रायपुर

चीन को भारत द्वारा 5 हजार करोड़ नुकसान
23-Aug-2021 7:26 PM
 चीन को भारत द्वारा 5 हजार करोड़ नुकसान

देश भर में चीनी राखियों का बहिष्कार-कैट

रायपुर, 23 अगस्त। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीडिय़ा प्रभारी संजय चौबे ने बताया कि दो वर्ष से कोविड के प्रकोप के बावजूद पिछले वर्ष की तरह आज भी रक्षाबंधन का त्योहार बेहद उत्साह के साथ देश भर में मनाया गया। इस श्रंखला के अगले चरण में कैट के इस वर्ष की दिवाली को पूर्ण रूप से हिन्दुस्तानी दिवाली के रूप में मनाने की घोषणा की है और इस बार दिवाली उत्सव में किसी प्रकार का कोई भी चीनी सामान उपयोग में नहीं लाया जाएगा।

श्री पारवानी ने बताया कि कैट के हिन्दुस्तानी राखी को अपनाने के आव्हान के चलते रक्षाबंधन में देश भर में बहनों ने चीनी राखियों का पूर्ण बहिष्कार किया और केवल भारतीय सामान से बनी राखियां ही भाइयों को बाँधी। देश के 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों ने सभी शहरों में कैट के व्यापारी नेताओं ने गत एक महीने में घरों में काम करने वाली महिलायें, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता और स्लम बस्तियों में रहने वाली निचले वर्ग की महिलाओं सहित ऐसे लोग जिनका कोरोना के कारण रोजगार बंद हो गया था, से हिन्दुस्तानी सामान से बनी राखियां बड़ी संख्यां में बनवाई।

श्री पारवानी और श्री दोषी ने बताया कि विशेष रूप से आजादी अमृत महोत्सव राखी, अक्साई चीन हमारा है के सन्देश वाली राखी, जय हिन्द राखी, वन्देमातरम राखी तथा वैदिक राखी देश भर में आकर्षण का केंद्र रहीं।

भारतीय राखियों के कारण इस वर्ष चीन को 5 हजार करोड़ से ज्यादा के राखी कारोबार से देश भर के व्यापारियों ने चीन को बड़ी चोट दी।

श्री पारवानी और श्री दोषी ने बताया कि कैट के आव्हान पर देश भर में पहली बार अनेक प्रकार की विशिष्ट राखियां बनवाई गई जिसमें नागपुर में बनी खादी की राखी, जयपुर में सांगानेरी कला की राखी, पुणे में खेती के बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊन की राखी, झारखंड के जमशेदपुर में आदिवासी वस्तुओं की राखी, आसाम के तिनसुकिया में चाय की पत्तियों की राखी, कोलकाता में जूट की राखी, मुंबई में सिल्क की राखी, केरल में खजूर की राखी, कानपुर में मोती और बुंदों की राखी, बिहार में मधुबनी एवं मैथिली कला की राखी, पॉन्डिचेरी में स्टोन राखी, बंगलौर में फूलों की राखी आदि प्रमुखता से बनाई गई जिससे अनेकता में एकता की भारत की अलग पहचान पूरे तौर पर दिखाई दी।

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