अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने एक बार फिर भारत की सराहना की है. लाहौर में एक रैली में इमरान ख़ान ने एक बार फिर भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का ज़िक्र किया और उसकी सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका का सहयोगी देश है, लेकिन वो रूस से तेल आयात कर रहा है, क्योंकि उसकी विदेश नीति अपने लोगों की बेहतरी के लिए. इमरान ख़ान ने पाकिस्तान की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा- हमारी विदेश नीति दूसरे लोगों की बेहतरी के लिए है. प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भी पिछले कुछ महीनों में इमरान ख़ान ने भारत की विदेश नीति की तारीफ़ की थी.
इमरान ख़ान ने कहा था कि भारत क्वाड का सदस्य है, लेकिन वो पाबंदी के बावजूद रूस से तेल आयात कर रहा है और भारत कहता है कि वो इस मामले में निष्पक्ष है. इमरान ख़ान कई बार आरोप लगा चुके हैं कि उनकी सरकार को गिराने में विदेशी शक्तियों का हाथ हैं, जिन्होंने यहाँ के कुछ लोगों के साथ मिलकर उनकी सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश रची थी. पिछले दिनों विपक्षी पार्टियों ने इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव को ख़ारिज किए जाने के बाद मामला अदालत पहुँचा और आख़िकार नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया. इस समय पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेता शहबाज़ शरीफ़ प्रधानमंत्री हैं और उनके नेतृत्व में गठबंधन सरकार चल रही है. (bbc.com)
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया निरंकुश देशों से बढ़ते खतरों का सामना कर रही है, जो लोकतंत्र को कमतर, मुक्त व्यापार को खत्म करने और सम्प्रभुत्ता को कुचलना चाहते हैं तथा ऐसे में भारत के साथ ब्रिटेन की साझेदारी समुद्री तूफानों में प्रकाशपुंज है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता से पहले जॉनसन ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच जलवायु परिवर्तन से लेकर ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा तक के मुद्दों पर भागीदारी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देश भविष्य की ओर देख रहे हैं।
ब्रिटिश उच्चायोग ने कहा कि जॉनसन के प्रधानमंत्री मोदी के साथ पांच क्षेत्रों भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर में अगली पीढ़ी की रक्षा और सुरक्षा भागीदारी पर चर्चा करने की उम्मीद है क्योंकि दोनों देश नए जटिल खतरों का सामना कर रहे हैं।
उसने एक बयान में कहा कि इसमें भारत निर्मित नए लड़ाकू विमानों के लिए सहयोग, युद्धक विमान निर्माण पर ब्रिटेन की उत्कृष्ट जानकारी पेश करना और हिंद महासागर में सूचनाओं की पहचान तथा उनसे निपटने के लिए नयी प्रौद्योगिकी के वास्ते भारत की आवश्यकताओं में सहयेाग देना शामिल है।
उच्चायोग ने कहा, ‘‘आने वाले दशकों में भारत के साथ वृहद रक्षा और सुरक्षा भागीदारी के समर्थन में ब्रिटेन भारत को ऑपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस (ओजीईएल) जारी करेगा जिससे नौकरशाही कम होगी और रक्षा खरीद के लिए आपूर्ति का समय कम होगा। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारा पहला ओजीईएल है।’’
उसने कहा कि जॉनसन स्वच्छ एवं नवीनीकरण ऊर्जा पर नए सहयोग पर भी चर्चा करेंगे, जिसका मकसद आयातित तेल से नयी दिल्ली के ऊर्जा बदलाव को समर्थन देना और सुरक्षित तथा टिकाऊ ऊर्जा के जरिए इसके लचीलेपन को बढ़ाना तथा ब्रिटेन और भारत दोनों देशों में जलवायु परिवर्तन से निपटना है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में दो दिवसीय यात्रा पर बृहस्पतिवार को भारत पहुंचे थे।
उच्चायोग ने जॉनसन के हवाले से कहा, ‘‘दुनिया निरंकुश देशों से बढ़ते खतरों का सामना कर रही है, जो लोकतंत्र को कमतर, मुक्त व्यापार को खत्म करने और सम्प्रभुत्ता को कुचलना चाहते हैं। भारत के साथ ब्रिटेन की भागीदारी इन तूफानी सागरों में प्रकाशपुंज है।’
उच्चायोग ने कहा कि ब्रिटेन और भारत किफायती हरित हाइड्रोजन पर काम तेज करने के लिए वर्चुअल हाइड्रोजन विज्ञान एवं नवोन्मेष हब शुरू कर रहे हैं। (भाषा)
मास्को, 22 अप्रैल। उत्तरी-पश्चिमी रूसी सहर त्वेर स्थित एक रक्षा अनुसंधान केंद्र में बृहस्पतिवार को आग लगने से इमारत में फंसे लोग खिड़कियों से छलांग लगाने लगे। आग लगने के कारण छह लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 से अधिक लोग घायल हो गये। शहर के प्रशासन ने यह जानकारी दी
‘एअरोस्पेस डिफेंस फोर्सेस सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के प्रशासनिक भवन में सबसे पहले आग लगी जिसने तेजी से इमारत की ऊपरी तीन मंजिल को अपनी चपेट में ले लिया। इसके बाद इमारत में रह रहे लोग खिड़कियों से छलांग लगाने लगे और छत धंसने लगी।
इस संस्थान का संचालन रूसी रक्षा मंत्रालय के तहत किया जाता है। क्षेत्रीय सैन्य अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। सरकार समाचार एजेंसी तास ने कहा कि शुरुआती जांच इस बात की ओर इशारा कर रही है कि आग का कारण बहुत पुरानी वायरिंग हो सकती है।
रूसी रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक यह संस्थान हवाई और अंतरिक्ष रक्षा से संबंधित अनुसंधान पर काम करता है, जिसमें नई विमान-रोधी प्रणाली विकसित करना शामिल है। (एपी)
-विनय झा
नई दिल्ली. स्वदेशी सोशल मीडिया ऐप कू ने अपना एल्गोरिदम सार्वजनिक कर दिया है. यह प्लेटफॉर्म फीड, ट्रेंडिंग, लोगों की रिकमंडेशंस और नोटिफिकेशंस जैसे अपने चार मुख्य एल्गोरिदम के प्रमुख वैरिएबल्स की चर्चा करता है. ये 4 एल्गोरिदम ही यूजर्स की ओर से देखे और इस्तेमाल किए जाने वाले कंटेंट के प्रकार को तय करते हैं. कू के को-फाउंडर और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण के मुताबिक, एल्गोरिदम जारी करना कंपनी की इस प्रतिबद्धता का हिस्सा है कि कू में कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं है. साथ ही, कंपनी की सभी नीतियों को कू की वेबसाइट पर कई भाषाओं में भी समझाया गया है. उन्होंने कहा कि कंपनी की कोशिश अपने सभी यूजर्स को लगातार बताने की है कि कू कैसे संचालित होता है और किस तरह से कंपनी भविष्य के लिए एक सुरक्षित, निष्पक्ष और विश्वसनीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बना रही है. कू की वेबसाइट पर इन एल्गोरिदम को मार्च, 2022 में ही पब्लिक कर दिया गया था.
आप अपने सोशल अकाउंट पर किस तरह का कंटेंट देखना चाहते हैं, अब आप इसे मैनेज कर सकते हैं. इस फीचर के लिए Koo App ने अपना एल्गोरिदम सार्वजनिक कर दिया है और ऐसा करने वाला यह पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है. कू ऐप के इस कदम से यूजर्स सभी कंटेंट को मैनेज कर सकेंगे कि वे क्या देखना चाहते हैं. इस तरह से कू ऐप ने पारदर्शी और सुरक्षित प्लेटफॉर्म के रूप में खुद को एक कदम आगे बढ़ा दिया है. यह यूजर्स को यह जानने का अधिकार देता है कि वे कोई कंटेंट क्यों देख रहे हैं. कू की आधिकारिक वेबसाइट पर इन एल्गोरिदम को मार्च 2022 में ही पब्लिक कर दिया गया था.
कू ने हाल ही में दुनिया में पहली बार स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन का फीचर सभी यूजर्स के पेश किया था. सोशल मीडिया पर कोई आईडी फेक है या असली, इसकी पहचान करना तब बहुत मुश्किल हो जाता है, जब अकाउंट वेरिफाइड न हो. आमतौर पर वीआईपी लोगों के ही खाते वेरिफाई होते हैं, लेकिन हाल ही में कू ने अपना खाता खुद वेरिफाई करने की सुविधा प्रदान की है. खास बात यह है कि दुनिया में सबसे पहले यह फीचर कू ने ही दिया है. इसके लिए आपके पास सिर्फ कोई वैध सरकारी आई़़डी होनी चाहिए. अभी सिर्फ आधार को ही लाइव किया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि कू पर अपने अकाउंट को आधार के जरिए वेरिफाई कर सकते हैं.
