रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 सितंबर। प्रदेश सेनाध्यक्ष अजय नाथ तिवारी ने अपने सभी पदाधिकारी एवं सम्मानित सदस्यों के साथ शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला स्थित डॉ इंदु भावन महाराज जी के साथ दोनो नए शंकराचार्यों का पूरी आस्था श्रद्धा और विश्वास के साथ अभिषेक किया। अजय नाथ तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया।
ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य ने 2007 में आयोजित चतुष्पीठ सम्मेलन में ही अपने दोनों उत्तराधिकारीगणों को किया था प्रस्तुत। दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरीपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री भारती तीर्थ महास्वामी जी ने 12 सितम्बर 2022 ई. को ब्रह्मलीन शंकराचार्य जी के पांचभौतिक शरीर के समक्ष अभिषिक्त हुए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती महाराज एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती महाराज का श्रृंगेरीपीठ की अधिष्ठात्री देवी शारदाम्बा के मन्दिर में वैदिक मन्त्रोच्चार के बीच अभिषेक किया।
अभिषेक करने से पूर्व उन्होंने दोनों जगद्गुरुओं के सिर पर अपना हाथ रखा और संस्कृत में उद्घोषणा की कि मैं ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वरत्वर जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज के करकमलसंजात दण्डी संन्यासी उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती का ज्योतिष्पीठ पर और स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती का पश्चिमाम्नाय द्वारकापीठ पर अभिषेक कर रहा हूॅ।
उसी वचन का स्मरण एवं मान रखते हुए जैसे ही उनको द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु महाराज के ब्रह्मलीन होने का समाचार प्राप्त हुआ उन्होने अपने पीठ प्रशासक श्री वी आर गौरीशंकर जी को तत्काल भेजा और उनके अनुरोध का स्मरण करते हुए निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी से अभिषेक-तिलक आदि उनका पांचभौतिक देह के समक्ष ही 12 सितम शृङगेरी महाराजश्री ने यह भी उद्घोषित किया कि वे एवं दोनो नये शंकराचार्य अर्थात् तीनों आम्नाय मठ एकजुट होकर सनातन धर्म का कार्य करेंगे।
इस महनीय अवसर पर ब्रह्मचारी ध्यानानन्द, ज्योतिर्मयानन्द ब्रह्मचारी जी, ब्रह्मचारी उद्धवस्वरूप , ब्रह्मचारी अचलानन्द , ज्योतिष्पीठ पण्डित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री , आचार्य पं राजेन्द्र द्विवेदी जी, भारत धर्म महामण्डल के आचार्य पं श्री परमेश्वर दत्त शुक्ल एवं काशी विद्वत् परिषद् के आचार्य पं कमलाकान्त त्रिपाठी छ.ग से पं प्रकाश उपाध्याय, कैप्टन अरविन्द, आनन्द उपाध्याय , पं शैलेष, कृष्ण पाराशर मुख्य रूप से उपस्थित रहे।