महासमुन्द
कुछ अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं और कुछ किसी और विभाग पर जिम्मेदारी दे रहे
संसदीय सचिव ने महिला को रायपुर अस्पताल पहुंचाया, वहां से भी छुट्टी कर दी गई, सिर्फ आज सखी सेंटर में, कल पता नहीं कहां होगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 22 जुलाई। बीते दिनों नवजात के साथ मिली मानसिक बीमार महिला अपने दुधमुहें के साथ फिर से सडक़ पर है। हालांकि अभी उसे महासमुंद स्थित सखी सेंटर में रखा गया है लेकिन सिर्फ दो दिनों के लिए। जिले के आला अफसर इस महिला और बच्चे से अपना पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं। कुछ अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं और कुछ किसी और विभाग पर जिम्मेदारी दे रहे हैं।
‘छत्तीसगढ़’ में खबर छपने के बाद इस मामले में विधायक एवं संसदीय सचिव ने संज्ञान लिया और महिला को रायपुर अस्पताल पहुंचाया। वहां से अस्पताल वालों ने कल उसकी छुट्टी कर दी। कहा कि जच्चा बच्चा दोनों सही सलामत हैं। इसके बाद नारी निकेतन रायपुर वालों ने कहा कि इस महिला के साथ कोई अटेंडर नहीं है और इसका विक्षिप्त होने का प्रमाण पत्र नहीं है अत: नारी निकेतन में रखना संभव नहीं है।
पुलिस के कुछ जवान उसे रायपुर से महासमुंद लाकर सडक़ों पर छोड़ते इससे पहले सामाजिक संस्थाओं की महिलाओं ने उसे स्खी सेंटर में रखने का आग्रह किया।
आज पिथौरा से कुछ महिलाएं उक्त महिला से मिलने महासमुंद पहुंच रही हैं। महिला के सखी सेंटर पहुंचने के बाद ‘छत्तीसगढ़’ ने महिला बाल विकास अधिकारी महासमुंद को इसकी जानकारी देना चाहा लेकिन साहब ने फोन रिसीव नहीं किया।
समाज कल्याण विभाग का कहना है कि यह मामला उसके विभाग से संबंधित नहीं है। कलेक्टर साहब हैं कि किसी का फोन उठाते ही नहीं। लिहाजा विधायक के पीए यदुनंदन पांडेय से बात करने के बाद महिला को सखी सेंटर में रखा गया है।
गौरतलब है कि जिला अस्पताल में इलाज के बाद विधायक विनोद चंद्राकर की पहल पर उक्त महिला को रायपुर मनोरोगी अस्पताल भेजा गया। वहां से उसे नारी निकेतन ले जाया गया। अभी वह महामसुंद के सखी सेंटर में हैै। अब यहां से वह कहां जाएगी? बच्चे का क्या होगा, इस पर न जिले का कोई भी अफसर जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं। कुछ सामाजिक संस्थाओं की महिलाएं उक्त महिला के मामले को राज्य महिला आयोग की सदस्य अनीता रावटे के पास ले जाना चाह रही हैं। सुबह 11 बजे समाचार लिखते तक राज्य महिला आयोग से मुलाकात नहीं हुई है।