राधाकृष्ण और बिदावत ने की थी शुरुआत
अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावत ने 2020 में कू की शुरुआत की थी, ताकि यूजर्स को अपनी बात कहने और भारतीय भाषाओं के प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ने का अवसर मिल सके. यह हिंदी, तेलुगु और बंगाली सहित कई भाषाओं में उपलब्ध है. कू के को-फाउंडर मयंक बिदावत ने कहा, “हम अपने मुख्य स्टेकहॉल्डर्स, यूजर्स और क्रियेटर्स पर बहुत ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. सही क्रियेटर्स की खोज के लिए यूजर्स की मदद करना महत्वपूर्ण है.
-ललित मौर्य
भुखमरी का आलम यह है कि करीब 72 लाख इथियोपियन खाली पेट सोने को मजबूर हैं। इसी तरह सोमालिया की करीब 40 फीसदी आबादी तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही
केन्या में भोजन के लिए संघर्ष करती बेटी फातूमा के साथ महाधा; फोटो: वर्ल्ड फूड प्रोग्रामकेन्या में भोजन के लिए संघर्ष करती बेटी फातूमा के साथ महाधा; फोटो: वर्ल्ड फूड प्रोग्राम केन्या में भोजन के लिए संघर्ष करती बेटी फातूमा के साथ महाधा; फोटो: वर्ल्ड फूड प्रोग्राम
बारिश के मौसम को शुरू हुए अफ्रीका में करीब एक महीना हो चुका है, इसके बावजूद हॉर्न ऑफ अफ्रीका (इथियोपिया, केन्या, सोमालिया) का यह क्षेत्र अब तक सूखे की मार और पानी की कमी से जूझ रहा है। नतीजन यहां रहने वाले लाखों परिवार हर दिन अपने जीवन के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि यदि परिस्थितियां जल्द न बदली तो यहां रहने वाले करीब 2 करोड़ लोगों के लिए पेट भरना नामुमकिन हो जाएगा।
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्लूएफपी) का कहना है कि समय तेजी से हमारे हाथों से निकला जा रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक तरफ जहां सोमालिया जो पहले ही भुखमरी से जूझ रहा है, वो अगले छह महीनों में आकाल का सामना करने को मजबूर हो जाएगा। एक तरफ जहां सूखे के कारण फसलें सूख रही हैं, वहीं घटती मानवीय सहायता के चलते भुखमरी से ग्रस्त लोगों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।
भुखमरी का आलम यह है कि करीब 72 लाख इथियोपियन पहले ही खाली पेट सोने को मजबूर हैं। देखा जाए तो इथियोपिया 1981 के बाद से अपने सबसे गंभीर सूखे का सामना कर रहा है। इसी तरह केन्या में भी पांच लाख से ज्यादा लोग भुखमरी के भयावह स्तर से बस एक कदम दूर हैं।
देखा जाए तो दो वर्षों से भी कम समय में केन्या में ऐसे लोगों की संख्या चार गुना से ज्यादा बढ़ गई है, जिन्हें अपना जीवन चलाने के लिए सहायता की जरुरत है। छोटी अवधि के लिए जारी बारिश के विश्लेषण के अनुसार सूखे के कारण केन्या में 31 लाख लोग आने वाले वक्त में खाने की कमी का शिकार बन सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, लगातार तीन मौसमों में हुई औसत से कम बारिश ने भुखमरी की समस्या को और विकराल बना दिया है। ऐसे में उन परिवारों के लिए समय तेजी से निकलता जा रहा है, जो जीवित रहने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
सोमालिया में भी करीब 60 लाख लोग या करीब 40 फीसदी आबादी तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है। बारिश और मानवीय सहायता के आभाव में वहां आकाल पड़ सकता है। इसी तरह इथियोपिया में कुपोषण की दर आपातकाल की सीमा से काफी ऊपर जा चुकी है।
ऐसा नहीं है बारिश की कमी और सूखे ने केवल इंसानों को ही अपना निशाना बनाया है। पता चला है कि दक्षिणी इथियोपिया और केन्या के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में लगभग 30 लाख पशुओं की जान इस सूखे ने लील ली है।
वहीं 2021 के मध्य से सोमालिया में 30 फीसदी परिवारों के मवेशी इसका निवाला बन चुके हैं। इतना ही नहीं कई अफ्रीका देश संघर्ष की आग में जल रहे हैं, जबकि साथ ही खाद्य कीमतों की बढ़ते कीमते, आर्थिक असुरक्षा और टिड्डियों के हमले उनके परेशानियों को और बढ़ा रहे हैं।
जरुरी है जल्द कार्रवाई
इस बारे में डब्ल्यूएफपी से जुड़े पूर्वी अफ्रीका के क्षेत्रीय निदेशक माइकल डनफोर्ड का कहना है कि, "हम पिछले अनुभव से जानते हैं कि मानवीय आपदा को रोकने के लिए जल्द कार्रवाई कितनी महत्वपूर्ण है, फिर भी प्रतिक्रिया शुरू करने की हमारी क्षमता सीमित है।"
उनके अनुसार पिछले साल से ही डब्ल्यूएफपी और अन्य एजेंसियां इस बारे में चेतावनी दे रही है कि अगर तुरंत कार्रवाई न की गई तो यह सूखा विनाशकारी रूप ले सकता है, लेकिन धन के आभाव में वो जरुरी कदम न उठा पाने के लिए मजबूर हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 में हॉर्न ऑफ अफ्रीका में ऐसा ही सूखा पड़ा था, लेकिन जल्द कार्रवाई ने तबाही को टाल दिया था। वहीं अब 2022 में संसाधनों की भारी कमी के चलते इस बात की आशंका कहीं ज्यादा बढ़ गई है कि आने वाले वक्त में इस आपदा को रोकना संभव नहीं होगा, जिसका परिणाम यहां रहने वाले लाखों परिवारों को भुगतना होगा।
यूक्रेन में जारी संघर्ष ने बढ़ा दी हैं दिक्कतें
अंतराष्ट्रीय एजेंसी की मानें तो यूक्रेन में जारी संघर्ष के चलते हॉर्न ऑफ अफ्रीका की स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई है, क्योंकि इस युद्ध के चलते भोजन और ईंधन की लागत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में डब्ल्यूएफपी का कहना है कि सूखा प्रभावित देशों के इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है।
अफ्रीका में विशेष रूप से इथियोपिया और सोमालिया में खाने की कीमतें आसमान छू रही हैं। गौरतलब है कि यह क्षेत्र काला सागर क्षेत्र के देशों से आने वाले गेहूं पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है। इसी तरह इस क्षेत्र से उर्वरकों की हो रही कम आपूर्ति भी चिंता का विषय है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि जब वो यूक्रेन युद्ध के पहलुओं पर विचार कर रहे हो तो उन्हें हॉर्न ऑफ अफ्रीका की जरूरतों के बारे में सोचना चाहिए।
ऐसे में इस मानवीय आपदा से निपटने के लिए डब्ल्यूएफपी ने फरवरी 2022 में जरुरी फंडिंग की अपील वैश्विक समुदाय से की थी लेकिन उसे जरुरत का केवल 4 फीसदी ही मिल पाया था। ऐसे में स्थिति से निपटने के लिए अगले छह महीनों में डब्ल्यूएफपी को करीब 3,600 करोड़ रुपए की जरुरत है, जिसकी मदद से स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। (downtoearth.org.in)
इस्लामाबाद, 20 अप्रैल। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पद संभालने के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद बुधवार को कहा कि पाकिस्तान कर्ज में डूब रहा है और इस नाव को किनारे तक पहुंचाना नयी सरकार का काम है।
शरीफ ने कैबिनेट को संबोधित करते हुए कहा, "मैं इसे युद्ध कैबिनेट मानता हूं क्योंकि आप गरीबी, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ रहे हैं। यह सभी समस्याओं के खिलाफ युद्ध है...।" उनके संबोधन का सरकारी मीडिया द्वारा प्रसारण किया गया।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार विभिन्न मुद्दों को हल करने में बुरी तरह नाकाम रही। उन्होंने विचार विमर्श की "गहन और निरंतर" प्रक्रिया के जरिए देश, विशेष रूप से गरीब परिवारों को राहत मुहैया कराने पर जोर दिया।
शरीफ ने मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए सहयोगी दलों को धन्यवाद दिया और समस्याओं को दूर करने के लिए कैबिनेट सहयोगियों की क्षमताओं की सराहना की। उन्होंने अपने गठबंधन सहयोगियों को धन्यवाद देते हुए कहा, "आज एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि हमने भ्रष्ट सरकार को हटाकर संवैधानिक और कानूनी रूप से पदभार ग्रहण किया है।"
उन्होंने कहा, ‘‘ यह गठबंधन पाकिस्तान के इतिहास में सबसे व्यापक है। यह गठबंधन पार्टियों के विभिन्न राजनीतिक दृष्टिकोणों के बावजूद लोगों की सेवा करेगा।’’
