बीजापुर

पाबंदी का कोई असर नहीं, डंके की चोट पर हो रही रेत खुदाई
17-Sep-2022 9:09 PM
पाबंदी का कोई असर नहीं, डंके की चोट पर हो रही रेत खुदाई

खनिज विभाग बना मूकदर्शक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बीजापुर, 17 सितंबर। पर्यावरण को हो रहे नुकसान से बचाने सरकार ने नदियों से रेत निकाले जाने पर पाबंदी लगाई हुई है। बावजूद डंके की चोट पर रेत निकालकर नियमों को ठेंगा दिखाया जा रहा हैं।

इस बारे सहायक खनिज अधिकारी हेमंत चेरपा ने बताया कि उनकी यहां नई पोस्टिंग होने से उन्हें क्षेत्र की ज्यादा जानकारी नहीं हैं। उन्होंने खनिज इंपेक्टर से दिखवाने की बात कही हैं।

दरअसल, राज्य सरकार ने 10 जून से 15 अक्टूबर तक के लिए नदियों से रेत निकालने पर पाबन्दी लगाई हैं। मगर बीजापुर जिले में सरकारी नियम कायदों की परवाह किये बिना डंके की चोट पर नदियों से रेत का उत्खनन कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
 
बीजापुर ब्लाक के पोंजेर व पदेडा नदी से ट्रेक्टर व 407 वाहन से रेत खनन कर उसका परिवहन किया जा रहा हैं। इससे नदियों के तट पर कटाव हो रहा है।

पोंजेर से रेत लेकर जा रही 407 वाहन के चालक से बात की गई तो उसने बताया कि रेत निकालने के एवज में गांव में प्रत्येक गाड़ी का 600 रुपये देते हैं। चालक से रॉयल्टी पटाने की बात पूछने पर उसने इससे अनभिज्ञता जाहिर की।

ज्ञात हो कि चेरपाल व पोंजेर ही नहीं जिले के अन्य ब्लाकों में स्थित नदियों से भी पाबंदी के बावजूद इन दिनों रेत का उत्खनन बेरोक टोक जारी है। एक तरफ़  रेत उत्खनन कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ खनिज विभाग द्वारा किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं किये जाने से मानो उनकी मौन स्वीकृति समझी जा रही है।

ज्ञात हो कि ये बात निस्संदेह कही जा सकती है कि रेत नदी के पारिस्थिति की तंत्र का अनिवार्य हिस्सा है। नदी के जल-प्रवाह और मछलियों की ही तरह यह नदियों को सेहतमंद रहने में मदद करता है। यह भू-जल के पुनर्भरण के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है और प्रवाही जल में पोषक-तत्वों की आपूर्ति करता है। नदियों में जल-प्रवाह की कमी के दिनों में रेत जल-प्रवाह को बनाये रखने में मदद करता है। विभिन्न प्रकार के जलीय जीव-जंतुओं के प्राकृतिक वास के लिहाज से भी रेत महत्वूर्ण है।

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