बलौदा बाजार

जिला बनने के एक दशक बाद भी मुख्यालय में समस्याओं का अंबार
09-Sep-2022 1:33 PM
जिला बनने के एक दशक बाद भी मुख्यालय में समस्याओं का अंबार

  न्यायधानी से जोडऩे वाली सडक़ का निर्माण कछुआ गति से जारी  
  चंद महीनों में ही था मे सिटी बसों के पहिए रेल लाइन बनी सपना  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदा बाजार, 9 सितम्बर।
का गठन हुए एक दशक पूर्ण हो चुका है लेकिन जिले में विकास के नाम पर छुटपुट कार्यों को छोडक़र महज घोषणाएं वह खानापूर्ति किए जाने से जिले वासियों को आज भी अन्य जिलों पर आश्रित रहना पड़ रहा है। 

गौरतलब है कि भौगोलिक एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होने के चलते सन उन्नीस सौ पांच में तहसील का दर्जा प्राप्त होने आजादी के पश्चात राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान होने तथा जिले से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के प्रदेश व केंद्र में मंत्री बनाए जाने के अलावा प्राकृतिक संपदा से भरपूर होने के बावजूद अपने समपक्ष जिलों की तुलना में यह जिला आज भी पिछड़ा हुआ है 1 जनवरी 2012 को अस्तित्व में आया बलौदा बाजार जिला के विकास की जो परिकल्पना उस वक्त की गई थी 10 वर्ष बाद भी जिला मुख्यालय में उच्च स्तर का विकास परलक्षित नहीं हो रहा है शासन प्रशासन द्वारा सुविधाओं एवं विकास की दृष्टि से अभी भी यातायात शिक्षा स्वास्थ्य एवं नागरिक सुविधाओं के क्षेत्र में यह काफी पिछड़ा हुआ है. 
 

ट्रांसपोर्ट नगर की मांग ठंडे बस्ते में 
जिला में छह विश्व स्तरीय सीमेंट प्लांट स्थापित रहने और उत्पादन क्षमता में लगातार वृद्धि करने अतिरिक्त यूनिट का निर्माण कराए जाने से जिला सीमेंट हब के रूप में जाना जाता है सीमेंट संयंत्रों में प्रतिदिन हजारों भारी मालवाहक सामान लादकर लाने और ले जाने के लिए यहां पहुंचते हैं लेकिन इस दौरान वाहनों में खराबी आने व मरम्मत के लिए ट्रांसपोर्ट नगर नहीं होने के कारण सडक़ों के किनारे पर ही वाहनों की लंबी कतारें लगातार गाड़ी मरम्मत का कार्य किए जाने से यातायात बाधित होता है इस बारे में ट्रांसपोर्ट व्यवसाई द्वारा लगातार मांग रखी जाने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीन रवैये व अन्य उलझनो के कारण नगर में ट्रांसपोर्ट नगर का अभाव बना हुआ है। 

जिला बनने के पश्चात उच्च शिक्षा के नाम पर शासन द्वारा कई ग्रामीण इलाकों में शासकीय महाविद्यालय खोले गए हैं लेकिन विडंबना यह है कि महाविद्यालय में प्राचार्य सहित अध्यापकों के अधिकांश स्वीकृति पद वर्षो से रिक्त है तथा जनभागीदारी व संविदा कर्मी के सहारे पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति जारी है वहीं सशक्त नेतृत्व क्षमता के अभाव में व्यवसायिक शिक्षा वाले चिकित्सक महाविद्यालय केंद्रीय विद्यालय जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान शिक्षा उद्यानिकी आयुर्वेदिक महाविद्यालय से जिला अब तक वंचित है उच्च शिक्षा की व्यवस्था ना होने के कारण मजबूरन बच्चों को बाहर जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है या फिर गरीब छात्र घर से बाहर रहकर खर्च का भार ना उठा पाने के कारण पढ़ाई छोड़ देते हैं.
 

सिटी बस जरूरी 
कुछ वर्षों पूर्व राज्य सरकार द्वारा जिला के कस्बे के निवासियों को जिला मुख्यालय तक आने जाने वाली परेशानियों को दूर करने सिटी बस सेवा की शुरुआत की गई थी जिसके तहत बलौदा बाजार से भाटापारा खरोरा सिंगर आदि इलाकों तक सिटी बस सेवा का संचालन शुरू करते हुए ग्राम कुकुरदी के समीप सिटी बस डिपो के लिए भूमि आवंटित कर लाखों रुपयों की लागत से भवन निर्माण कराया गया था लेकिन निजी बस संचालकों और प्रशासनिक अमले की मिलीभगत के चलते चंद महीनों में ही सिटी बसों के पहिए थम गए विडंबना यह है कि जिले में आला अधिकारियों के फेरबदल होने के बावजूद किसी भी अधिकारी द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. 
 

रेल लाइन परियोजना को नहीं मिली 
स्वीकृति रेल कारपोरेशन द्वारा वर्ष 2019 में 4900 करोड़ की लागत से 260 किलोमीटर लंबी दुर्ग पाटन नया रायपुर से बलौदा बाजार शिवरीनारायण जैजैपुर खरसिया तक नई रेलवे लाइन बिछाने वाली परियोजना के पीपीपी मॉडल के तहत स्वीकृति मिलने पर भू अर्जन की प्रारंभिक अधिसूचना समाचार पत्रों में प्रकाशित किए जाने से बलौदा बाजार सहित जिले के कई अन्य कस्बों के रेल लाइन से जुडऩे से लोग प्रसन्न थे 2 साल पहले धारा 21 भू अर्जन के लिए प्रथम अधिसूचना जारी कर गांव की 343.56 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित है।
जिला मुख्यालय से राजधानी और न्यायधानी मार्ग की हालत खराब 

जिला मुख्यालय के प्रदेश की राजधानी से जोडऩे वाले मार्ग को नेशनल हाईवे घोषित कर 130ड्ढ में शामिल किया गया है लेकिन कई वर्षों बाद भी नेशनल हाईवे के अनुरूप सडक़ की चौड़ाई नहीं बढऩे तथा संकेत बोर्ड लगने का काम अब तक शुरू नहीं हुआ है इस तरह न्यायधानी कहलाने वाले बिलासपुर से जोडऩे वाली सडक़ का निर्माण कार्य कछुआ गति से जारी रहने से लोग परेशान हैं वहीं इस मार्ग निर्माण के दौरान नगर से लगे कुछ हिस्सों में हुए अतिक्रमण हटाने व कद में आने वाले निजी जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू नहीं की गई है 

गौरतलब है कि टोल टैक्स बचाने तथा कम दूरी होने के चलते उड़ीसा रायगढ़ जशपुर बिलासपुर आदि इलाकों से रायपुर भिलाई के लिए आने जाने वाले भारी मालवाहक प्रतिदिन इस मार्ग का उपयोग करते हैं तथा सडक़ की चौड़ाई कम होने प्रतिदिन सडक़ हादसों में जनधन की हानि होने के बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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