रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 5 जुलाई। बांगो बांध की जल भराव क्षमता में बीते 15 वर्षों के दौरान करीब 5 प्रतिशत की कमी आ गई है। राष्ट्रीय जल आयोग ने इस बारे में बांध के मुख्य अभियंता को पत्र लिखकर चेतावनी दी है। इस अध्ययन रिपोर्ट को देखते हुए हसदेव अरण्य में कोयला खदानों को मंजूरी देने के फैसले पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है, क्योंकि इन खदानों के चलते बांगों बांध को भारी नुकसान होगा और इसका असर लाखों लोगों पर पड़ेगा।
सेंट्रल वाटर कमीशन (राष्ट्रीय जल आयोग) के रिमोट सेंसिंग संचालनालय के डायरेक्टर ने पिछले साल 30 मई 2011 को एक पत्र बांगो के चीफ इंजीनियर को भेजा था। अब वही पत्र दुबारा ध्यान आकर्षित करने के लिए बीते 21 जून को भेजा गया है। इस पत्र में कहा गया है कि उनके कार्यालय ने वर्ष 2005 में बांगो जलाशय का रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करते हुए अवसादन अध्ययन ( सेडिमेंटेशन स्टडी) किया था। 15 साल बाद सन् 2021 में यह पाया गया कि वास्तविक भंडारण क्षमता 3046 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) के मुकाबले 2894.331 एमसीएम रह गया है। 15 वर्षों के दौरान भंडारण क्षमता में 151.66 9 एमसीएम अर्थाता 4.979 प्रतिशत की हानि हुई है। लाइव जोन में ऊंचाई क्षमता को अपडेट करने के लिए यह जानकारी आपके कार्यालय को भेजी गई थी। रिपोर्ट की एक प्रति फिर से संदर्भ के लिए संलग्न की जा रही है। कृपया यह सूचित किया जाए कि सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के आधार पर लाइव स्टोरेज जोन में ऊंचाई क्षमता वक्र को अद्यतन किया गया है या नहीं।
हसदेव अरण्य में कोयला खदानों के विरुद्ध आवाज उठा रहे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अरण्य में कोयला खनन परियोजना के लिए जंगलों की कटाई से इस बांध का विनाश तय है। इससे 5 लाख में हेक्टेयर सिंचाई और 4 जिलों के लाखों लोगों पर सीधे संकट खड़ा होगा।