महासमुन्द

खबर का असर : जिपं अध्यक्ष, सीईओ ने जबलपुर के बच्चों का किया टेस्ट, सीएम को भी दिखाने का दिया आश्वासन
20-Jul-2022 2:56 PM
खबर का असर : जिपं अध्यक्ष, सीईओ ने जबलपुर के बच्चों का किया टेस्ट, सीएम को भी दिखाने का दिया आश्वासन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 20 जुलाई।
‘छत्तीसगढ़’ में एक सरकारी स्कूल नाम से प्रकाशित खबर के बाद शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्ष उषा पटेल एवम सीईओ एस आलोक जिले के दूरस्थ ग्राम जबलपुर स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल पहुंचेएवं वहां अध्ययनरत बच्चों एवं शिक्षकों का रियल्टी टेस्ट लिया। स्कूल की पढ़ाई से प्रभावित आलोक ने स्कूल मुख्यमंत्री को भी दिखाने का आश्वासन दिया।

मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को जबलपुर के बच्चों एवं शिक्षकों से मुलाकात कर काफी प्रसन्न दिखाई दिए। इस दौरान  जिला पंचायत सीईओ ने शिक्षक अश्विनी प्रधान एवं अध्यक्ष उषा पटेल ने बच्चों एवं शिक्षकों की क्लास भी ली। जिसमें पूरी तरह अंग्रेजी में ही सवाल जवाब हुए। क्लास में जिला सीईओ  ने बच्चों को साइंस का फॉर्मूला बताया केरियर के बारे मे मार्गदर्शन दिया। अपने बीच जिले की सबसे महत्वपूर्ण जन प्रतिनिधि एवं एक आईएएस को पाकर बच्चे काफी खुश थे। बच्चों ने आलोक से खुलकर अंग्रेजी में बातचीत की जिससे वे खासे प्रभावित नजर आए।

आईएएस बनने मार्गदर्शन मांगा
आलोक की क्लास के बाद इस स्कूल में अध्ययनरत कक्षा नवमी की एक छात्रा लान्सी बारीक ने अंग्रेजी में ही उनसे प्रश्न पूछा कि सर वे बनाना चाहती है। इसके लिए मार्ग दर्शन कीजिये। छात्रा के इस प्रश्न पर  आलोक ने प्रसन्नता से जवाब दिया कि वे भी सरकारी स्कूल में ही पढ़ कर ही यहां तक पहुंचे है। आपको जिस विषय में दिलचस्पी है आप उसे अच्छे से पढ़े और हायर सेकंडरी के बाद बीएससी या बीए से स्नातक करने के बाद आगे की परीक्षा हेतु तैयारी प्रारम्भ करे। श्री आलोक के इस तरह बच्चों को समझाने से अब बच्चे उत्साहित है।

छोटे से ग्राम में शिक्षकों की मेहनत से निजी स्कूलों से भी अच्छे तरह से गढ़े जा रहे बच्चों की क्लास के लिए भी सरकारी कक्ष नहीं है, लिहाजा हाई स्कूल ग्रामीणों के सहयोग से एक निजी घर मे लगाया जा रहा है। इसे देखते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष उषा पटेल ने जिला पंचायत की ओर से तत्काल एक कमरा बनवाने की घोषणा कर जल्द ही काम भी प्रारम्भ कराने की बात कही। इसके अलावा  दो और कमरों के लिए राज्य सरकार से जल्द ही स्वीकृति दिलाने का आश्वासन दिया।
बहरहाल ऐसे स्कूलों को चिन्हित कर इसके लिए मेहनत करने वाले शिक्षकों का समय-समय और सम्मान किया जाना चाहिए, जिससे अन्य शिक्षकों पर भी इसका प्रभाव पड़ सके।

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