सरगुजा
बस कंडक्टर ने शव व साथियों को उतारा नीचे टिकट भी ले लिया वापस
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 20 अक्टूबर। काम की तलाश में दीगर प्रांत गए युवक को काम की मजदूरी नहीं मिली और स्वास्थ्य भी खराब हो गया। रूपये के अभाव में उपचार करा पाने में असमर्थ ग्रामीण अपने साथियों के साथ बस से वापस घर लौट रहा था। इसी दौरान रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। जिसके बाद बस कंडक्टर ने उसके शव व उसके साथियों को रास्ते में ही उतार दिया और तो और सबका टिकट वापस लेकर चला गया।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर ब्लाक अंतर्गत ग्राम महादेवपुर के तिवरी पारा बिशुनपुर निवासी 32 वर्षीय सोहर ताव पण्डो का परिवार अत्यंत गरीब है। सोहर के तीन और भाई हैं, साथ ही घर पर माता-पिता, पत्नी व दो बच्चियां भी हैं। गरीबी की यह स्थिति केवल सोहर की ही नहीं बल्कि उसके गांव के अन्य पंडो जनजाति के लोगों की भी है, जिस कारण वह अपने अन्य चार साथियों के साथ काम करने के लिए तीन माह पूर्व चेन्नई चला गया था।
काम करने के बाद भी 1 माह का वेतन नहीं मिलने पर सोहर व उसके साथी हैदराबाद में आकर एक पाईपलाईन कंपनी में काम करने लगे। यहां कंपनी ने वेतन 25-26 अक्टूबर को देने की बात कही थी। काम के दौरान ही सोहर की अचानक तबीयत खराब हो गई। जिस पर उचित उपचार के लिए पैसे नहीं होने पर वह अपने घर वापस आने के लिए निकला तो कंपनी ने उसे व उसके साथियों को केवल वापसी का किराया भर दिया। तीनों में से किसी के पास अलग से पैसे नहीं थे। हैदराबाद से रायपुर आकर तीनों रायपुर से बलरामपुर आने के लिए बस में सवार हुए थे, परन्तु रास्ते में ही सोहर की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और अंतत: बस में ही उसकी मौत हो गई। तडक़े बस जब अम्बिकापुर पहुंची तो बस कंडक्टर को इसका पता चला।
आरोप है कि इसके बाद सोहर के शव व उसके दोनों साथियों को कंडक्टर ने भोर में 4 बजे रास्ते में ही बस स्टैंड के पास रिंगरोड में उतार दिया और मृतक का टिकट अपने पास रखने के साथ ही उसके साथियों का टिकट भी ले लिया।
सोहर के साथियों ने आपातकालीन नम्बर में फोन किया तो संजीवनी 108 की गाड़ी वहां पहुंची, जिसके बाद सोहर व उसके साथियों को मेडिकल कालेज अस्पताल लाया गया। जहां चिकित्सक ने सोहर को मृत घोषित कर दिया। शव को अस्पताल के चीरघर में रखवा दिया गया, जहां आज पीएम के बाद शव को उसके गांव भेज दिया गया है।