शरीफ ने कहा कि यह कैबिनेट "अनुभव और युवाओं का संयोजन" है। मुद्दों का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि बिजली की कमी और भारी कर्ज देश के सामने प्रमुख मुद्दों में से एक है। उन्होंने कहा, "देश कर्ज में डूब रहा है लेकिन हमें इसकी नाव को किनारे तक ले जाना है।" (भाषा)
वारसा, 20 अप्रैल । यूक्रेन में अपने परिवार के घर के तहखाने में बिना बिजली या पानी के हफ्तों बिताने के बाद, विक्टोरिया सव्यिचकिना ने अपनी नौ और 14 वर्षीय बेटियों के साथ चारों तरफ से घिरे शहर मारियुपोल से भाग निकलने का साहसी कदम उठाया।
अभी के लिए उनका आवास पोलैंड की राजधानी में एक बड़ा सम्मेलन केंद्र है। सव्यिचकिना ने कहा कि उन्होंने मारियुपोल में नष्ट हुए घर की एक तस्वीर देखी। एक दूसरे देश में शरणार्थी शिविर के बिस्तर पर मौजूद 40 वर्षीय ये महिला अपने और अपने बच्चों की जिंदगी फिर से नए सिरे से शुरू करने पर विचार कर रही है।
सव्यिचकिना ने कहा, “हम यह तक नहीं जानते कि हम जा कहां रहे हैं, आगे क्या होने वाला है। मैं निश्चित रूप से घर जाना चाहूंगी। हो सकता है, यहां पोलैंड में मुझे आनंद आए।”
यूक्रेन में युद्ध शुरू हुए करीब आठ हफ्ते हो रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने बुधवार को कहा कि 24 फरवरी को रूसी हमला शुरू होने के बाद से अब तक 50 लाख से ज्यादा यूक्रेनी लोग पलायन कर चुके हैं। यूएनएचसीआर ने 30 मार्च को कहा था कि 40 लाख लोग यूक्रेन से भाग गए हैं। ये जिनेवा स्थित यूएनएचसीआर द्वारा अनुमानित पलायन से कहीं ज्यादा है।
यूक्रेन में युद्ध पूर्व जनसंख्या 4.4 करोड़ है और शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने कहा कि यूक्रेन के अंदर 70 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं और बुधवार तक 50 लाख 30 हजार लोग देश छोड़ चुके थे।
एजेंसी के मुताबिक 1.30 करोड़ लोगों के यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे होने की उम्मीद है।
यूएनएचसीआर की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया, “हमने देखा है कि यूक्रेन की लगभग एक चौथाई आबादी, कुल मिलाकर 1.2 करोड़ से अधिक लोगों को अपने घरों से पलायन करने के लिए मजबूर किया गया है, इसलिए यह लोगों की एक चौंका देने वाली संख्या है।”
इन लोगों में से आधे से अधिक, करीब 28 लाख सबसे पहले पोलैंड भाग गए। उनमें से बहुत से लोग हालांकि वहां रुके हैं, लेकिन काफी लोगों के वहां से आगे चले जाने की सूचना है। सव्यिचकिना भी अपनी बेटियों को जर्मनी ले जाने पर विचार कर रही है।(एपी)
श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शन में शामिल लोगों को तितर-बितर करने के लिए चलाई गई पुलिस की गोली से एक शख़्स की मौत हो गई है. साथ ही 11 और लोग घायल हो गए हैं.
बताया गया है कि इस घटना में 10 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. इन सभी को केगले अस्पताल में भर्ती किया गया है.
केगले अस्पताल की डायरेक्टर ने भी इस मामले की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि घायलों में से दो की फ़िलहाल सर्जरी की जा रही है.
गोलीबारी की ये घटना मंगलवार को श्रीलंका के पश्चिमी मध्य भाग के रांबुक्काना शहर में हुई.
इस घटना के बारे में पुलिस के प्रवक्ता निहाल तल्डुवा ने बीबीसी सिंहला को बताया कि 15 घंटों से प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी.
पुलिस ने यह भी बताया कि रांबुक्काना में अभी से अगली सूचना तक कर्फ़्यू लगा दिया गया है.
मालूम हो कि देश के असाधारण आर्थिक संकट के विरोध में मंगलवार को देश के कई इलाक़ों में विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया था.
ये विरोध प्रदर्शन रांबुक्काना, हिंगुराकगोडा, बड्डेगामा, डिगाना, गंपोला, रत्नापुरा और तेल्देनिया में किए गए थे.
बीबीसी सिंहला के अनुसार, प्रदर्शनों के दौरान रांबुक्काना से गुजरने वाली रेल लाइन के बाधित होने के चलते उस मार्ग पर ट्रेन सेवा में भी विलंब हुआ
श्रीलंका में अमेरिका के राजदूत जूली चुंग ने ट्वीट कर मंगलवार को हुई गोलबारी की कड़ी निंदा की है.
उन्होंने सोशल मीडिया साइट पर लिखा, ''मैं रांबुक्काना से आई डराने वाली ख़बर से बहुत दुखी हूं. चाहे प्रदर्शनकारी हों या पुलिस उनके ख़िलाफ़ होने वाली किसी भी तरह की हिंसा की मैं निंदा करती हूं. मैं सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील करती हूं. इस मामले की पूरी, पारदर्शी जांच ज़रूरी है. शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के लोगों के हक़ की बहाली की मांग की करती हूं.'' (bbc.com)
पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने मंगलवार को सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा से मुलाक़ात की. प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक़ दोनों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई.
इसके अलावा पीएम कार्यालय ने कोई जानकारी नहीं दी है. शहबाज़ शरीफ़ के पीएम का पद संभालने के बाद सेना प्रमुख से उनकी पहली मुलाक़ात है. दोनों के बीच मुलाक़ात ऐसे समय हुई है, जब शहबाज़ शरीफ़ की नई कैबिनेट ने आज ही शपथ ली है. पाकिस्तान के पीएम ने अपनी कैबिनेट में 34 मंत्रियों को शामिल किया है. इसके अलावा तीन सलाहकारों को भी शपथ दिलाई गई है. (bbc.com)
संयुक्त राष्ट्र, 19 अप्रैल। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि पूर्वी यूक्रेन में रूस के आक्रमण ने इस युद्ध को अनिवार्य रूप से अधिक ‘‘हिंसक, रक्तरंजित और विध्वंसकारी’’ बना दिया है।
गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए बृहस्पतिवार से शुरू होने वाले और 24 अप्रैल ईस्टर रविवार तक चलने वाले चार दिवसीय पवित्र सप्ताह में आक्रमण पर मानवीय आधार पर रोक की मांग की ताकि मानवीय गलियारे खोले जा सकें।
उन्होंने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि यूक्रेन में युद्धविराम के लिए कई पक्षों द्वारा किए गए प्रयास विफल रहे हैं।
गुतारेस ने कहा, ‘‘ चार दिन की ईस्टर अवधि लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए एकजुट होने और यू्क्रेन की पीड़ा समाप्त करने के लिए बातचीत बढ़ाने के लिहाज से होनी चाहिए।’’ (भाषा)
लद्दाख़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास मौजूद हॉट स्प्रिंग में भारतीय पक्ष के बेहद नज़दीक़ चीन ने तीन मोबाइल टावर लगाए हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' ने अपनी विशेष रिपोर्ट में लिखा है कि शीतकालीन चरागाह से लौटे चरवाहों ने इसकी जानकारी दी है.
इसके साथ यह भी माना जा रहा है कि बीजिंग इस जगह पर इमारतें स्थापित करने और अपनी सैन्य मौजूदगी को विस्तार देने पर भी ध्यान दे सकता है. यह उन इलाक़ों में से एक है जहां पर साल 2020 से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं.
लद्दाख़ स्वायत्त पहाड़ी परिषद के चुशुल का प्रतिनिधि करने वाले कोंचोक स्टेंज़िन ने बताया है कि इस तरह के दूरस्थ इलाक़े में चीन का मोबाइल टावर लगाना दिखाता है कि भारतीय हिस्से के सीमाई गांवों में संचार ढांचा बहुत ख़राब है.
उन्होंने अख़बार से कहा, "इस तरह के अलग-थलग पड़े इलाक़े में वो (चीन) 4जी टावर लगा रहा है. उनके चरवाहे अब कनेक्टेड रहेंगे. हमारे चरवाहे जब अपने जानवरों के साथ निकलते हैं तो वो भटक जाते हैं. सिर्फ़ दो को छोड़कर सभी सीमाई गांवों में अभी भी 2जी सेवा है जिसमें भी सिग्नल की कमी रहती है."
उन्होंने नए चीनी टावरों की तस्वीरें भी ट्वीट की हैं जो चरवाहों ने ली हैं लेकिन इसकी अख़बार ने स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है. (bbc.com)
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने कहा है कि पश्चिमी देशों ने उनके देश के खिलाफ प्रतिबंध लगा कर अपना ही नुकसान किया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक रूस की अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हुए पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा कर अपने ही खिलाफ गोल दाग लिया है.
