बलौदा बाजार

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर होंगे विविध जागरूकता कार्यक्रम, खिलाई जाएगी कृमि नाशक दवा
05-Sep-2022 6:40 PM
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर होंगे विविध जागरूकता कार्यक्रम, खिलाई जाएगी कृमि नाशक दवा

बलौदाबाजार, 5 सितंबर। राज्य शासन के निर्देश पर 9 सितंबर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का क्रियान्वयन करते हुए जिले भर के समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों ,शासकीय विद्यालयों, अनुदान प्राप्त शालाओं, नवोदय विद्यालय ,मदरसों ,निजी स्कूलों, अनुदान प्राप्त, निजी स्कूलों , महाविद्यालयों, तकनीकी शिक्षा संस्थानों के माध्यम से 1 से 19 वर्ष के बच्चों, किशोर एवं किशोरियों को कृमिनाशक दवा का सेवन करवाया जाएगा।

इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी महिस्वर ने बताया कि बच्चों को कृमि नाशक दवा के रूप में एल्बेंडाजोल 400 मिलीग्राम की गोली का सेवन कराया जाएगा इसके लिए जिले में 9 सितंबर को कार्यक्रम संचालित होगा। जबकि छूटे हुए बच्चों को 14 सितंबर को दवाई माप अप दिवस मनाते हुए दी जाएगी। कार्यक्रम का आयोजन कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करते हुए किया जाएगा ।

इसमें दवाई का सेवन निम्नानुसार किया जाना है एक से दो वर्ष वर्ष के बालक बालिकाओं को आधी गोली चूरा कर के पानी के साथ मिलाकर चम्मच से पिलाया जाएगा। 2 से 3 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली चूरा कर के पानी के साथ सेवन करवाना है। 3 से 5 वर्ष तक 5 वर्ष तक के बच्चों को पूरी एक गोली चबाकर पानी के साथ सेवन करना है। साथ ही 5 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर पानी के साथ सेवन करवाया जाएगा। कृमि नाशक दवाई के सेवन के लिए जिले भर में प्रशिक्षण दे दिया गया है। साथ ही रिपोर्टिंग एवं कार्यक्रम से संबंधित समस्त तैयारी पूर्ण कर ली गई है इसके लिए जिला कलेक्टर रजत बंसल ने अन्त: विभागीय समन्वय हेतु विभिन्न विभाग प्रमुखों को भी निर्देशित किया है।

दवाई सेवन के संबंध में इस बात का ध्यान रखा जाना है कि जो बच्चे बीमार हैं या अन्य कोई दवाई ले रहे हैं उन्हें यह दवाई नहीं खिलाई जाएगी दवाई बच्चे को अपने सामने ही खिलाना है तथा किसी भी बच्चे के साथ दवाई सेवन हेतु कोई दबाव भी नहीं डाला जाएगा। बच्चों में कृमि का संक्रमण मुख्यत: मिट्टी के माध्यम से होता है।

कृमि बच्चों में पोषण ग्रहण करने में बाधा डालता है जिसके कारण एनीमिया और कुपोषण हो सकता है । इसके साथ ही मानसिक एवं शारीरिक विकास बाधित हो जाता है। लंबे समय में इसके प्रभाव से स्वास्थ्य, शिक्षा और उत्पादकता को भी गंभीर खतरा होता है। ज्यादा संक्रमण होने के कारण बच्चे अक्सर बीमार और थके हुए रहते हैं,पढ़ाई में भी ध्यान नहीं लगता। यदि कृमि नियंत्रण की दवाई का सेवन किया जाए तो ना केवल बच्चों में के पोषण स्तर को अच्छा किया जा सकता है बल्कि उनमें कुपोषण भी दूर होता है स्वस्थ होने की दशा में बच्चों की कार्यकुशलता एवं क्षमता भी बढ़ती है।

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