिम्मे सौंप दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि अगले दो तीन दिनों में इंस्पेक्टरों की तबादला सूची जारी होने वाली है। इसमें रायपुर को तीन से चार टीआई मिल सकते हैं। इनमें से ही एक की पोस्टिंग की जा सकती है।