उन्होंने कहा कि रूस पर प्रतिबंध लगाने से पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है. उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों के बावजूद रूस में महंगाई स्थिर है और खुदरा मांग भी सामान्य बनी हुई है.
इससे पहले पुतिन ने अपनी सरकार के शीर्ष अधिकारियों को वीडियो लिंक के जरिये संबोधित करते हुए कहा था कि रूस को अपने बजट का इस्तेमाल देश की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने और लिक्विडिटी बढ़ाने में करना चाहिए. यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर भारी प्रतिबंध लगाए हैं. (bbc.com)
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के महासचिव ने स्वीडन में पवित्र क़ुरान की प्रति जलाए जाने की आलोचना की है. ओआईसी का कहना है कि ऐसी घटनाएँ स्वीडन के लिंकोपिंग, नॉरकोपिंग और अन्य शहरों में हो रही हैं. ओआईसी के महासचिव का कहना है कि स्वीडन में धुर दक्षिणपंथी गुटों की ये कार्रवाई इस्लामोफ़ोबिया के बारे में फैलाई जा रही धारणा के बारे में मुस्लिम जगत की चिंता को और पुष्ट किया है.
उन्होंने कहा कि ये घटना आयोजकों की नस्लवादी और द्वेषपूर्ण मानसिकता की स्पष्ट अभिव्यक्ति है और उनकी कार्रवाई सभ्य समाज के सभी स्वीकृत मानदंडों और मूल्यों के ख़िलाफ़ है. हालाँकि ओआईसी के महासचिव ने इस बात को दोहराया कि ऐसी भड़काने वाली घटना स्वीडन और अन्य यूरोपीय देशों में बहुमत के विचारों को प्रदर्शित नहीं करती है. इस बीच स्वीडन में धुर दक्षिणपंथी गुटों की क़ुरान जलाने की योजना को लेकर हिंसक झड़प हुई है. पुलिस और नाराज़ लोगों के बीच हुई झड़प में 40 से अधिक लोग गिरफ़्तार हुए हैं. ओआईसी के अलावा कई देशों ने स्वीडन में हुई इस घटना की कड़ी आलोचना की है. (bbc.com)
रूसी सेना ने यूक्रेन के पश्चिमी शहर ल्वीव पर मिसाइलों से हमला किया है. बीबीसी न्यूज़ ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि रूसी सेना की मिसाइलों से कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है. इसमें एक बच्चा भी शामिल है.
ल्वीव यूक्रेन का सुदूर पश्चिमी शहर है और इस बीच इस पर हमले नहीं हुए थे. मार्च में हुए हमले में यहाँ कुछ लोग मारे गए थे. रूस का ये हमला यूक्रेन की ओर से चार रूसी क्रूज मिसाइलों को ध्वस्त करने के दावे के बाद हुआ है.
ल्वीव के मेयर एंद्री सदोवी ने कहा, ''रूसी मिसाइलों ने सोमवार की सुबह शहर पर हमला किया. एक मिसाइल ने एक होटल को निशाना बनाया, जिसमें लोगों को लड़ाई वाले इलाक़े से हटा कर रखा गया था.''
उन्होंने कहा कि रूस जानबूझ कर नागरिकों को निशाना बना रहा है. उन्होंने यूक्रेन के 1+1 टीवी चैनल से कहा, '' ये नरसंहार है. यह जानबूझ कर यूक्रेन के लोगों को बरबाद करने की कोशिश है. ''
सदोवी ने बताया कि एक रूसी सेना ने एक यूक्रेनी सैन्य अड्डे पर हमला किया. इसमें छह लोग मारे गए और 11 लोग घायल हो गए. करीब 40 कारें नष्ट हो गईं. (bbc.com)
पिछले साल पाकिस्तान के सियालकोट में एक श्रीलंकाई नागरिक प्रियंथा कुमारा की ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
अब इस मामले में पाकिस्तान की एंटी-टेररिज़्म कोर्ट ने 6 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई है. वहीं 9 लोगों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई है. इस मामले के 72 दोषियों को 2-2 साल की सज़ा सुनाई गई है.
श्रीलंकाई नागरिक प्रियंथा सियालकोट की एक फ़ैक्ट्री में बतौर मैनेजर काम करते थे. पिछले साल तीन दिसंबर को हिंसक भीड़ ने ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीट कर उनकी हत्या की और बाद में उनके शरीर में आग लगा दी. (bbc.com)
कोलंबो, 18 अप्रैल। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने सोमवार को 17 मंत्रियों की नयी कैबिनेट का गठन किया, जिसमें उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, राजपक्षे परिवार की ओर से एक मात्र सदस्य हैं।
इस महीने की शुरुआत में देशभर में हजारों लोग आपातकाल और कर्फ्यू की अवहेलना करते हुए सरकार की निंदा करने के लिये सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राष्ट्रपति को विपक्षी सदस्यों को साथ लेते हुए समावेशी कैबिनेट के गठन का रास्ता साफ करने को मजबूर होना पड़ा था। हालांकि विपक्ष ने पेशकश को ठुकरा दिया था।
महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को 17 सदस्यीय मंत्रिमंडल के साथ शपथ ली। इससे पहले तीन मंत्रियों को नियुक्त किया गया था।
नये मंत्रिमंडल में परिवार की ओर से पूर्व सदस्यों चामल राजपक्षे और महिंदा के बेटे नामल राजपक्षे को जगह नहीं दी गई है। ये दोनों कैबिनेट मंत्री थे जबकि शशिंद्र राजपक्षे राज्यमंत्री थे।
श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद, अब तक के सबसे बदतर आर्थिक हालात से गुजर रहा है। आर्थिक संकट के चलते देश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। इसके चलते लोग पिछले दिनों घंटों बिजली गुल रहने व ईंधन, खाद्य सामग्री, तथा रोजमर्रा की जरूरत के सामान की कमी के कारण सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करने लगे। (भाषा)
कीव, 18 अप्रैल। पश्चिमी यूक्रेन के ल्वीव शहर में सोमवार तड़के संभवत: मिसाइल हमलों के कारण कई विस्फोट हुए। प्रत्यदर्शियों ने यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मारियुपोल में ‘‘आखिरी दम तक लड़ने’’ का संकल्प किया है। रूसी सेना ने बंदरगाह शहर के एक विशाल इस्पात संयंत्र को नष्ट कर दिया है, जो दक्षिणी यूक्रेन के शहर मारियुपोल में प्रतिरोध का आखिरी स्थान था।
ल्वीव और पश्चिमी यूक्रेन के बाकी हिस्से, देश के अन्य हिस्सों की तुलना में रूसी आक्रमण में कम प्रभावित हुए हैं और अभी तक शहर को अपेक्षाकृत सुरक्षित आश्रय माना जाता रहा था।
ल्वीव के मेयर एंड्री सदोवी ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर बताया कि शहर पर पांच मिसाइलें दागी गईं और आपात सेवा कर्मी मौके पर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि विस्तृत जानकारी जल्द दी जाएगी।
यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शिमगल ने रविवार को ‘एबीसी’ से कहा, ‘‘हम इस युद्ध में जीत के लिए आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ेंगे। यूक्रेन कूटनीति के जरिए युद्ध को समाप्त करने को तैयार है, लेकिन हमारा इरादा आत्मसमर्पण का नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि यूक्रेन, यदि संभव हो तो कूटनीति के माध्यम से युद्ध को समाप्त करने के लिए तैयार है, ‘‘लेकिन हमारा इरादा आत्मसमर्पण करने का नहीं है।’’
यूक्रेन के उप रक्षामंत्री हन्ना मालयार ने मारियुपोल को ‘‘यूक्रेन की रक्षा करने वाली ढाल’’ बताया। उन्होंने कहा कि मारियुपोल पर रूस के हमले के बावजूद यूक्रेनी बल डटे हुए हैं।
देश के विभिन्न हिस्सों में मिसाइल और रॉकेट दागे गए हैं। जेलेंस्की ने रूसी सैनिकों पर अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में लोगों को यातनाएं देने और उन्हें अगवा करने का आरोप लगाया है।
जेलेंस्की ने कहा कि वह पूर्वी यूक्रेन को ‘‘सुरक्षित रखने के लिए सबकुछ कर रहे हैं।’’
जेलेंस्की ने रविवार शाम राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यातना कक्ष बनाए गए हैं। वे स्थानीय सरकारों के प्रतिनिधियों और स्थानीय समुदाय के लोगों का अपहरण कर रहे हैं।’’
जेलेंस्की ने कहा कि मानवीय सहायता सामान की चोरी की गई है, जिससे अकाल की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
