महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 8 जुलाई। भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भैया बलराम तीनों अब कुछ ही दिन में अपनी मौसी के यहां से वापस मंदिर गर्भगृह में लौटेंगे। वापसी की इस यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहते हैं जिसकी तैयारियां बड़े जोर-शोर से चल रही हैं। मालूूम हो कि भगवान की वापसी यात्रा को बहुड़ा यात्रा पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। कोरोना काल के कारण पिछले दो सालों से इस यात्रा पर्व को सामान्य ढंग से मनाया गया था। लेकिन इस बाद बहुड़ा यात्रा में काफी उत्साह रहेगा।
मालूम हो कि इस यात्रा को ज्यादातर ओडिशा क्षेत्र के प्रवासियों द्वारा मनाया जाता है। महासमुंद शहर में भी करण महांती समाज के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं और पिछले 10 सालों से बहुड़ा यात्रा मना रहे हैं। बहुड़ा यात्रा की अगुवाई आर्ष गुरुकुल के छात्र शौर्य प्रदर्शन करते हुए करेंगे। साथ ही दुर्गा वाहिनी की बहनों के अलावा सर्व समाज की भी सहभागिता होगी। वहीं महिलाओं द्वारा भजन मंडली का आयोजन भी होगा।
आगामी 10 जुलाई को होने वाली बहुड़ा यात्रा पर्व को लेकर करल गुरूवार को करण मोहंती समाज के पदाधिकारी व सदस्यों की बैठक हुई। जिसमें संबंधितों को जिम्मेदारी दी गई। बैठक में प्रमुख रूप से संयोजक किशोर कुमार महांती, राज किशोर महांती, अध्यक्ष मनोहर महांती, युवा मंच एवं तारिणी महिला मंच की महिलाएं,सर्व समाज से डॉ.संजीव करमाकर भी मौजूद थे।
पारंपरिक कथानुसार भगवान औषधियुक्त काढ़ा पीकर स्वस्थ होते और रथ यात्रा के दौरान भक्तों को दर्शन देने मंदिर से निकलते हैं। इसके बाद देर रात अपनी मौसी के यहां पहुंचते हैं। यहां भगवान करीब 8 दिनों तक मौसी के घर रहने के बाद वापस मंदिर लौटते हैं। अभी भगवान अपने मौसी के घर हैं और भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। आगामी 10 जुलाई को भगवान की मंदिर में वापसी होगी।
ज्ञात हो कि 24 जून को स्नान करने के बाद भगवान बीमार हो गए थे। इसके बाद 29 जून से स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए काढ़ा पिलाया गया। 30 को स्वस्थ हुए और 1 जुलाई को दर्शन के लिए मंदिर से बाहर निकले थे और भक्तों ने रथयात्रा पर्व मनाया। मौसी के घर से वापस भगवान मंदिर के गर्भगृह में विराजित होंगे। इसके बाद वे 5 महीने के लिए निंद्रा में रहेंगे। जब तक भगवान निंद्रा में रहेंगे, मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होगा। इसके लिए उनके उठने का इंतजार करना होगा। भगवान नवंबर में देव उठानी एकादशी यानी छोटी दीवाली के दिन उठेंगे। उसी दिन से मांगलिग कार्य शुरू होंगे।