राजनांदगांव
राजनांदगांव, 5 सितंबर। संस्कारधानी नगरी में रियासतकाल से विभिन्न मंदिरों मे प्राण प्रतिष्ठित लड्डू गोपाल भगवान एवं भगवान राधाकृष्ण भादवा शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन (जलझूलनी एकादशी) के अवसर पर अपने-अपने मंदिरों से निकलकर भव्य डोलो में बैठकर नगर भ्रमण करते रानीसागर पहुंचते हैं, जहां भगवान जल क्रीड़ा का आनंद प्राप्त करते हैं । वर्ष 2018 में श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के आह्वान पर नगर के विभिन्न मंदिरों से निकलने वाले भगवान के डोले श्री बालाजी मंदिर पुराना गंज मंडी में एकत्रित होकर एक साथ संस्कारधानी जल क्रीड़ा महोत्सव के बैनर तले शोभायात्रा के रूप में भजन सत्संग करते निकल रहे हैं।
संस्कारधानी जल क्रीड़ा महोत्सव समिति की महत्वपूर्ण बैठक श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के अध्यक्ष अशोक लोहिया की अध्यक्षता में श्री सत्यनारायण धर्मशाला में संपन्न हुई।
बैठक में सत्यनारायण मंदिर के आचार्य पं. अनिल शर्मा (कालू महाराज), श्री बाला बाबा मंदिर के देवकुमार निर्वाणी, बालभद्री जमात मंदिर के हलधर दास वैष्णव, श्री मोतीनाथ मंदिर ट्रस्ट के अरूण खंडेलवाल, श्री जलाराम राम मंदिर के आचार्य पंडित मनोज शुक्ला, श्री बलदेव राधा कृष्ण किला मंदिर के दिलीप वैष्णव, स्वामी जुगल किशोर बड़े जमात मंदिर के भगवान झा, नोनीबाई मंदिर की ओर से ओम प्रभा वैष्णव, श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर के आशीष गांधी, मंदिर समिति के सचिव सुरेश अग्रवाल, भवन व्यवस्थापक राजेश अग्रवाल, उत्सव प्रभारी राजेश शर्मा, श्याम खंडेलवाल, पवन लोहिया एवं लक्ष्मण लोहिया की उपस्थिति में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जल क्रीड़ा महोत्सव को भव्य स्वरूप में धूमधाम से मनाया जाए।
जल क्रीड़ा महोत्सव के अंतर्गत सभी मंदिरों के भगवान 6 सितंबर को दोपहर 2 बजे श्री बालाजी मंदिर पुरानी गंज मंडी पहुंचेंगे, यहां पधारे सभी देवताओं का पूजन अर्चन श्री बालाजी मंदिर की ओर से किया जाएगा। आरती पश्चात दोपहर 2.30 बजे भजन सत्संग के साथ भव्य शोभायात्रा प्रारंभ होगी। सुसज्जित डोलो में विराजे भगवान की शोभायात्रा पुरानी गंज मंडी बालाजी मंदिर से प्रारंभ होकर तिरंगा चौक, रामाधीन मार्ग, श्री श्याम मंदिर गली से कामठी लाइन, भारत माता चौक, आजाद चौक, मानव मंदिर चौक से फौव्वारा चौक होते हुए रानी सागर पहुंचेगी। यहां भव्य सुसज्जित नाव में बैठकर भगवान जल क्रीड़ा करेंगे।
श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के अध्यक्ष अशोक लोहिया ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करते हैं, इस दिवस को देव सोहनी एकादशी कहा जाता है । इसके पश्चात भगवान भादवा शुक्ल एकादशी को छीरसागर में करवट लेते हैं। जिससे सागर का जल हिलता है। अत: इस दिवस को जलझूलनी एकादशी कहा जाता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान निद्रा से जागते हैं और इस दिवस को देवउठनी एकादशी कहा जाता है । इस प्रकार जलझूलनी एकादशी को भगवान नौका में बैठकर विहार करते हैं और अपने भक्तों सुख, शांति एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
संस्कारधानी जल क्रीड़ा महोत्सव समिति ने नगर के धर्म प्रेमी माता-बहनों एवं बंधुओं से आग्रह किया है कि इस ढोला ग्यारस पर निकलने वाली भव्य शोभायात्रा का अपने निवास कार्यालय के सामने उपस्थित होकर स्वागत अभिनंदन एवं पूजा-अर्चना करें एवं डोले के नीचे से निकल कर अपनी मनोकामना पूर्ण करें।