जेलेंस्की ने दुनिया से रूस के खिलाफ बैंकिंग क्षेत्र और तेल उद्योग सहित अन्य क्षेत्रों में लगाए प्रतिबंधों को बढ़ाने का एक बार फिर आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘ यूरोप और अमेरिका में हर कोई देख सकता है कि रूस खुले तौर पर पश्चिमी समाज को अस्थिर करने के लिए ऊर्जा का उपयोग कर रहा है। इसका मुकाबला करने के लिए पश्चिमी देशों को तेजी से नए एवं शक्तिशाली प्रतिबंध लगाने चाहिए।’ (एपी)
तेहरान, 18 अप्रैल। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर इजराइल उनके देश के खिलाफ ‘‘कोई छोटा सा कदम’’ भी उठाता है, तो ईरानी सशस्त्र बल उसे निशाना बनाएंगे।
उन्होंने यह बात तब कही जब ईरान की परमाणु क्षमताओं पर लगाम लगाने के लिए एक समझौते पर बातचीत रुकी हुई है। ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम का शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए उपयोग करने का दावा करता है।
इज़राइल, यह कहते हुए समझौते का विरोध करता है कि यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम या पूरे क्षेत्र में उसकी सैन्य गतिविधियों को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है। इजराइल के अधिकारियों ने कहा है कि वे अपने देश की रक्षा के लिए एकतरफा कदम उठाएंगे।
रायसी ने ईरान के सशस्त्र बलों की वार्षिक परेड में एक भाषण के दौरान सीधे इज़राइल को संबोधित किया।
तेल अवीव का जिक्र करते हुए रायसी ने कहा, ‘‘यदि आप ईरान के खिलाफ कोई छोटे से छोटा कदम भी उठाते हैं, तो हमारे सशस्त्र बलों का निशाना ज़ायनी (यहूदीवादी) शासन का केंद्र होगा।’’
रायसी ने विस्तार से नहीं बताया, लेकिन कहा कि ईरान इजराइल के हर कदम पर ‘‘बारीकी से’’ नजर रखता है।
ईरान ने 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से इजराइल को मान्यता नहीं दी है। इस क्रांति ने पश्चिम समर्थक राजशाही को हटा दिया और इस्लामवादियों को सत्ता में पहुंचाया। यह हमास और हिजबुल्लाह जैसे इजराइल विरोधी आतंकवादी समूहों का समर्थन करता है।
रायसी ने कहा कि ईरान की सैन्य शक्ति एक प्रतिरोधक है। उन्होंने कहा कि तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर देश पर वर्षों से लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद सेना अपनी क्षमताओं में सुधार करने में सफल रही है। सोमवार की परेड में जेट लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टर, ड्रोन और वायु रक्षा प्रणालियों के साथ-साथ सैन्य टैंक, मिसाइल और नौसेना के जहाजों का प्रदर्शन किया गया।
इज़राइल ने हाल के वर्षों में फारस की खाड़ी में पड़ोसी अरब देशों के साथ संबंधों में सुधार किया है, जिससे ईरान के नेता नाराज हैं। तेहरान ने अपने परमाणु स्थलों की तोड़फोड़ और अपने परमाणु वैज्ञानिकों की हत्याओं के लिए इज़राइल को भी दोषी ठहराया है।
परमाणु समझौता चार साल पहले टूट गया था जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने देश को इस समझौते से अलग करते हुए ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। इस बीच, ईरान ने अपने परमाणु कार्य का व्यापक विस्तार किया है। (एपी)
डेट्रॉयट (अमेरिका), 18 अप्रैल। ‘टेस्ला’ कम्पनी के शेयरधारकों के एक समूह ने कम्पनी को निजी बनाने के बारे में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एलन मस्क के 2018 के कुछ ट्वीट को लेकर उन पर मुकदमा कर दिया है और संघीय न्यायाधीश से मस्क को मामले पर टिप्पणी करना बंद करने का आदेश देने का अनुरोध किया है।
अदालती दस्तावेजों में टेक्सास स्थित कम्पनी के शेयरधारकों के वकीलों ने कहा कि मामले में एक न्यायाधीश ने फैसला सुनाया था कि टेस्ला को निजी बनाने के लिए ‘‘निधि सुरक्षित रखने’’ से जुड़े मस्क के ट्वीट झूठे थे और उनकी टिप्पणी 2018 के अदालती समझौते का भी उल्लंघन करती है। समझौते के तहत मस्क और टेस्ला ने दो-दो करोड़ डॉलर का जुर्माना देने पर सहमति व्यक्त की थी।
गौरतलब है कि मस्क ने बृहस्पतिवार को ‘टेड 2022’ सम्मेलन में एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि उनके पास 2018 में टेस्ला को निजी बनाने के लिए धन था। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल इसलिए समझौता कर लिया क्योंकि बैंक अधिकारियों ने उन्हें कहा था कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो वे धन मुहैया करना बंद कर देंगे और टेस्ला कम्पनी दिवालिया हो जाएगी।
टेस्ला शेयरधारकों के वकीलों ने शुक्रवार को दायर अदालती दस्तावेजों में आरोप लगाया कि मस्क मुकदमे में संभावित ज्यूरी के सदस्यों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
वकीलों का कहना है कि मस्क संभावित ज्यूरी के सदस्यों को प्रभावित करने के लिए अभियान चला रहे हैं, क्योंकि मामले पर जल्द सुनवाई शुरू होने वाली है।
उन्होंने तर्क दिया कि मस्क ने 2018 के ट्वीट में टेस्ला को निजी बनाने के लिए 420 डॉलर प्रति शेयर की कीमत केवल शेयर की कीमतों में फेरबदल करने के लिए बताई थी।
वकीलों ने सैन फ्रांसिस्को में न्यायाधीश एडवर्ड एम. चेन से अनुरोध किया कि सुनवाई पूरी होने तक मस्क को इस मुद्दे पर आगे सार्वजनिक टिप्पणी करने से रोका जाए। इसके बाद, चेन ने मस्क के वकीलों से बुधवार तक मामले पर अपला रुख स्पष्ट करने को कहा।
मुकदमा ऐसे समय में दायर किया गया है, जब ट्विटर को खरीदने की पेशकश को लेकर पिछले कुछ दिनों से मस्क एक बार फिर चर्चा में बने हैं। मस्क ने ट्विटर के प्रत्येक शेयर के लिए 54.20 डॉलर की पेशकश की है। कुल मिलाकर यह पेशकश 43 अरब डॉलर से अधिक की है। (एपी)
-हुमैरा कंवल
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस्लामाबाद में स्थित प्रधानमंत्री हाउस में अपना काम तो शुरू कर दिया है, लेकिन प्रधानमंत्री हाउस ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है, कि इस समय देश की फ़र्स्ट लेडी कौन है.
पाकिस्तान में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, दोनों की ही पत्नियों को फ़र्स्ट लेडी कहा जाता है.
शहबाज़ शरीफ़ जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने गए तो उनके बेटे हमज़ा शहबाज़ शरीफ़ और भतीजी मरियम नवाज़ तो मेहमानों की गैलरी में मौजूद थे, लेकिन उनकी पत्नी कहीं नज़र नहीं आईं. और उस दिन भी प्रेस कॉरिडोर में सब लोग इस बारे में ही बात कर रहे थे कि फ़र्स्ट लेडी का टाइटल किसे मिलेगा?
इस बारे में दुविधा की वजह शहबाज़ शरीफ़ की तीन शादियां हैं, जिनमें से दो अब भी बरक़रार हैं.
बतौर एमएनए शहबाज़ शरीफ़ ने नेशनल असेंबली की डायरेक्टरी में अपनी डिटेल में मॉडल टाउन लाहौर का पता लिखवाया है, वहां संपर्क करने पर जवाब मिला कि 'फ़र्स्ट लेडी और प्रोटोकॉल के बारे में हमें नहीं पता हैं इसलिए प्रधानमंत्री हाउस से संपर्क करें."
हालांकि स्टॉफ़ ने यह ज़रूर कहा कि "जब से इस्लामाबाद में राजनीतिक गतिविधियां शुरू हुई हैं, तब से यहां घर का कोई भी व्यक्ति नहीं है."
यही बात प्रधानमंत्री हाउस में भी सामने आई है, जो अब शहबाज़ शरीफ़ का आवास है, और प्रोटोकॉल और पीएसओ दोनों कार्यालयों के स्टाफ़ ने एक-दूसरे पर ज़िम्मेदारी डालते हुए कहा, कि "हमें अभी कुछ नहीं पता कि फ़र्स्ट लेडी कौन है."
हालांकि, पूर्व की कई सरकारों में फ़र्स्ट लेडी के स्क्वाड का हिस्सा रहने वाली एक ऑफ़िसर ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया, कि इस समय शहबाज़ शरीफ़ तो प्रधानमंत्री हाउस में रह रहे हैं, लेकिन फ़र्स्ट लेडी अभी तक यहां नहीं आई हैं.
उन्होंने कहा कि फ़र्स्ट लेडी के लिए एक अलग टीम रिज़र्व होती है, जो उन्हें प्रोटोकॉल और सुरक्षा प्रदान करती है और जब भी वह कहीं जाती हैं, तो वह टीम उनके साथ होती है. उन्होंने बताया कि इस टीम में पुरुष और महिला दोनों शामिल हैं जो दैनिक आधार पर प्रधानमंत्री हाउस में मौजूद रहते हैं.
