बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 2 मई। शहर से 12 किलोमीटर दूर खजूरी गांव में अवैध फैक्ट्री खुलने से लोग अपनी 3000 एकड़ की खेती को बंजर होने से बचने की गुहार लगाते थक गए। अफसर ने एक न सुनी, मजबूरन लोगों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है।
खजूरी गांव में एक कंपनी स्पंज आयरन प्लांट बनवा रही है। गांव के 90 फ़ीसदी लोग प्लांट के विरोध में हैं। इसे लेकर कलेक्टर को कई बार पत्र भी लिखा, लेकिन गांव की सबसे बड़ी समस्या पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। इससे नाराज गांव वालों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला ले लिया है। लोगों का कहना है कि प्लांट खुल गया तो गांव की खेती की जमीन आने वाले साल में बंजर हो जाएगी। जल जंगल जमीन के साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ेगा।
चिमनी खुली छोडऩे से बढ़ी बीमारियां
खजूरी में स्पंज आयरन प्लांट डालने वाली कंपनी का पहले से यहां एक पावर प्लांट भी है। गांव वालों का कहना है कि चिमनी से निकलने वाले काले धुएं से उन्हें काफी परेशानी होती है। आमतौर पर रात में जब चिमनी में धुएं को फिल्टर करने वाली मशीन बंद कर दी जाती है, इस वजह से गांव में सांस संबंधित बीमारियां बढ़ रही है।
शिकायत करने पहुंचे लोगों ने अफसर को 27 जनवरी 2024 की वह पंजी भी दिखाई, जिसमें उन्होंने गांव में स्पंज आयरन फैक्ट्री खोलने के विरोध में कर समिति से प्रस्ताव पारित किया था। इस दौरान विजय कुमार ध्रुव, कचरू राम ध्रुव, हरिश्चंद्र कोसले कांतिबाई गिरजा रामकुमार कुंवर सिंह पटेल रामलाल टीजू राम पटेल तिलबाई कन्हैयालाल संतोषी बाई रेनू ध्रुव, प्रियंका ध्रुव, शिवकुमार नंदलाल अर्जुन लक्ष्मी इंद्र परमेश्वरी धनेंद्र पटेल धनेश्वरी पटेल संतोष चंदेल गणेश पटेल जागी पटेल कामदेव आशाबाई रामकली श्वेता मारकंडे प्रीति मारकंडे कोमल गिरी आदि मौजूद रहे।
पशु-पक्षियों की सेहत पर खतरा
इलाके में स्पंज आयरन प्लांट खोलने का विरोध होने का सबसे बड़ा गांव सोनबरसा जंगल भी है। इस जंगल में चीतल, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, सियार समेत विभिन्न प्रजातियों के पशु पक्षी रहते हैं। प्लांट से निकलने वाले जहरीले तत्व इन पशु पक्षियों की सेहत पर भी बड़ा असर डालेंगे। इसके अलावा इलाके की जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) पूरी तरह खत्म होने का खतरा भी रहेगा। ऐसे में प्राकृतिक संरक्षण के लिहाज से भी खजूरी के गांव में स्पंज आयरन फैक्ट्री खोलने का विरोध किया जा रहा है।लोगों ने मुख्यमंत्री विष्णु देवसाय स्थानीय विधायक टंक राम से गुहार लगाई है कि वह खुद ही इस मामले में कोई कार्यवाही करें। लोगों का कहना है कि अवसर नहीं सुनते नेता नहीं नेता ही सुन ले।
न जनसुनवाई, न जमीन डायवर्सन
गांव में फैक्ट्री खोलने का विरोध होने का सबसे बड़ा कारण तो यही है कि इसके लिए पंचायत से कोई अनुमति नहीं ली गई है न ही लैंड डायवर्सन करवाया गया है। खजूरी के अलावा ढाबाड़ीह बोईरडीह केसला गांव के किसानों की कृषि जमीन भी प्लांट के आसपास ही हैं। ऐसे में फैक्ट्री के प्रदूषण से इलाके में काम से कम दो तीन हजार एकड़ खेत के बंजर होने के आशंका है।
इसके अलावा नियम कहता है कि प्लांट के दो किलोमीटर के दायरे में स्कूल नहीं होने चाहिए। यहां प्लांट के नजदीक ही हाई स्कूल है। जहां सैकड़ों बच्चे पढ़ाई करते हैं। गांव वाले सबसे ज्यादा इस बात से परेशान है कि लाख शिकायतों के बाद भी अफ़सर उनकी सुनने को तैयार नहीं है।
आसपास खेत है तो पैदावार नष्ट होना तय
डॉ. शम्स परवेज रसायनविद रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का कहना है कि स्पंज आयरन प्लांट के दो किलोमीटर के दायरे में कोई स्कूल अस्पताल या गांव नहीं होना चाहिए, यही नियम है।
इन प्लांट्स से बड़ी मात्रा में ब्लैक डस्ट निकलती है। आसपास खेत है तो यह 10 फीसदी पत्तियों पर इक_ा होती है। इससे प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होगा। नतीजतन पैदावार भी कम होगी।