सरगुजा

मुलजिम से ही अनुमति लेकर उसके विरुद्ध मामला पंजीबद्ध करने जैसा है भूपेश सरकार का यह काला कानून-अनुराग
15-May-2022 10:05 PM
मुलजिम से ही अनुमति लेकर उसके विरुद्ध मामला पंजीबद्ध करने जैसा है भूपेश सरकार का यह काला कानून-अनुराग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,15 मई।
किसी भी सरकार तक जनता की आवाज को पहुंचाने बोलने-लिखने और आंदोलन को हथियार के रूप में प्रयोग करने की हमारे लोकतंत्र में एक पवित्र परंपरा रही है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अनुराग सिंह देव ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए इस बेतुके कानून पर निशाना साधते हुए कहा कि भूपेश का यह काला कानून मुलजिम से ही अनुमति लेकर उसके विरुद्ध मामला पंजीबद्ध करने जैसा दिखता है।

उन्होंने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने धरना-प्रदर्शन आंदोलन के मौलिक अधिकार पर नए कानून द्वारा प्रतिबंध और शर्त लगाकर जन भावनाओं व लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का कार्य किया है। इस तुगलकी आदेश में उससे भी ज्यादा मजे की बात तो यह है कि जिस सरकार, सरकारी विभागों व अधिकारियों के विरुद्ध आंदोलन करना है, उन सबसे ही कानून में लागू 19 बिंदुओं पर अनुमति प्राप्त करना होगा। पहले विपक्षी नेताओं पर बदलापुर की कार्रवाई फिर पुलिस के माध्यम से उन पर हाथापाई फिर पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें जेल भेजा जाना, कर्मचारियों किसानों पर लाठीचार्ज किया जाना, राजधानी के किसान आंदोलन का टेंट उखाड़ कर उन्हें डंडे मार कर खदेड़ा जाना, अधिकारियों पर राजद्रोह लगाया जाना वर्तमान छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार का नियमित आचरण बन गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोकतांत्रिक विरोध से इतना भयभीत हो गए हैं कि उन्होंने राजधानी का धरना स्थल रायपुर शहर से 25 किलोमीटर बाहर वीरान स्थल में निर्धारित कर दिया है और साथ ही कोई भी आंदोलन करने के लिए अनुमति लेने की अनिवार्यता बता कर हिटलरशाही की सारी सीमाएं तोड़ डाली है। हालात यह है कि मुख्यमंत्री जनदर्शन और ग्राम स्वराज जैसे समस्या निवारण शिविरों पर भी लगभग पौने 4 वर्षों तक कोई सरकारी रूचि नजर नहीं आ रही है और सरकार के नुमाइंदे जनता से मुंह चुराते हुए दिख रहे हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्तमान में प्रदेश व्यापी भेंट मुलाकात दौरा कार्यक्रम में जनता की समस्याओं के निराकरण से ज्यादा शिकायतों पर झल्लाते हुए ज्यादा दिखे।

अनुराग ने कहा कि लडक़ी हूं लड़ सकती हूं जैसे अपने दल के नारों का मजाक उड़ाते हुए मुख्यमंत्री ने एक जन शिविर में महिला द्वारा अपनी बात रखने पर नेतागिरी न करने की चेतावनी देते हुए उसको फटकार लगाई, वहीं एक शिविर में दिव्यांग से माइक छीन कर संवेदनहीन होने का परिचय भी दिया। इस सरकार से त्रस्त व त्राहिमाम त्राहिमाम करती हुई जनता,युवा किसान ,सामाजिक राजनैतिक और निजी संगठनों की पीड़ा को देखते हुए भाजपा ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के विरुद्ध संघर्ष का ऐलान किया है।

सभी को लोकतंत्र में अपनी बात सहमति असहमति व्यक्त करने का अधिकार है चाहे वह राजनीतिक दल हो कर्मचारी संघ हो किसान मजदूर संघ हो या कोई निजी संग हो इन सब पर प्रतिबंध लगाना सरकार की तानाशाही को प्रकट करता है।

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार यह नहीं समझ रही है कि लोकतंत्र में अंग्रेजों के रोलेट एक्ट व आपातकाल जैसे काले कानूनों की जोरदार खिलाफत कर उन पर जीत प्राप्त की गई तो इस कानून पर की खिलाफत करके भी इस कानून को नेस्तनाबूद करने की भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हिम्मत रखते हैं।

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