इस अफ़सर ने यह भी कहा कि सभी फ़र्स्ट लेडीज़ का सार्वजनिक और निजी कार्यक्रमों में भाग लेने का अनुपात एक-दूसरे से अलग रहा है, जैसे कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पत्नी बहुत ही कम समारोहों में शामिल हुई हैं. शरीफ़ परिवार को अच्छी तरह से जानने वाले पत्रकार और विश्लेषक सलमान ग़नी ने बीबीसी को बताया, कि "शहबाज़ शरीफ़ की तीन पत्नियां हैं, लेकिन कभी भी उनकी किसी पत्नी को उनके साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाते नहीं देखा गया है.'
शहबाज़ शरीफ़ की पहली पत्नी नुसरत शहबाज़ हैं जिनके हमज़ा शहबाज़ समेत तीन बच्चे हैं. वह शहबाज़ शरीफ़ की फ़र्स्ट कज़िन भी हैं. नुसरत शहबाज़ को कभी भी राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर सक्रिय नहीं देखा गया है और न ही उन्हें किसी सार्वजनिक समारोह में देखा गया है. हां, लेकिन उनकी संपत्ति का मूल्य चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक स्तर पर तब तब सामने आता रहा है, जब शहबाज़ शरीफ़ अपनी संपत्ति की घोषणा करते हैं.
शहबाज़ से ज़्यादा अमीर नुसरत शहबाज़
यहां तक कि साल 2018 में भी डॉन अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में चुनाव आयोग के बयानों और संपत्ति के ब्योरे का हवाला देते हुए लिखा था कि नुसरत शहबाज़ अपने पति शहबाज़ शरीफ़ से ज़्यादा अमीर हैं.
"उनकी संपत्ति में स्पिनिंग मिलें, पोल्ट्री फ़ार्म, ट्रेडिंग कंपनियां, टेक्सटाइल मिलें, डेयरी फ़ार्म्स और प्लास्टिक उद्योग सहित अन्य संपत्तियां शामिल हैं."
सलमान ग़नी कहते हैं, कि "ज़ाहिरी तौर पर ऐसा लगता है कि शरीफ़ परिवार को अपने घर की महिलाओं का सार्वजनिक तौर पर सामने आना पसंद नहीं है. लेकिन जब भी मुश्किल समय आया तो हमने देखा कि पहले नवाज़ शरीफ़ की पत्नी क़ुलसुम नवाज़ उनकी जिलावतनी के दौर में बहार निकल कर सामने आई और फिर नवाज़ शरीफ़ के अयोग्य घोषित होने पर, मरियम नवाज़ ने राजनीति में क़दम रखा और शायद अगर ये दोनों महिलाएं खड़ी नहीं होती, तो आज शहबाज़ शरीफ़ प्रधानमंत्री नहीं बन पाते और न पीएमएल-एन की राजनीति होती.
हालांकि इस दौरान भी शहबाज़ शरीफ़ के बेटे के अलावा न तो उनकी पत्नी और न ही उनकी कोई बेटी सार्वजनिक तौर पर सामने नज़र आई.
कौन हैं तहमीना दुर्रानी
उनकी एक दूसरी पत्नी आलिया है, जिनसे उनकी एक बेटी ख़दीजा है, हालाँकि ये दोनों अब अलग हो चुके हैं.
नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री की तीसरी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका तहमीना दुर्रानी हैं, जो चारसद्दा की रहने वाली हैं. तहमीना की किताब 'माई फ्यूडल लॉर्ड' काफ़ी चर्चित हुई थी. यह उनकी आत्मकथा है जिसमें उन्होंने अपने बीते हुए जीवन और पहली शादी के अनुभवों को लिखा है.
इस की वजह से उन्हें अपने माता-पिता की नाराज़गी का भी सामना करना पड़ा था. तहमीना दुर्रानी ने अब्दुल सत्तार एधी की जीवनी 'ए मिरर टू दि ब्लाइंड' भी लिखी है. उनकी अन्य दो किताबें, 'ब्लासफ़मी' और 'हैप्पी थिंग्स इन सॉरो टाइम्स' भी बहुत लोकप्रिय हुईं.
तहमीना ने 19 साल पहले शहबाज़ शरीफ़ से शादी की थी, लेकिन सलमान ग़नी के मुताबिक़ वह सार्वजनिक रूप से उतनी एक्टिव नहीं रहीं, जितनी एक्टिव पहले रहती थीं.
तहमीना के बारे में यही कहा जाता है कि वह सार्वजनिक तौर पर सामने नहीं आती हैं. चाहे वह शहबाज़ शरीफ़ के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान हो या उनके निर्वासन के दौरान, उन्हें सार्वजनिक तौर पर किसी भी कार्यक्रम में नहीं देखा गया. लेकिन अगर उनके ट्विटर अकाउंट पर जाएं, तो आपको उनकी सामाजिक गतिविधियों और एधी साहब के मिशन के प्रोमोशन के अलावा शहबाज़ शरीफ़ को शुभकामनाएं और कभी-कभी उनके साथ कुछ तस्वीरें दिखाई देंगी.
वह लाहौर में दस मरले के घर में रहती है. ट्विटर पर अपनी एक फ़ोटो में उन्होंने लिखा, "आज़ादी क्या है? दस मरला घर, रात के बारह बजे, कमरे में वह (शहबाज़ शरीफ़) के साथ बैठी मुस्कुरा रही हैं और दीवार पर बहुत सी तस्वीरें दिखाई देती हैं. "
शहबाज़ शरीफ़ के प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद तहमीना दुर्रानी ने न तो कोई ट्वीट किया और न ही वह शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुईं थी.
तहमीना ने ख़ुद को बताया फर्स्ट लेडी
हालांकि, एंकर मुबश्शिर लुक़मान के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर एक संक्षिप्त इंटरव्यू में, उन्होंने ख़ुद को फ़र्स्ट लेडी कहा और फिर तीन दिन बाद तहमीना दुर्रानी ने बिल्क़िस एधी का हाल चाल लेते हुए उनके साथ एक तस्वीर पोस्ट की.
उन्होंने लिखा, कि "आज बिल्क़िस और मैं अस्पताल के इस कमरे में बहुत रोए. वह एधी साहब के लिए रोई और मैं उनके लिए रोई. वह बहुत बीमार है और जब उन्होंने मुझे फ़र्स्ट लेडी कहा तो मैं नर्वस हो गई."
बिलकिस एधी से मिलते हुए उन्होंने उनकी तस्वीर के साथ एक ट्वीट किया और अपने लिए फ़र्स्ट लेडी का टाइटल भी इस्तेमाल किया. "बेशक, कोई भी फ़र्स्ट लेडी बिल्क़िस एधी की महानता की बराबरी नहीं कर सकती."
जब एंकर पर्सन मुबश्शिर लुक़मान ने अपने कार्यक्रम के दौरान बातचीत में उनसे पूछा कि आप शपथ ग्रहण समारोह में नहीं आईं, तो उन्होंने जवाब दिया, कि इतने सारे लोगों में मेरे जाने की ज़रुरत नहीं थी, जहां ज़रुरत होती है वहां मैं होती हूं, मैं कहूंगी कि आपने बधाई दी, बधाई के साथ बहुत सारी दुआएं भी दी. क्योंकि जिस मोड़ पर हमारा देश खड़ा है, उस मोड़ पर शहबाज़ शरीफ़ को जो काम मिला है, वह सिर्फ़ उनके कंधों पर ही पहाड़ नहीं है, बल्कि मेरे कंधों पर भी है, क्योंकि अब हम जवाबदेह हैं. क्या काम होगा चाहे थोड़ी देर हो या ज़्यादा देर हो."
तहमीना दुर्रानी ने कहा कि शहबाज़ शरीफ़ बहुत 'ग़रीब नवाज़' हैं. हर चीज़ को देखते हैं एक पल के लिए भी आराम नहीं करते हैं. "दस साल तक जब वह मुख्यमंत्री थे, मैंने उन्हें देखा ही नहीं. यह कोई बादशाहत नहीं है, उन्हें यह एक बहुत बड़ी नौकरी मिल गई है. अल्लाह करे वह इस नौकरी को निभा सकें और ग़रीब और शोषित जनता के लिए कुछ कर सकें. वे अपनी तरफ़ से करेंगे और मैं अपनी तरफ से करुंगी, लेकिन मैं तहमीना दुर्रानी ही रहूंगी.
कैप्शन- तहमीना दुर्रानी सामाजिक कार्यों में अब्दुल सत्तार एधी को अपना गुरु मानती हैं
मुबश्शिर लुक़मान ने उनसे पूछा कि वह महल छोड़कर दस मरले के घर में क्यों रह रही है. तहमीना दुर्रानी ने जवाब दिया, "दस मरले के घर में मध्यम वर्गीय रहता है, मैं मध्यम वर्गीय हूं और अब आपका प्रधानमंत्री भी मध्यम वर्गीय है." मैं तीन तीन साल एधी साहब के घर पर रह कर आती हूँ. मेरी औक़ात और शुरुआत वही है."
तहमीना ने, जो बहुत ही कम इंटरव्यू देती हैं मुबश्शिर लुक़मान से कहा, कि ''मैं दस मरले के घर में रहती हूं और मैं इसकी इज़्ज़त बनाना चाहती हूं. आपकी फ़र्स्ट लेडी एक मध्यम वर्गीय घर में रह रही है. मैं एक उदाहरण बना रही हूं."
शादी के बाद भी नहीं बदला नाम
कुछ साल पहले सुहैल वड़ैच को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, कि ''मैं कभी भी एमएनए या एमपीए नहीं बनना चाहती. उन्होंने यह भी कहा था कि अगर सार्वजनिक तौर पर सामने रही, तो फिर काम नहीं हो सकता.''
यह पूछे जाने पर कि नाम क्यों नहीं बदला, तो उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा नाम था जिसकी पहचान उनके काम से होती है और इसे बदलना अनुचित था, यह मेरी पहचान है जिसे मैंने संघर्ष के ज़रिये हासिल किया है.''
वह कहती हैं, कि "समय कोई उतना ही दे सकता है जितना उसके पास है. यह पूछे जाने पर कि क्या शहबाज़ शरीफ़ से शादी के बाद कोई बदलाव आया, तो उनका जवाब था कि ज़्यादा नहीं."
दिल तो करता होगा कि फ़र्स्ट लेडी के रूप में चैरिटी का काम करें? तो उनका जवाब था, इसकी ज़रुरत नहीं है. "ऐसे कितने लोग हैं जो सरकारी हैसियत से काम करते हैं, चैरिटी का काम मैं दुनिया के नागरिक की हैसियत से कर रही हूँ."
जब एधी साहब जीवित थे तो 69 वर्षीय तहमीना दुर्रानी तब भी उनके काम को आगे बढ़ाने की कोशिश करती रही और उनकी मृत्यु के बाद, उन्होंने साल 2017 में तहमीना दुर्रानी फाउंडेशन की स्थापना की.
इन दिनों वह बिल्क़िस एधी के साथ राजधानी से दूर कराची में रह रही थी. बिलकिस एधी का शुक्रवार को निधन हो गया. वह पीएम हाउस आती हैं या लाहौर में अपने दस मरले के घर में. उन्हें फ़र्स्ट लेडी का प्रोटोकॉल मिलेगा या नहीं, ये तो आने वाले कुछ दिनों में ही पता चल पाएगा. (bbc.com)
स्वीडन में जानबूझकर क़ुरान जलाने की घटनाओं पर सऊदी अरब ने भारी नाराज़गी जताई है. सोमवार की सुबह सऊदी अरब विदेश मंत्रालय ने इस पर बयान जारी किया है.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है, "विदेश मंत्रालय पवित्र क़ुरान और मुसलमानों के साथ जानबूझकर की गई बेदअबी और इसके उकसावे के लिए सऊदी अरब की निंदा को दर्ज करा रहा है."
इस बयान में आगे कहा गया है, "सऊदी अरब संवाद, सहिष्णुता, सह-अस्तित्व फैलाने के पुख़्ता प्रयासों के महत्व पर ज़ोर देता है. साथ ही नफ़रत, चरमपंथ और सभी धर्मों और पवित्र स्थलों के दुर्व्यवहार को त्यागने का समर्थन करता है."
स्वीडन में धुर-दक्षिणपंथी और आप्रवासी विरोधी समूहों द्वारा मुसलमानों के धर्म ग्रंथ क़ुरान को जलाने की घटना के बाद कई शहरों में चौथे दिन भी झड़पें हुईं हैं.
स्थानीय मीडिया ने बताया है कि पूर्वी शहर नोरेशेपिंग में रविवार को भी लगातार दंगे हुए जिनमें पुलिस ने दंगाइयों को चेतावनी देते हुए उन पर गोलियां चलाई थीं जिसमें तीन लोग घायल हुए हैं.
कई वाहनों में आग लगा दी गई जबकि कम से कम 17 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
वहीं शनिवार को दक्षिणी शहर मालमा में धुर-दक्षिणपंथी रैली के दौरान हुई हिंसा में कई वाहनों समेत एक बस को आग के हवाले कर दिया गया था.
इससे पहले ईरान और इराक़ सरकार ने अपने यहां मौजूद राजनयिकों को क़ुरान जलाने के बाद हुई प्रदर्शन को लेकर तलब किया था.
क़ुरान जलाने को लेकर आंदोलन
हार्ड लाइन आंदोलन के प्रमुख और डेनिश-स्वीडिश चरमपंथी रसमुस पालूदान ने कहा है कि उन्होंने इस्लाम के सबसे पवित्र मूलपाठ को जलाया है और वो अपने इस काम को दोहराएंगे.
धुर-दक्षिणपंथी समूह ने जहां-जहां कार्यक्रम आयोजित किए हैं वहां पर गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को झड़पें हुई हैं जिनमें कम से कम 16 पुलिस अफ़सर घायल हुए हैं और कई पुलिस के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. स्टॉकहोम के उपनगरों और लिनशेपिंग और नोरेशेपिंग जैसे शहरों में ये घटनाएं हुई हैं.
डॉएचे वैले ने रिपोर्ट किया है कि रविवार को पालूदान ने नोरेशेपिंग में एक अन्य रैली की चेतावनी दी थी जिसके बाद इसके विरोध में भी प्रदर्शन करने के लिए लोग इकट्ठा हुए थे.
स्थानीय पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि हमले की ज़द में आने के बाद उन्होंने चेतावनी के तौर पर गोलियां चलाईं और तीन लोग इस दौरान घायल हुए.
'पहले भी दंगे देखे लेकिन यह कुछ और है'
स्वीडन के राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख एंडश टूनबेरी ने एक बयान में शनिवार को कहा कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अफ़सरों की जान की अनदेखी की.
उन्होंने कहा, "हमने इससे पहले भी हिंसक दंगे देखे हैं लेकिन यह कुछ और है."
स्वीडन में हार्ड लाइन आंदोलन के क़ुरान जलाने की योजनाओं के ख़िलाफ़ कई बार प्रदर्शन हिंसक हुए हैं. साल 2020 में मालमा में प्रदर्शनकारियों ने कारों को आग लगा दी थी और कई दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया था.
डेनमार्क में नस्लवाद समेत कई अपराधों के कारण पालूदान को 2020 में एक महीने की जेल हुई थी. उन्होंने फ़्रांस और बेल्जियम जैसे यूरोपीय देशों में इसी तरह से क़ुरान जलाने की कोशिशें की थीं. (bbc.com)
मॉस्को, 17 अप्रैल। रूसी सेना ने मारियुपोल में तैनात यूक्रेनी बलों से कहा कि यदि वे अपने हथियार डाल देते हैं, तो उन्हें उनके ‘‘जीवित रहने की गारंटी’’ दे दी जाएगी। रूसी रक्षा मंत्रालय ने रविवार तड़के यह घोषणा की।
रूस के कर्नल जनरल मिखाइल मिजिनत्सेव ने कहा कि अजोवस्ताल इस्पाल कारखाने में यूक्रेन के जो सैनिक रूस की घेराबंदी में हैं, उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए स्थानीय समयानुसार अपराह्न एक बजे तक का समय दिया गया है।
रूसी सेना ने अजोव सागर के अहम बंदरगाह शहर को डेढ़ महीने से अधिक समय से घेर रखा है। यह वहां तैनात यूक्रेनी बलों को दिया गया ताजा प्रस्ताव है। मारियुपोल पर कब्जा करना रूस का अहम रणनीतिक लक्ष्य है। ऐसा करने से उसे क्रीमिया तक जमीनी गलियारा मिल जाएगा। रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। इसके अलावा मारियुपोल में यूक्रेनी बलों को हराने के बाद वहां तैनात रूसी बल डोनबास की ओर बढ़ सकेंगे।
ग्यारह वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में बनी अजोवस्ताल इस्पात मिल मारियुपोल का आखिरी बड़ा इलाका है, जिस पर अब भी यूक्रेनी बलों का नियंत्रण है।
रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मेजर जनरल इगोर कोनाशेनकोव ने शनिवार को कहा कि लगभग 2,500 यूक्रेनी सैनिक अजोवस्ताल में है। इस दावे को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका है। यूक्रेनी अधिकारियों ने इस संबंध में किसी संख्या का जिक्र नहीं किया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध संबंधी अन्य अहम घटनाक्रम:
मॉस्को: रूसी सेना ने कहा कि उसने यूक्रेन की राजधानी के बाहर एक सैन्य संयंत्र पर मिसाइल हमला किया है।
रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मेजर जनरल कोनाशेनकोव ने रविवार को कहा कि सेना ने कीव के बाहर ब्रोवरी में गोला-बारूद संयंत्र पर मिसाइलों से हमले किये।
उन्होंने कहा कि अन्य रूसी हवाई हमलों ने पूर्व में सिविएरोदोनेत्सक के पास यूक्रेनी वायु रक्षा रडार और अन्य जगहों पर कई गोला-बारूद डिपो को भी नष्ट कर दिया। (एपी)
कराची, 17 अप्रैल। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया है कि शहबाज शरीफ नीत ‘‘आयातित सरकार’’ उन्हें ‘‘खेल से बाहर’’ करने की कोशिश कर रही है। इमरान खान ने साथ ही उन्हें सत्ता से बाहर करने को एक ‘‘फिक्स’’ मैच करार दिया, जिसका मकसद पाकिस्तानियों को विदेशी ताकतों का गुलाम बनाना है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख खान ने शनिवार रात एक रैली को संबोधित करते हुए लोगों से सवाल किया कि क्या उन्हें लगता है कि उनकी (खान की) सरकार ‘‘साजिश या हस्तक्षेप’’ की शिकार हुई है।
उन्होंने कहा कि कराची यात्रा का उद्देश्य उनकी राजनीतिक पार्टी के हित में नहीं था, बल्कि यह पाकिस्तान और उसके बच्चों के भविष्य के लिए है। पीटीआई के खिलाफ विदेशी चंदा मामले पर बात करते हुए खान ने कहा कि यह मामला उन्हें ‘‘खेल से बाहर’’(राजनीतिक परिदृश्य) करने के लिए दर्ज किया गया है।
अपने संबोधन में खान ने कहा,‘‘ मैं देश को यह बताना चाहता हूं कि मैं कभी किसी देश के खिलाफ नहीं रहा। मैं भारत विरोधी, यूरोप विरोधी और अमेरिका विरोधी नहीं हूं। मैं दुनिया की मानवता के साथ हूं। मैं किसी देश के खिलाफ नहीं हूं,मैं सभी के साथ मित्रता चाहता हूं, किसी की गुलामी नहीं।’’
उन्होंने कहा,‘‘ मैं कहता हूं कि विदेशी चंदा और उनके (शहबाज शरीफ) भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई साथ में चलनी चाहिए।’’ खान ने आशंका जताई कि उनके और उनके पूर्व मंत्रिमंडल के खिलाफ संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) और राष्ट्रीय जबावदेही ब्यूरो(एनएबी) ‘‘झूठे मामले’’ दर्ज कर सकती है।
विदेशी चंदा मामला 14 नवंबर 2014 से लंबित है, और इसे पीटीआई के संस्थापक सदस्य अकबर एस बाबर ने दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि देश में और विदेशों से पार्टी के वित्तपोषण में कुछ वित्तीय अनियमितताएं हैं।
खान ने अपने समर्थकों से कहा,‘‘ अगर आप हमें दीवार की ओर धक्का दोगे, तो आप को नुकसान पहुंचेगा,देश को नहीं। हमें शांतिपूर्वक रहना है।’’
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा,‘‘कराची मैं दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूं। मैं यहां कुछ खास चीजों पर बात करने आया हूं,क्योंकि समस्या आपकी और आपके बच्चों के भविष्य की है। हमारे देश के खिलाफ यह साजिश...मैं चाहता हूं कि आप ध्यान से सुनें कि यह साजिश थी या हस्तक्षेप।’’ खान ने आरोप लगाया,‘‘ मुझे एक पत्रकार ने बताया कि हम पर बहुत रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इस हिसाब से साजिश कुछ वक्त से चल रही थी और तभी अमेरिका में हमारे राजदूत डोनाल्ड लू (दक्षिण तथा मध्य एशियाई मामलों के लिए अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री) से मुलाकात की।’’
इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री ने न्यायपालिका को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि उन्होंने देश का कानून कभी नहीं तोड़ा।
खान ने जानना चाहा कि उन्होंने कौन सा जुर्म किया था कि न्यायपालिका को पिछले शनिवार आधी रात में अदालतें खोलने की जरूरत महसूस हुई।
उन्होंने कहा,‘‘ मैंने पाकिस्तान की दो बड़ी धर्मार्थ संस्थाएं स्थापित कीं। मैंने शौकत खानम बनाया और दो विश्वविद्यालय बनवाए। मैं इकलौता नेता हूं, जिसे पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सादिक और अमीन घोषित किया है।’’
पूर्व क्रिकेटर खान ने क्रिकेट की शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए कहा कि जब उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया,तब वह जानते थे कि ‘‘मैच फिक्स’’ है। (भाषा)
पूर्व सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव की परपोती ने चेताया है कि ऐसी आशंका है कि रूस यूक्रेन पर परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की तैयारी कर सकता है.
अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय मामलों की प्रोफ़ेसर नीना ख्रुश्चेवा ने बीबीसी से कहा कि उनका मानना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस युद्ध में जीत का दावा करने के लिए आख़िरकार कुछ भी कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह ऐसा युद्ध है जिसे पुतिन वास्तव में जीतने की योजना बना रहे हैं और इसे किसी भी क़ीमत पर जीतना चाहते हैं. अगर वो जीत की घोषणा करना चाहते हैं और शायद उन्हें सामरिक परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की ज़रूरत हो, इस दशा में मैं अनुमान नहीं लगा रही हूं लेकिन यह एक ऐसा विकल्प है जिसे रूसी शायद इस्तेमाल करने को तैयार हों.”
सामरिक परमाणु हथियार लंबी दूरी की मिसाइलों की तुलना में कम ताक़तवर होते हैं. हालांकि निकिता ख्रुश्चेव के सोवियत संघ के दौर में शीत युद्धकाल के दौरान इनका ही बोल-बाला था.
नीना ख्रुश्चेवा न्यूयॉर्क न्यू स्कूल में रूसी स्कॉलर हैं और पुतिन की लंबे समय से आलोचक रही हैं. उन्हें डर है कि मॉस्को यूक्रेनी धरती पर विनाश के लिए उन्हें इस्तेमाल कर सकता है.
रूस ने जब मार्च में यूक्रेन पर हमला किया ता तो ख्रुश्चेवा ने कहा था कि वो इससे शर्मिंदा हैं और उनके परदादा इस हमले को ‘घिनौना’ मानते. (bbc.com)
अफ़ग़ानिस्तान के अंदर कथित तौर पर सैन्य कार्रवाई करने के बाद तालिबान शासन ने शनिवार को काबुल में पाकिस्तान के राजदूत को तलब किया.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, स्थानीय तालिबान अधिकारी और निवासियों ने बताया है कि शुक्रवार को अफ़ग़ान हवाई क्षेत्र में पाकिस्तानी विमान की एयर स्ट्राइक में 36 लोग मारे गए हैं. हालांकि पाकिस्तान ने इस हमले से इनकार किया है.
पाकिस्तान में पश्चिमी सीमा पर अफ़ग़ानिस्तान से सीमा पार करके आकर आतंकवादी हमले करते रहे हैं. तालिबान प्रशासन का कहना है कि उसने अगस्त में देश को क़ब्ज़े में लेने के बाद इसे नियंत्रित किया है.
अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है और इस मसले पर ट्वीट भी किया है जिसमें उसने बताया है कि उसने पाकिस्तान के राजदूत को खोस्त और कुनार प्रांतों में हालिया हमलों को लेकर तलब किया और इस्लामाबाद को एक राजनयिक आपत्ति पत्र दिया.
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी के हवाले से इस बयान में कहा गया है कि ‘खोस्त और कुनार में सैन्य उल्लंघन रोके जाने चाहिए क्योंकि ये विरोधियों को स्थिति का दुरुपयोग करने की अनुमति देता है और इससे संबंध बिगड़ते हैं.’
रूस का दावा- पश्चिमी देशों के हथियारों को ला रहे यूक्रेनी विमान को मार गिराया
रूस ने दावा किया है कि उसकी हवाई रक्षा यूनिट ने पश्चिमी देशों द्वारा भेजे गए हथियार को ला रहे यूक्रेनी सेना के विमान को मार गिराया है.
तास समाचार एजेंसी ने रूस के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मेजर जनरल इगोर कोनाशेनकोव के हवाले से कहा है कि दक्षिण-पश्चिमी यूक्रेन में ओडेसा शहर के बाहर ये हमला किया गया था.
बीबीसी स्वतंत्र रूप से इस जानकारी की पुष्टि नहीं कर सकी है और यह अभी साफ़ नहीं है कि इस घटना में किसी की जान गई है या नहीं.
जनरल कोनाशेनकोव ने दावा किया कि बीते 24 घंटों में रूस की हवाई यूनिट ने एक दर्जन से अधिक ऐसी जगहों को निशाना बनाया है जहां पर यूक्रेनी सैनिक या उनका साज़ो-सामान था. (bbc.com)